" मानव गतिविधियों के कारण उत्पन्न महामारी" -डॉ दीपक कोहली- ग्वेनाएल वोर्क (Gwenael Vourc’h) नामक एक फ्रांसीसी सार्वजनिक अनुसंधान स...
"मानव गतिविधियों के कारण उत्पन्न महामारी"
-डॉ दीपक कोहली-
ग्वेनाएल वोर्क (Gwenael Vourc’h) नामक एक फ्रांसीसी सार्वजनिक अनुसंधान संस्थान के अनुसार, COVID-19 जैसी महामारी मानव गतिविधियों के कारण उत्पन्न होती है। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environmental Programme- UNEP) की रिपोर्ट के अनुसार, इंसानों को होने वाले 60% संक्रामक रोगों के मूल स्रोत जानवर होते हैं। इबोला (Ebola), एचआईवी (HIV), एवियन इन्फ्लूएंज़ा (Avian influenza-AI), फ्लू (Flu), ज़ीका (Zika), सार्स (SARS) जैसी बीमारियों की वज़ह से अब यह आँकड़ा 75% हो गया है।उल्लेखनीय है कि जानवरों से मनुष्यों को होने वाली बीमारी को ज़ूनोसिस रोग (Zoonoses) कहते हैं। तपेदिक (Tuberculosis), रेबीज़ (Rabies), टोक्सोप्लासमोसिस (Toxoplasmosis), मलेरिया (Malaria) जैसी बीमारियाँ जानवरों से मनुष्यों में फैलती हैं।
UNEP की रिपोर्ट के अनुसार, पर्यावरणीय परिवर्तन या पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव के कारण ज़ूनोसिस रोग उत्पन्न हुए हैं।पिछले 50 वर्षों के दौरान प्रकृति के परिवर्तन की दर मानव इतिहास में अभूतपूर्व है तथा प्रकृति के परिवर्तन का सबसे महत्त्वपूर्ण कारण भूमि उपयोगिता में परिवर्तन है। जनसंख्या बढ़ने के साथ ही अत्यधिक मात्रा में प्राकृतिक संसाधन का दोहन करना, अत्यधिक पैदावार हेतु कृषि में खाद का उपयोग करना, मानव द्वारा जंगलों एवं अन्य स्थानों पर अतिक्रमण करना, इत्यादि पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव के कारण हैं।
COVID-19 चमगादड़ या पैगोंलिन से उत्पन्न हुआ है इस बात की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन यह स्पष्ट है कि COVID-19 जानवरों से ही उत्पन्न हुआ है। साथ ही उत्पन्न संक्रमणों में से चमगादड़ से लगभग तीन-चौथाई संक्रमण उत्पन्न होते हैं।COVID-19 वर्ष 2019 के अंत में चीन के वुहान शहर से उत्पन्न हुआ है।पालतू जानवरों को अत्यधिक प्रतिजैविक पदार्थ देने तथा पालतू जानवरों से मनुष्यों के अत्यधिक संपर्क से ज़ूनोसिस रोग उत्पन्न होता है। प्रमुख ज़ूनोज़ रोग निम्नलिखित हैं:
1.इबोला (Ebola):
इबोला वायरस की खोज सबसे पहले वर्ष 1976 में इबोला नदी के पास हुई थी जो अब कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य है। अफ्रीका में फ्रूट बैट चमगादड़ इबोला वायरस के वाहक हैं जिनसे पशु (चिम्पांजी, गोरिल्ला, बंदर, वन्य मृग) संक्रमित होते हैं। मनुष्यों को या तो संक्रमित पशुओं से या संक्रमित मनुष्यों से संक्रमण होता है, जब वे संक्रमित शारीरिक द्रव्यों या शारीरिक स्रावों के निकट संपर्क में आते हैं। इसमें वायु जनित संक्रमण नहीं होता है।
2.ज़ीका (Zika):
ज़ीका विषाणु एडीज़ मच्छर के काटने से शरीर में प्रवेश करता है। ज़िका का पहला मामला वर्ष 1952 में आया था। वर्ष 2007 तक यह केवल अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता था। उसके बाद धीरे-धीरे यह अन्य स्थानों में भी फैलने लगा। 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये आपात घोषित कर दिया।
3.ह्यूमन इम्यूनो डिफिसिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus-HIV):
HIV शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में CD-4, जो कि एक प्रकार का व्हाइट ब्लड सेल (T-Cells) होता है, पर हमला करता है। शरीर में प्रवेश करने के बाद एचआईवी वायरस की संख्या में तीव्र वृद्धि होती है और यह CD-4 कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है, इस प्रकार यह मानव प्रतिरक्षा प्रणाली (Human Immune System) को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाता है। कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण एक व्यक्ति में संक्रमण और कैंसर की संभावना अधिक रहती है।
