वेलेंटाइन की एक दोपहर - हरीश सम्यक

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वेलेंटाइन डे - प्रेम दिवस विशेष रचना. रचनाकार के पाठकों के लिए वेलेंटाइन डे पर एक सरल सी प्रेम मुलाकात की दिलचस्प प्रेम कहानी. वेलेंटाइन की ...

वेलेंटाइन डे - प्रेम दिवस विशेष रचना. रचनाकार के पाठकों के लिए वेलेंटाइन डे पर एक सरल सी प्रेम मुलाकात की दिलचस्प प्रेम कहानी.


वेलेंटाइन की एक दोपहर

हरीश सम्यक

सर्दियों की ये दोपहर जैसे बहुत खुशगवार लग रही है,पतझड़ है पर फिर भी फूलों पर बहार है। हरी घास से ढका मैदान और उसके किनारे पर खिले गुलाब और गेंदा के फूल,मानो कोई प्रेमिका रंग बिरंगे फूलों की कढ़ाई वाला हरा शाल लिए अलसाई सी पड़ी हो। बीचों बीच लगे एक बेंच पर एक लड़का और लड़की दिख रहे है। दोपहर का ये समय इस पार्क में ज्यादा भीड़ भाड़ वाला नहीं है। बस इधर उधर कुछ प्रेमी प्रेमिकाएं हंसते खिलखिलाते,छुपते छिपाते जैसे अपनी ही दुनिया में खोए हैं।

"तुम्हारी खुशबू मुझे पागल कर देती है, जैसे किसी नए पैदा हुए बच्चे से आती है, कौन सा परफ्यूम है ये ?"

" खुद तो तुम परफ्यूम में पूरे नहा के आते हो जैसे कोई जलती हुई सुगंधित अगरबत्ती महक रही हो। मुझे तो वैसे ही जुकाम हो जाता है परफ्यूम से  ....इसलिए मैंने कभी नहीं लगाया ....तुम्हें तो बस ऐसे ही डायलाग सूझ रहे है ....तुम्हें अपनी ही महक आ रही होगी।"

"लो डायलाग कैसा, जो है सो है, बाकी पता तो हिरन को भी नहीं होता कि कस्तूरी की जो महक उसे महसूस होती है वो उसके अंदर ही है।"

"अच्छा तो अब तुम मुझे हिरन बना डालो।....खुशबु ....हिरन ...कस्तूरी ....आजकल कविता भी लिखने लगे हो क्या ....तुम्हारे एच आर डिपार्टमेंट का तो भगवान् ही मालिक .....हे भगवान मेरे इस प्यार को बेरोजगार मत कर देना।"

"कभी कभी तो कवि और शायर होने में क्या जाता है ....और तुम्हें हिरन नहीं बना रहा मेरी प्यारी हिरनी, मस्त आंखों वाली....सच पूछो तो ये प्रेमी हर पल तुम्हारी याद में पागल रहता है।"

" रहने दो आज कुछ ज्यादा ही हो रहा है ..आज डायलाग डे नहीं है साहब .... तुम्हें तो फ़िल्म लाइन में जाना चाहिए, रोमांटिक फिल्मों के डायलॉग बहुत अच्छे लिखोगे।"

"अच्छा, और ये जो फ़िल्म हम दोनों के बीच चल रही है, उसके डायलाग फिर कौन लिखेगा, मुझे तो यही फ़िल्म हिट करनी है, हम दोनों की सुपर डुपर हिट।"

शमा और मयंक दोनों खिलखिलाकर हंसते हैं। शहर के ये पार्क पिछले दो सालों से उनके लिए मिलन स्थल बना हुआ है। वेलेंटाइन डे था तो रौनक थोड़ी और बढ़ गई थी। शमा का मासूम चेहरा मयंक की गोद मे था और वो धीरे धीरे शमा के मुलायम बालों में अपनी उंगलियां घुमा रहा था, बीच बीच मे वो शमा का माथा चूम लेता। शमा के गालों पर लाली उभर आती। आज दोनों के बीच प्यार पूरे वेग से उमड़ रहा था। पार्क के पीछे ही कही गीत बज रहा था...दिल दीया गल्ला....करांगे नाल नाल बहके....अख नाल अख जी मिलाके.....। जैसे इस गीत के बोल एक लहर की तरह मयंक के शरीर में दौड़ गए। वो भी साथ में गुनगुनाने लगा। वो शमा की आंखों में जैसे कही दूर खोता जा रहा था।

