1.आत्मविश्वास आत्मविश्वास... बिना आत्मविश्वास के जीत सोचना बेमानी है, कैसे जीता रण में राणा लड़ी रानी मर्दानी है, रगों में उबाल नहीं गर...
1.आत्मविश्वास
आत्मविश्वास...
बिना आत्मविश्वास के
जीत सोचना बेमानी है,
कैसे जीता रण में राणा
लड़ी रानी मर्दानी है,
रगों में उबाल नहीं गर
खून नहीं वो पानी है,
रच देगा इतिहास वही
मन में जिसने ठानी है,
भगत, कलाम, गांधी, सुभाष
टैगोर, विवेक स्वाभिमानी है,
किया सृजन विश्वास से
उन वीर सपूतों को सलामी है,
संकल्प शक्ति से जीता सबकुछ
गढ़ ली नई कहानी है,
सीख ले घबरा नहीं तू
मत सोच के रात तूफानी है,
धारा के विपरीत दिशा में
अगर नाव दौड़ानी है,
तो बिना आत्मविश्वास के
जीत सोचना बेमानी है।
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2.ज़िन्दगी के साथ..
ज़िन्दगी के साथ...
कुछ लिखता कुछ मिटाता रहा,
मुसलसल ज़िन्दगी के साथ..
कुछ सुनता कुछ सुनाता रहा,
दास्तां नयी, पुरानी के बाद..
कुछ बुनता कुछ उधेड़ता रहा,
इल्म के सुई धागे के साथ...
कभी रुलाता कभी हँसाता रहा,
अफ़साना तेरे जाने के बाद...
दर्द-ए-दिल बढ़ता रहा,
मुकर्रर दूरियों के साथ...
कुछ बोता कुछ काटता रहा,
गुज़रते वक़्त के साथ...
यूँ ही बेपरवाह चलता रहा,
मुसाफ़िर सफर के साथ...
कुछ लिखता कुछ मिटाता रहा,
मुसलसल ज़िन्दगी के साथ...
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3.तकदीर..
तक़दीर में क्या है....
तक़दीर में क्या है किसको पता है,
इंसान इस दौर में खुद लापता है।
कभी सोचता है के दौलत ही सबकुछ,
कभी इश्क़ के ख़ुमार में लुटा है।
ख्वाबों ख़यालों के पिंजरे में रहकर,
बाहर सुहाने शज़र ताकता है।
दास्तां पुरानी या इतिहास कोई,
हर वक़्त आदमी की है ये क़िस्सागोई।
मोहब्बत में हो या के खुदा से लड़ाई,
करता है खुद की वो यूँ ही बड़ाई।
उम्र भर खुद को यूँ ही भ्रम में डुबोकर,
तक़दीर के ही मत्थे सब छोड़ता है।
जो अंदर ही है उसको बाहर वो ढूंढे,
एक दिन गुमान में ही दम तोड़ता है।
तक़दीर में क्या है किसको पता है,
इंसान इस दौर में खुद लापता है।
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4.चलती का नाम ज़िन्दगी
चलती है तो चलने देना चाहिए...
कहानी है तो कह देना चाहिए
दास्तां है तो बतला देना चाहिए
गीत हैं तो धुन में पिरो देना चाहिए
संगीत धड़कनों का सुनने देना चाहिए
मन है तो गुनगुनाने देना चाहिए
खुद को थोड़ा थिरकने देना चाहिए
लफ़्ज़ों से अपने निकलने देना चाहिए
अल्फ़ाज़ कैद से रिहा होने चाहिए
ख़ुशबू है तो बिखेर देना चाहिए
हवाओं में उसेे घुल जाने देना चाहिए
अंगड़ाई आये तो लेने देना चाहिए
अरमान थोड़े मचलने देना चाहिए
कोई जादू है तो दर्शा देना चाहिए
करतब नया कोई दिखला देना चाहिए
इश्क़ है तो वफ़ादारी होनी चाहिए
मुकम्मल करने का काम जारी होना चाहिए
महफ़िल यारों की जम जाने देना चाहिए
कारवां गुफ़्तगू का रुकना नहीं चाहिए
ज़िन्दगी है तो जीने देना चाहिए
चलती है तो चलने देना चाहिए...
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5. कलाकार
कलाकार मरता नहीं...
