1. पढ़ा-लिखा मूर्ख मोहम्मद तुगलक तू हर बार रात के अंधेरे में करता है जारी तुगलकी फरमान जो लागू होते हैं रात के अंधेरे में ही तू उजा...
1.
पढ़ा-लिखा मूर्ख
मोहम्मद तुगलक
तू हर बार
रात के अंधेरे में
करता है जारी
तुगलकी फरमान
जो लागू होते हैं
रात के अंधेरे में ही
तू उजालों से डरता तो नहीं
अपने फरमान सुनाने से पूर्व
कर लिया कर कुछ विचार
विगत में भी
जारी किए फरमान
गलत नहीं थे
सोने की जगह
तांबे की मुद्रा चलाना
उचित निर्णय था
राजधानी बदलना भी
उचित निर्णय था
उपयुक्त तैयारी का अभाव
रहा सर्वदा
विशेषज्ञ थे ही नहीं
या पूछे ही नहीं
वह अदूरदर्शिता ही है
जो तुझे करेगी स्थापित
पढ़ा-लिखा मूर्ख
-विनोद सिल्ला©
2.
जिंदाबाद
लाईलाज घातक
वायरस के आगमन पर
देवालय, खुदालय व गोडालय
या अन्य धर्मस्थल
सब बंद हैं
आरती, अजान व प्रार्थना
अनिश्चित काल के लिए
टाल दीं गईं हैं
अनुष्ठान निलंबित हैं
टोने-टोटके
जादू-मंत्र
सब निष्प्रभावी हैं
खुले हैं
औषधालय, दवालय व जांचालय
चिकित्सक जिंदाबाद
बहुउद्देशीय स्वास्थ्य-कर्मी जिंदाबाद
विज्ञान जिंदाबाद
मास्क बनाने वाले
जिंदाबाद
मास्क बांटने वाले
जिंदाबाद
-विनोद सिल्ला©
3.
कहाँ रहेंगे
सरकार का आदेश है
आज मुझे
और बाकी सब को भी
घर पर रहना है
मैं और बाकी सब
हर संभव प्रयास करके
घर पर ही रहेंगे
लेकिन सरकार
यह बताना भूल गई
कहाँ रहेंगे
नगरों-महानगरों के बेघर
जिनका धरती बिछौना
आसमान ओढ़ना है
जो करते हैं विचरण
सरकारों के
मुख्यालयों की नाक के नीचे
कहाँ रहेंगे वे खानाबदोश
जो स्वयं के
व पशुओं के
भोजन की तलाश में
घूमते हैं
एक गांव से दूसरे गांव
वे कहाँ रहेंगे
या शिकार होंगे
घातक वायरस के
-विनोद सिल्ला
4.
खादीधारी वायरस
समय-समय पर
पनप जाते हैं
नए-नए नाम से
नए-नए वायरस
जो करते हैं संक्रमित
इंसानों को
बिना जाति-धर्म का
भेदभाव किए
ढूंढ़ा जाता है उपचार
इन वायरस का
संसद-विधानसभाओं में
चौकड़ी मारे बैठे वायरस
जाति-धर्म के नाम पर
करते हैं संक्रमित
मानवता को
नहीं हुआ आज तक
कोई अनुसंधान
इनके उपचार के लिए
सर्वाधिक खतरनाक हैं
ये खादीधारी वायरस
दिन प्रतिदिन इनका प्रकोप
बढ़ता ही जा रहा है
-विनोद सिल्ला©
5.
सजा
भारत में
पुलिस द्वारा
कर्मठ, मेहनतकश श्रमिक को
साधनहीन, वंचित होने की
दी जाती है सजा
भांझी जाती हैं लाठियां
निकम्मे, भ्रष्ट
नेता, मठाधीश व
हाई-प्रोफ़ाइल घरानों के
परजीवी किस्म के
धरती के बोझों के समक्ष
वही पुलिस-कर्मी
होते हैं नतमस्तक
भाग-भाग कर
उनकी गाड़ियों की
खोलते हैं खिड़कियां
उनकी आगवानी में
भूखे-प्यासे रह कर
रहते हैं तैनात
ये दोहरी व्यवस्था
कब तक
और क्यों?
-विनोद सिल्ला©
6.
लॉक डाऊन
सरकार जी आपने
दो रुपये
प्रति किलोग्राम गेहूँ
तीन रुपये
प्रति किलोग्राम चावल
सस्ता किया
उसकी मेहरबानी
परन्तु वह कैसे खरीदे
जो ताजी कमाता था
ताजी ही खाता था
अब बैठा है
घर पर ही
आपके आदेश पर
लॉक-डाऊन किए
-विनोद सिल्ला©
7.
जो हैं तेरे अपराधी
ऐ! नारी
तू करती है अराधना
उन अराध्यों की
जो हैं तेरे दोषी
किया शोषण सदैव
जिन्होंने तेरा
समझा तुझे
श्रंगार-रस की
विषय-वस्तु
नहीं दिया हक
समानता का
किया सदैव भेदभाव
गवाह हैं इस सबके
अनेक धर्म-ग्रंथ
जो चीख-चीख कर
करते हैं ब्यान
तेरे शोषण की कहानी
-विनोद सिल्ला©
8.
