"बहन की तस्वीर" कौमुदी सी सुन्दर है, मेरी बहन। अपनत्व की पहचान है, मेरी बहन। सहचर का रूप है, मेरी बहन। मेरे निकेत की बुनियाद है,मे...
"बहन की तस्वीर"
कौमुदी सी सुन्दर है, मेरी बहन।
अपनत्व की पहचान है, मेरी बहन।
सहचर का रूप है, मेरी बहन।
मेरे निकेत की बुनियाद है,मेरीबहन।
मेरे जीवन में यथार्थ का बोध है, मेरी बहन।
एक अद्वितीय शिक्षक का रूप है, मेरी बहन।
जलधि के विशाल ह्रदय से परिपूरित है,मेरी बहन।
कभी कभी अग्रज का रौब दिखाती, मेरी बहन।
चिरन्तन प्रेम से मुझे अपना बनाती, मेरी बहन।
उत्साह की सौम्य संचारक हैं, मेरी बहन।
तम के अस्तित्व को अवनत बनाती, मेरी बहन।
मैं सदैव तेरे पीछे खड़ी हूँ ,आभास दिलाती मेरी बहन।
जीवन की कटु सच्चाई से मिलाप कराती, मेरी बहन।
मेरे जेहन की कठिनाई को त्वरित न्यून बनाती, मेरी बहन।
जीवन में अदम्य साहस की परिचायक हे, मेरी बहन।
बड़ी बहन में माँ का रूप चरितार्थ करती, मेरी बहन।
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"मेरी माँ"
नाम के अनुरूप हैं मेरी माँ,
सहज सरल स्वरुप है मेरी माँ।
खुशियों का अनुपम सान्निध्य हे मेरी माँ,
ईश्वर का दिया कीमती वरदान है मेरी माँ।
बिना छल कपट के स्नेह जताती मेरी माँ,
इस अविश्वासी दुनिया में विश्वास बढ़ाती माँ।
सहनशीलता की सुंदर प्रतीक है मेरी माँ,
अपनत्व से सरोबोर हे मेरी माँ।
संसार के लुप्त होते ज्ञान को सिखाती मेरी माँ,
मुझे सहजता से अपना बनाती मेरी माँ।
जीवन की सच्ची पथ प्रदर्शक है मेरी माँ,
प्रेम के अनमोल बाग की बागवान हे मेरी माँ।
काँटों भरी दुनिया में फूलो सी कोमल हे मेरी माँ,
सरल बनो ह्रदय से यही सिखाती मेरी माँ।
माँ के इस स्वरुप को मेरे भाग्य ने दिलाया,
ममत्व की पराकाष्ठा ने जीवन को पूर्ण बनाया।
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"वर्तमान का यथार्थ"
खो रही संस्कृति खो रहे संस्कार है,
युवाओं में बढ़ रहे अनेक दुर्विकार है।
चरित्र का नैतिक पतन हो गया,
संस्कृति का दमन हो गया।
युवाओं में सिगरेट पीना फैशन हो गया,
नशा करना एक प्रचलन हो गया।
माता-पिता और गुरुओं का सम्मान कम हो गया,
एकलव्य समान शिष्य अब बेदम हो गया।
शराब पार्टियों की शान है,
दोस्तों के साथ मौज-मस्ती की पहचान है।
मूल्यों का हास प्रमुख हो गया,
श्रवण समान पुत्र माता-पिता से विमुख हो गया।
संघर्षों से जूझना शून्य हो गया,
रिश्वत जैसा पाप आज पुण्य हो गया।
कर्म की निष्ठा में संशय हो गया,
देश द्रोही आज निर्भय हो गया।
लक्ष्य के प्रति समर्पण दूर हो गया,
इंसानियत ही राह में जीवन मजबूर हो गया।
मनुष्य आज का अकर्मण्य हो गया,
बुजुर्गों के अनुभव की पूँजी का मूल्य नगण्य हो गया।
कर्मों की निष्पक्षता में ज्ञान का प्रकाश तम हो गया,
एकलव्य समान शिष्य आज बेदम हो गया।
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कोरोना "विध्वंसक विषाणु शक्ति"
कोरोना ने मातम का माहौल बनाया, जीवन के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाया।
कोरोना ने सनातन धर्म याद दिलाया, हाथ जोड़कर अभिवादन करना सिखाया।
कोरोना ने आँख, नाक और मुँह को अपना प्रवेश द्वार बनाया, हमने भी स्वच्छता के नियमों को पूर्ण रूप से अपनाया।
कोरोना ने मायूसी का प्रसार किया, हमने भी दृढ़ निश्चय से उसका साक्षात्कार किया।
