बेस्ट सेलर बुक कल ही एक ज्ञानी पुरुष से मुलाकात हुई। उन्होंने बड़ी अजीब सी बात कही कि सामान्यतः जो लोग लुक वाइज या फिर फिजिकली बेडौल होते ह...
बेस्ट सेलर बुक
कल ही एक ज्ञानी पुरुष से मुलाकात हुई। उन्होंने बड़ी अजीब सी बात कही कि सामान्यतः जो लोग लुक वाइज या फिर फिजिकली बेडौल होते हैं उन्हें अपने आप को साबित करने के लिए किसी और चीजों का सहारा लेना पड़ता है जैसे कि साहित्यकार गायक पेंटर यह सभी कलाकार लोग इसलिए आगे बढ़ पाए क्योंकि यह लोग इतने खूबसूरत नहीं थे। मैंने घर जाकर आईने में अपना एक नए सिरे से मुआयना किया और फिर मैंने कलम उठाने का फैसला किया।
मैं पहली फुर्सत में अपने ट्रबल शूटर के पास पहुंचा! वैसे तो हर आदमी का एक ना एक ट्रबल शूटर होता है चाहे वह अंबानी हो या फिर मेरे घर का माली । इसमें नेताओं के ट्रबल शूटर पहली श्रेणी में आते है जो पेखाने से लेकर पनामा नहर तक के किसी भी प्रकार के ट्रबल को शूट करने में सिद्धहस्त होते हैं । गरीबों के अमीर ट्रबलशूटर होते है और अमीरों के गरीब। खेैर मेरा वाला निहायत ही उम्दा किस्म का ट्रबल शूटर था जो दूर से देख कर ही बता देता था कि मैंने एक पैर में पेरागोन और दूसरे पैर में बांटा की हवाई चप्पल पहनी हुई है ।हालांकि पहनते समय में यह फर्क कभी महसूस नहीं कर पाया। मैं उससे दीवार में कील ठोकने से लेकर बीवी को कैसे खुश करें इन सब के बारे में सलाह लिया करता था। मैंने उसे सारा किस्सा सुनाया और कहा मैंने कलम उठाने का फैसला किया है।
मेरे इस फैसले में उसकी अति आवश्यक राय का आना ही इसको फाइनलाईज करने वाला था। वह एकदम सीरियस हो गया पहले उसने मेरे बाइक के ग्लास में अपना चेहरा देखा फिर हल्की-हल्की गर्दन हिला कर बोला यार यह तो मैं भी मानता हूं कि तू इतना आकर्षक नहीं है, पर तेरा और साहित्य का दूर-दूर तक का कोई नाता नहीं है।
अबे मैं आचार्य रामचंद्र शुक्ल, हरिशंकर परसाई वाला साहित्यकार नहीं बल्कि आजकल के आईआईटी आईआईएम वाला बेस्ट सेलर बुक का राइटर बनना चाहता हूं, परसाई जी भी शायद यही चाहते मैंने उसकी बात काट कर कहा ।
तो साफ-साफ कहो ना कि पैसा कमाना चाहते हो उसने नश्तर चुभोया।
क्यों क्या परसाई जी नहीं कमाना चाहते थे ?