बस्ता उसके किरदारों का होता कभी खाली नहीं,
कलाकार मरता नहीं।
जिंदगी का हर रंग पर्दे पर उकेरता सही,
हर बार अलग अंदाज़ में दास्तां सुनाता नयी,
कलाकार मरता नहीं।
कुछ उजले कुछ उथले ज़िन्दगी के अनकहे किस्से..,
है गढ़ने में माहिर वही,
कलाकार मरता नहीं।
सही गलत से परे हमेशा उसकी अदाकारी रही,
जीवन के हर पहलू में क़ामिल हिस्सेदारी रही,
कलाकार मरता नहीं।
महफिलों की शान ऊँची उसकी शख़्सियत रही
रुखसती के बाद सलामत यही मिल्कियत रही,
कलाकार मरता नहीं।
कलाकार मरता नहीं।
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6.परिंदे सोच में है..
परिंदे सोच में हैं...
परिंदे सोच में हैं कुछ तो होश में है,
आसमां की ऊँचाई में उड़ते जोश में है।
दरख्तों की आड़ में कुछ आग़ोश में है,
मदमस्त हवाओं में इतराते कुछ मदहोश से हैं।
फ़िज़ा को देख कुछ ख़ामोश से हैं,
इश्क़ के ख़ुमार में बेहोश से हैं।
बेख़ौफ़ हैं जज़्बा इनके कोष में है,
परिंदे सोच में हैं कुछ तो होश में है।
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7.रात के तारे
काफ़िला गुज़र रहा था रात का
थे सिपहसालार तारे,
पहरा सख़्त था चाँद पर
थे बहुत चौकन्ने सारे,
नूर दूर तक जब छाया चांदनी का
मत्थम हो गए वो बेचारे,
दीदार-ए-इश्क़ कर रहे थे
मदहोशी में पड़े थे सारे,
होश नहीं कब रात ढली
कब डूब गए वो नज़ारे,
रात के आगोश में कहीं
खो गए वो सितारे।
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8.सन्नाटा बाज़ारों में
ये सन्नाटा अजब है बाज़ारो में...
रास्ते सूने गालियां सूनी, खाली इबादतगाह,
अनमनी सी आजकल है सुबह शाम यहाँ
मोहल्लों की रौनक चली गयी जाने कौन से चारागाह,
सुकून नही अब चौबारों में, सूखे दरख़्त हैं
जाने किसने फैलाया ये फ़साद बेवजह,
चुभ रही एक फांस सी पगडंडियों में घास की,
लगता है कई दिनों से कोई गुज़रा नही इस राह,
हाल हर जगह है यही एक सा मनहूसियत भरा
दिन ढल चुका अब रातें हो गयी और स्याह।
ये सब जाना पहचाना लगता है।
किसी आशिक़ के टूटे दिल की तरह।।
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9.आबाद है..
इन हवाओं में बहता संगीत,
आबाद है
मौसमों ने गाए जो गीत,
आबाद है
फिजा में धड़कनों की धुन,
आबाद है
पत्तों पर वो ओस की बूंद,
आबाद है
फूलों पर भौरे का गुनगुनाना,
आबाद है
डाल पर चिड़ियों का चहचहाना,
आबाद है
अब गुलज़ार नहीं मौसम तो क्या..
दिल में याद है,
मुकम्मल ना हुआ तो क्या..
इश्क़..,आबाद है।
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10.मनमौजी
कुछ मन के भले थोड़े नासाज़ हो तुम,
अपनी धुन पर बजता साज़ हो तुम।
कुछ शबनम से थोड़े आग हो तुम,
जाने कितने दिलों के सय्याद हो तुम।
तबस्सुम नहीं ये सुकून-ए-दिल है,
महकता हुआ एक ग़ुलाब हो तुम।
इम्तिहान देकर कई ज़िन्दगी के,
कुछ तजुर्बेकार थोड़े कामयाब हो तुम।
बेबाक़ बेपरवाह से नज़र आते हो,
कुछ अल्हड़ थोड़े समझदार हो तुम।
नज़रें बयाँ कर देती हैं जज़्बात तुम्हारे,
कुछ सच्चे थोड़े अय्यियार हो तुम।
दुनिया रज़ामंद हो ज़रूरी नहीं,
सही गलत से परे इंसान हो तुम।
कुछ मन के भले थोड़े नासाज़ हो तुम,
अपनी धुन पर बजता साज़ हो तुम।।
बेमिसाल....
जवाब देंहटाएंAti sundar pantiiya
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