"खट खट खट.....।" जैसे इस आवाज ने पूरे दृश्य पर कट बोल दिया हो।

पार्क का एक चौंकी दार पार्क के बीच लगे खंबे पर डंडा खटखटाता हुए आया। शमा और मयंक एक दूसरे में डूबे हुए थे। दोनों को पता ही नहीं चला कि कब वो चौंकी दार उनके नजदीक आ पहुँचा।

"अरे भाई लोगों, जरा आराम से बैठो, पहलवानी मत करो।" चौकीदार बड़ी बेबाकी से बोला।

शमा ने एकदम अपने आपको व्यवस्थित किया और सहम सी गई।

"अरे वाह, भाई साहब, वेलेंटाइन डे मुबारक, आप भी मनाइए, हमें भी मनाने दीजिए"। मयंक ने कहते हुए चौंकी दार को अपने पर्स से पचास रुपये का नोट निकाल कर दे दिया।

"शुक्रिया, आप दोनों की मुहब्बत खूब तरक्की करे, पर जरा ध्यान से , आजकल पार्क में कुछ लोग आशिकों की धर पकड़ कर रहे हैं, आप बच के रहिए, हमारी तो ड्यूटी है।" चौंकी दार मयंक को टुच्ची सी आंख मार कर खिसक लिया।

"मयंक चलो ...कहीं और चलते है ,वरना मुझे यही लगता रहेगा कि इस चौकीदार की आंखें अब हमें छिप के ताड़ रही होगी ,...मेरी तरफ तो ऐसे देख रहा था मानो खा ही जायेगा ....चलो  हमें चलना चाहिए।"शमा थोड़ा भयभीत थी।

"अरे यार....क्या हुआ, इतना जल्दी घबरा जाती हो।...और तुम्हें खाने के लिए मैं बैठा हूँ मेरी डेरी मिल्क ...चौकीदार कैसे खा जायेगा .... वो चला गया है, उसे भी आज का दिन मनाना है यार , समझो।" मयंक ने हंसते हुए कहा और शमा को बांहों में ले लिया।

"अच्छा अब ये पहलवानी करना छोड़ो, चौकीदार फिर आ धमकेगा ..पूरा बेशर्म है।" शमा ने मयंक की बांहों से खुद को छुड़ाते हुए कहा।

"अब चौकीदार है, इतना बेशर्म होना तो बनता है...शर्म करेगा तो अपनी ड्यूटी कैसे कर पायेगा ...बताओ भला ..।"मयंक चुहल के मूड में था।

"पिछले साल वाला सीन याद है ... ऐसे ही वो मेन  मार्किट के पास वाले पार्क में संस्कृति दल वालों ने ऐसे ही लड़का लड़की को पकड़ा था, फिर  सारे शहर में वीडियो वायरल हुई, याद है तो जरा सीरियस हो लिया करो।" शमा अब भी सहमी हुई थी।

"अब भई संस्कृति दल वालों से वो डरे जिनके रिश्ते कच्चे हैं, हमें कोई पकड़ेगा तो कह देंगे कि शादी पक्की है, ज्यादा समस्या है तो यही फेरे दिलवा दो।"

"तुम्हें न बस बाते बनानी आती हैं, इतना आसान नहीं होता सब कुछ, आफिस में अभी तक सब छुपते छुपाते हो रहा है, डर लगता है हर पल।"

"क्यों डर किस बात का, दोनों प्यार करते हैं, खाते कमाते हैं, हां छुप के मिलने वाली बात ठीक है, कहो तो कल सामूहिक घोषणा करवा देते हैं।"

