"दस लाख प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा" -डॉ दीपक कोहली- हाल ही में जारी किये गए यू.एन. रिपोर्ट के अनुसा...
"दस लाख प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा"
-डॉ दीपक कोहली-
हाल ही में जारी किये गए यू.एन. रिपोर्ट के अनुसार, मानव गतिविधियों के कारण दस लाख प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार मानव ने उन प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट किया है जिन पर हमारा अस्तित्व निर्भर करता है।रिपोर्ट के अनुसार, स्वच्छ वायु, पीने योग्य जल, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने वाले वन, प्रोटीन से भरपूर मछलियाँ, तूफान-अवरोधी मैंग्रोव तथा परागण करने वाले कीटों की कमी जैसे संकेत जलवायु परिवर्तन की ओर इशारा करते हैं।रिपोर्ट के अनुसार, जैव विविधता की हानि और ग्लोबल वार्मिंग आदि घटनाएँ निकटता से एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
29 अप्रैल, 2019 को 130 देशों के प्रतिनिधियों की पेरिस में एक बैठक हुई। बैठक की रिपोर्ट के अनुसार, हमें यह समझना होगा कि जलवायु परिवर्तन और प्रकृति का नुकसान न केवल पर्यावरण के लिये चिंता का विषय है बल्कि विकास और आर्थिक मुद्दों के संदर्भ में चिंतित करने वाला है।
पशुधन के साथ निर्वनीकरण तथा कृषि, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग एक-चौथाई हिस्से के लिये ज़िम्मेदार है तथा साथ-ही-साथ प्राकृतिक पारिस्थितिकी पर भी कहर बरपाया है। पारिस्थितिकविदों ने चेतावनी दी है कि यदि वर्तमान रुझान जारी रहता है, तो अगले 100 वर्षों के भीतर पृथ्वी पर सभी प्रजातियों में से लगभग आधी का सफाया हो सकता है।जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी विज्ञान नीति प्लेटफॉर्म रिपोर्ट ‘प्रजातियों के विलुप्त होने की वैश्विक दर में तेज़ी’ की चेतावनी देती है।
कई विशेषज्ञ इसे ‘सामूहिक विलुप्ति परिघटना’ (Mass Extinction Event) की आशंका व्यक्त कर रहे हैं।
66 मिलियन साल पहले क्रेटेशियस पीरियड का अंत हुआ था, जब इस क्षुद्रग्रह से 80% जीवों का सफाया हो गया था जिसका कोई स्पष्ट कारण ज्ञात नहीं है।वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वर्तमान में पृथ्वी पर लगभग आठ मिलियन अलग-अलग प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से अधिकांश कीट हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रजातियों के नुकसान के प्रत्यक्ष कारणों में निवास स्थान और भूमि उपयोग परिवर्तन, भोजन के लिये उनका शिकार या अवैध व्यापार के लिये शिकार, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और चूहों, मच्छरों तथा साँप जैसे प्रजातियों का शिकार करना शामिल है।जैव विविधता की क्षति और जलवायु परिवर्तन के दो बड़े अप्रत्यक्ष कारक भी हैं जिसमें दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या तथा उपभोग की बढ़ती मांग शामिल है।ग्लोबल वार्मिंग के विघटनकारी प्रभाव में तेज़ी के कारण भविष्य में जीवों तथा पौधों पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।उदाहरण के लिये यदि औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस तक ऊपर चला जाता है तो प्रजातियों के वितरण में बदलाव की संभावना दोगुनी होगी।
रिपोर्ट के अन्य निष्कर्षों में शामिल हैं:तीन-चौथाई भूमि सतह, 40% समुद्री पर्यावरण और दुनिया भर में 50% अंतर्देशीय जलमार्ग ‘गंभीर रूप से परिवर्तित’ होंगे।ऐसे कई क्षेत्र हैं जहाँ मानव कल्याण के लिये प्रकृति के साथ समझौता किया जाएगा। इसमें मानव निवास स्थान और दुनिया के सबसे गरीब समुदाय (जो जलवायु परिवर्तन की चपेट में हैं) शामिल होंगे।2 बिलियन से अधिक लोग ऊर्जा के लिये लकड़ी जैसे ईंधन पर निर्भर हैं, 4 बिलियन लोग प्राकृतिक दवाओं पर निर्भर हैं तथा 75% से अधिक वैश्विक खाद्य फसलों को पशु परागण (Animal Pollination) की आवश्यकता होती है।
पिछले 50 वर्षों में मानवीय हस्तक्षेप के कारण लगभग आधी भूमि तथा समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के साथ समझौता किया गया है।
---
लेखक परिचय
*नाम - डॉ दीपक कोहली
*जन्मतिथि - 17 जून, 1969
*जन्म स्थान- पिथौरागढ़ ( उत्तरांचल )
*प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा - हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा जी.आई.सी. ,पिथौरागढ़ में हुई।
*स्नातक - राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़, कुमायूं विश्वविद्यालय, नैनीताल ।
*स्नातकोत्तर ( एम.एससी. वनस्पति विज्ञान)- गोल्ड मेडलिस्ट, बरेली कॉलेज, बरेली, रुहेलखंड विश्वविद्यालय ( उत्तर प्रदेश )
*पीएच.डी. - वनस्पति विज्ञान ( बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)
*संप्रति - उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ में उप सचिव के पद पर कार्यरत।
*लेखन - विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1000 से अधिक वैज्ञानिक लेख /शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
*विज्ञान वार्ताएं- आकाशवाणी, लखनऊ से प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों में 50 से अधिक विज्ञान वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
*पुरस्कार-
1.केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित 15वें अखिल भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, 1994
2. विज्ञान परिषद प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा उत्कृष्ट विज्ञान लेख का "डॉ .गोरखनाथ विज्ञान पुरस्कार" क्रमशः वर्ष 1997 एवं 2005
3. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा आयोजित "हिंदी निबंध लेख प्रतियोगिता पुरस्कार", क्रमशः वर्ष 2013, 2014 एवं 2015
4. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा एनवायरमेंटल जर्नलिज्म अवॉर्ड्, 2014
5. सचिवालय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन समिति, उत्तर प्रदेश ,लखनऊ द्वारा "सचिवालय दर्पण निष्ठा सम्मान", 2015
6. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "साहित्य गौरव पुरस्कार", 2016
7.राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "तुलसी साहित्य सम्मान", 2016
8. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा "सोशल एनवायरमेंट अवॉर्ड", 2017
9. पर्यावरण भारती ,मुरादाबाद द्वारा "पर्यावरण रत्न सम्मान", 2018
10. अखिल भारती काव्य कथा एवं कला परिषद, इंदौर ,मध्य प्रदेश द्वारा "विज्ञान साहित्य रत्न पुरस्कार",2018
11. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा वृक्षारोपण महाकुंभ में सराहनीय योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र / पुरस्कार, 2019
--
डॉ दीपक कोहली, पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश शासन,5/104, विपुल खंड, गोमती नगर लखनऊ - 226010 (उत्तर प्रदेश )
COMMENTS