नागिन - धर्मेन्द्र तिजोरी वाले "आजाद"

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नागिन ​​ पैंसठ वर्षीय डॉ. अब्दुल कलाम एक जैव वैज्ञानिक हैं । सामान्य कद काठी, गोल चेहरा, बिल्लौरी और बड़ी-बड़ी आँखें, पूरी तरह से सफेद घने और ...

नागिन

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पैंसठ वर्षीय डॉ. अब्दुल कलाम एक जैव वैज्ञानिक हैं । सामान्य कद काठी, गोल चेहरा, बिल्लौरी और बड़ी-बड़ी आँखें, पूरी तरह से सफेद घने और घुंघराले बालों के अलावा वह चमत्कारी बुद्धि के स्वामी हैं ।

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वह एक गरीब परिवार में पैदा हुये थे। बचपन में ही पिता जैनुल अब्दीन के गुजर जाने के बाद उनकी माँ आसियामल ने ही उन्हें मेहनत मजदूरी करके पढ़ाया लिखाया था। मतलब कि यदि आज वह दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से एक हैं तो इसका पूरा श्रेय उनकी माँ को दिया जा सकता है । यही कारण है कि उनके दिल में माँ के प्रति अटूट श्रद्धा है ।

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वह अपनी माँ के गुजर जाने के बाद भी उन्हें अपने करीब महसूस करते हैं । वह माँ एवं बेटे के संबंध को दुनिया का सबसे मजबूत रिश्ता मानते हैं । उनके विचार से कोई भी माँ अपने बच्चे के लिए पिता की भूमिका बहुत सफलतापूर्वक निभा सकती है, जबकि किसी पिता के लिए माँ की भूमिका का निर्वाह कर पाना लगभग नामुमकिन है । उनका निजी अनुभव ये भी है कि बेटा चाहे कितनी भी बड़ी गलती कर दे, लेकिन माँ हर स्थिति में ममतामयी माँ ही रहेगी।

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माँ के प्रति गहरी श्रद्धा होने की वज़ह से वह इस मिथक को स्वीकार नहीं कर पाते हैं कि नागिन अपने अण्डों को फोड़ते वक़्त उनसे निकलने वाले अपने ही बच्चों को निगल जाती है । यह बात उनके दिल में इतनी गहरी उतरी है कि कभी-कभी वह ख्वाब में भी नागिन को अपने बच्चे निगलते हुये देखकर चीख पड़ते हैं । उन्होंने अपने इस स्वप्न के रहस्य को समझने की बहुत कोशिशें कीं, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी ।

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बतौर एक वैज्ञानिक, जब वह जीव जंतुओं पर शोध कर रहे थे; तब उन्होंने एक विशेष कंप्यूटर की परिकल्पना की । आखिरकार वर्षों की मेहनत रंग लाई । उन्होंने एक ऐसा कंप्यूटर विकसित कर लिया, जिसकी सहायता से जीवों से बात की जा सकती है । इसके लिए जीव के सिर पर एक हेलमेटनुमा छोटा-सा यन्त्र बाँध दिया जाता है, जिसका सम्पर्क कंप्यूटर से होता है । यही हेलमेटनुमा यंत्र जीव के मस्तिष्क में उठ रहे भावों को कंप्यूटर की स्क्रीन पर प्रिंट करता है, और कंप्यूटर के जरिये पूछी गई बात को जीव के मस्तिष्क में पहुँचता है ।

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कई जीवों, पशुओं और इंसानों पर सफल परीक्षण करने के बाद उन्होंने यह प्रयोग नागिन पर करने का विचार बनाया , ताकि उसके बारे में प्रचलित मिथक के बारे में जाना जा सके। इसी सिलसिले में उन्होंने एक संपेरे से नागिन लाने को कहा । वो नागिन तो नहीं ला सका, लेकिन एक अच्छा खासा नाग ज़रूर पकड़ लाया था । डॉ कलाम ने नागिन की अनुपलब्धता में नाग पर ही यह प्रयोग करने का निश्चय किया , और संपेरे की मदद से नाग के फन पर वह हेलमेटनुमा यंत्र लगा दिया। जब कंप्यूटर के माध्यम से उस नाग से यह प्रश्न किया गया कि नागिन अपने ही बच्चों को क्यों निगल जाती है तो उस नाग का जवाब कंप्यूटर की स्क्रीन पर कुछ इस तरह प्रिंट हो रहा था -

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समय का कोई हिसाब नहीं, बहुत पुरानी बात है । किसी गाँव में एक दीनू नाम का सपेरा रहता था । उसकी पत्नी जानकी के अलावा उसका एक ही बेटा था, जिसका नं रघु था। दीनू और जानकी से अपने बेटे के लिए जो भी हो सकता था, वह करते थे । लेकिन रघु की आवश्यकतायें तो असीमित थीं, इसलिये वो अपनी गैर ज़रूरी ज़रूरतों के पूरा नहीं होने पर अपने माता पिता से लड़ता रहता था। एक दिन लम्बी झड़प के बाद वो अपने माता-पिता को छोड़कर भाग गया था।

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घर से भागकर वह एक शहर पहुँचा था। जहाँ एक होटल में बर्तन साफ करके वो अपना गुजारा करने लगा था। एक दिन उसी होटल के मालिक की पेटी में से कुछ रूपये चुराकर वह एक दूसरे शहर भाग गया, जहाँ उसने इन पैसों से फुटपाथ पर कपड़े की एक छोटी-सी दुकान लगा ली थी । धीरे-धीरे वह कम समय में ही अमीर बन गया था। इतना अमीर कि उसके पास अब एशोआराम की हर चीज़ थी।