कोरोना तूने मानव जाति को शिकार बनाया, पर डॉक्टर ने भी पूर्ण समर्पण से तुझे हराया।
कोरोना तूने गति पर विराम लगाया, परंतु हमने मानवता पर अटूट विश्वास दिखाया।
कोरोना तूने जन -जन पर कहर बरसाया, जनमानस के जीवन से खुशहाली को दूर भगाया।
कोरोना तूने आवागमन को बाधित किया, मेल मिलाप का दस्तूर जीवन से गायब किया।
कोरोना तूने विनाश का रास्ता अपनाया, हमने भी ईश्वरीय सत्ता पर पूर्ण विश्वास दिखाया।
कोरोना तूने जन-जन में अलगाव को बढ़ाया, हमने भी अपने सुक्ष्म प्रयासों से जिंदगियों को बचाया।
कोरोना तूने विश्व में सन्नाटे को हर तरफ फैलाया, हमने भी प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाया।
कोरोना तूने विध्वंस का विकराल स्वरूप अपनाया, हमने भी एकजुट होकर तुझे हराने का मन बनाया।
कोरोना तूने बेगुनाह मासूमों को निशाना बनाया, हमने भी अनुशासन में रहकर तेरा विस्तार गिराया।
कोरोना तूने जनता की आजादी पर प्रतिबंध लगाया, मोदीजी ने भी लॉकडाउन द्वारा बचने का रास्ता सुझाया।
कोरोना तूने महामारी का रूप अपनाया, हमने भी भारत को कोरोना मुक्त करने का बीड़ा उठाया।
कोरोना तूने विश्व मे मानव पीड़ा को बढ़ाया, हमें भी पुरातन संस्कृति को छोड़ने का दुष्परिणाम बताया।
कोरोना तूने मृत्यु को अपना लक्ष्य बनाया, हमने भी एकांत को जीवन रक्षा का शस्त्र बनाया।
कोरोना तूने वैश्विक महामारी बनकर हाहाकार मचाया, तब विश्व को भारतीय संस्कृति का महत्व समझ आया।
कोरोना तूने विध्वंसक विषाणु शक्ति का रूप अपनाया, पर भारत ने भी एकजुटता और धैर्य को अपना मूल मंत्र बनाया।
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कोरोना कहर: "मीडिया" समाज के सजग सिपाही
कोरोना कहर में मीडिया तूने, जनमानस को जागरूक बनाया है।
स्थितियों से समय-समय पर अवगत कराया, सही गलत का मंथन कर सहज बनाया।
सामाजिक संगठनों को जरूरतमंदो तक पहुंचाया, असत्य होने पर प्रश्नचिन्ह भी लगाया।
रात-दिन को तूने एक बनाया, अपने सुख-दुःख को स्वतः भुलाया।
कोरोना संक्रमण की जागरूकता को फैलाया, सावधानी के नियमों को भी सबको समझाया।
मीडिया समाज की सृजनात्मकता को बढ़ाया, पर खुद के श्रम को निरंतर अविराम बनाया।
कोरोना विषाणु के अभिमान को नष्ट करने का रास्ता सुझाया, प्रशंसनीय कार्यों में लगे लोगों का हौसला भी बढ़ाया।
मीडिया तूने सोशल डिस्टेन्सिंग के महत्व को समझाया, अपने अथक प्रयासों से कोरोना विस्तार को सतत घटाया।
सेनीटाइजर, मास्क बनाना भी समय-समय पर सिखाया, दैनिक खाद्य सामाग्री का टाइम टेबल भी जनमानस को बताया।
कोरोना कहर के दुष्परिणामों को जनमानस को समझाया, अपनी जान को देशभक्ति के आगे तुच्छ जताया।
मीडिया तूने सरकार और जनमानस के बीच संवाहक का रोल निभाया, सरकार के सकारात्मक कदमों की गति को बढ़ाया।
कोरोना कहर की एक-एक कड़ी को सुलझाया, समय-समय पर विशेषज्ञों के विचारो को जनमानस तक पहुंचाया।
देश के सच्चे भक्तों को सम्मान दिलाया, इंसानियत की राह में समाजसेवकों को आगे बढ़ाया।
तूने सनातन धर्म के महत्व को सर्वत्र फैलाया, कोरोना कहर की विपत्ति पर प्रबंधन के साथ सहयोग बढ़ाया।
तेरी सक्रिय भागीदारी ने लॉकडाउन को सफल बनाया, देशभक्ति की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ाया।
तूने देश सेवा में अपनी निर्णायक भूमिका को निभाया, जनमानस को अपनी निरंतर सेवा से कृतज्ञ बनाया।