मयंक शमा की हर बात को सहजता से ले रहा था।

शमा ने अपने पर्स की डोरी को अपनी कलाई पर लपेटते हुए कहा, "घोषणा करवाओगे, अखबार में निकालोगे...तुम बस डायलाग मारते रहा करो। अभी बहुत टाइम है ये सब करने के लिए, जरा सब्र रखो। वो आफिस वाली प्रियंका जो तुम्हारी टेबल के इर्द गिर्द घूमती रहती है न, पूरी खोज खबर निकालती है।"

"अरे तुम उस भोली लड़की प्रियंका  पर ऐसे ही शक न किया करो, उसके भी दिन हैं चुहल मचाने के।"

"इतनी ही भोली है तो उसे भी यहीं बुला लेते, मना लेते वेलेंटाइन। अपने आपको कैटरीना कैफ से कम नहीं समझती वो मैडम। तुम पर पूरी आँख रखे हुए है ,जरा सम्भल के रहना ..." शमा ने जैसे नाराजगी जताने के अभिनय किया।

"मुझे उसकी आँख देखने का टाइम तो तब मिले जब आपके खूबसूरत चेहरे से नजर हटे... अच्छा वैसे क्या खोज खबर निकाल ली उसने।"

"तो सुनो परसों ही मैंने आज के दिन के लिए छुट्टी अप्लाई की ताकि आज के बारे में हम दोनों पर किसी को शक न हो ,....... तो पूछने लगी कि घर में सब ठीक ठाक तो है, ..सोचा था वेलेंटाइन डे वाले दिन इकट्ठे बाजार की रौनक़ देखने चलेंगे। क्या पता कोई मिल ही जाये ... अब तुम उस दिन छुट्टी ले रही हो।"

"फिर...तुमने क्या कहा।"

"कहना क्या था, मैं उसकी नीयत को अच्छी तरह समझती हूँ , कह दिया कि कोई रिश्ते वाले देखने आ रहे हैं, अगर बात न जमी, तो तुम्हारे घर का पता दे दूंगी, ब्याहने लायक तो तुम भी हो ही।"

"हा हा, ...फिर ...।"

"फिर क्या, जलती भुनभुनाती अपनी सीट पर भाग गई। मैंने कई बार देखा है जब आफिस में हम दोनों कोई बात कर रहे हो ,हमारी तरफ ही आँखें गड़ी रहती हैं। पर उसे क्या पता चिड़िया कब पानी पी लेती हैं। " शमा का मूड जैसे अब सही हो गया था।

"हा हा ....ये तुमने सही किया, मैंने भी जब आज हॉफ डे लिया, तो तपाक से पूछने लगी कि वेलेंटाइन डे मनाने जा रहे हो चुपके चुपके ...।"

"अच्छा, बड़ी बदतमीज है, गले ही पड़ रही है।"

"अरे यार गुस्सा नहीं करते, मैंने भी नहीं किया बस यही कहा कि हमारी किस्मत में कहाँ वेलेंटाइन, मुझे तो लड़की देखने जाना है, घर वाले पीछे पड़े है। "मयंक ने कहकर शमा को चूम लिया।

"हे भगवान तुम भी हद करते हो, अब उसे पक्का शक हो जाएगा हम दोनों पर।"

"होता रहे, हू केयर्स। जिंदगी इतनी भी शर्मा कर नहीं जी जाती। और हाँ उसे ज्यादा कुछ जानने की खुजली उठ रही हो तो कल ही सबसे पहले उसे बता देते हैं .....पर किसी का दिल बहला रहे तो बहला रहे ..तोड़ने में क्या मजा ...।अपने बीच तो जो है वो है ही ...।"

"अच्छा छोड़ो, अब कही और चलते हैं।"शमा ने मयंक का हाथ पकड़ते हुए कहा।

"हां चलो, साढ़े तीन बज रहे हैं, लंच करने चलते हैं, पांच बजे तक तो साथ रहोगी न।"

"हां बाबा, पांच बजे तक हूँ, ममा से मैंने तुमहारे बारे में बात की थी। आज छह बजे तक भी एडजस्ट हो ही जाएगा। अब छुपाया भी नहीं जाता ,पिछले दिनों शादी को लेकर घर में कुछ बात हुई तो मैंने ममा को हौसला जुटा के बता ही दिया .... तुम चलो अब।"

