दमदार दोहे परनारी पर मत लगाए हम हो अपना दिल साँप को जान बुझकर मत ना दिखाओे बिल महिषासुर ने फेका जाल दुर्गा ने किया था लाल पतिव्रत धर्म ...
दमदार दोहे
परनारी पर मत लगाए हम हो अपना दिल
साँप को जान बुझकर मत ना दिखाओे बिल
महिषासुर ने फेका जाल
दुर्गा ने किया था लाल
पतिव्रत धर्म की परीक्षा देती हैं हर नारी
सलीमों की भी आनी चाहिए अब तो है बारी
सलीमों की ना होगी जीत
मन में छिपी हैं हनीपरीत
मनुष्य ही माना गया सबसे बडा जितेन्दर
उर्वशियों में फंसा रहता हमेशा देवराज इन्द्र
पंचतत्व का करो अर्क
यही पर हैं स्वर्ग और नरक
सारा ब्रह्माण्ड समाया है मात पिता के अन्दर
ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं सिर्फ बापू जी के बन्दर
पत्नी अगर पुरी हैं
मात पिता जरूरी हैं
जीते जी मात पिता की कर दो पूरी ख़ातिर
अहम मत पालना, मन होता हैं शातिर
अहसानों का करना ख्याल
जाडे़ में दे देना शाल
नौ महीने की प्रसव पीड़ा देती थी संतोष
चिराग पल रहा वंश का बात यही सोच
पुत्री का अगर हुआ जन्म
माता को कर देंगे खत्म
रहे खुहे सांसों को औलाद करेगी बन्द
तुलसी तो मर जाएगी, जब जमेगी उस पर गन्ध
Character को मत करना lose
मात पिता की मत काटो nose
थानेदारी ना चलाए अब ये बूढ़ी खोला
उड़ा देगी तुमको तोप में भरके बहू गोला
सास, ननद ये जान लो
बहु को बेटी मान लो
जहाँ होती मुनियों की निंदा
लाश में बदल जाते वहां जिंदा
पैसे का मत देना दान
अतिथि देवो भव: का रखो मान
अपने मुख से मत करना कभी दूसरों की निंदा
नाक कटाए बेटा उसकी, नहीं चाहता यहां तक दरिंदा
दोष खोजे हमने में हम
सभी मिलेंगे दोषी हमसे कम
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हम कोरोना की वजह से घर में क्यों रहें?
सारा देश हैं तैयार
नहीं यहाँ पर मजहबी तलवार
नहीं चाहिए हमको आरक्षण का अधिकार
शाहीन बाग भी कर रहा सिर्फ कोरोना पर ही वार
हमारे पास नहीं हैं कोई हथियार
लेकिन घर है बार्डर पार
पर अबके हर सीता भी तैयार
नहीं छली जाएगी अबकी बार
कोई रावण कैसे अपना दुस्साहस दिखलाएगा
किसने माँ का दूध पिया जो लक्ष्मणरेखा पार कर जाएगा
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कोरोना भारत छोड़ो काल तुम्हारा आया है
पूरे भारत ने तेरे विरूद्ध एकमत होकर सहयोग जुटाया है
अरे 1857 की क्रान्ति तो हो गई थी कुछ कारणों से असफल
पर आज हर आदमी में हमको मंगल पाण्डे नजर आया है
बहुत बन चुके हैं हम गद्दार
पर खाते हैं ये सौगंध आज से ही
चाहे खरीद़ना पड़े 2 रुपए महंगा सामान
पर नहीं करेंगे हरगिज़ चीन से व्यापार
जो खा जाते हैं साँप, बिल्ली, चमगादड़
वो हम इन्सानों को क्या छोडे़ंगे
सस्ता दिखाकर माल अपना
सिर्फ कोरोना ही भेजेगें
जब जब मिलाया हमने चीन से हाथ
उन्होंने हमारा हाथ तोड़ा है
खरीदते हैं हम सामान उससे
पर कैसे भूल गए वो तो पाकिस्तानी जोड़ा है
उनको नहीं जरूरत किसी परमाणु बम की
वो ऐसा सामान भेजेंगे
बन्द हो जाएगा हर उद्योग हमारा
सिर्फ अस्पताल में मरीज ही मरीज दिखेंगे
दिन रात लगने पर आजकल घर नहीं चलते घर बैठे-बैठे कहाँ से खाना आएगा
पर हमें खुद से ज्यादा चिन्ता अपने वतन की है
इसलिए कोई भी घर से बाहर नहीं जाएगा
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बुद्धिमान इन्सान को अपनी निन्दा करने वालो को सदैव अपने साथ रखना चाहिए
भरी आँधी में ही तो आशा का दीपक जलाना जरूरी है
समुंदर में ज्वार भाटे उठते रहना जरूरी है
यदि बनना हैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम सा
तो अपने परिवार में एक मंथरा का होना भी जरूरी है
आज की सोच
इन्सानों को छोड़ पत्थरों को हम चढ़ाते हैं अर्क
केवल नफरत ने ही बना दिया हमारा जीवन नरक अपने दुख से नहीं पड़ता हैं हमको कोई फर्क
दुख होता हैं हमको देखकर दूसरों का स्वर्ग
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कर्म में विश्वास रखें