संकट के क्षणों में निर्भीकता से सत्य से साक्षात्कार कराया, कोरोना कहर है कितना विकराल तब सबकी समझ में आया।
कोरोना संक्रमण के बावजूद अपनी सेवा को पूरे जज्बे से निभाया, जनता को घर रहना सिखाकर कोरोना विषाणु के विरुद्ध अभियान चलाया।
घर बैठे रचनात्मक उदाहरण से जनमानस का मनोबल बढ़ाया, लॉकडाउन के कठिन समय को भी आशावादी ऊर्जा से भरपूर बनाया।
समाचार कवरेज के लिए अपना आराम भुलाया, कोरोना कहर से बचाव की रणनीति में अपने सुझावों से अहम कदम उठाया।
मीडिया तूने समाज के सजग सिपाही का किरदार निभाया, कोरोना वाइरस के विरुद्ध लड़ाई को सशक्त बनाया।
मीडिया तूने हमे देश के प्रति कर्तव्य को याद दिलाया, तेरी कर्तव्यनिष्ठा ने ही तुझे लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ बनाया।
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"कोरोना कोहराम: प्रशासन का संघर्ष अविराम"
कोरोना कोहराम सतत जारी है, प्रशासन ने भी की पूरी तैयारी है।
आकड़ो में निरंतर बदलाव है, पर प्रशासन के पास बचाव के सुझाव है।
सफाई के नियम हमारे पास है, मजबूत लोकतंत्र पर हमें पूर्ण विश्वास है।
कोरोना विषाणु ने घरों में कैद किया है, प्रशासन ने नियम का सख्ती से पालन का निर्देश दिया है।
कोरोना संक्रमण ने विश्व में हर तरफ इजाफा किया है, प्रशासन ने भी मानव हित में कदम बढ़ाने का निर्णय लिया है।
सोशल डिस्टेन्सिंग को अमल में लाना है, प्रशासन के साथ पूर्ण सहयोग निभाना है।
सकारात्मक सोच से सामने आना है, प्रशासन पर पूर्ण विश्वास बताना है ।
जनमानस ने भी अनुशासन में रहने का संकल्प लिया है, प्रशासन ने भी कोरोना संक्रमण घटाने का प्रण लिया है।
सुरक्षित मुस्कुराता राष्ट्र हमें बनाना है, प्रशासन के साथ मिलकर कोरोना को सबक सिखाना है।
कोरोना की केवल सोशल डिस्टेन्सिंग ही दवाई है, प्रशासन ने लॉकडाउन से यह कड़ी सुलझाई है।
इस जिंदगी को ऐसे नहीं खोना है, प्रशासन ने कहा हर समय हाथ धोना है।
बाहर निकलने तो कोरोना फैलना है, प्रशासन की सक्रिय भूमिका को बाधित करना है।
कोरोना के खिलाफ हमारी भी जिम्मेदारी है, प्रशासन के मनोबल को बढ़ाने में हमारी भी हिस्सेदारी है।
भारत को विश्व गुरु बनाना है, प्रशासन के अनवरत संघर्ष को सफल बनाना है।
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"कोरोना लड़ाई के शूरवीर योद्धा: पुलिस"
कोरोना युद्ध में एक कर्मवीर वंदनीय है, दिन रात के चक्र में उसकी निष्ठा अतुलनीय है।
अपने श्रम को अनवरत इंसानियत की सेवा में लगाया है, कोरोना संक्रमण से बचाव की दिशा में सकारात्मक कदम बढ़ाया है।
आज जब हर जनमानस सहमा सा है, तू मानवता की सेवा में सतत अडिग खड़ा सा है।
शहर, गली में फैला सन्नाटा सब कुछ ही तो यहाँ विराम है, पर तेरे कदमों की गतिशीलता तो निरन्तर अविराम है।
लॉकडाउन के आह्वान को तूने सफल बनाया है, तब जाके देश कहीं इस विकट परिस्थिति से उबरने को आया है।
कोरोना विषाणु ने चारों तरफ खतरे को पसराया है, पर तूने निर्भीकता से देश हित में अपना फर्ज निभाया है।
कोरोना संकट से बचाने के लिए फरिश्ते के रूप में आया है, कभी सख्ती दिखाकर तो कभी अनुशासन में लाकर हालात को नर्म बनाया है।
प्रबुद्ध वर्ग ने अर्थ से सहयोग देने का तरीका अपनाया है, पर तूने भी तो देश की खातिर अपनी जान को दांव पर लगाया है।