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इसके बावजूद भी उसे यह कमी खटकती थी कि वह अविवाहित था। उसने अपनी इस कमी को पूरा करने की कोशिशें भी की थीं, लेकिन माँ बाप के बिना वह सफल नहीं हो पा रहा था । क्योंकि दोस्तों के माध्यम से वह जब भी किसी लड़की की तरफ अपनी बात चलवाता था तो माँ बाप का पता ठिकाना नहीं होने पर बात आगे नहीं बढ़ पाती थी। उस वक़्त सवाल ये तो था ही कि उसकी जाति क्या है? समस्या यह भी थी कि एक ऐसा आदमी , जिसका कोई सगा सम्बंधी नहीं है; जालसाजी भी हो सकता है । और ऐसे व्यक्ति के हवाले अपनी लड़की कर देना खतरे से खाली नहीं है । ऐसे में रघु को अपने बूढ़े माँ-बाप की याद आई, और वह अपने गाँव वापिस लौट आया ।

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घर लौटकर उसने अपने बूढ़े माँ-बाप को अपनी संघर्ष गाथा सुनाकर उनका दिल जीत लिया था । उसके बूढ़े माँ-बाप भी जीवन के अंतिम पड़ाव पर अपने बेटे को साथ पाकर बेहद खुश थे, और नाती-नातिन के साथ खेलने के सपने देखने लगे थे । इसी सिलसिले में उस सपेरे ने उसी गाँव के एक दूसरे सपेरे की लड़की के साथ अपने बेटे की शादी कर दी थी ।

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रघु की शादी के बाद बूढ़े दीनू और जानकी अपने नाती-नातिन के साथ खेलते , इसके पहले ही रघु अपनी बीवी को साथ लेकर फिर शहर की चकाचौंध की ओर चल निकला था, अपने बूढ़े माँ-बाप को उन्हीं के हाल पर छोड़ कर । उसके गाँव वालों ने उसे कई बार सूचित किया कि वो अपने बीमार माँ बाप को अपने साथ ले जाये या गाँव लौट आये। लेकिन वह निर्दयी कभी नहीं आया। एक दिन वो लौटकर आया भी तो तब, जब उसके बूढ़े और बीमार माँ-बाप सिधार चुके थे। इस बार भी उसके आने का एक खास मतलब था। उसकी अनुपस्थिति में उसके माँ बाप का अंतिम संस्कार तो गाँव वालों ने कर दिया था । अब रही तेरहवीं, जिसके लिए वह आया ही नहीं था । वह तो अपने बूढ़े माँ बाप की इकलौती झोपड़ी बेचने आया था। आखिरकार वह उस झोपड़ी को बेचकर फिर शहर लौट गया।

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इस पूरे घटनाक्रम को उस मरहूम सपेरे की झोपड़ी में बैठी हुई नागिन देख रही थी। इस पूरी घटना ने उसके दिल को अन्दर तक झकझोर दिया था । इससे उस नागिन के दिल में औलाद के प्रति नफ़रत भर गई थी । और इसीलिये उसने कभी भी माँ नहीं बनने का फैसला कर लिया था । यही कारण है कि जब नाग नागिन से संभोग करने की कोशिश करता है तो नागिन उसे फुफकारती है, और दोनों में युद्घ सी स्थिति बनती है । वो तो जब नागिन की याददाश्त पर उत्तेजना हावी हो जाती है तो वह आवेश में नाग से एकाकार तो हो जाती है। लेकिन जब अण्डों में से छोटे-छोटे बच्चे निकलते हैं तो वह उस सपेरे के साथ घटी घटना को याद करके अपने ही फन से बच्चों को कुचलने लगती है, और फिर निगल जाती है । नागिन के जो बच्चे इधर-उधर हो जाते हैं, वो बच जाते हैं ।

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वह एक घटना नागिन के दिल में इतनी गहरी असर कर गई कि औलाद से नफ़रत करना उसका स्वभाव बन गया । आगे चलकर यही स्वभाव अनुवांशिक गुणों के रूप में चला आ रहा है ।

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डॉ कलाम ने अपने माथे पर आई पसीने की बूंदों को पोंछते हुये कंप्यूटर का स्विच बन्द किया, और आश्चर्य व्यक्त करते हुए बुदबुदाया- ओ गॉड! क्या मानव समाज में घट रही घटनाओं का जीव जन्तुओं पर इतना गहरा असर पड़ता है? बुदबुदाते हुये डॉ कलाम ने अपने सहयोगी संपेरे को धन्यवाद देते हुए नाग के सिर से वह हेलमेटनुमा यंत्र निकालकर ले जाने को कहा ।

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वह सपेरा नाग को अपने साथ लेकर चला गया, और वो रास्ते भर ये सोचता रहा कि डॉ कलाम ने भी क्या ऐसे ही किसी कारण से शादी नहीं की होगी!

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उधर डॉ कलाम अभी भी कुछ सोच रहे थे। उनके माथे पर चिंता की रेखायें काफी उभर आईं थीं । उन्हें चिंता थी कि आज की युवा पीढ़ी यदि रघु की तरह ही अपने माता-पिता के प्रति गैर जिम्मेदार रही तो वह दिन दूर नहीं, जब भ्रूण हत्यायें गैर कानूनी और अमानवीय माने जाने की बजाय एक पुण्य कार्य माना जायेगा ; और तब दुनिया की हर औरत माँ बनने की बजाय एक नागिन बन जायेगी !!!

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@ धर्मेन्द्र तिजोरी वाले "आजाद"
तेन्दुखेड़ा, जिला- नरसिंहपुर (म प्र)

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रचनाकार: नागिन - धर्मेन्द्र तिजोरी वाले "आजाद"
नागिन - धर्मेन्द्र तिजोरी वाले "आजाद"
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रचनाकार
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