कविता वर्मा उन कथाकारों में से हैं जो कम लिखकर भी कथा-परिदृश्य में अपनी सार्थक उपस्थिति बनाए हुए है। “ कछु अकथ कहानी ” कविता वर्मा का दू...
कविता वर्मा उन कथाकारों में से हैं जो कम लिखकर भी कथा-परिदृश्य में अपनी सार्थक उपस्थिति बनाए हुए है। “कछु अकथ कहानी” कविता वर्मा का दूसरा कहानी संग्रह है। कविता वर्मा का उपन्यास छूटी गलियाँ भी काफी चर्चित रहा था। इनके पहले कहानी संग्रह परछाइयों के उजाले को सरोजिनी कुलश्रेष्ठ कहानी संग्रह का प्रथम पुरूस्कार प्राप्त हुआ था। कविता जी के लेखन का सफ़र बहुत लंबा है। इनकी रचनाएं निरंतर देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। कविता वर्मा ने इस संग्रह की कहानियों में स्त्री, बूढी बेसहारा औरतें, बेबस बुजुर्ग, लाचार और बेबस मजदूर, आम आदमी इत्यादि के मन की अनकही बातों को, उनके जीवन के संघर्ष को और उनके सवालों को रेखांकित किया हैं। इस संग्रह की कहानियां जिंदगी की हकीकत से रूबरू करवाती है। कविता जी का कथा परिवेश जीवन की मुख्यधारा से उपजता है और उनके पात्र समाज के हर वर्ग से उठ कर सामने आते हैं। इस संग्रह की कहानियाँ और कहानियों के चरित्र धीमे और संजीदा अंदाज में पाठक के भीतर उतरते चले जाते हैं। इनकी कहानियाँ पाठकों के भीतर नए चिंतन, नई दृष्टि की चमक पैदा करती हैं। इस कहानी संग्रह की भूमिका बहुत ही सारगर्भित रूप से वरिष्ठ साहित्यकार एवं कथाकार मनीष वैद्य ने लिखी है।
लेखिका अपने आसपास के परिवेश से चरित्र खोजती है। कहानियों के प्रत्येक पात्र की अपनी चारित्रिक विशेषता है, अपना परिवेश है जिसे लेखिका ने सफलतापूर्वक निरूपित किया है। कविता वर्मा एक ऐसी कथाकार है जो मानवीय स्थितियों और सम्बन्धों को यथार्थ की कलम से उकेरती है और वे भावनाओं को गढ़ना जानती हैं। लेखिका के पास गहरी मनोवैज्ञानिक पकड़ है। इनकी कहानियों की कथा-वस्तु कल्पित नहीं है, संग्रह की कहानियाँ सचेत और जीवंत कथाकार की बानगी है और साथ ही मानवीय संवेदना से लबरेज हैं। इस संग्रह में संकलित कहानियां महिलाओं तथा समाज के ऐसे लोग जो हमारे साथ रहकर भी हाशिये पर खड़े हैं, में जागरूकता, अपने अधिकारों के प्रति सजगता आदि को रेखांकित कराती हैं और उन्हें सशक्त बनाती हैं। इनकी कथाओं के महिला पात्र पुरुष के मन की गति को आसानी से समझ जाती है। कविता वर्मा की नारी पात्र कमजोर नहीं है वे समस्याओं का डटकर मुकाबला करती हैं। इस संग्रह की कहानियां कठोर सामाजिक यथार्थ है। कहानियों के तेवर अपने समय और समाज को लगातार कठघरे में खड़ा करते हैं।
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इस कहानी संग्रह में छोटी-बड़ी 15 कहानियां हैं। ये जीवन के 15 रंग हैं। कविता जी की कहानियां आधुनिक कहानियां हैं। इस कहानी संग्रह की कहानियों में महिलाओं का स्वतंत्र अस्तित्व, अपने दुखों को भूलकर खुद को उबार लेने वाली नारी, अपनी दुनिया को पोटली में समेटती औरत, स्त्री मन की आकांक्षाएँ, शोर शराबे में शांति तलाशते बुजुर्ग, आम आदमी का आत्मसंघर्ष, पिछड़े हुए आदिवासी अनपढ़ लोगों का खरापन, पति-पत्नी के बीच आपसी विश्वास, अपमान, बदला जैसे शब्दों की गंध को महसूस करते छोटे बच्चे, जमाने से अकेले जूझती स्त्री, जमी हुई रूढ़ियों पर प्रहार, विस्थापित होने का दर्द झेलती एक अकेली नारी, सीमा पर दुश्मन सैनिकों से और अपनों से ही लड़ता एक सैनिक, एक गरीब मजदूर के मन की उथल-पुथल आदि का चित्रण मिलता है। संग्रह की पहली कहानी दरख्तों के साये में धुप एक ऐसी स्त्री की कथा है जो परिवार की ख़ुशी के लिए अपनी छोटी-छोटी ख्वाहिशें और अपने सपनों को स्थगित करती रहती है, लेकिन एक दिन वह अपना हौसला जुटाकर अपनी हताशा को दूर करके महिलाओं की स्वछंद सोच पर परिवार द्वारा लगाईं गई लगाम पर सवाल उठाती है। इस कहानी को पढ़ते हुए एक मध्यवर्गीय महिला की मनोदशा का बखूबी अहसास होता है। बहुरि अकेला कहानी को लेखिका ने काफी संवेदनात्मक सघनता के साथ प्रस्तुत किया है। इस कथा में अनुभूतियों की मधुरता है, बिछोह की कसक है, अकेलेपन से उबरने की तीव्र उत्कंठा है और पुन: जीवन जीने की उत्कट अभिलाषा है।
