उत्तराखण्ड की लोककथा काक भाषा डॉ. उमेश चमोला सुमति धार्मिक स्वभाव की थी । उसकी सेवा से प्रसन्न होकर एक महात्मा ने उसे अदभुत विद्या सिखाई । व...
उत्तराखण्ड की लोककथा
काक भाषा
डॉ. उमेश चमोला
सुमति धार्मिक स्वभाव की थी । उसकी सेवा से प्रसन्न होकर एक महात्मा ने उसे अदभुत विद्या सिखाई । वह विद्या थी कौओं की भाषा को समझना तथा कौओं से बात करना किन्तु इस रहस्य को जिस दिन किसी को बता दिया उसी दिन इस विद्या को समाप्त होना था । सुमति की शादी एक गरीब परिवार में हुई । उसका पति एक किसान था ।
एक दिन सुमति जंगल घास काटने गई । वहीं नजदीक एक उड्यार (गुफा) था । सुमति ने कौओं को आपस में बातें करते सुना-
‘‘आज सुमति का भाग्य खुलने वाला है’’- एक कौआ बोला
‘‘कैसे ?
‘‘इस उड्यार में एक सन्दूक है, इसमें ढेर सारी अशरफियाँ हैं ।’’ दूसरे कौए ने जवाब दिया ।
सुमति गुफा के अन्दर गई । वहां उसे उसे एक सन्दूक दिखाई दिया । वह उस सन्दूक को अपने घर ले आई । सन्दूक के अन्दर अशरफियों को देखकर उसका पति माधव और सास-ससुर खुश हो गए । सुमति ने अपने घर वालों को बताया कि वह इस सन्दूक को गुफा के अन्दर से घर लाई है ।
दूसरे दिन वह अपने खेत में काम करने गई । उसने दो कोओं को बात करते हुए सुना- ‘‘उधर गदेरे के पार एक गरूड़ ने एक हार को खेत में छोड़ा है ।’’
एक कौआ बोला-‘‘ हैं ?‘‘ दूसरा कौआ कांव-कांव करने लगा ।
सुमति गदेरे के पार गई । उसे वहां खेत में सचमुच एक हार पड़ा हुआ मिला । वह उसे अपने घर ले आई ।
हार को देखकर सुमति के घरवालों को शक हुआ । उन्होंने समझा कि सुमति के चोरों से सम्बन्ध हैं । उन्होंने सुमति को घर से निकाल दिया । सुमति रोते-रोते उस महात्मा की कुटिया में पहुंच गई जिसने उसे काकभाषा को समझने और उनसे बात करने की विद्या दी थी । सुमति महात्मा से बोली- ‘‘महात्मा जी ! मुझसे काकभाषा वाली विद्या वापस ले लो । इसी कारण मेरे घरवालों ने मुझे घर से निकाल दिया है । ‘‘
“बेटी ! चिन्ता मत करो । तुम्हारी यही विद्या ससुराल में तुम्हें सम्मान दिलाएगी । तुम अपने ससुराल लौट चलो । ‘‘
महात्मा के यह वचन सुनकर सुमति अपने ससुराल वापस जाने लगी । रास्ते में उसे कौये बात करते हुए सुनाई दिए-
‘‘सुमति के ससुराल वालों पर संकट आने वाला है ।’’
‘‘कैसे ?