कोरोना विषाणु की जंग में तूने कितना नुकसान उठाया है, गले न लगा पाया अपने ही बच्चों को तू जब-जब घर पर आया है।
परिवार से दूर रहकर भी तूने देश सेवा को सर्वोपरि बनाया है, तेरे इस कर्म के आगे हर भारतवासी ने अपना शीश झुकाया है।
नतमस्तक है ह्रदय से हर भारतवासी जिसने तेरे जैसा शूरवीर पाया है, मातृभूमि की सेवा में जिसने देश को कोरोना मुक्त करने का बीड़ा उठाया है।
कैसे बयां करूँ तेरी देशभक्ति तूने कैसे हमें बचाया है, कभी मानवता की सेवा में तू खुद भी तो चपेट में आया है।
कोरोना रूपी अंधकार को मिलकर छांटना है, तेरे अनुसरण में हम सबको इस कठिन समय को काटना है।
नहीं भूलेंगे हम तेरी वीरता जब-जब संकट भारत पर आया है, तूने ही पतवार बनकर नैय्या को पार लगाया है।
कर्तव्य निर्वहन करते हुए कभी पत्थर भी तूने सहजता से खाये है, देशसेवा के आगे भूख प्यास, सर्दी गर्मी जैसे मनोभाव भी कहाँ तुझे छू पाए है।
अपनी नींद गवांकर तूने हमें चैन से सुलाया है, तूने तो कर्तव्य पथ की राह में अपना सर्वस्व भुलाया है ।
पत्थर बरसाए गए तुझ पर फिर भी तूने निष्पक्ष अपना फर्ज़ निभाया है, कई बार तो सड़कों पर, मोहल्लों के चौराहों और अपने बच्चों से दूर बैठकर खाना खाया है।
पुलिस के प्रतिबंध का उद्देश्य जनमानस को सुरक्षित बनाना है, इसके लिए कभी-कभी डॉट फटकार भी लगाना है।
आहत हुआ होगा तू भी जब-जब तूने डंडे उठाए है, पर समझेगा वह भी एक दिन जिसने डंडे खाएं है।
पूजेगा उस दिन वह तुझको जब प्राण उसके बच जाएंगे, और नमन करेगा दिल से तुझको जब सपने उसके साकार हो जाएंगे।
होगी खुशहाली जब चारों ओर तेरा मंगलगान गाया जाना है, कोरोना युद्ध के शूरवीर तुझे देश का कर्मवीर कहलाना है।
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"कोरोना ठहराव: जनमानस का योगदान"
कल एकत्रित होना है,तो आज दूरियों को अपनाना है।
कुछ समय सामाजिक दूरी बनाना है, अपनों के साथ समय बिताना है।
आज के त्याग को सफल बनाना है, कल फिर नवीन विजयगाथा को दोहराना है।
बिना कारण घर से बाहर नहीं जाना है, कोरोना विषाणु को ठेंगा दिखाना है।
ईश्वर पर पूर्ण विश्वास जताना है, पर स्वविवेक से भी सही निर्णय को अपनाना है।
आशा का नित नवीन दीपक जलाना है, सरकार के साथ पूर्ण सहयोग का रवैया अपनाना है।
हाथों को मुँह पर नहीं लगाना है, पर हाथों को बार-बार स्वच्छ बनाना है।
बाहर कोरोना दानव का सब जगह घेरा है, इसलिए तो हमने डाला अपने घरों में डेरा है।
अपने पैरो को घरों में थामना है, कोरोना महामारी के प्रसार को विराम देना है।
प्रकृति के कालचक्र की नियति को समझना है, निराशा में आशा रूपी बीज को स्फुठित करना है।
लॉकडाउन के समय का सदुपयोग करना है, समाज सेवा की दिशा में उत्तरोत्तर प्रयासों को बढ़ाना है।
विकट परिस्थितियों में धैर्य को अपनाना है, कोरोना महामारी को जड़ से मिटाना है।
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"कोरोना हाहाकार: लॉकडाउन एकमात्र उपचार"
विकट परिस्थितियों में अनुशासन को हथियार बनाना है, कोरोना हाहाकार से खुद को सुरक्षित बचाना है।
लॉकडाउन में रचनात्मक दिशा में कदम बढ़ाना है, इस नकारात्मक समय को सकारात्मक ऊर्जा से हराना है।
लॉकडाउन पर विश्वास करके देश के प्रति कर्तव्य निभाना है, कोरोना रोकथाम की दिशा में सक्रिय कदम उठाना है।
