" वन हेल्थ माडल की आवश्यकता " -डॉ दीपक कोहली- कोविड- 19 की भयावह स्थिति ने मानव तथा पशुओं (घरेलू एवं जंगली) के स्वास्थ्य के बीच क...
"वन हेल्थ माडल की आवश्यकता"
-डॉ दीपक कोहली-
कोविड- 19 की भयावह स्थिति ने मानव तथा पशुओं (घरेलू एवं जंगली) के स्वास्थ्य के बीच के संबंधों को उजागर किया है, ऐसे में एकीकृत स्वास्थ्य फ्रेमवर्क- जिसे ’वन हेल्थ माडल’ (One health Model) के रूप में भी जाना जाता है, को देश में लागू करने का यह उचित समय है। वर्ष 2018 में ‘निपाह वायरस’ के प्रकोप से निपटने के लिये केरल सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में वन हेल्थ आधारित ‘केरल मॉडल’ का सफलतापूर्वक प्रयोग किया। यद्यपि ‘वन हेल्थ माडल’ का विचार हाल ही में सामने आया है, परंतु भारत में ‘क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़’ (Kyasanur Forest Disease- KFD) के कर्नाटक में प्रकोप के समय प्रयोग में लाया जा चुका है।
वन हेल्थ माडल एक ऐसा समन्वित माडल है जिसमें पर्यावरण स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य तथा मानव स्वास्थ्य का सामूहिक रूप से संरक्षण किया जाता है। यह मॉडल महामारी विज्ञान पर अनुसंधान, उसके निदान और नियंत्रण के लिये वैश्विक स्तर पर स्वीकृत मॉडल है। वन हेल्थ मॉडल, रोग नियंत्रण में अंतःविषयक दृष्टिकोण की सुविधा प्रदान करता है ताकि उभरते या मौजूदा ज़ूनोटिक रोगों को नियंत्रित किया जा सके। इस मॉडल में सटीक परिणामों को प्राप्त के लिये स्वास्थ्य विश्लेषण और डेटा प्रबंधन उपकरण का उपयोग किया जाता है। वन हेल्थ मॉडल इन सभी मुद्दों को रणनीतिक रूप से संबोधित करेगा और विस्तृत अपडेट प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा।
प्राकृतिक पर्यावरण के विनाश, वैश्विक व्यापार में वृद्धि, लोगों द्वारा की जाने वाली अधिक यात्राएँ, औद्योगिक खाद्य उत्पादन प्रणाली आदि ने नवीन रोगजनकों के लिये ‘जानवरों से मनुष्यों’ में पहुँचना संभव बनाया है।वैज्ञानिकों का मानना है कि वन्यजीव आवासों की क्षति के कारण मनुष्यों में उभरते संक्रामक रोगों के प्रसार में वृद्धि हुई है। ये वन्यजीवों से मनुष्यों में फैलते हैं, जैसे- इबोला, वेस्ट नाइल वायरस, सार्स, मारबर्ग वायरस आदि।
केरल सरकार ने ‘निपाह वायरस’ प्रभावित लोगों की संख्या को 23 पर सीमित कर स्वास्थ्य के क्षेत्र में वन-हेल्थ आधारित ‘केरल मॉडल’ का सफलतापूर्वक प्रयोग किया।इस सफलता को मज़बूत सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचा, राजनीतिक इच्छाशक्ति, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, बहु-विषयक टीम आदि के सहयोग से प्राप्त करना संभव हो सका।
भारत में वन हेल्थ मॉडल का एक प्रचलित उदाहरण वर्ष 1950 के दशक के उत्तरार्द्ध में ‘क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़’ (Kyasanur Forest Disease-KFD) से निपटने में देखा गया था।उस समय रॉकफेलर फाउंडेशन (Rockefeller Foundation), वायरस रिसर्च सेंटर (बाद में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी) पुणे, विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) तथा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Bombay Natural History Society) जैसी विभिन्न संस्थाओं/इकाइयों ने एक साथ मिलकर कार्य किया।
WHO फंड द्वारा समर्थित ‘बर्ड मैन ऑफ इंडिया’- सलीम अली ने इस बात का खंडन किया कि ‘पार महाद्वीपीय प्रवासी पक्षी इस रोग के रोगजनकों के प्रसार के लिये ज़िम्मेदार हैं।’ इस पार-क्षेत्रीय सहयोग (Cross-Sectoral Collaboration) का आगे बहुत कम प्रयोग देखने को मिला तथा भारत में कई दशकों बाद भी एक वास्तविक ‘वन हेल्थ नीति’ का संचालन करना अभी बाकी है।भारत में वन हेल्थ नीति के निर्माण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के अलावा अनेक विनियामक संस्थाओं के अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।अनुमति में देरी इन रोगों के प्रति तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त करने में बाधा उत्पन्न करती है, इन संस्थाओं में शामिल हैं-
*भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद
*विदेश मंत्रालय तथा वित्त मंत्रालय
*सशस्त्र बलों के महानिदेशालय
*राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण
*जानवरों पर नियंत्रण और परीक्षणों के पर्यवेक्षण के लिये समिति
*राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण
*राज्य के वन प्राधिकारी
*जैव विविधता बोर्ड
भारत सरकार ने हाल ही में जैव विविधता और मानव कल्याण पर राष्ट्रीय मिशन शुरू किया है। जैव विविधता और मानव कल्याण पर राष्ट्रीय मिशन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन एवं संबंधित आपदाओं के प्रभावों को कम करने की दिशा में स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, कृषि उत्पादन, आजीविका हेतु उत्पादन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में जैव विविधता विज्ञान एवं मानव कल्याण के बीच अब तक उपेक्षित किये गए संबंध का पता लगाना है। वन हेल्थ इस मिशन का एक घटक है, जिसका उद्देश्य एक स्पष्ट ढाँचे के माध्यम से मानव स्वास्थ्य एवं जैव विविधता के मध्य संबंध स्थापित करना है।
ज़ूनोटिक रोगों से निपटने का भारत के पास अग्रणी ऐतिहासिक अनुभव तथा जैव चिकित्सा अनुसंधान में मज़बूत संस्थागत ढाँचे की उपलब्धता, भारत को उभरते संक्रामक रोगों से निपटने में वैश्विक नेतृत्त्वकर्त्ता बनने का अवसर प्रदान करता है।जिस तेज़ी से रोगजनकों का हाल ही में उभार देखने को मिला है ऐसे में अधिक पारदर्शिता तथा अंतराष्ट्रीय सहयोग युक्त एक एकीकृत राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के माध्यम से वन हेल्थ माडल पर कार्य करने की तत्काल आवश्यकता है।
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लेखक परिचय
*नाम - डॉ दीपक कोहली
*जन्मतिथि - 17 जून, 1969
*जन्म स्थान- पिथौरागढ़ ( उत्तरांचल )
*प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा - हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा जी.आई.सी. ,पिथौरागढ़ में हुई।
*स्नातक - राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़, कुमायूं विश्वविद्यालय, नैनीताल ।
*स्नातकोत्तर ( एम.एससी. वनस्पति विज्ञान)- गोल्ड मेडलिस्ट, बरेली कॉलेज, बरेली, रुहेलखंड विश्वविद्यालय ( उत्तर प्रदेश )
*पीएच.डी. - वनस्पति विज्ञान ( बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)
*संप्रति - उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ में उप सचिव के पद पर कार्यरत।
*लेखन - विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1000 से अधिक वैज्ञानिक लेख /शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
*विज्ञान वार्ताएं- आकाशवाणी, लखनऊ से प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों में 50 से अधिक विज्ञान वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
*पुरस्कार-
1.केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित 15वें अखिल भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, 1994
2. विज्ञान परिषद प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा उत्कृष्ट विज्ञान लेख का "डॉ .गोरखनाथ विज्ञान पुरस्कार" क्रमशः वर्ष 1997 एवं 2005
3. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा आयोजित "हिंदी निबंध लेख प्रतियोगिता पुरस्कार", क्रमशः वर्ष 2013, 2014 एवं 2015
4. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा एनवायरमेंटल जर्नलिज्म अवॉर्ड्, 2014
5. सचिवालय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन समिति, उत्तर प्रदेश ,लखनऊ द्वारा "सचिवालय दर्पण निष्ठा सम्मान", 2015
6. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "साहित्य गौरव पुरस्कार", 2016
7.राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "तुलसी साहित्य सम्मान", 2016
8. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा "सोशल एनवायरमेंट अवॉर्ड", 2017
9. पर्यावरण भारती ,मुरादाबाद द्वारा "पर्यावरण रत्न सम्मान", 2018
10. अखिल भारती काव्य कथा एवं कला परिषद, इंदौर ,मध्य प्रदेश द्वारा "विज्ञान साहित्य रत्न पुरस्कार",2018
11. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा वृक्षारोपण महाकुंभ में सराहनीय योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र / पुरस्कार, 2019
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डॉ दीपक कोहली, पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश शासन,5/104, विपुल खंड, गोमती नगर लखनऊ - 226010 (उत्तर प्रदेश )
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