" कोविड- 19 की दवा: कितना सच कितना भ्रम" - डॉ दीपक कोहली- कोविड-19 वायरस विश्व के 200 से ज्यादा देशों में पहुंच चुका है। इस वायरस ...
"कोविड-19 की दवा: कितना सच कितना भ्रम"
-डॉ दीपक कोहली-
कोविड-19 वायरस विश्व के 200 से ज्यादा देशों में पहुंच चुका है। इस वायरस से दुनिया भर में 7,82,365 लोग संक्रमित हो चुके हैं. दुनिया भर में कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या 37,582 पहुंच चुकी है । भारत में कोविड-19 के 1250 से ज्यादा मामले पाये गए हैं। कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पूरे भारत में 21 दिनों तक लॉकडाउन की घोषणा की है।
इस महामारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण यह है कि अब तक इसकी दवा इजाद नहीं हो सकी है। दुनिया भर में मेडिसिन क्षेत्र के वैज्ञानिकों के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती है। वैज्ञानिक दिन रात एक कर के इसकी कारगर दवाई बनाने में जुटे हुए हैं। लेकिन सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों में ऐसी खबरें चल रही हैं कि अमेरीकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने इस वायरस की दवा बनाए जाने का दावा किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने अपने ट्वीट में बताया कि ''हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन मेडिसिन की दुनिया में बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है। एफडीए ने ये बड़ा काम कर दिखाया है- थैंक्यू.। इन दोनों एजेंट को तत्काल प्रभाव से इस्तेमाल में लाना चाहिए, लोगों की जान जा रही है। " ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफडीए ने कोरोना वायरस की दवा खोज ली है।ट्रंप ने इसे लेकर व्हाइट हाउस की मीडिया ब्रीफिंग में भी बयान दिया। उन्होंने कहा- ''हम इस दवा को तत्काल प्रभाव से उपलब्ध कराने जा रहे हैं। एफडीए ने काफी काबिलेतारीफ काम किया।ये दवा स्वीकृत हो चुकी है।"
इस बात की पड़ताल की गई कि क्या इन दो दवाओं का कॉम्बिनेशन कोरोना वायरस की औपचारिक दवाई है? साथ ही क्या अमेरिका के स्वास्थ विभाग की ओर से इसे स्वीकृत किया जा चुका है? ट्रंप के इस बयान के बाद 21 मार्च को ही अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में सीडीसी ने बताया कि कोविड-19 के मरीज़ों के लिए एफडीए ने कोई दवा अब तक अप्रूव नहीं की है।हालांकि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका सहित कई देशों में कोविड-19 के मरीजों के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
एक अध्ययन के मुताबिक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के साथ एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन कोरोना के असर को कम कर सकता है. इस रिपोर्ट में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के साथ एजिथ्रोमाइसिन के इस्तेमाल को 'अनकंट्रोल बेसिस' बताया गया है. इससे साफ है कि इस कॉम्बिनेशन को औपचारिक इलाज ना माना जाए.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने 23 मार्च को बताया,''हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल सिर्फ हास्पिटल वर्कर करेंगे जो कोविड-19 के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं, या फिर अगर किसी के घर में कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति है तो उसकी देखभाल करने वाला ही इस दवा का सेवन करे.।"
इसके अलावा ICMR ने एक प्रेस रिलीज जारी करके बताया है कि 'नेशनल टास्क फोर्स कोविड-19 का गठन किया गया है. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा वहीं ले सकते हैं जो कोविड-19 के ज्यादा जोखिम में हों.' अस्पताल में काम करने वाले वो कर्मी जो कोरोना वारयस से संक्रमित मरीज का इलाज कर रहे हों या जिनके घर कोई किसी शख्स को कोरोना पॉजिटिव पाया गया हो तो उससे संपर्क में रहने वाले भी इस दवा का सेवन कर सकता है।
ये दवा मान्यता प्राप्त डॉक्टर की सलाह पर ही दी जाएगी, लेकिन अगर इस दवा को लेने वाले व्यक्ति को कोरोना के लक्षणों के लक्षणों के अलावा कोई और परेशानी होती है तो उसे तुरंत अपने डॉक्टर को संपर्क करना होगा। हालांकि, एजिथ्रोमाइसिन के साथ इस दवा के कॉम्बिनेशन पर भारत में कोई बात नहीं कही गई है.
