वायु प्रदूषण के चलते जहरीली गैस के चैम्बर बनते शहर बने चुनौती हस्तक्षेप / दीपक कुमार त्यागी स्वतंत्र पत्रकार व स्तंभकार देश की राजधानी दिल्ल...
वायु प्रदूषण के चलते जहरीली गैस के चैम्बर बनते शहर बने चुनौती
हस्तक्षेप / दीपक कुमार त्यागी
स्वतंत्र पत्रकार व स्तंभकार
देश की राजधानी दिल्ली व एनसीआर का क्षेत्र दीपावली के त्यौहार के बाद से एकबार फिर मीडिया की जबरदस्त चर्चाओं में शामिल है। हर बार की तरह इस बार भी चर्चा की वजह है दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण, अपने जानलेवा वायु प्रदूषण के लिए विश्व में प्रसिद्ध हो गयी देश की राजधानी दिल्ली दीपावली के बाद से काले धुएं के बादलों के आगोश में छिपी हुई है। वायु प्रदूषण के चलते लोगों को भगवान सूर्यदेव के दर्शन बहुत ही मुश्किल से हो पा रहे हैं।
"लेकिन हम हैं कि फिर भी सुधारने का नाम नहीं लेते हैं अपने ही हाथों से अपने प्यारे चमन में आग लगा लेते हैं और स्वर्ग सी भूमि को स्वयं ही प्रदूषित करके नरक बना लेते हैं"
हम सभी अपने चारों तरफ देखे तो ईश्वर की बनाई इस अद्भुत दुनिया के निराले प्राकृतिक नजारों को देखकर हमारा तन-मन प्रफुल्लित हो जाता है। भगवान ने हमको प्रकृति की गोद में हर तरफ कल-कल करती नदियां, प्राकृतिक संगीतमय झरने, मनमोहक प्राकृतिक सौन्दर्य युक्त पहाड़, तरह-तरह के सुंदर जीव-जंतु, सुंदर फूल, कंदमूल-फल, तरह-तरह के अनाज, बेल-लताएं, हरे-भरे छोटे और विशालकाय वृक्ष, प्यारे-प्यारे चहचहाते पक्षी आदि से परिपूर्ण साक्षात स्वर्ग रूपी सुंदर संसार दिया है, यह वो संसार है जो आदिकाल से और आज भी हम सभी इंसानों के आकर्षण का हमेशा केंद्र बिंदु रहा है। लेकिन आज इंसान ने अपनी जिज्ञासा और नई-नई खोज की अभिलाषा में जब से प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है, तब से पर्यावरण की हालात दिन-प्रतिदिन चिंताजनक होकर बेहद प्रदूषित होती जा रही है। आज देश में हालात यह हो गये हैं कि देश में बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते दिन आबोहवा जहरीली होने के चलते हमारे शहर व गांव तक भी गैस चैम्बर में तब्दील हो रहे है। विज्ञान के द्वार उपलब्ध उन्नत तकनीक के बाद भी आजकल सभी लोगों को सांस लेने के लिए स्वच्छ आक्सीजन तक मिलना दुश्वार होता जा रहा है। आज स्थिति यह हो गयी है कि हम अपने परिवारों, दोस्तों व परिचितों का बहुत ख्याल रखते हैं, परंतु जब बात पर्यावरण के संरक्षण और उसके ध्यान रखने की आती है तो हम केवल प्रथ्वी दिवस, पर्यावरण दिवस, गांधी जयंती, आदि पर वृक्षारोपण करके या फिर सरकार प्रायोजित स्वच्छ भारत अभियान चला करके पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने दायित्वों की इतिश्री कर लेते है। लेकिन अब समय आ गया है कि हमको पृथ्वी को प्रदूषण से मुक्त करने के बारे में ठोस कारगर पहल कागजों से निकलकर धरातल पर करनी होगी तब ही हम प्रकृति का संरक्षण करके हर तरह के प्रदूषण से बच सकते हैं।
