बैगा जनजाति की लोक कथाएँ -3.राजकुंवर और तेली की बिटिया - डॉ.विजय चौरसिया

SHARE:

3.राजकुंवर और तेली की बिटिया डां.विजय चौरसिया एक राजा था। उसका नाम शेर सिंह था। उसका एक बेटा था। वह बचपन से ही एक तेली की बेटी रुपैनी के साथ...

image

3.राजकुंवर और तेली की बिटिया

डां.विजय चौरसिया

एक राजा था। उसका नाम शेर सिंह था। उसका एक बेटा था। वह बचपन से ही एक तेली की बेटी रुपैनी के साथ खेलता - कूदता था। जिसके कारण बड़े होने पर दोनों आपस में प्रेम करने लगे। एक दिन राजकुमार एक साधु के पास गया। वह तेली की बेटी भी उसी साधु के पास पहुंची। राजकुमार को नहीं मालूम था कि रुपैनी उसी साधु के पास जाने वाली है। दोनों साधु की कुटिया में मिले। दोनों ने साधु के यहां जाकर पूजा - पाठ किया और अपनी मुराद पूरी करने के लिए साधु से वरदान मांगा। तब साधु ने कहा आज मैं तुमको किसी भी प्रकार का वरदान नहीं दे सकता। तुम दोनों कल सुबह मुर्गा के बोलते ही मेरी कुटिया में आ जाना।

उसके बाद दोनों साधु की कुटिया से जाने लगे। अब दोनों एक साथ चलने लगते हैं। रास्ते में जोर से ऑधी - पानी एक साथ आ गए। वह दोनों पानी से बचने के लिए एक झोपड़ी में घुस जाते हैं। उसी समय एक बैल भी उस झोपड़ी में आ गया। बहुत देर तक पानी गिरता रहा। दोनों पानी बंद होने की रास्ता देखते रहे। पानी गिरना बंद नहीं हुआ। वे दोनों उस झोपड़ी के अंदर सो गए। परंतु दोनों एक साथ नहीं सोये। राजकुमार एक कोने में सोया तो रुपैनी दूसरे कोने में सोई। बैल भी उन दोनों के बीच में जाकर बैठ गया। राजकुमार ने अपने और रुपैनी के बीच अपनी तलवार और कुछ लकड़ियां रख दी थीं।

बहुत सुबह पानी बंद हो गया और मुर्गा बोलने के कुछ समय बाद दोनों उठ गए। दोनों जल्दी - जल्दी साधु की कुटिया में पहुंचे। वहां पर दोनों ने पूजा की और साधु से आशीर्वाद मांगा। तो साधु ने कहा अब बहुत समय हो गया तुम लोग मुर्गा के बोलते ही क्यों नहीं आये। राजकुमार ने विनती की और कहा महराज जोर से आंधी तूफान आ गया था! जिसके कारण हम लोग घर भी नहीं गए और बगीचा में एक झोपड़ी के अंदर रात भर सोते रहे। यह सुनकर साधु नाराज हो गया। वह कहने लगाः तुम दोनों जब एक साथ सोए थे। तो तुमने जरुर पाप किया होगा। राजकुमार और रुपैनी ने कहा महराज हम लोगों ने कोई पाप नहीं किया। हम दोनों के बीच एक तलवार,एक लकड़ी और एक बैल था। साधु ने बैल से पूछा : क्या यह लोग सच बोल रहे हैं। तो बैल ने कहा : हां महाराज ये लोग सच बोल रहे हैं। तब साधु ने उन दोनों पर हल्दी ड़ाली और तुलसी के सात फेरे दिलाकर दोनों का विवाह कर दिया।

