बुरांस : सुन्दर फूलों वाला एक वृक्ष -डॉ दीपक कोहली- बुरांस (रोडोडेंड्रॉन / Rhododendron ) सुन्दर फूलों वाला एक वृक्ष है। बुरांस का पेड़ उ...
बुरांस : सुन्दर फूलों वाला एक वृक्ष
-डॉ दीपक कोहली-
बुरांस (रोडोडेंड्रॉन / Rhododendron) सुन्दर फूलों वाला एक वृक्ष है। बुरांस का पेड़ उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है, तथा नेपाल में बुरांस के फूल को राष्ट्रीय फूल घोषित किया गया है। गर्मियों के दिनों में ऊंची पहाड़ियों पर खिलने वाले बुरांस के सूर्ख फूलों से पहाड़ियां भर जाती हैं। हिमाचल प्रदेश में भी यह पैदा होता है।
बुरांस हिमालयी क्षेत्रों में 1500 से 3600 मीटर की मध्यम ऊंचाई पर पाया जाने वाला सदाबहार वृक्ष है। बुरांस के पेड़ों पर मार्च-अप्रैल माह में लाल सूर्ख रंग के फूल खिलते हैं। बुरांस के फूलों का इस्तेमाल दवाइयों में किया जाता है, वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल स्रोतों को यथावत रखने में बुरांस महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुरांस के फूलों से बना शरबत हृदय-रोगियों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। बुरांस के फूलों की चटनी और शरबत बनाया जाता है, वहीं इसकी लकड़ी का उपयोग कृषि यंत्रों के हैंडल बनाने में किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी वृद्ध लोग बुरांश के मौसम् के समय घरों में बुरांस की चटनी बनवाना नहीं भूलते। बुरांस की चटनी ग्रामीण क्षेत्रों में काफी पसंद की जाती है।
भारत विश्व की लगभग 87 प्रजातियां, 10 उप प्रजातियां तथा 14 किस्मों का प्रतिनिधित्व करता है जो कि उच्च हिमालयी राज्यों के जंगलों में अधिक मात्रा में पायी जाती हैं। आज इन्ही हिमालयी क्षेत्रों में बुरांश की कुछ प्रजातियां चीन, जापान, म्यामांर, थाईलैण्ड, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपीन्स तथा न्यू गुनिया आदि देशों तक फैल चुकी है। बुरांश की कुछ प्रजातियां, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, दक्षिणी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में और इसके अलावा दो प्रजातियां आस्ट्रेलिया में पायी जाती हैं। भारत में पायी जाने वाली कुल 87 प्रजातियों में से 12 प्रजातियां उत्तराखण्ड में पायी जाती हैं जिनमे चार प्रजातियां, रोडोडेंड्रोन बारबेटम, रोडोडेंड्रोन केम्पानुलेटम, रोडोडेंड्रोन एरबोरियम तथा रोडोडेंड्रोन लेपिडोटम प्रमुख हैं। जबकि 75 प्रजातियां अरूणाचल प्रदेश में पायी जाती हैं।
बुरांस को सबसे पहले 1650 में ब्रिटिश में उगाया गया था जो बुरांश की एक प्रजाति रोडोडेंड्रोन हिरसुटम थी इसके बाद 1780 में साइबेरिया ने रोडोडेंड्रोन डाउरिकम और 1976 में रोडोडेंड्रोन चिराइसेंथम इसके इतिहास में वर्णित है। रोडोडेंड्रोन आरबोरियम पहली प्रजाति है जिसकी 1796 में श्रीनगर में खोज तथा पहचान की गयी। एक प्रसिद्ध बोटनिस्ट जोसेफ डी0 हूकर (1817-1911) द्वारा एक यात्रा की गयी जिसमें उनके द्वारा नेपाल से लेकर उत्तरी भारत तक बुरांश की सही जानकारी दी गयी।
उत्तराखण्ड में बुरांस के प्रत्येक भाग का विभिन्न उपयोगों हेतु प्रयोग किया जाता है। पुराने समय से ही बुरांश के फूल को जूस तथा चटनी आदि में उपयोग किया जाता रहा है। बुरांश की पत्तियों में अच्छी पौष्टिकता के कारण उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पशुचारे हेतु प्रमुखता से उपयोग में लाया जाता है। इसकी लकड़ी मुलायम होती है जिस वजह से इससे लकड़ी के बर्तन, कृषि उपकरणों में हैंडल आदि बनाने हेतु प्रयोग में लाया जाता रहा है।
दूरस्थ हिमालयी क्षेत्रों में बुरांस को प्राचीन काल से ही विभिन्न घरेलू उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है जैसे कि तेज बुखार, गठिया, फेफड़े सम्बन्धी रोगों में, इन्फलामेसन, उच्च रक्तचाप तथा पाचन सम्बन्धी रोगों में। अभी तक हुये शोध कार्यों के द्वारा प्रमुख रासायनिक अवयवों की पहचान की गई जैसे कि फूल से क्यारेसीटीन, रूटीन, काउमेरिक एसिड, पत्तियों से अरबुटीन, हाइपरोसाइड, एमाइरीन, इपिफ्रिडिलेनोल तथा छाल से टेराक्सेरोल, बेटुलिनिक एसिड, यूरेसोलिक एसिड एसिटेट आदि। वर्ष 2011 में हुये एक शोध कार्य के अनुसार बुरांश के फूल में महत्वपूर्ण रासायनिक अवयव स्टेरोइड्स, सेपोनिक्स तथा फलेवोनोइड्स पाये गये। बुरांश औषधीय गुणों के साथ-साथ न्यूट्रिशनल भी है, इसके जूस में प्रोटीन 1.68 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेड 12.20 प्रतिशत, फाइवर 2.90 प्रतिशत, मैग्नीज 50.2 पी0पी0एम0, कैल्शियम 405 पी0पी0एम0, जिंक 32 पी0पी0एम0, कॉपर 26 पी0पी0एम0, सोडियम 385 पी0पी0एम0 तक पाये जाते हैं।