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना वायरस का इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है. देश में एक होम्योपैथिक दवा की भी फोटो और दवा का नाम खूब वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि यह दवा कोरोना वायरस के इलाज में कारगर है।इस दवा का नाम आर्सेनिक एलबम 30 है। सोशल मीडिया में चल रहे मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस एक तरह का वायरल इंफेक्शन है, जिसको होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एलबम 30 से नियंत्रित किया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस का होम्योपैथिक इलाज इससे बीमारी से काफी हद तक बचा सकता है. कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें. इस बारे में ईटी के रिसर्च करने पर यह पाया गया कि आयुष मंत्रालय के ट्विटर हैंडल पर इस महीने इस तरह की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए कोई दवा खाने की सलाह भी नहीं दी है।
कोरोना वायरस(COVID-19) की गिरफ्त में आकर विश्वभर में सैकड़ों लोगों की जान रोजाना जा रही है. समस्या ये है कि इस वायरस से लड़ने के लिए अभी तक कोई दवा या वैक्सीन ईजाद नहीं की जा सकी है।
कई अन्य रोगों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का इस्तेमाल कोरोना वायरस से पीडि़त लोगों पर किया जा रहा है. हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे लेकर पूरे विश्व को चेतावनी दी है कि ऐसा करना खतरनाक साबित हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी कि कोविड-19 के उपचार में बिना परीक्षण वाली दवाओं का इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है और इससे झूठी उम्मीदें जग सकती हैं। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टी. ए. गेब्रेयेसस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'देखिए, बिना सही साक्ष्य के बिना परीक्षण वाली दवाओं का इस्तेमाल करने से झूठी उम्मीदें जग सकती हैं। यह लाभ के बजाए ज्यादा नुकसान कर सकती हैं और आवश्यक दवाओं की कमी हो सकती है, जिनकी जरूरत अन्य बीमारियों के उपचार में होती हैं.।
सवाल लगातार उठ रहा है कि कोरोना वायरस से जान बचाने वाली दवा या टीका कब तक बन जाएगा। इसके लिए रिसर्च पूरे जोरों से चल रही है। वैज्ञानिक अभी जानवरों पर अनुसंधान की स्टेज पर हैं। इस साल के अंत तक इंसानों को इससे फायदा मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि वैक्सीन आने में एक साल का वक्त लग सकता है। वैज्ञानिकों ने इस साल कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बना भी ली, तो भी इसका बड़ी संख्या में उत्पादन होने में वक्त लगेगा। अतः सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे हैं भ्रम से हम लोगों को सावधान रहना होगा।
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लेखक परिचय
*नाम - डॉ दीपक कोहली
*जन्मतिथि - 17 जून, 1969
*जन्म स्थान- पिथौरागढ़ ( उत्तरांचल )
*प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा - हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा जी.आई.सी. ,पिथौरागढ़ में हुई।
*स्नातक - राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़, कुमायूं विश्वविद्यालय, नैनीताल ।
*स्नातकोत्तर ( एम.एससी. वनस्पति विज्ञान)- गोल्ड मेडलिस्ट, बरेली कॉलेज, बरेली, रुहेलखंड विश्वविद्यालय ( उत्तर प्रदेश )
*पीएच.डी. - वनस्पति विज्ञान ( बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)
*संप्रति - उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ में उप सचिव के पद पर कार्यरत।
*लेखन - विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1000 से अधिक वैज्ञानिक लेख /शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
*विज्ञान वार्ताएं- आकाशवाणी, लखनऊ से प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों में 50 से अधिक विज्ञान वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
*पुरस्कार-
1.केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित 15वें अखिल भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, 1994
2. विज्ञान परिषद प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा उत्कृष्ट विज्ञान लेख का "डॉ .गोरखनाथ विज्ञान पुरस्कार" क्रमशः वर्ष 1997 एवं 2005
3. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा आयोजित "हिंदी निबंध लेख प्रतियोगिता पुरस्कार", क्रमशः वर्ष 2013, 2014 एवं 2015
4. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा एनवायरमेंटल जर्नलिज्म अवॉर्ड्, 2014
5. सचिवालय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन समिति, उत्तर प्रदेश ,लखनऊ द्वारा "सचिवालय दर्पण निष्ठा सम्मान", 2015
6. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "साहित्य गौरव पुरस्कार", 2016
7.राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "तुलसी साहित्य सम्मान", 2016
8. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा "सोशल एनवायरमेंट अवॉर्ड", 2017
9. पर्यावरण भारती ,मुरादाबाद द्वारा "पर्यावरण रत्न सम्मान", 2018
10. अखिल भारती काव्य कथा एवं कला परिषद, इंदौर ,मध्य प्रदेश द्वारा "विज्ञान साहित्य रत्न पुरस्कार",2018
11. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा वृक्षारोपण महाकुंभ में सराहनीय योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र / पुरस्कार, 2019
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डॉ दीपक कोहली, पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश शासन,5/104, विपुल खंड, गोमती नगर लखनऊ - 226010 (उत्तर प्रदेश )
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