" कोविड - 19 और जल संकट" -डॉ दीपक कोहली- केंद्र सरकार ने देश में कोविड -19 के प्रसार पर नियंत्रण के लिये लागू लॉकडाउन के दौरान स्व...
"कोविड -19 और जल संकट"
-डॉ दीपक कोहली-
केंद्र सरकार ने देश में कोविड -19 के प्रसार पर नियंत्रण के लिये लागू लॉकडाउन के दौरान स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता और इसके प्रबंधन को सुनिश्चित करने हेतु राज्य सरकारों के लिये आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये हैं। सरकार के अनुसार, साबुन से नियमित रूप से हाथ धोने को कोरोनावायरस के प्रसार को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी उपाय माना गया है।इस बात को ध्यान में रखते हुए ‘केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय’ ने देश के सभी के लिये स्वच्छ और पीने योग्य जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर बल दिया है।
केंद्र सरकार ने राज्यों के ‘जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग’ और अन्य संबंधित बोर्डों तथा निगमों को स्वच्छ पेयजल के संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में जल की आपूर्ति बढ़ाने के प्रयासों को प्राथमिकता देने को कहा है।केंद्र सरकार ने इस दौरान अधिकारियों को समाज के कमज़ोर वर्ग के लोगों जैसे- राहत शिविरों, क्वारंटीन सेंटरों , अस्पतालों, वृद्धाश्रमों, झुग्गी-बस्तियों में रह रहे लोगों का विशेष ध्यान रखने का निर्देश दिया है।
राज्य सरकारों को इसके लिये आवश्यक रसायनों जैसे- क्लोरीन टैबलेट, ब्लीचिंग पाउडर, सोडियम हाइपोक्लोराइट घोल और फिटकरी आदि की उपलब्धता का आकलन करने की सलाह दी गई है। (इन उत्पादों को ‘अति आवश्यक वस्तु अधिनियम , 1955’ के तहत अति आवश्यक वस्तुओं की सूची में रखा गया है) । इस दौरान ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ (Social Distancing) के नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने हेतु सार्वजनिक जल आपूर्ति स्रोतों (नल, टैंकर आदि) पर लोगों की संख्या बढ़ने की स्थिति में जल आपूर्ति के समय में वृद्धि करने के निर्देश दिये गए हैं।साथ ही राज्य सरकारों को ग्रामीण क्षेत्रों में टेस्ट किट भेजकर जल संसाधनों की नियमित जाँच करने और 24 घंटे जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये गए हैं।हालाँकि हाथों की स्वच्छता या हाथों को नियमित रूप से साफ रखने को कोरोनावायरस से बचने का एक प्रभावी तरीका माना गया है परंतु सभी के लिये स्वच्छ जल का उपलब्ध न होना पिछले कई वर्षों से देश के लिये एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
वर्ष 2017 में ‘केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय’ (वर्ष 2019 में ‘केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय’ में विलय से पूर्व) द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत किये गए आँकड़ों के अनुसार, देश में प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक जल की उपलब्धता वर्ष 2001 (1820 घनमीटर) से घटकर वर्ष 2011 में 1545 घनमीटर तक पहुँच गई थी। आँकड़ों के अनुसार, प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक जल की उपलब्धता वर्ष 2025 तक घटकर 1341 घनमीटर और वर्ष 2050 तक 1140 घनमीटर तक पहुँच सकती है।
सरकार के अनुसार, वर्षा में उच्च अस्थाई और क्षेत्रीय भिन्नताओं के कारण देश के कई हिस्सों में जल की उपलब्धता राष्ट्रीय औसत से बहुत नीचे है और ऐसे क्षेत्रों को जल प्रतिबल या जल संकट के क्षेत्रों के रूप में रखा जा सकता है।
*जल प्रतिबल (Water Stressed): ऐसे क्षेत्र जहाँ वार्षिक रूप से प्रतिव्यक्ति जल की औसत उपलब्धता 1700 घनमीटर से कम हो।
*पानी की कमी (Water Scarce): ऐसे क्षेत्र जहाँ वार्षिक रूप से प्रतिव्यक्ति जल की औसत उपलब्धता 1000 घनमीटर से कम हो।
जल और स्वच्छता पर काम करने वाली संस्था ‘वाटरऐड’ (WaterAid) द्वारा जारी वर्ष 2018 की वार्षिक रिपोर्ट में भारत को विश्व में शीर्ष उन 10 देशों की सूची में रखा गया था जिनमें लोगों के घरों के नजदीक स्वच्छ जल की उपलब्धता सबसे कम है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के संदर्भ में ऐसे लोगों की संख्या लगभग 16.3 करोड़ बताई गई थी, जिनके घरों के नजदीक स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं हो पाता।
भारत के वर्तमान जल संकट के प्राकृतिक कारणों में पिछले कुछ वर्षों में अनियमित और कम वर्ष का होना, सूखा और जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव प्रमुख हैं।