‘‘ मैंने चोरों को आपस में बात करते हुए सुना । वे कह रहे थे कि आज रात को सुमति के ससुराल वालों के घर चोरी करेंगे । ’’
दो कौओं की इस वार्ता को सुनकर सुमति भागी-भागी अपने ससुराल पहुंची । ससुराल वालों ने उसे घर के अन्दर आने नहीं दिया ।
‘‘तुम मुझे घर में घुसने मत दो लेकिन मेरी बात तो सुनो । आज रात इस घर में चोरी होने वाली है ।’’ -वह चिल्लाई।
सुमति के ससुराल वालों ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया । सुमति अपने मायके की ओर जाने लगी । रात को सचमुच सुमति के ससुराल में चोरी हुई । चोर उनके घर में रखे सन्दूक, अशरफी और हार उठाकर ले गए । उसका पति माधव एवं सास सोचने लगी - ‘‘सुमति ने हमें चोरी के बारे में पहले ही बता दिया था । इसका मतलब है यह चोरी उसी ने करवाई होगी । बाद में उसे इस बात का पछतावा हुआ होगा । इसीलिए उसने हमें पहले सचेत कर दिया था । ‘‘
वे सुमति की ढूंढ खोज में निकल पड़े । उन्हें रास्ते में वह मिल गई । उन्होंने सुमति को बुरा भला कहा । जब वे सुमति के साथ जंगल में थे उसने कौओं को बात करते हुए सुना-
‘‘मुझे सुमति के ससुराल चोरी करने वाले चोरों के घर के बारे में पता है’’।
‘‘लेकिन सुमति को कैसे हम उनके घर का रास्ता बताएंगे ? “
‘‘जिस दिशा में हम उड़ कर जाएंगे वहीं सुमति को अपने ससुराल वालों के साथ जाना होगा ।‘‘
कौओं की इस वार्ता को सुनकर सुमति अपने ससुराल वालों के साथ उसी दिशा में जाने लगी जहां कौए उड़ रहे थे । अंत में वह चोरों के घर के बाहर पहुंच गए ।
चोर आपस में बातें कर रहे थे-
‘‘सुमति के ससुराल में चोरी हमने की है । उसकी सास और उसका पति सुमति पर शक कर रहे हैं ।‘‘
‘‘चलो ठीक ही हुआ’’- पहले चोर की बात को सुनकर दूसरा बोला ।
चोरों की बात को सुनकर सुमति की सास और पति समझ गए कि वह निर्दोष है । उन्होंने सुमति से क्षमा मांगी । वह अपने घर वापस आने लगे । चोरों को उनके आने का पता नहीं चला । थोडा आगे चलने पर सुमति ने बहुत सारे कौये देखे । सुमति ने उनसे कहा-‘‘चोरों से हमारा सामान वापस दिला दो’’। सुमति की बात को सुनकर कौये चोरों से बहुत सारा सामान सुमति के घर वापस लाए । सुमति के ससुराल वाले फिर धनी हो गए । वे समझ गए कि उनकी बहू के पास कोई शक्ति है ।
जब चोरों को पता चला कि उनके द्वारा चुराया हुआ धन सुमति के घर पहुंच गया है । उन्हें आश्चर्य हुआ । उन्होंने एक चाल चली । वे राजा के पास चले गए । उन्होंने यह धन राजा के यहां से चुराकर सन्दूक के अन्दर गुफा में छिपा दिया था , जिसे सुमति अपने घर लाई थी । उन्होंने राजा के पास कहा कि सुमति के घर वालों ने ही राजदरबार का धन चुराया है । उनकी शिकायत पर राजा ने अपने कर्मचारियों को आदेश दिया- ‘‘कल सुबह सुमति के घर वे चुराए हुए धन की ढूंढ़ खोज करें । यदि उनके घर धन मिल गया तो उन्हें दण्ड देने के लिए राजदरबार में हाजिर किया जाए । ‘‘
उस रात सुमति ने दो कौओं को बात करते हुए सुना-
‘‘कल सुमति के घर वालों को राजा दण्डित करने वाला है ।’’
‘‘क्यों ? - दूसरे कौए ने पहले वाले से पूछा ।
‘‘कल सुबह सुमति के घर राजा के कर्मचारी चुराए हुए धन को खोजने आऐंगे । ’’
कौओं की बात को सुनकर सुमति ने अपने पति तथा सास को बताया कि कल यहां राजा के कर्मचारी धन को ढूंढ़ने आएंगे । सुमति के कहने पर उन्होंने रात को ही सारा धन अपने आंगन में गड्ढा खोदकर दबा दिया ।
दूसरे दिन सुबह राजा के कर्मचारी सुमति के घर धन की ढूंढ़ खोज करने आए । उन्हें वहां कहीं धन नहीं मिला । राजा ने चोरों को ही दण्डित किया ।
एक दिन सुमति ने कौओं को आपस में बातें करते हुए सुना-
‘‘पड़ोस का राजा अगले माह अचानक इस राज्य पर आक्रमण करने वाला है ।’’
‘‘मेरा भाई कौआ उस राजा के दरबार के बाहर पेड़ में बैठा था । उसने राजा को दरबारियों से बातें करते हुए सुना । ‘‘
सुमति ने राजा को यह बात बता दी । राजा ने युद्ध के लिए सुरक्षा का इंतजाम कर दिया
था । ठीक एक महीने बाद पड़ोस के राजा ने आक्रमण कर दिया । इस युद्ध में राजा जीत
गया । राजा सुमति से प्रसन्न हुआ । उसने सुमति और उसके पति को अपने दरबार में नौकरी दे दी ।
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-डॉ . उमेश चमोला, शिक्षक -प्रशिक्षक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् उत्तराखण्ड, राजीव गांधी नवोदय विद्यालय भवन नालापानी देहरादून, उत्तराखण्ड
ई मेल – u.chamola23@gmail.com
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