ब्लॉकचेन तकनीक : एक गेमचेंजर - डॉ दीपक कोहली - जिस प्रकार हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों को आपस में जोड़कर इंटरनेट का अविष्कार हुआ, ठीक उसी प्रकार...
ब्लॉकचेन तकनीक : एक गेमचेंजर
-डॉ दीपक कोहली-
जिस प्रकार हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों को आपस में जोड़कर इंटरनेट का अविष्कार हुआ, ठीक उसी प्रकार डाटा ब्लॉकों (आँकड़ों) की लंबी श्रृंखला को जोड़कर उसे ब्लॉकचेन का नाम दिया गया है। ब्लॉकचेन तकनीक तीन अलग-अलग तकनीकों का समायोजन है, जिसमें इंटरनेट, पर्सनल 'की' (निजी कुंजी) की क्रिप्टोग्राफी अर्थात् जानकारी को गुप्त रखना और प्रोटोकॉल पर नियंत्रण रखना शामिल है।
ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है जिससे बिटकॉइन तथा अन्य क्रिप्टो-करेंसियों का संचालन होता है। यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक डिजिटल ‘सार्वजनिक बही-खाता’ (Public Ledger) है, जिसमें प्रत्येक लेन-देन का रिकॉर्ड दर्ज़ किया जाता है।ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन को दर्ज करने पर इसे न तो वहाँ से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है। ब्लॉकचेन के कारण लेन-देन के लिये एक विश्वसनीय तीसरी पार्टी जैसे-बैंक की आवश्यकता नहीं पड़ती।
इसके अंतर्गत नेटवर्क से जुड़े उपकरणों (मुख्यतः कंप्यूटर की श्रृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है) के द्वारा सत्यापित होने के बाद प्रत्येक लेन-देन के विवरण को बही-खाते में रिकॉर्ड किया जाता है। दरअसल, ब्लॉकचेन की तुलना वर्ष 1990 के इंटरनेट की स्थिति से भी की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि पिछले दो दशकों में ‘इंटरनेट सूचनाओं’ ने हमारे समाज में परिवर्तन कर दिया है।
अब हम ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं, जहाँ ब्लॉकचेन भी ‘इंटरनेट ऑफ ट्रस्ट’ (Internet of Trust) और ‘इंटरनेट ऑफ वैल्यू’ (Internet of Value’) के माध्यम से वही कार्य करने में सक्षम होगी। अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार ब्लॉकचेन तकनीक पूरे विश्व के इको-सिस्टम को प्रभावित करने की क्षमता रखती है और विश्व के लगभग सभी बड़े केंद्रीय बैंक इसे लेकर शोध कर रहे हैं। |
आज कई विशाल वैश्विक वित्तीय कंपनियां इसके निहितार्थ और अवसरों के मद्देनज़र इसे अपने कार्यों में शामिल करने पर विचार कर रही हैं। कई विकसित देशों में सरकारें अपने यहाँ बेहतर गवर्नेंस के लिये ब्लॉकचेन तकनीक के इस्तेमाल की योजना बना रही हैं। विश्व आर्थिक फोरम द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, विश्वभर में 90 से अधिक केंद्रीय बैंक ब्लॉकचेन चर्चा में शामिल हैं। पिछले तीन वर्षों में इसके लिये 2500 पेटेंट दर्ज़ किये गए हैं।
बेशक बिटकॉइन इस तकनीक का मात्र एक अनुप्रयोग है, जिसके उपयोग की जाँच अनेक उद्योगों में की जा रही है। भारत के बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में इसके प्रति बहुत आकर्षण देखने को मिल रहा है। वस्तुतः इन क्षेत्रों में कई लोग संघ का निर्माण कर रहे हैं, ताकि वे उद्योगों के स्तर पर ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लाभों से विश्व को अवगत करा सकें। वैश्विक जगत से कदमताल मिलाते हुए कुछ भारतीय कंपनियों ने ब्लॉकचेन तकनीक के ज़रिये वित्तीय सेवाएँ देना शुरू कर दिया है। · बजाज समूह की एनबीएफसी व बीमा कंपनी बजाज फिनसर्व इस तकनीक की मदद से ट्रैवल इंश्योरेंस में संबंधित ग्राहकों द्वारा सूचना दर्ज कराने से पहले ही क्लेम का निपटान कर रही है। कंपनी ग्राहक सेवा में सुधार के उद्देश्य से ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। इस तकनीक पर पूरी निगरानी रखी जाती है। · बजाज इलेक्ट्रिकल लिमिटेड भी बिल डिस्काउंटिंग प्रोसेस में मानवीय हस्तक्षेप को