मानवीय गतिविधियों के कारण प्राकृतिक जल स्रोतों के प्रदूषण।साथ ही कृषि तथा औद्योगिक क्षेत्रों में उत्पादन में वृद्धि के लिये जल के अनियंत्रित दोहन ने जल संकट में कई गुना वृद्धि की है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-246 के तहत राज्यों तथा केंद्र के उत्तरदायित्त्वों को तीन सूचियों में विभाजित किया गया है।
संघ सूची ,राज्य सूची व समवर्ती सूची।भारतीय संविधान में जल को राज्य सूची में 17वीं प्रविष्टि के रूप में शामिल किया गया है, इसके अनुसार, जल, अर्थात् जल आपूर्ति, सिंचाई और नहरें, जल निकासी और तटबंध, जल संग्रहण और जल शक्ति, जो कि सूची-I (संघ सूची) की प्रविष्टि 56 के प्रावधानों के अधीन है।
वर्तमान में कोविड -19 से सबसे अधिक खतरा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग को है, इस समूह के लोग प्रायः घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रहते हैं जहाँ सबके लिये स्वच्छ जल की उपलब्धता बहुत कठिन है।ऐसे में क्षेत्रीय प्रशासन द्वारा प्रत्येक परिवार तक स्वच्छ जल की आपूर्ति को सुनिश्चित की जानी चाहिये।स्वयं सहायता समूहों एवं अन्य हितधारकों के सहयोग से अति आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के साथ कोविड -19 के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिये, जिससे इस बीमारी से संक्रमित लोगों की पहचान कर उन्हें चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराई जा सके।
जल का अनियंत्रित दोहन और प्रदूषण वर्तमान जल संकट का सबसे प्रमुख कारण हैं अतः स्वच्छ जल की आपूर्ति को सुनिश्चित करने हेतु इस पर नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक है। प्राकृतिक जल संरक्षण और जल के पुनर्प्रयोग (Water Recycling) को बढ़ावा देकर जल संकट के दबाव को कम किया जा सकता है।
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लेखक परिचय
*नाम - डॉ दीपक कोहली
*जन्मतिथि - 17 जून, 1969
*जन्म स्थान- पिथौरागढ़ ( उत्तरांचल )
*प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा - हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा जी.आई.सी. ,पिथौरागढ़ में हुई।
*स्नातक - राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़, कुमायूं विश्वविद्यालय, नैनीताल ।
*स्नातकोत्तर ( एम.एससी. वनस्पति विज्ञान)- गोल्ड मेडलिस्ट, बरेली कॉलेज, बरेली, रुहेलखंड विश्वविद्यालय ( उत्तर प्रदेश )
*पीएच.डी. - वनस्पति विज्ञान ( बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)
*संप्रति - उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ में उप सचिव के पद पर कार्यरत।
*लेखन - विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1000 से अधिक वैज्ञानिक लेख /शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
*विज्ञान वार्ताएं- आकाशवाणी, लखनऊ से प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों में 50 से अधिक विज्ञान वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
*पुरस्कार-
1.केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित 15वें अखिल भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, 1994
2. विज्ञान परिषद प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा उत्कृष्ट विज्ञान लेख का "डॉ .गोरखनाथ विज्ञान पुरस्कार" क्रमशः वर्ष 1997 एवं 2005
3. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा आयोजित "हिंदी निबंध लेख प्रतियोगिता पुरस्कार", क्रमशः वर्ष 2013, 2014 एवं 2015
4. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा एनवायरमेंटल जर्नलिज्म अवॉर्ड्, 2014
5. सचिवालय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन समिति, उत्तर प्रदेश ,लखनऊ द्वारा "सचिवालय दर्पण निष्ठा सम्मान", 2015
6. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "साहित्य गौरव पुरस्कार", 2016
7.राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "तुलसी साहित्य सम्मान", 2016
8. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा "सोशल एनवायरमेंट अवॉर्ड", 2017
9. पर्यावरण भारती ,मुरादाबाद द्वारा "पर्यावरण रत्न सम्मान", 2018
10. अखिल भारती काव्य कथा एवं कला परिषद, इंदौर ,मध्य प्रदेश द्वारा "विज्ञान साहित्य रत्न पुरस्कार",2018
11. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा वृक्षारोपण महाकुंभ में सराहनीय योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र / पुरस्कार, 2019
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डॉ दीपक कोहली, पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश शासन,5/104, विपुल खंड, गोमती नगर लखनऊ - 226010 (उत्तर प्रदेश )
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