हिंदुस्तान नया बनाते हैं - राजेश गोसाईं

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1......हिंदुस्तान नया बनाते हैं है प्यार यहां का त्यौहार सदा हम ईद दिवाली मनाते हैं ऊंच नीच जात पात से उठ कर हम हिंदुस्तान नया बनाते हैं...

1......हिंदुस्तान नया बनाते हैं

है प्यार यहां का त्यौहार सदा
हम ईद दिवाली मनाते हैं
ऊंच नीच जात पात से उठ कर
हम हिंदुस्तान नया बनाते हैं

ऐसे कण कण सारी
दुनिया से उठा कर
हम हिंदुस्तान नया बनाते हैं

आशीष है ये भारत मां का
हर रीत में प्यार की भाषा है
हैं प्रीत यहां हर नर नारी में
अमन चैन भाईचारे की अभिलाषा है

सारी दुनिया में जिसका मान बने
उस पावन भूमि पे
हम हिंदुस्तान नया बनाते हैं

यहां हर दिल में हिंदुस्तान बना
यहां हर त्यौहार का मान बना
आया दुश्मन का झोंका कोई
यहां हर दिल इक चट्टान बना

टकरा के भंयकर तूफानों से
बदल के रुख हवाओं के
हम हिंदुस्तान नया बनाते हैं

आदर है मेहमान का बहुत यहां
वो भगवान से भी प्यारा होता है
यहां पूजा है पत्थर को हमने
इंसान भी ममता की धारा होता है

शिरोमणि विश्व का
विजयेता है हर दिल का
चरणों में भारत मां के हम
नित्य शीश झुकाते हैं
हम हिंदुस्तान नया बनाते हैं
राजेश गोसाईं
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2.....वीरान - बगिया

खिला ना फूल अभी तक
मेरी जिंदगी में कोई
कांटों ने मिल कर
उम्र सारी खून में डुबोई

सूनी सूनी सी हैं पतियां
चुप है हर डाली
हरियाली की गोद भी
अब तक है खाली

माली ने चमन की
सुध-बुध कहां खोई
सुख के कांटों में बहारें
आंसुओं में भिगोई

फूल तन्हाइयों में भी
खिल जाता है कोई
ना जाने क्यों मेरी
बगिया ये वीरान होई

अब तो खिला दे फूल
इस वीराने में
जमाने में मैं खूब रोई
या बता दे बगिया....ये....
.............वीरान क्यों होई
राजेश गोसाईं
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3.....मैंने देखी है

मैंने देखी है
इन आंखों से महकती दुनिया
बागों में फूल
और वो खुशबू लुटाती कलियां
याद कर लो
उन्हें भी जो शहीद ए वतन होते हैं
आजादी के वो खिले सुमन होते हैं
मैंने देखी है
उनके मुरझाने से ये खिलती दुनिया

उनकी बलिदानी से
नूर चमन में होता है
इक तिरंगा ही तो
उनका आखिरी कफन होता है
गुलज़ार कर जाते हैं जो वतन
लुटा कर अपनी बगिया
मैंने देखी है
उन वीरों को नमन करती दुनिया

चांद सूरज की तरह
होते हैं देश के प्यारे
देश के लिए ही वो
अमर हो जाते हैं सारे
उनके छुप जाने पे सदा दीप जले
मैंने देखी है
उन सितारों से उजली
चमकती दुनिया
राजेश गोसाईं
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4......चल चल रे

चल चल रे नौजवान चल चल रे
जरा उठ के तू चल
उस पथ पे तू चल
जहां देश रहा जल जल रे

तेरी रगों में है खून
तेरे दिल में जुनून
तेरा दृढ़ मनोबल
कर सेवा तू अटल चल चल रे

शत्रु कितने भी आये
कोई बचने ना पाये
तोड़ हर दल दल
कर अटल पटल हल चल रे
राजेश गोसाईं
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5......फर्ज.....