अरे यार तू साहित्यकारों की भावनाओं से क्यों खेल रहा है अगर अपनी जान की सलामती चाहता है तो तू कभी भी स्थापित तथ्यों,धर्मगुरुओं सरकारी और गेर सरकारी अफसरों, राजनीतिज्ञों और तांत्रिकों के बारे में नो कमेंट किया करो उसने अपना एक्सपर्ट कमेंट किया।
अरे तो बचा कौन? आम आदमी के बारे में लिख बोल जो भी लिखना है बोलना है ।
अरे उसका ठेका भी तो एक खास आदमी ने ले रखा है मैं झुंझलाया |
तू फिर पर्सनल हो रहा है उसने मुझे चेताया ।
छोड़ यार तू मुझे आईआईटी आईआईएम वाला बेस्ट सबुक का राइटर बना दे, मेरे पास ढेर सारे शब्दों का कलेक्शन है जो हवा में तैर कर ग्राहकों के दिमाग में विस्फोट करने को तैयार है ।
अब यहां ग्राहक कहा से आ गए उसने पूछा । भई पढ़ने वाला तो मेरा ग्राहक ही हुआ ना ।वैसे कस्टमर सैटिस्फैक्शन का खयाल तो परसाई जी भी रखते होंगे।
अबे तुबे की भाषा बोलते हो लिखते हो और परसाई जी बनना चाहते हों उसने मुझे चमकाया ।
अरे नहीं भाई में तो सिर्फ साहित्य का सुगम संगीत बनना चाहता हूँ ।
ये क्या मिसाल हुईं वो चकराया ।
अरे जैसे अभिजीत सावंत क्लासिकल नही गया पा रहा है पर थोड़ा बहुत शोर तो मचा ही लेता है ना । वैसे भी गृहशोभा में लिखने वाला कलम से ही लिखता है और अपना गुजारा कर ही लेता है ना, और आय आय टी आय आय एम वाला बेस्ट सेलर बुक का राइटर भी तो लाखों पीट रहा है ।मुझे अच्छी तरह मालूम है कि में राजनीति का मोदी नहीं बन सकता हूँ पर छोटा मोटा लोकल नेता तो बन ही सकता हूँ भई। उसको भी तो शहर का दरोगा सलाम ठोकता है, उसको भी तो गाड़ी में नंबर लिखवाने की जरूरत नहीं पड़ती है ।
तुम्हारे जैसे चार पाँच लोग इस तरह से साहित्य की सेवा करने लग जाये तो वाकई साहित्य बहुत ही ज्यादा समद्ध हो जाएगा उसने कटाक्ष किया ।
भाई साहब आज कल किसी भी प्रकार के लोग क्या आम क्या खास के पास इतना वक्त नहीं रहता है कि वो लेखक के अंतर्मन को समझ सके , उसकी रचनाओं का गूढ़ साहित्यिक मतलब निकाले,
चार पांच क्लिष्ट शब्दों से वो अपने आप को असहज महसूस करने लगता है । उसे लगता है कि धारा के विपरीत दिशा ;में वो चप्पू चला रहा है। बुक शेल्फ में आजकल प्रेमचंद की गोदान की जगह बेस्ट सेलर की इंग्लिश बुक रखी होती है ,मैंने भी रखी है छोड़ यार , तू ये बता कि तेरा बजट कितना है ।
बजट , क्या मतलब मैं चौंका यहां बजट का क्या काम।
अरे यार दुनिया में हर काम करवाने का बजट होता है |बच्चे का एडमिशन करवाना है तो बजट क्या है,पार्षद का चुनाव लड़ना है तो बजट क्या है । एमपी के चुनाव के लिए बहुत बड़ा बजट चाहिए । गर्लफ्रैंड भी बजट के हिसाब से बनती है। मूल निवासी जल्दी बनाने के लिए बजट लगता है यहां तक कि भगवान के दर्शन भी बिना बजट के जल्दी नहीं होते हैं ;वो मुस्कुरा कर बोला।
यार अब लिखने के लिए भी पैसा देना पड़ेगा हद हो गयी मुझे गुस्सा आ गया खेर तीन चार हजार खर्च कर सकता हूँ
मेरा ट्रबल शूटर जोर से हॅस दिया ;इतने में तो टॉप के आलोचक के पीए से मुलाकात भी नहीं होगी।
मुझे भला आलोचक की क्या जरूरत है मैं चकराया।
अरे यार तुम बहुत ही नासमझ हो ,तुम जो कुछ भी लिखोगे उसे पढ़ाना जरूरी नहीं है उसे हिट कराना जरूरी है मतलब की कोई टॉप का राइटर या कोई फिल्मी या राजनैतिक हस्ती तुम्हारी बुक के बारे में कहे कि अमुक राइटर की किताब एकदम माइंड फ्रेश करने वाली है । एक बार में खत्म करने वाली किताब है । वगैरह वगैरह । बुक के ऊपर अगर ये लिखा रहे कि इसकी 10 लाख प्रति बिक गयी है तभी उसे दस पंद्रह लोग वाकई खरीदेंगे वो हँसते हुए बोला।