उसके बाद राजकुमार और रुपैनी वहां से अपने घर जाने लगे। तब रास्ते में नगर के लोगों ने देखा कि राजकुमार तेलीन के साथ नगर में घूम रहा है। राजा के सैनिकों ने यह बात राजा को बता दी। राजा ने अपने बेटे को बुलाया और कहा कि तुमने रुपैनी के साथ पाप किया है। राजकुमार ने कहा नहीं मैं कसम खाकर कहता हूं कि मैंने उसकी बेटी के साथ किसी भी प्रकार का पाप नहीं किया है। राजकुमार ने अपने पिताजी से यह नहीं बताया कि उसकी शादी तेलीन के साथ हो गयी है। क्योंकि दोनों ने नगर में प्रवेश करते समय हल्दी वाले कपड़ों को उतारकर दूसरे कपड़े पहन लिए थे।

राजा ने राजकुमार से कहा कि तुम तेलीन से विवाह मत करना। इससे हमारी बहुत बदनामी होगी। क्योंकि वह दूसरी जाति की है। फिर राजा ने उस तेली को बुलाया और कहा कि वह अपनी लड़की का विवाह जल्दी कहीं पर कर दे। तेली ने कहा मैंने अपनी बेटी के विवाह के लिए लड़का खोज लिया है। तब राजा ने अपने बेटे को बुलाया और कहा बेटा मेरा विचार है कि तुमको अपना राजपाट सौंप दूं। इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम एक बार जाकर अपना पूरा राज्य देखकर आओ।

फिर राजकुमार ने अपना घोड़ा निकाला और एक सहीस और एक सिपाही को अपने साथ रख लिया। कुछ दूर चलने के बाद राजकुमार थक गया और एक बड़े पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगा। उसी दिन रुपैनी की शादी होने वाली थी। रुपैनी ने एक पत्र लिखा और उसे अपने तोता के पैर में बांधकर कहा कि इसे अभी जाकर राजकुमार को ले जाकर दे दे। तोता उड़ गया और राजकुमार के पास उसी पेड़ के ऊपर जाकर बैठ गया और गाना गाने लगा।

बारह वर्ष से मित्र हो

मित्र तुमको बुलाया है

जब सिपाही ने उस तोता को ऐसा गाते सुना तो उसने अपने धनुष से उस तोता को मारने की सोचा पर तोता उस पेड़ के पत्तों में छिप गया। कुछ देर बाद राजकुमार सो कर उठ गया। तो तोता उस पेड़ से उतर कर नीचे आ गया। वह आकर राजकुमार के पास आकर बैठ जाता है। राजकुमार ने उसके पंखों के पास एक पत्र देखा और उसे निकालकर पढ़ने लगा। वह समझ गया कि उसके बाप और सिपाही ने उसे धोखा दिया है। वह नाराज होकर सिपाही को मारने लगता है। इसके बाद सिपाही वहां से भाग जाता है। तब राजकुमार ने रुपैनी के लिए एक पत्र लिखा कि मेरे आते तब तुम घर में ही रहना। ऐसा पत्र लिखकर राजकुमार ने पत्र को तोता के पंखों में बांध दिया। राजकुमार ने तोता से कहा वह जल्दी जाकर पत्र रुपैनी को दे दे।

राजकुमार अपने घर पहुंचने के लिए बहुत जल्दी में था। उसने घोड़ा को निकाला और उसे दौड़ाने लगा। उसी समय उसके घोड़े के पंख लग गए और वह आकाश में उड़ने लगा। कुछ देर में राजकुमार अपने महल में पहुंच गया। महल में जाकर राजकुमार अपने कमरे में चला गया। कुछ देर बाद रुपैनी की बारात निकली। राजकुमार ने जैसे ही बारात देखी तो वह गुस्से में आ गया और अपनी तलवार से सभी बरातियों को मार ड़ाला। राजुकुमार ने दूल्हा और दोषी को छोड़ दिया था। उसने उस दोषी को इसलिए नहीं मारा कि उसने ही साधु के यहां उसकी लगुन पढ़ी थी। उसने बाजा बजाने वालों को भी नहीं मारा। क्योंकि राजकुमार का विचार था कि वह बाजा वाले उसकी शादी में बाजा बजायेंगे। कुछ देर बाद जब उसकी गुस्सा शांत हो गई। तो उसने देखा कि उसने बहुत से आदमियों को अपनी तलवार से काटकर मार दिया है। उसे बहुत दुख हुआ।