"अरे वाह, ये तुमने अच्छा किया...अच्छा यार ..जरा बताओ तो सही ...हमारी सासु माँ को क्या क्या बताया ...”।

“अब इतनी भी मैंने ममा के सामने तुम्हारी कुंडली डिस्कस नहीं की ...बस ये बताया कि लड़का मेरे साथ ही कंपनी में असिस्टंट मैनेजर है और हम दोनों पिछले दो सालों से इकठ्ठे ही काम कर रहे है और ....हम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं।”

“वाह ...चलो यही अच्छा है ...  मैंने भी माँ से बात की थी। माँ ने शायद फोन पर हमारी बात चीत सुनी...जिस दिन तुम्हारी मिस काल कुछ ज्यादा ही आ रही थी ..और मुझे तुमसे बात करने के लिए छत पर जाना पड़ा था। नीचे उतरा तो माँ अपने सवाल लिए तैयार खड़ी थीं ... मैंने कहा, माँ ..लड़की अच्छी है, अभी मन बना रहा हूँ। माँ कहने लगी शादी का कुछ फाइनल हो तो जरा पहले बता देना, कही कोर्ट मैरिज करके घर लौटो ,....अब  एक बेटा है, धूमधाम से शादी तो बनती ही है।" मयंक ने जैसे माँ का अभिनय करके बताया।

“हम्म तो बात अब काफी आगे बढ़ गई है ...और शहादत का दिन नजदीक है।” शमा ने जैसे लम्बी सांस छोड़ी और खड़ी हो गई ।

“शहादत का नहीं ....हमारे कम्पलीट मिलन का ....हैप्पी एंडिंग तो सीन की यही है जान।”

मयंक ने कहते हुए सामने खड़ी शमा को बांहों में पकड़ कर उठा लिया।

“हैप्पी एंडिंग सीन से पहले जरा सस्पेंस तो रहता...मतलब अपनी फिल्म में कोई  भी कही अड़ नहीं रहा  ...तुम्हें नहीं लगता कि अपनी स्टोरी कुछ ज्यादा ही स्मूथ चल रही है .........और  यार हर बार इंडियन लव स्टोरी में  जरुरी तो नहीं कि कुछ ड्रामा हो ...मेट्रो सिटी है ..इतनी एडवांसमेंट तो बनती है ....ये भी हो सकता है हम लकी हो इस मामले में। ....हाँ वैसे कुछ  बंदिशें तो हैं ही ...अब देखो न आज के दिन जी तो मेरा ये चाहता है कि एक लम्बी ड्राइव हो...रोमांटिक गाने हो ...,हम दोनों हो. और टाइम लिमिट न हो...पर तुम्हे एक निश्चित समय पर ही लौटना है ..और ये शायद तब तक रहेगा जब तक हमारे रिश्ते का सोशली एप्रूव्ड सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता ...मतलब शादी वादी। ” मयंक ने शमा के हाथ को सहलाते हुए कहा।

“जी जनाब वो तो है ..अब वादी में हनीमून मनाने जाना है तो शादी तो करनी ही पड़ेगी। अब ज्यादा फलसफा मत झाडो और चलो ....मुझे भूख लगी है बहुत जोर से ....।”

“जो हुक्म मेरी आका ,बन्दा आपकी जी हुजूरी के लिए हाजिर है ....चलिए ...।” मयंक और शमा एक दूसरे का हाथ पकडे हँसते खिलखिलाते चल दिए।

शमा और मयंक के बीच खिलती हुई  मुस्कुराहट पूरे पार्क में फैल गई थी जैसे। आस पास के पेड़ों पर बैठे तोते जोर जोर से चियाँ चियाँ करते शोर करने लगे, मानो वो भी मयंक और शमा के इस प्यार की खुशी मना रहे हो। ढलती हुई दोपहर जैसे और भी ज्यादा मोहने लगी थी।

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रचनाकार: वेलेंटाइन की एक दोपहर - हरीश सम्यक
वेलेंटाइन की एक दोपहर - हरीश सम्यक
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