# क्या खोया क्या पाया जी लो जीवन जी भरकर कल को किसने देखा है जो बीत गया सो बीत गया आज का पल ही सच्चा है। मेरी गाड़ी मेरा बंगला सबको ...
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क्या खोया क्या पाया
जी लो जीवन जी भरकर
कल को किसने देखा है
जो बीत गया सो बीत गया
आज का पल ही सच्चा है।
मेरी गाड़ी मेरा बंगला सबको
मैंने बनाया है
पेट-काटकर रुपया जोड़ा
बेटे के लिए बचाया है।
आई सी यू में लेटा अब
सांसे तन पर भारी है,
बेटा छोड़ परदेश गया
बंगला बिल्कुल खाली है।
रिश्ते नाते कोई नहीं है
मैंने धन कमाया था
मेरे अपने साथ नहीं अब
जिस पर जीवन गंवाया था।
अब तो जी लें आज को हम
कल को कल पर छोड़ दे
आज सम्भालो खुशियों की पोटली
कल ईश्वर पर छोड़ दें।
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा
#स्वागत है श्री राम
चलो मंगल गीत गायें
हम सबको गले लगाएं
प्रभु राम जी आते हैं।
अयोध्या फूलों सा सजाएं
मन से द्वेष हटाएँ
प्रभु राम जी आते हैं।
कोटि कोटि जन मानस के
प्रभु हृदय में सदा ही रहते हैं
रघुकुलनन्दन का दिव्य मन्दिर
सपनों में जिनके बसते हैं।।
सुबह जिनकी राम राम
शाम राम से होती है
जीवन के आधार हैं राम
रामायण यही कहती है।
ये जीत हार का प्रश्न नहीं
भूल चूक का सुधार है
रामलला की जन्मभूमि पर
राम का ही अधिकार है।
आओ समता एकता से
मिलकर एक इतिहास रचें
राम रहीम दोनों मिलकर
इस माटी का श्रृंगार करें।।
राम कणों से व्यापक
घट घट में विस्तार है
शून्य से अनन्त तक
उनका विस्तृत आकार है।
स्वागत है स्वागतम समरसता भारत का रंग है
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
हिंदुस्तानी अंग हैं।
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा
*मेरा संविधान*
मैं जनतंत्र का प्रहरी निर्भीक हिन्दुस्तांन हूँ
प्राण हूँ जन गण मन का भारत का संविधान हूँ।
गांधी सुभाष के वचनों का
आजाद भगत के सपनो का
गुलामी की मुक्त बेड़ियो का
मैं लिखित पहचान हूँ
मैं भारत का संविधान हूँ।
थोड़ा कठोर थोड़ी नरमाई
मुझमें सर्वहारा समाया है
वंचित शोषित दीनजनों ने
मुझसे मरहम पाया है
सर्व हिताय बहुजन सुखाय
की प्रमाणिक दास्तान हूँ
मैं भारत का संविधान हूँ।
दांडी सविनय सत्याग्रह को मैंने अविचल देखा है।
अभिव्यक्ति की आजादी आज मेरे लिए अनोखा है।
टुकड़े करते भारत के वो ऐसे नारे लगाते है
रोती मेरी आत्मा जब वो बम फेक भी जाते हैं।
बदले परिवेश से विचलित हैरान हूं
मैं भारत का संविधान हूँ।
संसद की मर्यादा देखी
कुर्सी टेबल टूटते हैं
आरोपों प्रतिउत्तरों से मूल्य नित ही गिरते हैं।
मुझमें विश्वाश बसा जन गण का
हिंदुस्तानी स्वाभिमान हूँ
मैं भारत का संविधान हूँ।।
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा
*श्रद्धांजलि प्रियंका*
*इंसानियत मर गई*
गिद्ध से नोचते मांस के लोथड़े
हैवानियत का नाच कपड़ों के चिथड़े।।
गिरा हुआ गर्दन वो बेटी का बाप
चीखती प्रियंका समाज का अभिशाप।।
चुप्पी समाज की कैसी ये घुटन
न्याय का मंदिर चरित्र का सड़न।
निर्लज शरीर धिक्कारती पुकार है
घिसटती प्रियंका बेशर्म बाज़ार है।
सहमी सी बेटियाँ प्रश्न हजार है
सभ्य समाज में ऐसा दुराचार है।
शांति के दूत अब केंडल निकाल लो
लो इंसानियत फिर गिरी बाजार सम्भाल लो।
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा
सतरंगी चूड़ियां
तेरी चूड़ियों की खनक से
मन मोर हो जाता है।
आहट होती है तेरे आने की
ये दिल को धडकाता है।।
सतरंगी चूड़ियां जीवन के
रंग दिखाती हैं