वैसे तो आज जहरीली होती आबोहवा ने दुनिया भर के लोगों को परेशान कर रखा है, लेकिन हमारे प्यारे देश भारत पर इसका असर कुछ ज्यादा ही गम्भीर रूप से होता नजर आ रहा है। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' के अनुसार भारत में वायु प्रदूषण की वजह से 20 लाख लोग हर वर्ष असमय काल का ग्रास बन जाते हैं जो बेहद चिंताजनक स्थिति हैं। हर वर्ष की तरह ही इस बार भी दीपावली के पावन पर्व को हर्षोल्लास से मनाने के बाद, लोगों को घरों के अंदर व बाहर सड़कों पर हर जगह आंखों में जलन से लेकर सांस लेने तक में तकलीफ हो रही है। प्रदूषण के चलते कुछ लोगों को तो अस्पताल जाकर उपचार तक कराना पड़ रहा है। हालांकि फिर भी देश में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो रोजमर्रा के जीवन संघर्ष में रोजीरोटी कमाने के जुगाड़ व काम की आपाधापी में वायु प्रदूषण से होने वाली परेशानी को अनदेखा कर अपने कर्तव्यों का निर्वाह लगातार करते रहते हैं। वायु प्रदूषण पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक वैसे तो अब वायु प्रदूषण हर वक्त हर पल हम लोगों के जीवन को चुनौती दे रहा है, लेकिन यह हर वर्ष दीपावली के पावन पर्व के बाद ऊपर हवा में सामान्य से दस गुना तक बढ़ जाने के चलते सभी को स्पष्ट नजर आने लगती हैं। सोचनीय बात यह है कि आज वायु प्रदूषण के चलते हर छोटे बड़े शहर की आबोहवा में गम्भीर बीमारियों को जन्म देने वाले विषैले प्रदूषक तत्वों का भंडार मंडरा रहा है। लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं कि इस बार लोगों के कुछ जागरूक होने की वजह से और हवा चलती रहने की वजह से दिल्ली व एनसीआर में दीपावली पर वायु प्रदूषण पिछले वर्षों की तुलना में कुछ कम हुआ है। लेकिन अगर हम वायु प्रदूषण के लिए केवल दीपावली की आतिशबाजी को जिम्मेदार ठहराएंगे तो यह नाइंसाफी होगी। इतना जरूर हैं कि हर वर्ष दीपावली पर होने वाली आतिशबाजी के बाद हवा में प्रदूषण इस कदर बढ़ जाता हैं कि वो एकदम सबके लिए एक बेहद चुनौती पूर्ण गंभीर समस्या बन जाता है और आम लोगों को दिक्कत होने के चलते सभी को नजर आने लगता है।
यहाँ उल्लेखनीय है कि वायु प्रदूषण की गम्भीर समस्या से निपटने के लिए 'पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय' ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू कर रखा है। यह सरकार की एक मध्यमकालिक पंचवर्षीय कार्य योजना है जिसमें देश के 102 शहरों में पीएम 2.5 और पीएम 10 (सूक्ष्म धूल कण) के स्तर में 20-30 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी करने के लक्ष्य रखे गये हैं। इन 102 शहरों में से 84 शहरों ने अपनी-अपनी कार्य योजनाएं पहले ही पेश कर दी हैं। एनसीएपी का मुख्य उद्देश्य देश भर में वायु प्रदूषण को नियंत्रण में रखते हुए उसमें उल्लेखनीय कमी सुनिश्चित करना है। क्योंकि आज हमारे देश में जिस तरह से दिन-प्रतिदिन वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है उसका निदान करना आमजन के साथ-साथ सरकार के लिए भी बहुत बड़ी चुनौती है। क्योंकि देश में अब वायु प्रदूषण का स्तर दिन-प्रतिदिन बेहद घातक व जानलेवा होता जा रहा है। जो की हम सभी देशवासियों के जानमाल व स्वास्थ्य के लिये बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। जिस तरह से हाल के वर्षों में बहुत ही तेजी से हमारे देश का वायुमंडल जहरीले गैस चैम्बर में तब्दील होता जा रहा है वह चिंता का विषय है। लेकिन फिर भी हम सभी देशवासी व सरकार इस ज्वंलत समस्या का कारगर समाधान ना करके , कबूतर की तरह आँख बंद करके बेफिक्र बैठे हुए है, यह स्थिति सोचनीय है।