खत्म करने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। भारत में ‘बैंकचैन’ नामक एक संघ है जिसमें भारत के लगभग 27 बैंक (जिनमें भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई भी शामिल हैं) शामिल हैं और मध्य-पूर्व के राष्ट्र इसके सदस्य हैं। यह संघ व्यवसायों को सुरक्षित बनाने और इनमें तेज़ी लाने के लिये ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लाभों का व्यापक प्रसार कर रहा है। · इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक की एक शाखा ‘इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी’ ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लिये एक आधुनिक प्लेटफॉर्म का विकास कर रही है। भारत में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पायलट परियोजना के तौर पर इसकी शुरुआत की गई है, जहाँ इसका इस्तेमाल आँकड़ों के सुरक्षित भंडार के रूप में किया जा सकता है। |
माना जाता है कि ब्लॉकचेन में तमाम उद्योगों की कार्यप्रणाली में भारी बदलाव लाने की क्षमता है। इससे प्रक्रिया को ज़्यादा लोकतांत्रिक, सुरक्षित, पारदर्शी और सक्षम बनाया जा सकता है। ब्लॉकचेन एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जो सुरक्षित एवं आसानी से सुलभ नेटवर्क पर लेन-देनों का एक विकेंद्रीकृत डाटाबेस तैयार करती है। इस वर्चुअल बही-खाते में लेन-देन के इस साझा रिकॉर्ड को नेटवर्क पर स्थित ब्लॉकचेन को इस्तेमाल करने वाला कोई भी व्यक्ति देख सकता है।
ब्लॉकचेन डाटा ब्लॉकों (आँकड़ों) की एक ऐसी श्रृंखला है जिसके प्रत्येक ब्लॉक में लेन-देन का एक समूह समाविष्ट होता है। ये ब्लॉक एक-दूसरे से इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़े होते हैं तथा इन्हें कूट-लेखन (Encryption) के माध्यम से सुरक्षित रखा जाता है। यह तकनीक सुरक्षित है तथा इसे हैक करना मुश्किल है। इसीलिये साइबर अपराध और हैकिंग को रोकने के लिये यह तकनीक सुरक्षित मानी जा रही है। इसके अंतर्गत नेटवर्क से जुड़ी कंप्यूटर की श्रृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है) के द्वारा सत्यापित होने के बाद प्रत्येक लेन-देन के विवरण को बही-खाते में रिकॉर्ड किया जाता है। विकेंद्रीकरण और पारदर्शिता ब्लॉकचेन तकनीक की सबसे महत्त्वपूर्ण व्यवस्था है, जिसकी वज़ह से यह तेज़ी से लोकप्रिय और कारगर साबित हो रही है।
ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है जिसे वित्तीय लेन-देन (Financial Transactions) रिकॉर्ड करने के लिये एक प्रोग्राम के रूप में तैयार किया गया है। यह एक डिजिटल सिस्टम है, जिसमें इंटरनेट तकनीक बेहद मज़बूती के साथ अंतर्निहित है। यह अपने नेटवर्क पर समान जानकारी के ब्लॉक को संग्रहीत कर सकता है। ब्लॉकचेन डेटाबेस को वितरित करने की क्षमता रखता है अर्थात् यह एक डिस्ट्रिब्यूटेड नेटवर्क की तरह कार्य करता है। डेटाबेस के सभी रिकॉर्ड किसी एक कंप्यूटर में स्टोर नहीं होते, बल्कि हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों में इसे वितरित किया जाता है।
ब्लॉकचेन का हर एक कंप्यूटर हर एक रिकॉर्ड के पूरे इतिहास का वर्णन कर सकता है। यह डेटाबेस एन्क्रिप्टेड होता है।ब्लॉकचेन सिस्टम में यदि कोई कंप्यूटर खराब भी हो जाता है तो भी यह सिस्टम काम करता रहता है। जब भी इसमें नए रिकार्ड्स को दर्ज करना होता है तो इसके लिये कई कंप्यूटरों की स्वीकृति की ज़रूरत पड़ती है।ब्लॉकचेन को यूज़र्स का ऐसा ग्रुप आसानी से नियंत्रित कर सकता है, जिसके पास सूचनाओं को जोड़ने की अनुमति है और वही सूचनाओं के रिकॉर्ड को संशोधित भी कर सकता है। इस तकनीक में बैंक आदि जैसे मध्यस्थों की भूमिका समाप्त हो जाती है और व्यक्ति-से-व्यक्ति सीधा संपर्क कायम हो जाता है।