लॉकडाउन के समय आशा का शंखनाद बजाना है, कोरोना के कहर की जड़मूल मिटाना है।
सरकार द्वारा प्रसारित उपाय भी अमल में लाना है, शत्रु को समूल से नष्ट करके विजयपताका लहराना है।
लॉकडाउन के संकल्प से देश को विजय बनाना है, कोरोना हाहाकार से हमको नहीं घबराना है।
लॉकडाउन के उपचार से कोरोना विषाणु का अभिमान घटाना है, कोरोना हाहाकार से बचकर विश्व के सामने एक उदाहरण बनकर आना है।
लॉकडाउन को पूर्ण निष्ठा से अपनाना है, कोरोना हाहाकार से मानव जाति को बचाना है।
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कोरोना काल के देवदूत "सफाईकर्मी"
सफाई कर्मी को नहीं दिख रही घड़ी, कोरोना लड़ाई की वो भी है महत्वपूर्ण कड़ी।।
इनको नहीं है परिवार से मिलने की जल्दी, देश-सेवा के जज्बे ने इनकी दुनिया ही बदल दी।।
सफाई की प्रक्रिया करनी है पूरी, कोरोना से जंग ही है इनकी धुरी।।
गंदगी तो फैलाते है हम सभी, पर सफाईकर्मी जिम्मेदारी लेने से नहीं घबराते कभी।।
इनकी सेवधर्मिता का नहीं है मोल कहीं, इनकी मेहनत ही लाएगी पुनः खुशहाली की घड़ी ।।
सैनिटाइजर का छिड़काव है जरूरी, दिन-रात के क्रम में प्रकिया करनी है पूरी।।
कोरोना दानव का नाश करेंगे ये भी, इनकी सतत मेहनत आस जगा रही अभी।।
इनके जज्बे की प्रशंसा हो रही भूरी-भूरी, स्वागत और सम्मान करते जनमानस और अधिकारी।।
कोरोना के आगे दुनिया घुटने टेके खड़ी, कोरोना के विनाश में इनके सहयोग ने लगा दी झड़ी।।
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देश की उन्नायक "राजभाषा हिन्दी"
कालजेय हिन्दी, वंदनीय हिन्दी।
भारत माता की शान है हिन्दी॥
सहज, सरल, सुबोध है हिन्दी।
मेरे देश का अभिमान है हिन्दी॥
क्लिष्टता की नियंत्रक है हिन्दी।
जनमानस को प्रफुल्लित करती है हिन्दी॥
नवीन भाषाओ की जननी है हिन्दी।
सरस आत्मसात हो जाती है हिन्दी॥
शब्दो का अविरल प्रवाहक है हिन्दी।
मेरे देश की पहचान है हिन्दी॥
भारत माँ के ललाट पर सुशोभित है हिन्दी।
भाषाओं की उन्नायक है हिन्दी॥
कामधेनु सी दानी है हिन्दी।
संस्कृत की बेटी गागर में सागर है हिन्दी॥
चिन्तन की सरस धारा है हिन्दी।
अन्य भाषाओं की संगिनी है हिन्दी॥
बारिश की रिमझिम फुहार है हिन्दी।
स्नेहिल भारत माँ का वरदान है हिन्दी॥
भावनाओं का साकार स्वरूप है हिन्दी।
देश की सार्थक भागीदार है हिन्दी॥
राष्ट्र की बगिया को महकाती है हिन्दी।
प्रेम के मोती को संजोती है हिन्दी॥
विश्व धरोहर का प्रतीक है हिन्दी।
मंगल गान की मुक्त पहचान है हिन्दी॥
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"शब्द की महिमा"
शब्द है अनंत यहाँ, संवाहक होते मानव मन के यहाँ।
शब्द है वरदान यहाँ, सकारात्मक ऊर्जा भरते मानव मन में यहाँ।
शब्द का परिवर्तन यहाँ, छिन लेता सुकून मानव मन का यहाँ।
शब्द की सच्चाई यहाँ, बन सकती मानव मन की दवाई यहाँ।
शब्द की ताकत यहाँ, हिला देती जीवन की नींव यहाँ।
शब्द की मिलावट यहाँ, दरकिनार कर देती जज्बात यहाँ।
शब्द की असत्यता यहाँ, अनायास बोझिल करती मानव मन यहाँ।
शब्द ही कटाक्ष यहाँ, कटुता के बीज बोते यहाँ।
शब्द की उचित यात्रा यहाँ, उत्कृष्टता का दर्शन कराती यहाँ।
शब्द हैं मासूम यहाँ, भावों को पिरोते मानव मन के यहाँ।
शब्द का हेर फेर यहाँ, नदारद करता सत्य का प्रसार यहाँ।
डॉ. रीना रवि मालपानी
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