आज देश में जहरीली होती आबोहवा की वजह से साँस, एलर्जी सम्बन्धी व अन्य प्रकार की तरह-तरह की गम्भीर बीमारियों का खतरा हम सभी देशवासियों पर बहुत तेजी से मंडरा रहा है। जहरीली हवा के चलते लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटने से व गम्भीर बीमारियों के बढ़ने से देश में मृत्युदर में काफी तेजी से इजाफा हुआ है। प्रदूषण की वजह से दम तोड़ते लोगों के आकडों में साल दर साल बहुत ही तेजी से वृद्धि हो रही है। जहरीले वायु प्रदूषण की भयावहता का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज हमारे देश का हर छोटा व बड़ा शहर एक गैस चैम्बर के रूप में परिवर्तित होता जा रहा हैं, जिसको अगर जल्दी ही नियंत्रित नहीं किया गया तो भविष्य में बहुत बड़ी संख्या में देश के लोग वायु प्रदूषण की वजह से असमय काल के ग्रास बन जायेंगे। प्रदूषण के इस मसले पर कुछ समय पहले विश्व प्रसिद्ध अमेरिका के दो संस्थान "हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टिट्यूट" (HEI) एवं "इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन" (IHME) ने हाल ही में विश्व भर में वायु की गुणवत्ता से सम्बंधित आकडों पर अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी। जिस रिपोर्ट का शीर्षक था - "स्टेट ऑफ़ ग्लोबल एयर-2019" इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर में वायु प्रदूषण से होने वाली 5 मिलियन मौतों में से 50% मौत केवल भारत और चीन में ही होती है जो कि बहुत ही भयावह स्थिति को दर्शाने वाले आकड़े हैं। इस विस्तृत रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय तक घर से बाहर रहने या घर में वायु प्रदूषण के चलते वर्ष 2017 में स्ट्रोक, डायबिटीज, हार्ट अटैक, फेफड़े के कैंसर या फेफड़े आदि की गम्भीर बीमारियों से विश्व में लगभग 50 लाख लोगों की मौत हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार आज भारत में वायु प्रदूषण अब स्वास्थ्य के लिए सबसे खतरनाक जोखिमों के तीसरे पायदान पर पहुँच गया है, जो कि अब देश में मौत का तीसरा सबसे बड़ा गम्भीर कारक बन गया है। जो देश में धूम्रपान से होने वाली मौतों के ठीक ऊपर है। रिपोर्ट के आंकडों के अनुसार वर्ष 2017 में असुरक्षित प्रदूषित वायु के संपर्क में आने से 6,73,100 मौतें बाह्य PM2.5 के संपर्क में आने के कारण हुईं और 4,81,700 से अधिक मौतें भारत में घरेलू वायु प्रदूषण के कारण हुईं थी। 2017 में भारत की लगभग 60% आबादी घरेलू प्रदूषण के संपर्क में थी। आंकड़ों पर गौर करे तो आज हमारे देश की अधिकांश आबादी 10 µg / m3 के WHO वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश के ऊपर PM2.5 सांद्रता वाले क्षेत्रों में रहती है तथा केवल 15% आबादी ही WHO के कम-से-कम कड़े लक्ष्य 35 µg / m3 के नीचे PM2.5 सांद्रता वाले क्षेत्रों में रहती है। इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि यदि वायु प्रदूषण इसी प्रकार बरकरार रहता है तो भविष्य में लोगों के सामने बहुत ही गम्भीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न होंगे जिससे भविष्य में लोगों की जीवन प्रत्याशा (एक व्यक्ति के औसत जीवनकाल) में 20 महीने कम हो जाएगी।