इससे ट्रांजेक्शंस में लगने वाला समय तो कम होता ही है, साथ ही गलती होने की संभावना भी बेहद कम रहती है। क्रिप्टो-करेंसियों के अलावा ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग सूचना प्रौद्योगिकी और डाटा प्रबंधन , सरकारी योजनाओं का लेखा-जोखा , सब्सिडी वितरण , कानूनी कागज़ात रखने , बैंकिंग और बीमा , भू-रिकॉर्ड विनियमन , डिजिटल पहचान और प्रमाणीकरण, स्वास्थ्य आँकड़े, साइबर सुरक्षा, क्लाउड स्टोरेज, ई-गवर्नेंस, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट, शैक्षणिक जानकारी , ई–वोटिंग आदि में किया जा सकता है।
ब्लॉकचेन के उपयोग के लाभ सभी लेन-देनों के लिये भिन्न-भिन्न होंगे। वेबसाइट डेलॉइट और एसोचैम के अनुसार, ब्लॉकचेन उस समय अधिक लाभकारी सिद्ध होगा जब आँकड़े अधिक होंगे तथा उन्हें अनेक लोगों के बीच साझा करना हो एवं उन लोगों के मध्य विश्वास की भावना न हो। |
भारत सरकार यथासंभव प्रयास कर रही है कि अर्थव्यवस्था में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देकर कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढाए जाएं। इंटरनेट ने वित्तीय लेनदेन का परिदृश्य काफी हद तक बदल दिया है और नई तकनीक के प्रयोग से नकद लेन-देन का चलन पहले की अपेक्षा काफी कम हुआ है। कार्ड या किसी भी अन्य डिजिटल माध्यम से एक खाते से दूसरे में पैसे भेजना, किसी बिल का भुगतान करना, किराने या दवा की दुकान पर भुगतान करना आदि बेहद आसान हो गया है। भविष्य में ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग कर इन सब को और मज़बूती देना संभव हो सकता है, लेकिन इसके लिये सही दिशा में सही समय पर सही कदम उठाना ज़रूरी होगा।
इंटरनेट और डिजिटल तकनीक के मेल ने लेन-देन और सूचनाओं के आदान-प्रदान के तरीकों को पूरी तरह से बदल दिया है। इसमें ब्लॉकचेन तकनीक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इससे कई तरह की आशंकाओं और प्रश्नों को बल मिला है, जैसे-डिजिटल भुगतान या सूचना का लेन-देन कब किया गया?...कैसे हुआ?...किसे हुआ?...हुआ भी या नहीं? इसके अलावा हस्तांतरण की सुरक्षा, स्थानांतरण की वैधता की जाँच-परख करने का सवाल भी कम बड़ा नहीं है।
निजी जानकारियाँ सुरक्षित रखने के मामले में तथा जहाँ जानकारियों या सूचनाओं के लीक होने का खतरा हो, वहाँ ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल नहीं होता। भारत में डिजिटल लेन-देन की गति विकसित देशों की तुलना में काफी कम है, लेकिन इससे होने वाली धोखाधड़ी के मामले लगभग रोज़ सामने आते हैं। डेबिट/क्रेडिट कार्ड और बैंक खातों की हैकिंग भी होती रहती है तथा देश में इसकी रोकथाम के लिये कोई मज़बूत वैधानिक व्यवस्था नहीं है। भारत में नागरिक सूचनाओं की चोरी, साइबर उत्पीड़न, फ्रॉड भुगतान, गैर-कानूनी लेन-देन और औद्योगिक जासूसी की घटनाएँ भी होती रहती हैं। इस दृष्टिकोण से भी ब्लॉकचेन तकनीक तब तक लाभकारी नहीं होगी, जब तक कि इसके लिये मज़बूत तकनीकी प्रतिरोधी व्यवस्था नहीं बना ली जाती है।
ब्लॉकचेन तकनीक का सर्वोत्तम एवं सबसे बड़ा उदाहरण बिटकॉइन नेटवर्क है। लेकिन ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करने वाली बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्रा को रैनसमवेयर हमलों का सामना करना पड़ सकता है। अत: इसका विनियमन बड़ी सावधानी से करने की आवश्यकता है। भारत में इसे विनियमित करने के लिये फ़िलहाल कोई पहल नहीं की जा रही और वित्त मंत्री ने इस वर्ष के बजट में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो-करेंसियों को अवैध बताया, जिसमें कोई भी यदि निवेश करता है तो उसके लिये वह स्वयं उत्तरदायी होगा। विदित हो कि बिटकॉइन एक विशुद्ध इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा है, जिसका प्रयोग विनिमय में किया जाता है, लेकिन एकाध को छोड़कर इसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। बेशक बिटकॉइन को वैश्विक मान्यता नहीं मिली है, लेकिन हाल के वर्षों में विश्व स्तर पर और साथ ही भारत में बिटकॉइन की मांग बढ़ी है। |