देश प्रेम के लिये हम
कितना फर्ज निभाते हैं
हम राष्ट्र गान भी गाते हैं
हम राष्ट्र गीत भी गाते हैं
हम त्यौहार आजादी के सब
मिल जुल कर खूब मनाते हैं
संकट जब भी देश पे आया
हम राष्ट्र धर्म भी खूब निभाते हैं
देश प्रेम के गीत गाकर
घर घर में तिरंगा फहराते हैं
लेकिन कुछ लोगों को छोड़ भी दें तो
कितने लोग अपने दिल में
यह तिरंगा लगाते हैं
देश प्रेम के डंके तो हम खूब बजाते हैं
बजता हो राष्ट्र गान जहाँ
वहाँ कितने लोग रुक जाते हैं
इस झण्डे को देख कर
कितने लोग शीश झुकाते हैं
देश प्रेम के लिये हम
कितना फर्ज निभाते हैं
हम गीत संविधान के भी गाते हैं
हम संसद में लड़ने जाते हैं
लोकतन्त्र के मंदिर में हम
स्वतंत्र कहाँ रह पाते हैं
कहाँ रह गया है
स्वतंत्र या गणतंत्र दिवस
अब तो गणतंत्र के साये में
जनतंत्र राष्ट्रीय त्यौहार मनाते हैं
घर घर में हम आपस में ही
लड़ लड़ के मर जाते हैं
पर देश प्रेम के लिये हम में से
कितने लोग देश के लिये मर जाते हैं
देश प्रेम के लिये हम
कितना फर्ज निभाते हैं
राजेश गोसाईं
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6....ज्योति क्लश.....

ओंस के मोतियों से सजाई हुई
भोर की लाली किसे पेश करूं......
ये स्वर्णिम धागों की पिरोई हुई
रेशमी सुबह मैं किसे पेश करूं......
ये मुस्काई हुई अरुण रश्मियां
ऊषा के ललट पे शरमाई हुई
नहाई हुई कलियों की लतायें
सौंधी सी सुबह किसे पेश करूं.....
गुनगुनाई हुई किरणों की कतारें
गुलाबी धूप में ये खिलती बहारें
ये सिंदूरी फलक के गिरे नजारे
ये ज्योति क्लश मैं किसे पेश करुं......
शुभ्र आँचल धरती का फैला
मंगल घट छलक के आया
उजाले ने दी सुख की छाया
ये अमृत गागर मैं किसे पेश करूं.....
राजेश गोसाईं
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7...मेला....

मेला....मेला.....मेला....
ये जिन्दगी का मेला......
यहाँ सांसों की महफिल है
यहाँ मौत का उत्सव
यहाँ लाशों का व्यापार
है इंसानों का खेला
मेला...मेला...मेला.....
ये जिन्दगी.......
ना कोई अपना पराया है
रिश्तों की दुकानें हैं
स्वार्थ का तमाशा देखो...
है सुख दुख का ठेला
मेला....मेला....मेला....
ये.जिन्दगी.....
खाली हाथ आया था खाली ही जाना है
जरुरत से ज्यादा फिर क्या कमाना है
ना साथ आया कोई ना संग जायेगा
नेकी कर फिर तू चल अकेला...
मेला....मेला....मेला......
ये जिंदगी.......
कठपुतलियों की रौनक
बाजार कलाबाजों का है
झूठ बेईमानी के मंच पर
चल रहा सांसों का रेला
मेला....मेला....मेला....
ये जिंदगी.....
ये जिंदगी का मेला
ये रंज ओ गम का मेला
कभी कम ना होगा
ये गम और खुशी का झमेला
माटी के पुतलों से सजा
है दुनिया का ये मेला
जिन्दा लाशों से चलता
है ये मौत का मेला......
मेला...मेला...मेला...
ये जिंदगी.....
राजेश गोसाईं
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8....बगिया

ये झूमती हुई कलियां
ये महकी हुई कलियां
मुस्कायेंगी गायेंगी लायेंगी
खुशियों की बगिया.......
वो चहकता होगा
वो महकता होगा
सावन जीवन का बरसता होगा
झिलमिल सितारों में
रिमझिम बहारों में
मुस्कायेंगी गायेंगी लायेंगी
खुशियों की बगिया..........
हम तुम्हारे होंगे तुम हमारे
खिलेंगे फूल प्यारे प्यारे
आँगन हमारे होंगे चाँद सितारे
सिंदूरी किरणों का जादू धरती मिलन में
रातें हमारी जगमगायेंगी चमकायेंगी गुनगुनायेंगी.....
खुशियों की बगिया.........लायेंगी.......
राजेश गोसाईं
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9....सफर