इस रिपोर्ट में जब भारत की वायु गुणवत्ता का अध्ययन किया गया है, तो पाया कि विश्व में सबसे अधिक भारत में वायु प्रदूषण की वजह से लोगों की मृत्यु हो रही हैं जो कि भविष्य में देशहित के लिए ठीक नहीं है। यहाँ उल्लेखनीय है कि नाइट्रोजन, सल्फर ऑक्साइड और कार्बन खासकर पीएम 2.5 जैसे वायु प्रदूषक तत्वों को असमय मौत का एक बहुत बड़ा कारक माना जाता है। ठीक उसी प्रकार "केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड" ने अपनी रिपोर्ट में जिन शहरों को सबसे अधिक प्रदूषित शहर माना है। लेकिन फिर भी सरकार ना जानें क्यों उन शहरों के वायु प्रदूषण के संदर्भ में आयी रिपोर्टों को खास तवज्जो नहीं देती हैं, जिसके चलते देश में ना तो सही ढंग से प्रदूषण नियंत्रण हो पा रहा है ना ही सही आंकड़े सभी देशवासियों के सामने आ रहे हैं। लेकिन विदेशी संस्थाओं की रिपोर्ट में दी गयी इस बात से तो सहमत हुआ जा सकता है कि वायु प्रदूषण की वजह से देश में होने वाली मौतों की जो संख्या व इस रिपोर्ट में दी गई है उसकी संख्या कम या ज्यादा तो हो सकती हैं, लेकिन यह भी कड़वा सत्य है कि वायु प्रदूषण के चलते देश के शहर दिन-प्रतिदिन जहरीले गैस के चैम्बर बनते जा रहे है और उससे अब लोग असमय काल का ग्रास बन रहे हैं। इस सच्चाई से अब ना तो सरकार और ना ही आम-आदमी मुँह मोड़ सकता हैं। क्योंकि अब यह सबको समझ आ गया है कि वायु प्रदूषण एक बहुत ही गम्भीर पर्यावरणीय समस्या है जिसका जल्द से जल्द कारगर समाधान करने के लिए सरकार को आम-जनमानस के सहयोग से प्रभावी कदम उठाने होंगे, वरना इस जहरीले वायु प्रदूषण के चलते देश में लोगों की आये-दिन जान जाती रहेंगी। इतना कुछ होने के बाद भी आज देश में वायु प्रदूषण को लेकर बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि दिल्ली सरकार को छोड़कर अब तक देश के बाकी राज्यों की तमाम सरकारों व आम-जनमानस ने वायु प्रदूषण की इस समस्या को कभी गम्भीरता से नहीं लिया है जो कि भविष्य के लिए बहुत ही घातक स्थिति है। देश में आज भी हालत यह है कि वायु प्रदूषण कम करने की कोशिशें केवल देश के चंद बड़े शहरों दिल्ली, मुम्बई आदि जैसे बड़े-बड़े महानगरों तक केन्द्रित रहीं हैं। इस गम्भीर समस्या के मसले पर सरकारों ने छोटे शहरों व गांवों के निवासियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए घातक स्थिति है। यह हालात तब है जब वर्ष 2016 में "विश्व स्वास्थ्य संगठन" ने दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची जारी की थी, उनमें भारत के 10 शहर शामिल थे। फिर भी अभी तक सरकार ने छोटे शहरों व गांवों के प्रदूषण रोकने के लिए कोई ठोस कारगर पहल नहीं की है। सबसे अचरज की बात यह है कि ना तो हम व ना ही स्थानीय प्रशासन अपने शहरों में वायु प्रदूषण का अन्दाजा ठीक से नहीं लगा पा रहे हैं, तो इसकी वजह से आम जनता की सेहत पर पड़ने वाले कुप्रभावों का अन्दाज हम ठीक प्रकार से कैसे लगा पाएँगे? इसके लिये जरूरी बुनियादी ढाँचे के अभाव की स्थिति में हम वैश्विक स्तर पर किये जा रहे इन विदेशी आकड़ों पर विश्वास करके वायु प्रदूषण से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठा सकते हैं, जब तक कि हमारा ढाँचा प्रभावी रूप से विकसित नहीं हो जाता है तब तक हमारे पास विदेशी आकड़ों व रिपोर्ट पर विश्वास करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचता है।