तब उसने अपने घर से अमृत पानी और बेल काठ का ड़ंड़ा लाया और सभी को बेल काठ का ड़ंड़ा सुंघाया और सबके मुंह में अमृत का पानी ड़ाला। जिससे सभी बराती जिदा होकर खड़े हो गए। इसके बाद राजकुमार अपने घर वापस आ गया। तेलीन का विवाह हो गया। बराती उसे विदा करके ले गए।

राजकुमार को इतना दुख हुआ कि उसने साधु बनने का विचार कर लिया। उसने राजकुमारों वाली पोशाक उतारी और अपने शरीर में भभूत लगा ली और कंधे मृग छाला ड़ाली और हाथ में कुबरी ड़ंड़ा रखा और साधु का भेष रखकर तेलिन की खोज में चल दिया।

जब राजकुमार उस शहर में पहुंचा जहां रुपैनी अपने पति के साथ रहती थी। तब राजकुमार उस नगर के पहले वाले घर में गया। वहां पर एक बूढ़ी रहती थी। राजकुमार ने उस बूढ़ी से कहा कि वह वहां रहना चाहता है। तो बूढ़ी ने कहा : उसके ही रहने के लिए जगह नहीं है। उसे कहां से रखेगी। तब राजकुमार ने उस बूढ़ी को बीस रुपया दिया तो बूढ़ी ने उसको ऑगन में सोने के लिए जगह दे दी। दूसरे दिन राजकुमार गाते हुये भीख मांगता सारे नगर में घूमते फिर रहा था। वह नगर भर में गाना गाता घूम रहा था किः

राजा शेरसिह का बेटा

जोगी हो गया भैया

मांगता है रुपैनी का दान

उस तेली के नौकर ने जाकर उस तेली को यह विचित्र गाना के बारे में बताया। तो उस तेली ने उस साधु को अपने घर पर बुलाया, घर पर आते ही साधु फिर से वही गाना गाने लगा। तेली उस साधु के गाना को नहीं समझ पाया। परंतु तेली की पहले वाली औरत उसके गाने को समझ गई। उसे अच्छा नहीं लग रहा था की रुपैनी तेली की छोटी औरत बने। तब उसने साधु से कहा कि रुपैनी यहां पर नहीं है! वह ऊपर की अटारी में है। जब साधु को मालूम हो गया कि रुपैनी कहां है। तो वह तेली से कहता है कि उसे आज की रात अपने घर में रुकने का सहारा दे दे। तेली ने उसे ऑगन में रहने के लिए कह दिया। तब साधु ने तेली से कहा तुम अपने घर के ऑगन में एक राम बांस लगा लो। तब तेली ने ऑगन में राम बांस लगा लिया। राम बांस रात को रुपैनी की खिड़की तक बढ़ गया। साधु बना राजकुमार रात को उस बांस के सहारे खिड़की तक चढ़ गया और रुपैनी के कमरे में जाकर उसे अपने साथ भागने के लिए कहने लगा। रुपैनी भी उसके साथ भागने के लिए तैयार हो गई। साधु ने उससे कहा कि तुम अपनी ऊंगली को खिड़की के बाहर दिखा देना ! तो मैं समझ जाऊंगा कि तुम तैयार हो गई हो। ऐसा कहकर वह नीचे वापस ऑगन में आ गया।

