उर्मिला पचीसिया द्वारा अनूदित दस लोकप्रिय अंग्रेज़ी कविताएँ (1) ...
उर्मिला पचीसिया द्वारा अनूदित
दस लोकप्रिय अंग्रेज़ी कविताएँ
(1)
सपने ( कवि लेंगस्टोन ह्यू )
(Dreams)
सपनों को दृढ़ता से पकड़े रखो
क्योंकि सपनों के मुरझाने पर..
ज़िंदगी पर कटे पक्षी सी ,
उड़ने के क़ाबिल नही रहती !
सपनों को दृढ़ता से पकड़े रखो
क्योंकि सपनों के बिखर जाने पर..
ज़िंदगी हिमाच्छादित ज़मीन सी
बंजर बन जाती है !
(2)
प्रतिदिन नव जीवन है (कवि - रॉबर्ट विलियम सर्विस )
( Each Day A Life)
( Each Day A Life)
हर दिन को मैं लघु जीवन मानता हूँ,
जनम और मृत्यु सहित संपूर्ण जानता हूँ !
प्रेम और कलह से उसे मैं दूर ही रखता हूँ,
उसकी स्वस्थता और माधुर्य का तब ही सुख भोगता हूँ !
उत्सुक निगाहों से मैं (हर) सुबह का इंतज़ार करता हूँ,
अपने को नवजात बालक समझ ,
उल्लसित सा, ख़ुशहाल घूमता हूँ !
सूरज का तेज़ जब क्षीण होने लगता है,
और मैं (भी) थक जाता हूँ,
मैं फिर जी पाऊँगा, इस अहसास के साथ,
मैं हर्षित हो, सो जाता हूँ !
यह जीवन भी एक दिवस जैसा ही होता है,
उज्जवल, मधुर और ख़ुशगवार ,
और तभी (हर) शाम मैं कहता हूँ कि
“मैं सोता हूँ ,जागृत होने को हर बार !”
(3)
नन्ही चिड़िया ( कवि रॉबर्ट फ़्रॉस्ट)
(A Minor Bird)
मैं चाहता था कि वह चिड़िया उड़ जाए,
और मेरे घर पर दिन भर न गाए !
अपने हाथों से उस पर ,दरवाज़े से, मैंने कितनी तालियाँ बजाईं,
अपने हाथों से उस पर ,दरवाज़े से, मैंने कितनी तालियाँ बजाईं,
जब लगा मेरी सहनशक्ति अब देने लगी है दुहाई !
कुछ हद तक ग़लती मेरे में ही रही होगी,
कुछ हद तक ग़लती मेरे में ही रही होगी,
चिड़िया अपने गायन के लिए दोषी कैसे होगी ?
और वास्तव में कहीं कोई तो गडबड रही होगी,
किसी भी गीत को शांत करने की चाह गर रही होगी !
और वास्तव में कहीं कोई तो गडबड रही होगी,
किसी भी गीत को शांत करने की चाह गर रही होगी !
(4)
डटे रहना (कवि जॉन ग्रीनलीफ व्हिटियर)
(Don't Quit)
जब समय अनुकूल न हो, जो अक्सर होता ही है,
चयनित पथ तुम्हारा जब दुर्गम बन जाए,
पूँजी जब कम हो और क़र्ज़ भारी हो जाए,
आप मुस्कुराना चाहें पर आह निकल आए,
दायित्व जब बोझ सा लगने लग जाए ,
दायित्व जब बोझ सा लगने लग जाए ,
अगर चाहो तो सुस्ता लेना पर तुम पीछे मत हटना !
जीवन अपने उतार-चढ़ाव के साथ विचित्र होता है,
जिसका अनुभव हम सबने एक बार किया होता हैं !
और कई लोग तो (हताश हो) मुड़ ही जाते हैं,
कोशिश करते रहने पर वे विजयी भी बन सकते हैं !
रफ़्तार धीमी लगे फिर भी तुम हार मत मानना,
रफ़्तार धीमी लगे फिर भी तुम हार मत मानना,
प्रयत्नशील के सम्मुख सफलता को पड़ता ही है झुकना !
अक्सर मंज़िल बहुत क़रीब ही होती है,
पर निर्बल-हताश व्यक्ति को वह विलीन दिखती है !