यार पर में लिखू क्या जिससे की बुक हिट हो जाये मैंने लेखकों की करंट समस्या बताएं।
क्या लिंखू से भी बहुत ज्यादा जरूरी है कि किसमे लिंखू |शानदार शब्दो से पिरोई हुए जानदार हिंदी की किताब आजकल सेंस लैस इंग्लिश किताब के चौथाई से भी कम कीमत में बिकती है डिअर और वैसे भी बेस्ट सेलर बुक शब्द हिदी किताबो के लिए नहीं बना है। और जहाँ तक मुझे पता है तुम्हे तो टूटी फूटी इंग्लिश आती है उसने मेरे सनातन घाव को फिर कुरेद दिया।
देख यार में इतना जानता हूँ कि टूटी फूटी हिंदी बोलने वाला देश का प्रधान मंत्री बनने के सपने देख सकता है तो में सिर्फ छोटा मोटा राइटर ही तो बनना चाहता हूँ
छोड़ यार तू इंग्लिश लिख नहीं सकता हैं तो तू ऐसा कर की छोटा मोटा व्यंग लिख कर शुरुआत कर |
हमारे देश की राजनीति और भ्रस्टाचार से तो आधे व्यंग्यकारों के घर चल रहे है अगर राजनीति गंदी न रहे सरकारी अफसर पैसा लेना बंद कर दे तो हमारे आधे व्यंगकार खड़े पेर बेरोजगार हो जाएंगे और तू चिंता मत कर हमारे अफसर और राजनेता तूझे कभी बेरोजगार होने नहीं देंगे वो बहुत ही कुटिल तरीके से मुस्कुराया।
पर व्यंग में लिखूं क्या यह समझ नहीं आ रहा है।
अरे बहुत आसान है भ्रष्टाचार के बारे में लिखो ,बाबू गिरी चमचागिरी के बारे में लिखो नेताओं के बारे में लिखो इसमें थोड़ा-बहुत बॉलीवुड का तड़का डालो तो हो सकता है किसी अच्छी सुबह तुम कमोड में पढ़ लिए जाओ वो एक आंख दबा कर बोला।
विलियम शेक्सपियर और जॉर्ज बर्नार्ड शा भी कमोड में ही पढ़े गए होंगे मैं अपमान से जलकर बोला।
अरे यार नाराज मत हो अगर तुम कमोड में पढ़े जा रहे हो तो इसका साफ मतलब है कि तुम सफल हो तुमको प्रबुद्ध वर्ग पढ़ रहा है। वरना अपने देश में तो बच्चन जी की मधुशाला चंद मूंगफली के दानों को सहारा देती हुई रेहड़ियों पर नहर आएगी और गोदान में आप चना मुर्रा खा कर प्रेमचंद जी की आत्मा को तड़फा सकते हो। प्रसाद जी की कामायनी में आलुबंडे खा कर उसकी कामर्शियल वैल्यू में बढ़ोतरी कर सकते हो। ये यूरोप नहीं है जहां हैमलेट लाइब्रेरी में सुकून से पड़ी जा रही है । कड़ाके की ठंड में भी शेल्फ के किसी गर्म कोने में हैरी पोर्टर आराम फरमा रहा है वरना मैंने तो ठंड में यहां मैथिली शरण गुप्त जी को सुलगते देखा है।
मुझे उसकी बात जंची। मैंने पूछा यार व्यंग्यकार कितना पैसा कमा लेता है।
अरे यार पैसा ही सब कुछ नहीं होता है। तू ऐसा कर कि घोस्ट राइटिंग चालू कर दे उसने मुझे सही जवाब दे दिया।
अब ये घोस्ट राइटिंग क्या बला है?
यार कभी कभी जब कामयाब राइटर के दिमाग में फंगस लग जाती है जैसे अगर उसका बीबी से झगड़ा हो गया तो तब थोड़ा बहुत तो लिख लेता है मगर मान लो कि साली से बोलचाल बंद है तब तो उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है और वो लिखने की कंडीशन में नहीं रहता है। तब ये घोस्ट राइटर उसकी जगह लिखते हैं। हमारे देश में अभिशप्त प्रतिभाओं की कमी नहीं है उसमें भी अच्छे पैसे मिल जाते हैं।
यार पर तुझे ये सब बात कैसे मालूम है ।
तब बड़ी फीकी सी मुस्कुराहट के साथ उसने एक नामचीन राइटर की बुकर पुरस्कार के लिए प्रस्तावित एक बेस्ट सेलर किताब का नाम लिया और बोला कि वो उसने राइटर के अपनी बीबी से झगडे के कारण उनके थाईलैंड प्रवास के दौरान लिखी थी।
मैं किंकर्तव्यविमूढ़ सा शून्य अवस्था में उस अभिशप्त प्रतिभा को निहारता रह गया।
शिरीष ओखदे
भिलाई स्टील प्लांट
भिलाई
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