यह अपेक्षा की जा रही है कि बिचौलियों को हटाकर ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी सभी प्रकार के लेन-देन की दक्षता में सुधार लाएगी तथा इससे सभी लेन-देनों की लागत में भी कमी आएगी। साथ ही इससे पारदर्शिता में भी वृद्धि होगी तथा फर्जी लेन-देनों से मुक्ति मिलेगी, क्योंकि इसके अंतर्गत प्रत्येक लेन-देन को एक सार्वजानिक बही खाते में रिकॉर्ड तथा आवंटित किया जाएगा। आज साइबर सुरक्षा, बैंकिंग और बीमा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर चिंताएँ सामने आ रही हैं तथा ऐसे में इन्हें सुरक्षित बनाने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक के उपयोग को लेकर स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान संदर्भों में ब्लॉकचेन एक गेमचेंजर साबित हो सकता है।
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लेखक परिचय
*नाम - डॉ दीपक कोहली
*जन्मतिथि - 17 जून, 1969
*जन्म स्थान- पिथौरागढ़ ( उत्तरांचल )
*प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा - हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा जी.आई.सी. ,पिथौरागढ़ में हुई।
*स्नातक - राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़, कुमायूं विश्वविद्यालय, नैनीताल ।
*स्नातकोत्तर ( एम.एससी. वनस्पति विज्ञान)- गोल्ड मेडलिस्ट, बरेली कॉलेज, बरेली, रुहेलखंड विश्वविद्यालय ( उत्तर प्रदेश )
*पीएच.डी. - वनस्पति विज्ञान ( बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)
*संप्रति - उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ में उप सचिव के पद पर कार्यरत।
*लेखन - विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1000 से अधिक वैज्ञानिक लेख /शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
*विज्ञान वार्ताएं- आकाशवाणी, लखनऊ से प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों में 50 से अधिक विज्ञान वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
*पुरस्कार-
1.केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित 15वें अखिल भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, 1994
2. विज्ञान परिषद प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा उत्कृष्ट विज्ञान लेख का "डॉ .गोरखनाथ विज्ञान पुरस्कार" क्रमशः वर्ष 1997 एवं 2005
3. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा आयोजित "हिंदी निबंध लेख प्रतियोगिता पुरस्कार", क्रमशः वर्ष 2013, 2014 एवं 2015
4. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा एनवायरमेंटल जर्नलिज्म अवॉर्ड्, 2014
5. सचिवालय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन समिति, उत्तर प्रदेश ,लखनऊ द्वारा "सचिवालय दर्पण निष्ठा सम्मान", 2015
6. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "साहित्य गौरव पुरस्कार", 2016
7.राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "तुलसी साहित्य सम्मान", 2016
8. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा "सोशल एनवायरमेंट अवॉर्ड", 2017
9. पर्यावरण भारती ,मुरादाबाद द्वारा "पर्यावरण रत्न सम्मान", 2018
10. अखिल भारती काव्य कथा एवं कला परिषद, इंदौर ,मध्य प्रदेश द्वारा "विज्ञान साहित्य रत्न पुरस्कार",2018
11. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा वृक्षारोपण महाकुंभ में सराहनीय योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र / पुरस्कार, 2019
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डॉ दीपक कोहली, पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश शासन,5/104, विपुल खंड, गोमती नगर लखनऊ - 226010 (उत्तर प्रदेश )
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