जिस सफर पे चला.....
उस सफर पे मुझे...........
हमसफर अभी तो कोई ना मिला........
दर्द बहुत मेरे संग ही चले......
हमदर्द मुझे तो कोई ना मिला.........
हर मोड़ पे पत्थर मिले.....
हर राह में काँटों का किला......
जहाँ देखूं काँच के टुकड़े थे............
हम साया कोई ना मिला......
सिला गम का यहाँ बहुत ही चला........
हमदम मुझे तो कोई ना मिला.......
किस मोड़ पे किस को सदा दूं ......
कौन सुनेगा मैं किस को आवाज दूं......
साथी ना कोई यहाँ राही कोई ना मिला......
चला तो चला काफिला .....
काँटों का ही चला......
राह सारी मैं अकेला ही चला......
सहारा मुझे तो कोई ना मिला.....
दर्द मुझसे बोला मैं दर्द से बोला.....
बेदर्द जमाने में हमदर्द कोई ना मिला....
बर्फ की तरह हम सर्द हुये....
सिलसिला गर्द बेचैनियों का मिला....
चैन मुझे तो कोई भी कहीं ना मिला...
राजेश गोसाईं
*****

10....निशानी

देकर अपने गीत मैं .....
निशानी छोड़ जाऊंगा.....
दुनिया के होंठों पे .....
मैं बोल बन जाऊंगा.....
माटी का खिलौना हुँ
माटी के मोल बिक जाऊंगा......
किसी को हंसाया था.....
किसी को रुला के छोड़ जाऊंगा....
ये जीवन बहती धारा....कलल कल...
दूरी - बिरह- ये बिछड़ा किनारा......
कहाँ मिलन कहाँ होगा कोई सहारा......
कोई गीत -संगीत तराना बन जाऊंगा......
चार दिन की जिन्दगी . होनी अनहोनी ...
टूटे बन्धन जोड़े ये मन की सलोनी ....
होगा कोई ना पाँचवां दिन .....
डोरी ये सांसों की तोड़ जाऊंगा....
कोई झोंका हवा का गीत गाये.....
दरिया कोई - मेरा संगीत बन जाये...
यादों में, किस्सों में, मैं बन के ताने...
होंठों पे सबके रह जाऊंगा...
राजेश गोसाईं
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11...==नजर

जहाँ मुनियों की धरती है
हिन्दुस्तान नजर आता है
जहाँ धर्म की ज्योति है
इंसान नजर आता है
मुझे तो फख्र है कि मैं , पैदा यहाँ हुआ
जहाँ देखूं हर शख्स
मुझे भगवान नजर आता है
मुहब्बत है फूलों से
चाँद तारों से भी हम प्यार करते हैं
किसी के दामन में सागर
हर आँचल में दुलार मिलते है
जहाँ दिलों में ईमान नजर आता है
ऊंच- नीच ना कोई
हर आँख आसमान नजर आता है
तिरंगा एक फहरा है
अमन का जहान कहते हैं
जहाँ देखूं ये पहरा है
सिपाही हर दम तैयार रहते हैं
जहाँ एकता का त्यौहार
हिन्दुस्तान शक्तिमान नजर आता है
वहाँ देखूं गले मिलता
हिन्दु -मुसलमान नजर आता है
राजेश गोसाईं
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12.....चुनरी

बांध लूं कमर पे......
या रख लुं सर पे इसे ......
गोरी तेरी चुनरी ...............
जो उड़ के गिरी मुझ पे ............
खता हवा की .....
या है तेरी रजा की ...............
ये बता दे जरा .......................
गोरी तू छत पे खड़ी .......................
रेशम के धागों में सजी......
तेरे इकरार की निशानी .........
गोरी तेरी चुनरी.......
जो चौबारे पड़ी
राजेश गोसाईं

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 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. 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श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड 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रचनाकार: हिंदुस्तान नया बनाते हैं - राजेश गोसाईं
हिंदुस्तान नया बनाते हैं - राजेश गोसाईं
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