बुरांस में विटामिन ए, बी-1, बी-2, सी, ई और के पाई जाती हैं जो की वजन बढने नहीं देते और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रखता है। Quercetin और Rutin नामक पिंगमेंट पाए जाने के कारण बुरांस अचानक से होने वाले हार्ट अटैक के खतरे को कम कर देता है। इसका शर्बत दिमाग को ठंडक देता है और एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण त्वचा रोगों से बचाता है। बराह के फूलों की चटनी बहुत ही स्वादिष्ट होती है जो कि लू और नकसीर से बचने का अचूक नुस्खा है। इसकी पंखुड़ियां लोग सुखाकर रख लेते हैं और सालभर इसका लुत्फ़ उठाते हैं।
बुरांस के विभिन्न औषधीय गुणो के कारण आयुर्वेदिक पद्यति की एक प्रसिद्ध दवा ‘अशोकारिष्ट’ में भी रोडोडेंड्रोन आरबोरियम प्रयोग किया जाता है। अच्छी एंटीऑक्सीडेंट एक्टिविटी के साथ-साथ बुरांश में अच्छी एंटी डाइबिटिक, एंटी डायरिल तथा हिपेटोप्रोटिक्टिव एक्टिविटी होती है। बुरांश को हीमोग्लोबिन बढ़ाने, भूख बढ़ाने, आयरन की कमी दूर करने तथा हृदय रोगों में भी प्रयोग किया जाता है। इन्हीं सभी औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के कारण बुरांश से निर्मित बहुत उत्पाद मार्केट में उपलब्ध हैं।
बुरांस का उपयोग जूस के अलावा अचार, जैम, जैली, चटनी तथा आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक दवाइयों में भी किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर बुरांस के जूस की अच्छी मांग है जो कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में 30 डालर प्रति लीटर तक की कीमत में खरीदा जाता है। उत्तराखण्ड का बुरांस वैसे भी अपनी खुबसूरती, स्वाद तथा कई औषधीय गुणों के लिये जाना जाता है जिसकी वजह से बाजार में बुरांस से निर्मित कई खाद्य पदार्थ जैसे जूस, चटनी तथा आयुर्वेदिक औषधियां की मांग है।
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प्रेषक - डॉ दीपक कोहली, 5 / 104 , विपुल खंड, गोमती नगर, लखनऊ-226010 ( दूरभाष- 9454410037)
लेखक परिचय
*नाम - डॉ दीपक कोहली
*जन्मतिथि - 17 जून, 1969
*जन्म स्थान- पिथौरागढ़ ( उत्तरांचल )
*प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा - हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा जी.आई.सी. ,पिथौरागढ़ में हुई।
*स्नातक - राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़, कुमायूं विश्वविद्यालय, नैनीताल ।
*स्नातकोत्तर ( एम.एससी. वनस्पति विज्ञान)- गोल्ड मेडलिस्ट, बरेली कॉलेज, बरेली, रुहेलखंड विश्वविद्यालय ( उत्तर प्रदेश )
*पीएच.डी. - वनस्पति विज्ञान ( बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)
*संप्रति - उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ में उप सचिव के पद पर कार्यरत।
*लेखन - विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1000 से अधिक वैज्ञानिक लेख /शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
*विज्ञान वार्ताएं- आकाशवाणी, लखनऊ से प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों में 50 से अधिक विज्ञान वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
*पुरस्कार-
1.केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित 15वें अखिल भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, 1994
2. विज्ञान परिषद प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा उत्कृष्ट विज्ञान लेख का "डॉ .गोरखनाथ विज्ञान पुरस्कार" क्रमशः वर्ष 1997 एवं 2005
3. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा आयोजित "हिंदी निबंध लेख प्रतियोगिता पुरस्कार", क्रमशः वर्ष 2013, 2014 एवं 2015
4. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा एनवायरमेंटल जर्नलिज्म अवॉर्ड्, 2014
5. सचिवालय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन समिति, उत्तर प्रदेश ,लखनऊ द्वारा "सचिवालय दर्पण निष्ठा सम्मान", 2015
6. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "साहित्य गौरव पुरस्कार", 2016
7.राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "तुलसी साहित्य सम्मान", 2016
8. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा "सोशल एनवायरमेंट अवॉर्ड", 2017
9. पर्यावरण भारती ,मुरादाबाद द्वारा "पर्यावरण रत्न सम्मान", 2018
10. अखिल भारती काव्य कथा एवं कला परिषद, इंदौर ,मध्य प्रदेश द्वारा "विज्ञान साहित्य रत्न पुरस्कार",2018
11. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा वृक्षारोपण महाकुंभ में सराहनीय योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र / पुरस्कार, 2019
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डॉ दीपक कोहली, पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश शासन,5/104, विपुल खंड, गोमती नगर लखनऊ - 226010 (उत्तर प्रदेश )
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