वह कुत्ता मेरे द्वारा स्कूटर घर से निकालते देख कर एक आतंकवादी की तरह छुप जाता था। जैसे ही मैं स्कूटर आगे बढ़ाता वह एक आतंकवादी की तरह हमला ...
वह कुत्ता मेरे द्वारा स्कूटर घर से निकालते देख कर एक आतंकवादी की तरह छुप जाता था। जैसे ही मैं स्कूटर आगे बढ़ाता वह एक आतंकवादी की तरह हमला कर देता था, फिर तब तक मुझे खदेड़ता था जब तक कि मैं खुद के ही मोहल्ले से बाहर नहीं हो जाता।
उसका दूसरे मोहल्ले में स्थानान्तरण करवाने के लिये मैं नगर निगम के महापौर जी से मिलने गया उन्होंने मुझे आदर के साथ बिठाया। फिर बोले '"मतदाता, एक माह बाद चुनाव होने वाले हैं मुझे ही वोट देना।
मैंने कहा "श्रीमान जी मैं तो एक कुत्ते का स्थानान्तरण दूसरे मोहल्ले में करवाने के लिये आया हूँ। श्रीमानजी बोले 'देखो, मुझे श्रीमान जी मत कहा करो। मुझे 'सर" कहकर सम्बोधित किया करो। सर के सम्बोधन में जो गरिमा है वह श्रीमान में कहां? और उस कुत्ते का अभी 'ट्रांसफर नहीं हो सकता क्योंकि अभी आचार संहिता लगी है"
मैं आश्चर्य में पड़ गया। मैंने कहा "सर कुत्तों पर आचार संहिता कब से लगने लगी? ठीक है वह बोले लेकिन आवेदन तो तुम दे रहे हो। बाय द वे वह कुत्ता तुम्हारे स्कूटर के पीछे ही क्यों पड़ता है। उसका इतिहास मालूम हो तो उसका भूगोल बदला जाये। मैं उस कुत्ते की गंदी हरकत का इतिहास बतलाने लगा मैंने कहा पहले वह कुत्ता मेरे साब का कुत्ता था साहब मुझे भी कुत्ता समझता था। यह परम्परा तो अंग्रेजो के जमाने से चली आ रही है और इस परम्परा को चलते रहने देना चाहिए उन्होंने टोका।
मगर अब प्रजातंत्र है साहब। अब तो साहब लोगों को जनता और अधीनस्थ कर्मचारियों को कुत्ता नहीं समझना चाहिये। मैंने गुस्से से लाल होकर कहाँ कहाँ है प्रजातंत्र ? गिल जाये तो मेरे पास लाना। मुझे प्रजातंत्र से मिल कर खुशी होगी। मैं उठ कर जाने लगा तो वे बोले बैठो-बैठो बिस्कुट खाओगे। आजकल बगैर बिस्कुट खाये कुत्ते की पूंछ नहीं हिलाते। आदमी को अपने अंदर के कुत्ते को नहीं मारना चाहिये। आदमी का विकास जानवरों से हुआ है। चार्ल्स डारविन की थ्योरी है। उसकी आदमियत तो मर गई पर उसके अन्दर का जानवर नहीं मरा।
गैने कहा "सर हम विषय से भटक रहे है। जब मैं साहब से मिलने जाता था तो वे तो नहीं उठते थे पर इस कुत्ते को मुझे बाहर तक छोड़ कर आने को कहते थे। मगर यह कुत्ता मुझे न केवल बंगले के बाहर तक बल्कि उनके मोहल्ले के बाहर तक खदेड़ देता था महापौर जी बोले हर साहब एक उल्टा कुत्ता होता है। वह नीचे तो गुर्राता है पर ऊपर पूंछ हिलाता है।
फिर क्या हुआ? मैंने जवाब दिया फिर साहब का स्थानान्तरण हो गया। पर वे उनके साथ उस कुत्ते को साथ नहीं ले गये। वे हर नई जगह पर नया कुत्ता पालते थे उनकी जगह पर जो नये साहब आये थे वे पुराने कुत्तो को पसन्द नहीं करते थे उन्होंने वह कुत्ता हमारे मोहल्ले में छुड़वा दिया। अब वह कुत्ता मेरा सफेद स्कूटर देखता है तो मेरे पीछे पड़ जाता है।
वह पेवाव का सिद्धांत है जो जर्मन वैज्ञानिक था। उसके अनुसार जब उसी समय पर वही स्टिमुलस" को वही प्रतिक्रिया होती है। अतः तुम्हारे पुराने साहब के न रहने पर भी जब वह तुम्हारे सफेद स्कूटर देखता है तो कुत्ता मोहल्ले के बाहर खदेड़ देता है उन्होंने गेरा ज्ञानवर्द्धन किया है।