को-को
बचपन में को-को
मेरी मनपसंद चीजों को
एका-एक
बिलकुल मेरे सामने से
कर देती थी गायब
कहते थे परिजन
फलां चीज को
ले गई को-को
नामुराद को-को
अब भी नहीं छोड़ रही पीछा
आ जाती है अक्सर
न्यूज चैनल्स पर
भूखमरी, गरीबी, बेरोजगारी, पलायन
पुलिसिया उत्पीड़न
जीवन रक्षक उपकरणों की
कमी सहित
कितने मद्दों को
कर जाती है गायब
को-को बचपन की बात
अलग थी
अब तो रहम कर
-विनोद सिल्ला©
9.
लोग क्या कहेंगे
वो नहीं समझ सकते
आजादी का महत्व
जो आजाद हैं
आजादी का महत्व
जानता है बंधुआ मजदूर
जिसे जबरन
रखा जाता है काम पर
या पूछिए अछूतों से
जिन्हें नहीं मिली
आज तलक आजादी
जिन्हें धर्मग्रंथ
आज भी करते हैं प्रताड़ित
या फिर
बता सकती हैं महिलाएं
लगाए गये हैं जिन पर
कितने अंकुश
कहा जाता है बात-बात पर
लोग क्या कहेंगे?
-विनोद सिल्ला©
10.
22 मार्च 2004
उस दिन भी 22 मार्च थी
आज भी 22 मार्च है
आपने मेरे गले में
मैंने आपके गले में
डाली थी जयमाला
उपस्थित जनसमूह ने
की थी करतल ध्वनी
उस जयमाला के
सफेद-लाल फूलों की
भीनी-भीनी महक
महका रही है
आज भी तन-मन को
उन फूलों का
कोमल स्पर्श
आज भी
कर रहा है तरंगित
आज ही के दिन
हुए थे हम
सदा के लिए
एक-दूसरे के
बेमिशाल सोलह साल,
-विनोद सिल्ला
परिचय
नाम - विनोद सिल्ला
शिक्षा - एम. ए. (इतिहास) , बी. एड.
जन्मतिथि - 24/05/1977
संप्रति - अध्यापन
प्रकाशित पुस्तकें-
1. जाने कब होएगी भोर (काव्यसंग्रह)
2. खो गया है आदमी (काव्यसंग्रह)
3. मैं पीड़ा हूँ (काव्यसंग्रह)
4. यह कैसा सूर्योदय (काव्यसंग्रह)
5. जिंदा होने का प्रमाण(लघुकथा संग्रह)
6. छुअन (कविता संग्रह)
7. कितना सुखद तेरा आना (लघुकविता संग्रह)
संपादित पुस्तकें
1. प्रकृति के शब्द शिल्पी : रूप देवगुण (काव्यसंग्रह)
2. मीलों जाना है (काव्यसंग्रह)
3. दुखिया का दुख (काव्यसंग्रह)
सम्मान
1. डॉ. भीम राव अम्बेडकर राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2011
(भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा)
2. लॉर्ड बुद्धा राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2012
(भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा)
3. उपमंडल अधिकारी (ना) द्वारा
26 जनवरी 2012 को
4. दैनिक सांध्य समाचार-पत्र "टोहाना मेल" द्वारा
17 जून 2012 को 'टोहाना सम्मान" से नवाजा
5. ज्योति बा फुले राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2013
(भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा)
6. ऑल इंडिया समता सैनिक दल द्वारा
14-15 जून 2014 को ऊना (हिमाचल प्रदेश में)
7. अम्बेडकरवादी लेखक संघ द्वारा
कैथल में (14 जुलाई 2014)
8. लाला कली राम स्मृति साहित्य सम्मान 2015
(साहित्य सभा, कैथल द्वारा)
9. दिव्यतूलिका साहित्य सम्मान-2017
10. प्रजातंत्र का स्तंभ गौरव सम्मान 2018
(प्रजातंत्र का स्तंभ पत्रिका द्वारा) 15 जुलाई 2018 को राजस्थान दौसा में
11. अमर उजाला समाचार-पत्र द्वारा
'रक्तदान के क्षेत्र में' जून 2018 को
12. डॉ. अम्बेडकर स्टुडैंट फ्रंट ऑफ इंडिया द्वारा
साहब कांसीराम राष्ट्रीय सम्मान-2018
13. एच. डी. एफ. सी. बैंक ने रक्तदान के क्षेत्र में प्रशस्ति पत्र दिया, 28, नवंबर 2018
पता :-
विनोद सिल्ला
मकान नं. 771/14
गीता कॉलोनी, नजदीक धर्मशाला
डांगरा रोड़, टोहाना
जिला फतेहाबाद (हरियाणा)
पिन कोड-125120
ई-मेल vkshilla@gmail.com
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