लेकिन यह भी कटु सत्य है कि देश में भविष्य में जब प्रभावी संसाधन हो जायेंगे और हम वास्तव में अपने छोटे-छोटे शहरों और गाँवों केे प्रदूषणों के आंकड़े संग्रहित करेंगे तो सच्चाई इस विदेशी रिपोर्ट के आंकड़ों से भी कहीं और अधिक गम्भीर व भयावह होगी। ऐसे में पर्यावरण मंत्रालय के लिये तब तक इस तरह की विदेशी रिपोर्ट को देश में वायु प्रदूषण कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। जिससे की आने वाले समय में देश में जहरीले वायु प्रदूषण को नियंत्रित किये जाने की दिशा में कारगर प्रभावी कदम उठाने में मदद मिल सकेगी। आज हम सभी लोगों का यह नैतिक कर्तव्य है की जिस पृथ्वी और पर्यावरण में हम रहते है उसका संरक्षण व सुरक्षा स्वयं अच्छे ढंग से करें और उसे प्रदूषित न होने दे। लेकिन बड़े दुःख की बात है की आज का इंसान इतना स्वार्थी हो गया है की पर्यावरण की तरफ वह कोई ध्यान नहीं दे रहा है। आज हम लोग केवल अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के लिए देश में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों अव्यवस्थित ढंग से दोहन कर रहे है, जिसके लिए हम अंधाधुंध पेड़ काट रहे है, गृहकार्य, कृषि व फैक्ट्री के लिए भूमिगत जल का जिस तरह से बेहिसाब दोहन कर रहे है यह स्थिति सभी देशवासियों के लिए बेहद चिंताजनक है। आज देश में अव्यवस्थित औद्योगिक विकास, शहरीकरण और विकास के नाम पर आज हर दिन हम लोग अपने हाथों से पर्यावरण को दूषित कर रहे है। आज प्रदूषण के चलते देश की आबोहवा में रोजाना कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) की मात्रा तेजी से बढ़ती जा रही है। लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार को आम जनमानस के सहयोग से इस ज्वलंत समस्या का स्थाई समाधान ढूंढ कर दीर्घकालिक निदान करना चाहिए।
साथ ही देश में अब वह समय भी आ गया है की जब हम सभी देशवासी संकल्प ले कि प्रकृति से हम केवल लेंगे ही नही बल्कि प्राकृतिक संसाधनों व प्रकृति की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाकर प्रकृति को कुछ वापिस भी अवश्य करेंगे, इस संकल्प से ही भविष्य में प्रकृति व पर्यावरण की सुरक्षा हो सकती है।
हम सभी को समझना होगा कि आजकल हमारे देश के सभी शहरों में तरह-तरह का इतना प्रदूषण और शोर है की पक्षी तक भी वहां से पलायन करने लगे है। अब पक्षियों के नाम पर शहरों में सिर्फ कुछ गिने चुने चंद प्रजाति के पक्षी ही देखने को मिलते है। आज शहर व गाँव में तरह-तरह के प्रदूषण की वजह से लोग आये दिन गम्भीर बीमारियाँ से ग्रसित हो रहे है। प्रदूषण के चलते शहर का तो हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के रोग से ग्रसित हो गया है। देश की राजधानी दिल्ली व उसके आसपास के इलाकों में तो अब इतना वायु प्रदूषण बढ़ गया की लोगों का साँस लेना मुश्किल हो गया। इसलिए अब समय आ गया है कि हम सभी देशवासी सरकार के साथ मिलकर फाईलों से बाहर आकर धरातल पर पर्यावरण के संरक्षण व सुरक्षा के लिए हर संभव ठोस कारगर उपाय करें। ना कि कभी दीपावली की आतिशबाजी , कभी पराली जलाने, कभी वाहनों के धुएं के चलते प्रदूषण , कभी औद्योगिक ईकाईयों से या कभी अत्यधिक निर्माण कार्यों का चलते गम्भीर प्रदूषण हो रहा है पर बात टाल कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री करें।
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