मैंने झल्लाकर कहा 'यह सब और जो कुछ भी ज्ञान आप मुझे देना चाहते हैं मैं 'इन्टरनेट से डाउनलोड कर लूंगा।
मैंने भी यही किया है वह बाले आज भी प्रजातंत्र में प्रजातंत्र की गुलाम है। तुम नगर निगम के कमिश्नर से मिल लो। उन्हीं को सारे कायदे कानून मालूम है। उन्हें मालूम है कि कब किस कानून से किस प्रकरण से जकड़ना है। मैंने तो जनप्रतिनिधियों की परम्परा का पालन करते हुये तुम्हारे आवेदन पर लिख दिया है कि नियमानुसार कार्यवाही की जावें अब तुम्हारे मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में उस कुत्ते का ट्रांसफर करने के लिये वही नियम बनायेंगे। यही परम्परा मंत्री से लेकर सरपंच तक चली आ रही है और हां अगले चुनाव में वोट मुझी को देना।
मैं जब कमिश्नर जी के कमरे ("चेम्बर, क्योंकि चेम्बर बड़ा होता है) तो वह मूर्तिमंत्र प्रशासन बैठा हुआ था बल्कुल बुडहाउण्ड की तरह। वे कम बात करते थे। उन्होंने मात्र इशारे से पूछा कि मैं उनसे मिलने क्यों गया था मैं उन्हें विस्तार से विवरण बतलाने लगा तो वे वे बोले 'कट शार्ट मैं अंग्रेजी जानता था मैंने कहा सर मैं एक कुत्ते का ट्रांसफर मेरे मोहल्ले से करवाना चाहता हूँ।
वे बोले पप्पी से मिलो। मैं आश्चर्य में पड़ गया। मुझे पहली बार मालूम पड़ा कि बड़े कुत्ते छोटे कुत्ते पाला करते है। मैं कमरा क्रमांक तेरह में गया तो नेम प्लेट पर लिखा था पप्पी सिंह।
तो ये उनका नाम था उनका पद नहीं। उन बाबू साहब को स्वतंत्र कमरा दिया गया था। बाकी सब एक ही कमरे में घुसे थे। वे गुर्रा कर बोले बको"| मैं दो कदम पीछे हट गया। फिर हकलाते हुये बोला मुझे एक कुत्ते का ट्रांसफर मेरे मोहल्ले से करवाना है। वैसे तो मेरे पास छरें वाली बंदूक भी है। "उसे मारने की गलती मत करना पप्पी सिंह बोले नहीं तो जानवरों के विरूद्ध क्रूरता करने के आरोप में धर लिये जाएगा।
मैं गुस्सा होकर बोला यदि सांप मुझे काट खाये तो उस पर कोई घारा नहीं लगती पर हम उसे जान बचाने के लिये मार दें तो जंगली कानून के तरह मुझे सजा हो जायेगी। कुछ हिंसक जानवरों को मारने की तो आदमियों को स्वतंत्रता होना चाहिये।
वह उपेक्षा से बोला देखो तुम्हारी फाइल काफी वजनदार है उसे ऊपर सरकाने के लिये नीचे से ताकत लगानी पड़ेगी। मैंने पांच हजार नीचे से सरकाये तब वह बोला ठीक है तुम्हारा काम कल हो जायेगा। सचमुच में दूसरे दिन वह कुत्ता मुझे मोहल्ले में नहीं दिखा। मोहल्ले वाले दुःखी हो गये। उनके मनोरंजन का एक साधन चला गया। मैंने भी चैन की सांस ली।
पर फिर तीसरे दिन उसका ट्रांसफर उस मोहल्ले से इस मोहल्ले में हो गया पहले वह उसके और मोहल्ले वालों के मनोरंजन के लिये मुझे दौड़ाता था। इस बार वह क्रोधित होकर मेरे पीछे पड़ा। मैं भी घर से एक डंडा (कानून) उठा कर ले आया और उसने पीठ पर जड़ दिया।
उस पेवलाब' की थ्योरी के विरूद्ध इस प्रतिक्रिया की आशा नहीं थी वह मुझे डर से देखता हुआ कूं कूं करके भाग गया। उसके बाद वह हमारे मोहल्ले में नहीं दिखा।
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डॉ कौशल किशोर श्रीवास्तव
171 विशु नगर , परासिया मार्ग
छिंदवाड़ा , मध्यप्रदेश 480001
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