1... मधुबन..... भारत का यह मधुबन प्यारा खिलता रहे यह गुलशन सारा सदा तरक्की करवाने वाला सभी जनों को हर्षाने वाला अन्न धन अमृत बरसाने वाला...
1... मधुबन.....
भारत का यह मधुबन प्यारा
खिलता रहे यह गुलशन सारा
सदा तरक्की करवाने वाला
सभी जनों को हर्षाने वाला
अन्न धन अमृत बरसाने वाला
चमके जग में यह सितारा
भारत का यह मधुबन प्यारा
खिलता रहे यह गुलशन सारा
मेहनत करें हम क्षण क्षण में
जीत मिले कलयुग के रण में
खुशियां बरसे सदा हर मन में
ध्यान कभी ना हटे हमारा
भारत का यह मधुबन प्यारा
खिलता रहे यह गुलशन सारा
शान ना इसकी जाने पाए
सदा इसका मान बढ़ायें
सेवा कर हम आगे जायें
कोटि कोटि नमन हमारा
भारतका यह मधुबन प्यारा
खिलता रहे यह गुलशन सारा
फूल सदा हम ऐसे लगायें
खुशबू इसकी सब ओर फैलायें
सबके मन को जो भाये
महके भारत का आंगन सारा
खिलता रहे यह गुलशन सारा
भारत का यह मधुबन प्यारा
राजेश गोसाईं
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2......नई बहार
ये सुबह आई है
ये खुशियां लाई है
देखो नया साल यहां
अरे ये जश्न है बहार का
ये सुबह आई है
ये खुशियां लाई है
मतवाली पतियां देखो
यहां वहां सब नांचे
झूम रहीं कलियां भी
यहां सारी बागों में
है मजा...है मजा....चारों तरफ ...
फूलों की बहार का
ये सुबह आई है
ये खुशियां लाई है
ये सूरज का घड़ा
अमृत किरणों से भरा
खोल के खजाने बैठी
प्रकृति भी नव रत्नों का जरा
है नशा...है नशा नई बहार का
ये सुबह आई है
ये खुशियां लाई है
राजेश गोसाईं
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3......यादों का मिलन
मैंने यादों को बुलाया तो
दौड़ी चली आई वो
जब भी उनको बुलाया
दौड़ी दौड़ी आई वो
कभी बारिश के मौसम में
कभी चाय पे चली आई वो
गुनगुनी धूप का मजा लेने
और मुंगफली खाने
छत पे दोड़ी चली आई वो
आई मेरी अतीत की यादें
दिल से इनका अभिनंदन है
सामने मधुबन और अंदर
खिल रहा नन्दन वन है
दौड़ी दौड़ी आई
सांसों की जो सरगम है
तरस रहा था मिलन को
कब से ये तन मन है
दीप खुशियों के जलाने
यादें फिर चली आई वो
राजेश गोसाईं
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4......=ख्याल
इक दिन बैठे बैठे ख्याल ये आया
याद कर अपनों को मन भर आया
ऐसे रिश्ते थे जो साथ सदा निभाते थे
जब भी कोई मुसीबत हो
वो साथ खड़े हो जाते थे
स्वार्थ ने ऐसा बवाल मचाया
अपनों ने अपनों को दूर कराया
इक दिन बैठे बैठे ख्याल ये आया
याद कर अपनों को मन भर आया
जुबां बड़ी रसभरी तब होती थी
हस हस के दुख सब
वो घोला करती थी
चांदी के कटोरे में जब जहर पिलाया
खून रिश्तों का फिर समझ में आया
बनते थे प्यारे जो शिकारी होते थे
निशाने पे हम सीधे साधे
भोले भाले होते थे
ऐसा फसाया ढोंगी जनों ने
मनआंगन में मकड़ जाल लगाया
इक दिन बैठे बैठे ख्याल ये आया
याद कर अपनों को मन भर आया
राजेश गोसाईं
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5...आंगन
झिलमिल सितारे आये आंगन
खिल खिल रहे हैं सबके मन
बन बन देखो बन रहा मधुबन
मन मन में है बहार ए चमन
जन जन कर रहे अभिनन्दन
घर घर बरस रहे हैं अन्न धन
सुमन बरसाती है देखो ये पवन
गुनगुन धुन छेड़ जाती है सजन
शीत पवन भी लगाती है अगन
यौवन में हो रहे चंचल तन मन
बरस रहे गगन तरस रहे नयन