संघर्षशील अक्सर घबड़ा जाता है,
विजय- पदक के क़रीब जब वह पहुँच जाता है !
और समय बीतने पर उसको समझ आता है,
वांछित मुराद को जब हाथों से निकला हुआ वह पाता है !
वांछित मुराद को जब हाथों से निकला हुआ वह पाता है !
सफलता विफलता के अंदर ही होती है,
संदेह के बादलों में आशा-किरण सी रहती है !
आप (मंज़िल के) कितने पास हैं आपको कभी अहसास नही होता है !
आप (मंज़िल के) कितने पास हैं आपको कभी अहसास नही होता है !
और दूर लगते हुए भी वह आपके नजदीक ही होता है !
अत: मुश्किल समय में भी सदा संघर्षरत रहना ,
अत: मुश्किल समय में भी सदा संघर्षरत रहना ,
हालात बदतर लगें तब भी तुम डटे रहना !
(5)
स्वर्ण भी मिटने से बच नही पाता है (कवि - रॉबर्ट फ़्रॉस्ट)
(Nothing Gold Can Stay)
प्रकृति की प्रथम हरितिमा स्वर्णिम होती है, ,
पर उसकी यह हरियाली रोके नही रूकती है !
पर उसकी यह हरियाली रोके नही रूकती है !
उसके पूर्व पल्लव ही पुष्प बन कर खिलते हैं ,
पर वे भी अल्पसमय तक ही जीवंत रहते हैं !
पर्ण ही पर्ण पर जब शमित हो जाता है,
स्वर्गिम आनंद तब वेदना बन जाता है !
प्रभात भी दिवस में विलीन हो जाता है,
स्वर्ण भी मिटने से बच नही पाता है !
(6)
मुस्कान (कवि अज्ञात)
(Smile)
इसका कोई मोल नही पर दिल खोल कर देती है
हर पाने वाले को खुशियों से भर देती है
देने वाले को कभी भी निर्बल नही करती है
पलक झपकते ही निपट कर ,यादों में समा जाती है
उसके साथ चल सके, ऐसा कोई धनवान नही
इसको पाकर प्रसन्न न हो, इतना भी कोई अज्ञान नही
इससे घरों में ख़ुशहाली छा जाती हैं
व्यापार की समृद्धि और भी बढ़ जाती है
और (क्या कहें) दोस्ती का पर्याय भी यही है
क्लांत का विश्राम, हतोत्साहित का उत्साह यही है
उदासीन का आनंद और समस्याओं का सहज निदान यही है
अनुनय विनिमय मोल या हरण इसका, संभव नही होता है
उदासीन का आनंद और समस्याओं का सहज निदान यही है
अनुनय विनिमय मोल या हरण इसका, संभव नही होता है
क्योंकि बाँटें बिना इसका कोई अस्तित्व ही नही होता है
उन पर करें न्योछावर जिनके जीवन में इसकी कमी है
आनंदहीन जीवन में ही स्मित की विपुल महिम है
(7)
अपनी मदद से रहो प्रसन्न (कवि हेलेन स्टेनर राइस)
(Help Yourself To Happiness)
सब लोग हर जगह
खुशी तलाशते हैं, यह सही है..
पर उसे पा कर सँजोए रखना..
आसान नही होता है !
कठिन है क्योंकि ..
हम ख़ुशियों को तलाशते हैं वहाँ..
धन और.मान..
भरपूर हो जहाँ !
हमारी खोज निरंतर चलती रहती है..
सुख देने वाली जगहों पर..
पहचान बनाने..और..
धन का ख़ज़ाना पाने की आस पर !
इस बात से अनभिज्ञ कि
खुशी केवल एक मानसिक अवस्था है
जिसे हर कोई हासिल कर सकता है
दया का भाव जिसके दिल में
सबके लिए उमड़ता है !
दूसरों को खुशी देने से
हमें भी प्रसन्नता मिलती है
खुशी जो तुम लोगों में बाँटते हो
तुम्हारे जीवन को रोशन कर देती है !
(8)
(The Blade And The Ax)
‘जो’ के कारख़ाने के तख़्त पर, एक दूसरे के निकट बैठ कर,
उसकी कुल्हाड़ी कटार से बातें कर रही थी, अपना दिल खोल कर !