मेरे सपनों को एक आकार
दे जाती हैं
इन्ही चूड़ियों की खनक से
अबोध शिशु लोरी सुनता है,
हाथों में पिया के श्रंगार बन
खनकता है।
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर
*बिटिया जल्दी घर आना*
बिटिया जल्दी घर आ जाना
दुर्योधन सारे घूर रहें हैं
दुशासन बन के बीच चौराहे
द्रौपदी को घसीट रहें है।
नर पिशाच ये नराधम
अपनी मां की कोख लजाएँ हैं।
निर्भया से प्रियंका तक
अगनित पीड़ित बालाएं हैं।
कृष्ण अब केंडल पकड़ते
सुदर्शन चलाना भूल गए हैं
धृतराष्ट्र बना समाज हमारा
मूक बधिर बन मृत हुए हैं।
शिखण्डी हैं युवा जो पब जी पब जी करते हैं
धिक्कार है उनकी जवानी पर
जो मर मर कर अब जीते हैं।
आग बुझी नहीं वहशियों की
बेटियां अभिशप्त लाचार है
दुर्भाग्य नारी लुटती रही
पुरुषत्व हमारा बीमार है।
नारी जननी सृष्टि की
तुम चामुंडा अवतार धरो,
सन्धान करो तुम शस्त्रों का
दानवों का स्वयं संहार करो।।
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर
8224043737
#किस्सा प्याज का
शतक लगा है प्याज का
किचन में छाई वीरानी है।
बेस्वाद लगे हर सब्जी अब तो
आंखों में सिर्फ पानी है।।
कोई गहना बना के दिखता
तिजोरी में प्याज रखवाई है
टिक टाक वीडियो में देखो
प्याज की रुसवाई है।
कल ही बिखरा था सड़कों पर
जब प्याज कीमत न पाया था
खेतों में प्याज छोड़कर
किसान घर को आया था।
इसी प्याज की महिमा देखो
संसद में भी उछला है
गरीबों की थाली से देखो
प्याज कैसे आज फिसला है।
प्याज बना स्टेटस सिम्बल
जहां प्याज सलाद में मिलता है
मध्यम वर्ग की बजट पर
प्याज भारी पड़ता है।
अब तो अपनी भाव मे आओ
प्याज तुम्हारा इंतजार है
पनीर मसाला पकौड़े बिना
सुना ये संसार है।
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर
*आभार तेलंगाना पोलिस*
है धन्य तेरी श्रद्धाजंलि गर्वित तेरी जवानी है।
हर गोली में तेरा अविचल निश्चय
बहाया गन्दा पानी है।
निर्भया से ट्विंकल तक हमने पैशाचिक कृत्य देखा था।
केण्डलो की कतारों में मां को
रोते ही बस देखा था।
कितनी कोमल हृदयों को उसने तार तार कर डाला था
बिटिया सहमी घर मे बैठी
आत्मा को छलनी कर डाला था।
तेरे इस जवाब से नौजवां
हिदुस्तानी सीना विशाल हुआ
पैशाचिक कृत्यों का ऐसे ही
बीच बाजार हिसाब हुआ।।
*गर्व है तेलंगाना पोलिस*
*धन्यवाद*
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा
8224043737
*दरकते रिश्ते*
सिमटता समय बढ़ती दूरियां
दरकते रिश्ते कहां है कमियां।
खोता विश्वास बढ़ता हुआ द्वेष,
गिरता ईमान छद्म है वेश।
पाश्चात्य प्रभाव छोटा परिवार
विलुप्त संस्कार जीवन व्यापार
बढ़ता तापमान गिरता ईमान
पैशाचिक कृत्य निष्कृष्ट अभिमान
खोया मान बुजुर्गों का सम्मान,
छोटा है मन ऊंचे मकान।
पिता का आदर्श मां का ध्यान
भूलता बचपन गुम है इंसान।
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा
:*भय*
जब भय का हो आवरण
सड़कों पे दुशासन दिखते हैं
तब लीलाधर के तर्जनी से
चक्र सुदर्शन निकलते हैं।
आज भय में बेटी माताएं
निर्भया भयातुर लुटती है
कभी ट्विंकल जैसी कली
वीभत्स कृत्य झेलती है।
भय नापाक इरादे तालिबानियों का
जो आतंकी ठेकेदार है
भय अपनों से भी घर में है
जो इनके पहरेदार हैं।
भय दूर करो ये भयहर्ता
सन्धान सुदर्शन कर आओ
है वसुधा भयंतुर पिशाचों से
इनसे मुक्ति दिलवाओ
हे कृष्ण धरा में फिर आओ।।
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा छत्तीसगढ़
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