तन मन में मिलन की है अगन
राजेश गोसाईं
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6....रेला
चार दिनों का
खेल है ज़िन्दगी
पांचवां दिन कोई
होता नहीं है
जो जग में आया
रोता ही आया
हंसता हुआ कोई
आया नहीं है
सांसों का खेल है ज़िन्दगी
हार जीत कोई
यहां होता नहीं है
चार दिनो का
मेल है ज़िन्दगी
फिर बिछुड़ जाता
यहां हर कोई है
टूटे हुये फूल सभी हैं
सज जाते हैं मेले में
दर पे लगा लें या
चढ़ जाता अर्थी पे कोई है
आया ले के सांसों का रेला
रुक गया तो चला अकेला
खुशी हो या गम
संग कोई जाता नहीं है
राजेश गोसाईं
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7....दिन खुशियां वाला
आया आया आया
दिन खुशियां वाला आया
आया आया आया
लाला साडे घर आया
सारे रल मिल देयो बधाई
नाले खाओ खूब मिठाई
मां ने वी हलवा बणाया
दिन खुशियां वाला आया
नचदे गांदे सारे आये
नाले भंगड़े खूब पाये
ढोल वाजा वजाया
दिन खुशियां वाला आया
राजेश गोसाईं
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8.......मेहंदी
मेहंदी वालेया तु मेहंदी अच्छी ला...
साडे हत्था नूं तु अज रंगी जा. .२
मेहंदी वालेया तु मेहंदी अच्छी ला...
पहले मेहंदी मेरे गुरुवां दे हथ ला
जिना ने मीं वरसाया अमृत दा
मेहंदी वालेया तु मेहंदी अच्छी ला...
फिर मेहंदी मेरी माता रानी नूं लगा दे
जेड़ी मेहरां वाली बैठी साढ़े घर आ
मेहंदी वालेया तु मेहंदी अच्छी ला...
सोंधी जी मेहंदी मेरी मम्मी नूं ला दे
जिने सोंणा मेरा वीर जमेया
मेहंदी वालेया तु मेहंदी अच्छी ला...
लाल लाल मेहंदी मेरी भाभी नूं ला दे
जेड़ी मेरे वीर दे दिल च रहंदी आ
मेहंदी वालेया तु मेहंदी अच्छी ला...
आइंया साढ़े घर भुआ मामीयां
नच्चण मेहंदी ला के नाल मासियां
मेहंदी वालेया तु मेहंदी अच्छी ला...
ताई चाची ने रौणकां खूब लगाइयां
नच नच के मेहंदी वाकण लाल हो आइयां
मेहंदी वालेया तु मेहंदी अच्छी ला...
होण वधाइयां ...होण वधाइयां
मेहंदी वाले दिन दी सबनू
होण वधाइयां....
धियां भैणा ने रल मिल रौणकां लगाइयां....होण वधाइयां
साडे घर सबने रौणकां लगाइयां
होण वधाइयां.
मेहंदी वालेया तु मेहंदी अच्छी ला...
साडे हत्था नूं तु अज रंगी जा.
राजेश गोसाईं
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9.......शहनाई
दूर कहीं शहनाई गाती है
तेरे लबों से मेरे दिल तक आती है
लगता है तू मुझे कहीं बुलाती है
पर पास आने से थोड़ा शर्माती है
धुन प्यार की कानों में रस भरी
जिस दिन से सुनी मैंने मन से सुनी
माना लगी खुशी की झड़ी है
लगता है कि तू पास आ खड़ी है
काहे इतना तू मन भाती है
गीत प्रेम के छुप छुप के गाती है
जरा करीब आ लें
थोड़ा प्रेम बरसा ले
इस गरीब से भी मिल के
नज़र कुछ तो मिला ले
दूर रह के भी तू क्यों
करीब नजर आती है
बेकरार दिल की धड़कने ये
प्यार के संगीत बजाती है
राजेश गोसाईं
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10.....मेरे वीरे तू
अज रख ले सरहद दी लाज
मेरे वीरे तू
मैनु भुल जांवी तू आज
मेरे वीरे तू
सारी सारी उम्र
तैनु रखड़ी बनदियां
तिलक मत्थे कर
आरती कर दियां
भुल जांवी ओ रेशम दी डोर
मेरे वीरे तू
कफन तिरंगे दा तू रख लयीं आज
मेरे वीरे तू
राजेश गोसाईं
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