कुठार बोली कटार से, “तुम कितने नन्हें और निर्बल से लगते हो,
जिन कार्यों को मैं करती हूँ, तुम उन्हे कभी नही कर सकते हो !
“वृक्ष की डालियाँ काटने को ‘जो ’ मेरा ही प्रयोग करता है,
काठ के पुठ्टों का विभाजन, मेरे जितनी सुगमता से, कौन कर सकता है ?
काम करने में मेरी चतुराई, कभी तुम्हें देखनी चाहिए,मेरे भाई !
कटार ने कुल्हाड़ी को जवाब देते हुए कहा,”यह सच है,
तुम आसपास रहते हो, तो कठिन काम सरलता से हो जाता है
पर तुम कभी नही कर सकते, वो सारे काम ‘जो’ मुझसे ही करवाता है।”
“ हमारी बनावट की भिन्नता का सम्मान करो !
मुझसे बेहतर होने के दावे का मन से त्याग करो
शक्तिशाली कुठार हो या साधारण सी कटार,
‘जो’ के लिए हम दोनों हैं बराबर के मददगार !
अंत में दोनों ने अपने गुण-दोषों को माना,
कोई भी सर्वगुणसम्पन्न नही होता, इस सत्य को पहचाना !
आश्वस्त हो, मित्र बन दोनों ने एक दूजे को किया स्वीकार,
कुठार और कटार के बीच फिर कभी न हुई सम्मान की तकरार !
(9)
अवकाश (कवि विलियम हेनरी डेविस)
( Leisure)
यह जीवन क्या है, दायित्वों का संसार है
जी भर कर निहारे, इतना समय किसके पास है ?
वृक्ष के नीचे क्षण भर सुस्ताने का भी वक़्त कहाँ ?
दूर चर रही मवेशियों को देखने का आनंद कहाँ ?
मार्ग में आए विपिन की शांति को महसूस करें वह सुख कहाँ ?
धरती में दबाए गिलहरी के दानों को खोजने का वक़्त कहाँ ?
दिन के उजाले में (दायित्वों से) फ़ुर्सत कहाँ?
रजनी के तारों सी भरी निर्झरी के दर्शन का लुफ़्त कहाँ?
स्थिर रह सुंदरता को सराह सकूँ ऐसा नसीब कहाँ ?
नाचते थिरकते उन पैरों की मस्ती को देखने रुकूँ कहाँ ?
उसकी दोस्ती को प्रतीक्षारत रहूँ ,इतना अवसर मुझे कहाँ ?
उसके नयनों की मुस्कान थाम लूँ,ऐसा मेरा भाग्य कहाँ ?
कर्तव्यों के बोझ तले यह ज़िंदगी ख़ुशगवार कहाँ ?
जी भर कर निहारें, इतना समय यहाँ है कहाँ ?
(10)
सोच ( कवि वॉल्टर व्हीटनी)
(Thinking)
खुद को पराजित समझोगे तो परस्त ही हो जाओगे,
हिम्मत हार कर मंज़िल तक कैसे पहुँच तुम पाओगे ?
मन में विजय की आस हो,पर निराशा साथ हो,
निश्चित है फिर आपके पराजय ही हाथ हो !
कुंठित सोच वालों के विफलता ही हाथ आती है
दुनिया के अनुभव से यह बात स्पष्ट हो जाती है
सफलता मानव मनोरथ पर निर्भर होती है
चूँकि वह (मानव) मनोदशा की फलश्रुति होती है
दूसरों को बेहतर समझने वाला, प्रगति कैसे कर सकता है
ऊँची सोच रखने वाला ही , ऊँची उड़ान भर सकता है
अपने मन में क्या है पहले उसकी थाह ज़रूरी है
विजय-पथ पर चढ़ने को यह सोपान ज़रूरी है
जीवन को संघर्षों से मुक्त कर पाना, आसान नही होता है
बलवान हो या गुणगान ,यह सबको सहना पड़ता है
पर शीघ्रतिशीघ्र वो ही इंसान विजयी होता है
जीतने की चाह को जिसने अपनी साँसों से सींचा है
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