रात को रुपैनी ने अपनी अंगुली खिड़की के बाहर निकाल दी! जिससे राजकुमार समझ गया कि रुपैनी तैयार हो गई है। इसके बाद राजकुमार फिर से उसी बांस के सहारे उस खिड़की के पास आया। उसने अपने ड़ंड़ा को निकाला और उसको सांप बना दिया। उस सांप ने रुपैनी की ऊंगली में काट दिया। जिससे रुपैनी की मृत्यू हो गई। साधु बना राजकुमार उस बांस के सहारे नीचे उतरा और रात को ही उस बूढ़ी के पास वापस आ गया । जिसके पास रुका था।

दूसरे दिन सुबह तेली ने देखा कि उसकी पत्नी की मृत्यू हो गई है! तो वह सुबह - सबह उसकी लाश लेकर अंतिम संस्कार के लिए शमसान घाट ले गया। उसी समय साधु बना राजकुमार रुपैनी की लाश के पास आया और तेली से कहा मैं इसका अंतिम संस्कार कर दूंगा। तुम लोग यहां से चले जाओ। सभी लोग चले गये। तब साधु ने रुपैनी के मुंह में अमृत पानी ड़ाला और बेल काठ का ड़ंड़ा सुंघाया! जिससे रुपैनी फिर से जिंदा हो गई। साधु ने रुपैनी को चिता से उठाया और वहां से दोनों भाग गए। कुछ दूर खड़ा रुपैनी का पति यह सब देख रहा था। उसका पति उन दोनों के पीछे दौड़ा। साधु उस बूढ़ी के घर पर आ गया। वह तेली भी उसके पीछे - पीछे आ गया! उस बूढ़ी ने उस तेली को बगीचा में बुलाया। तेली बगीचा में गया। तो उस बूढ़ी ने एक गन्ना तोड़कर उस तेली को खाने दिया। बूढ़ी ने उस तेली से पूछा : यह गन्ना कैसा लगा। तेली ने कहा बहुत ही मीठा था अच्छा लगा। बूढ़ी ने दूसरा टुकड़ा काटा और उसे खाने दिया फिर पूछा : अब यह टुकड़ा कैसा लगा। तब तेली कहता है यह पहले वाले से कम मीठा लग रहा है। तब बूढ़ी ने गन्ना के सबसे ऊपर के भाग को तोड़ कर खाने को दिया और पूछा यह कैसा लगा। तब तेली ने कहाः यह बिलकुल भी मीठा नहीं है। ऐसा कह कर उसने उस गन्ना को थूक दिया। तब उस बूढ़ी ने कहा : जैसा यह गन्ना फुनगी की तरफ से बिलकुल मीठा नहीं लग रहा है। उसी तरह तुम्हारी औरत है। जिसे वह साधु लेकर भाग गया है। क्योंकि वह उस साधु को चाहती है। इसलिए तुम उसे वापस लेने मत जाओ। तेली उस बूढ़ी की सलाह मान गया और उसे वापस लेने नहीं गया। राजकुमार अपने राज्य में लौट गया। जब वह राजकुमार अपने महल में पहुंचा तब राजा ने अपना राज्य राजकुमार के हाथों में सौंप दिया। राजकुमार उस राज्य में राज करने लगा और अपनी पत्नी तेली की लड़की रुपैनी के साथ खुशी - खुशी रहने लगा।

कहानी अब समाप्त हो गई। कहानी बतलाने वाला झूठा है। इस कहानी पर विश्वास करने वाला गंवार। जिस प्रकार से राजकुमार के जीवन में खुशी आई उसी प्रकार सबके जीवन में खुशी आये।

---

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: बैगा जनजाति की लोक कथाएँ -3.राजकुंवर और तेली की बिटिया - डॉ.विजय चौरसिया
बैगा जनजाति की लोक कथाएँ -3.राजकुंवर और तेली की बिटिया - डॉ.विजय चौरसिया
https://drive.google.com/uc?id=1lGMS_QPy9_k2A62f8IJr6c94Mv9zdj1J
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2020/01/3.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2020/01/3.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content