COVID-19 की व्यापक चुनौतियों को देखते हुए इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिये प्रयास किये जाने की आवश्यकता है तथा साथ ही यह सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है कि देश में किये जाने वाले चिकित्सा संबंधी शोधों में सभी मानदंडों का सख्ती से पालन किया जाए। यह सत्य है कि मज़बूत आधारिक संरचना के अभाव में किसी भी समाज के लिये विकास करना अपेक्षाकृत काफी मुश्किल होता है, परंतु
इस तथ्य का पालन करते हुए पर्यावरण को पूर्णतः नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। अतः यह आवश्यक है कि यदि कभी देश के विकास और पर्यावरण के मध्य द्वंद्व उत्पन्न हो तो विवेक के साथ इस विषय पर विचार किया जाए और ऐसे वैकल्पिक रास्तों की तलाश की जाए जो पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए हमें विकास की नई दिशा दिखाएँ।
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लेखक परिचय
*नाम - डॉ दीपक कोहली
*जन्मतिथि - 17 जून, 1969
*जन्म स्थान- पिथौरागढ़ ( उत्तरांचल )
*प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा - हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा जी.आई.सी. ,पिथौरागढ़ में हुई।
*स्नातक - राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़, कुमायूं विश्वविद्यालय, नैनीताल ।
*स्नातकोत्तर ( एम.एससी. वनस्पति विज्ञान)- गोल्ड मेडलिस्ट, बरेली कॉलेज, बरेली, रुहेलखंड विश्वविद्यालय ( उत्तर प्रदेश )
*पीएच.डी. - वनस्पति विज्ञान ( बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)
*संप्रति - उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ में उप सचिव के पद पर कार्यरत।
*लेखन - विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1000 से अधिक वैज्ञानिक लेख /शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
*विज्ञान वार्ताएं- आकाशवाणी, लखनऊ से प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों में 50 से अधिक विज्ञान वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
*पुरस्कार-
1.केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित 15वें अखिल भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, 1994
2. विज्ञान परिषद प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा उत्कृष्ट विज्ञान लेख का "डॉ .गोरखनाथ विज्ञान पुरस्कार" क्रमशः वर्ष 1997 एवं 2005
3. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा आयोजित "हिंदी निबंध लेख प्रतियोगिता पुरस्कार", क्रमशः वर्ष 2013, 2014 एवं 2015
4. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा एनवायरमेंटल जर्नलिज्म अवॉर्ड्, 2014
5. सचिवालय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन समिति, उत्तर प्रदेश ,लखनऊ द्वारा "सचिवालय दर्पण निष्ठा सम्मान", 2015
6. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "साहित्य गौरव पुरस्कार", 2016
7.राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "तुलसी साहित्य सम्मान", 2016
8. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा "सोशल एनवायरमेंट अवॉर्ड", 2017
9. पर्यावरण भारती ,मुरादाबाद द्वारा "पर्यावरण रत्न सम्मान", 2018
10. अखिल भारती काव्य कथा एवं कला परिषद, इंदौर ,मध्य प्रदेश द्वारा "विज्ञान साहित्य रत्न पुरस्कार",2018
11. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा वृक्षारोपण महाकुंभ में सराहनीय योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र / पुरस्कार, 2019
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डॉ दीपक कोहली, पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश शासन,5/104, विपुल खंड, गोमती नगर लखनऊ - 226010 (उत्तर प्रदेश )
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