इच्छाएं ही अगर कर्मफल हो जाए
इन्सान नहीं हम सभी देवराज हो जाए
खाली बैठे ध्यान जाएगा किसी सती अहिल्या पर
कहीं हमारी वजह से किसी का जीवन पत्थर ना बन जाए
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-आज का सच
ना होता सच का ना ही होता परोपकार का सम्मान शहीद ही कहलाता है सबसे बडा बेईमान
और पिता को हर पुत्र मारता है हरदम ठोकर लेकिन हर कोई पत्थर में पूजता है भगवान
-प्रेरणा दायक अल्फाज
हीरे मोती सोने चाँदी सब कुछ मिल जाएगा
तू सागर खोद के तो देख हर सहोदर नजर आएगा तुमको लखन भरत सा
तू श्री राम बनकर तो देख
-नशा
शराब तो पी जाती हैं घर के सभी बर्तनों को
शमशान बना देती हैं महलों रूपी जन्नतों को
युधिष्ठिर की तरह नशे में मत ऐसा डुब जाना
द्रौपदी के अक्षयपात्र में रह जाए एकमात्र चावल का दाना
हद से ज्यादा नशा किसी भी चीज का हैं बडी बीमारी
ईर्ष्या तो बना देती हैं भाई भाई को जुआरी
भरत ने बाहुबली पर चला दिया था चक्र
और शकुनि ने अपनी बहन की खाली सारी शक्कर
नशे में रहते थे मद हमारे प्राचीन राजा
तभी तो विदेशियों ने हमारा बजा दिया बाजा
नशे में मद हाथी कब तक लेगा चैन की सांस
चिड़िया , कठफोड़ा, मक्खी, मेढ़क करेंगे मिलकर उसका नाश
कैंसर में कैंसर छोड़ता ना तुझमें कोई suspension
जो करता Smoking use उसका उड़ जाता है fuse
रोगी वो बन जाता tablet का भोगी वो बन जाता
आ जाती हैं मृत्यु द्वार जब बन जाए मेरी सरकार
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मन का मंथन
उपदेश देने वाली तो गीता, महाभारत, करतारपुरी है
24 घण्टे में मन का मंथन करना एक बार जरूरी है
कोई भी इन्सान नहीं यहाँ पर तुम्हारा दुश्मन है
सबसे बड़ा शत्रु तो केवल यही सपौला मन है
अहंकार और विकार से इसे सदा बचाकर ही रखना
देर नहीं लगती यहाँ पल भर में बनते दुर्योधन है
इसलिए अपने घर से शकुनियों को निकालना जरूरी है
24 घण्टे में मन का मंथन करना एक बार जरूरी है
हर कोई बना हुआ हैं इस धरा पर कृष्ण
कोई नहीं तैयार यहाँ बन जाए अर्जुन
माँ के पेट में सीख गए हो नहीं हम अभिमन्युः
इसीलिए नहीं होता हमको चिड़िया की आँख का दर्शन
एकलव्य बनना हैं तो गुरू का होना जरूरी है
24 घण्टे में मन का मंथन करना एक बार जरूरी है
कोई कभी किसी को आज तक न बदल पाया
जब तक खुद ने हरदम बदलना नहीं चाहा
ये सच की आरंभ में निकलता हैं विष
पर जिसने उस विष का पान किया है वो ही शिव कहलाया
श्रीराम बनना हैं तो वनवास भोगना जरूरी है
पर जो बदला हैं उसने हरदम इतिहास रचाया है
डाकू से ऋषि बनकर वाल्मीकि ने रामायण रचकर दिखाया ह
वासना लोलुप वजरबाहु ने दिगम्बर मुनि बनकर दिखाया है
पर इसके लिए पानी की तरह सदा बहना जरुरी है
24 घण्टे में मन का मंथन करना एक बार जरूरी है
रंग भी हमने बाँटा जैसे बाँटी धर्म और जाति
गुण हो या ना हो सब बने हैं गोरे रंग पर ययाति
लेकिन फिर क्यों कोयल को बोला जाता हैं सरस्वती
क्यों श्याम वर्ण कृष्ण को हर गोपी मानती अपना पति
तन के स्थान पर अब दिलों का जुड़ना जरूरी है
24 घण्टे में मन का मंथन करना एक बार जरूरी है
एक दिन में नहीं मन को साधा जाता है
एक दिन में नहीं विवेकानन्द बना जाता है
कर्मफल पर नहीं कभी हमारा सदा ही कर्म पर ध्यान हो
जिसको बनना हो दिगम्बर मुनि
वेश्या के कोठे पर चातुर्मास जरूरी है
24 घण्टे में मन का मंथन करना एक बार जरूरी है
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नारी की वेदना
जीवित नहीं हूं मैं में तो निर्जीव हूं
मानो प्रदर्शनी में रखी कोई शो पीस हूं
हर आदमी की गन्दी नजर से कहाँ तक बची हूं मैं
use and throw की policy से हमेशा छली हूं मैं
राम बन गया पुरुषोत्तम, मुझ पर लग गए कलंक
कैसे पाण्ड़व सहन कर गए उस समय मेरा चीरहरण
कहीं रूक्मणी बनकर मुझको मिल ना पाया वो सम्मान
कैसे मुझ सती सावित्री को भूल गया वो सत्यवान
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