मोको कहाँ ढूँढे पर्यावरण और कोलाहल के प्रति बुजुर्गों की मानसिकता की कथा है। दाग दाग उजाला पारिवारिक अलगाव, अपने प्रेम पर अटूट विश्वास को दर्शाती रोचक प्रेम कहानी है जो पाठकों को काफी प्रभावित करती है। कुछ नहीं, कुछ भी तो नहीं कहानी में कहानी की नायिका मानवी के माध्यम से नारी मन की व्यथा, उसकी वेदना, विवशता और लाचारी को स्पष्ट अनुभव किया जा सकता है। इस कहानी में नारी की विवशता पुरुषजन्य परिलक्षित होती है। इस कहानी में लेखिका ने नारी संवेदना को अत्यन्त आत्मीयता एवं कलात्मक ढंग से चित्रित किया है। अपारदर्शी सच में नारीजनित कोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति है। कहानीकार ने इस कहानी में एक नारी की संवेदनाओं की पराकाष्ठों, स्त्री के अंदर की फैंटेसी और उसके विचलन को सहजता और साहस के साथ बखूबी चित्रित किया है। मनुष्य की सच्चाई, ईमानदारी और उसके खरेपन को दर्शाती है इस संग्रह की शीर्षक कहानी कछु अकथ कहानी। अपनों से विस्थापित होने का दर्द को बयाँ करती मर्मस्पर्शी कहानी है यूँ ही मैं बावरी। दिवस गंध कहानी में पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आता है। मासूम बच्चों को पुलिस द्वारा बदले की भावना से बर्बरता पूर्वक लाठियों से पीटने का जो दर्द है उस दर्द को इस कहानी का नायक सुरजीत अपनी जिंदगी में भूल नहीं पाता है। कथाकार ने इस कहानी का गठन बहुत ही बेजोड़ ढंग से प्रस्तुत किया है। इस संग्रह की एक बेहद सच्ची और भावुक कहानी है विदा। जिसमें परिवार के मुखिया की असामयिक मृत्यु के बाद के हालातो से गुजरती, तथाकथित उसूलों से सामना करती एक नवयुवती दाखा के संघर्ष की कहानी है। यहाँ स्त्री का संघर्ष किसी विमर्श का मोहताज नहीं, बल्कि परिस्थितियों से जूझती गाँव की युवती का संघर्ष है। इस कहानी में एक एक घटनाक्रम बेहद स्वाभाविक सा है। इस कहानी में पुरूष सत्तात्मक समाज के शोषण के प्रति दाखा का विद्रोही स्वर सुनाई पड़ता है। वह परंपरा से चली आ रही पितृ-सत्तात्मक मान्यताओं पर प्रहार करती है। वह जड़ परंपराओं को तोड़ती हुई दिखती है। वह कर्तव्य और अधिकार दोनों के प्रति जागरूक दिखाई देती है। वह सजग है और ज्वलंत समस्याओं से मुठभेड़ करती दिखती है। अपनों के बीच सभी चुनौतियों का सामना करते हुए साहसी नारी के रूप में दाखा का चरित्र हमारे सामने प्रखर हो उठता है। वह महिलाओं के लिए गढ़ी गई तमाम परंपरागत छवियों और भूमिकाओं को ठुकराती है। वह पितृसत्तात्मक समाज के जड़ एवं रूढ़ ढाँचे को कटघरे में खड़ा करती है। उसमें जीवन से जूझने तथा वर्जनाओं को चुनौती देने का विद्रोह भरा भाव भी परिलक्षित होता है।
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अपनों के होते हुए भी एक निराश्रित बुजुर्ग अम्मा की व्यथा को कहानीकार ने मार्मिक ढंग से कलमबद्ध किया है सामराज कहानी में। एक ठकुराइन, जो हमेशा गरीबों की मदद करती रही थी और जब उसे अपने बेटे द्वारा सड़क पर छोड़ दिया जाता है, तब भी वह दान-धर्म करना चाहती है। आदत इस संग्रह की महत्वपूर्ण कहानी है। इसका कथानक साम्प्रदायिक समस्या है। इस कहानी के मुख्य रूप से दो पात्र है अल्ताफ हुसैन और महादेव ! कहानी अल्ताफ हुसैन के जरिए कही गई है। अल्ताफ हुसैन और महादेव लगभग पचास सालों से एक दूसरे के पडोसी थे। इनके गाँव में भी साम्प्रदायिकता की आग फ़ैल जाती है। महादेव अपना घर और खेती-बाड़ी बेचकर निकल जाता है तो अल्ताफ हुसैन उसे खोजने निकलता है और जब महादेव उसे बस स्टैंड पर मिलता है तो अल्ताफ उसे गले लगाकर हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम करता है। आसान राह की मुश्किल कहानी में आर्थिक-सामाजिक विषमता-विसंगति, निर्धनता, मजदूर की हाड़-तोड़ मेहनत तथा जमींदारों-साहूकारों द्वारा किये जा रहे शोषण का हृदयस्पर्शी चित्रण है। अर्थाभाव के कारण खेतिहर श्रमिक को किन-किन कठिनाइयों, विपदाओं से गुजरना पड़ता है यह कहानी उसका आईना है। एक सैनिक दो मोर्चों पर किस प्रकार एक साथ लड़ता है। एक सैनिक के दर्द और पीड़ा को अभिव्यक्त करती है कहानी अभिमन्यु लड़ रहा है। विलुप्त कहानी समाज से विलुप्त होते सिलबट्टे को लेकर रची गयी कहानी है जो एक घरेलु स्त्री के मन को छूकर उसके मर्म से पहचान करा जाती है। इस संग्रह की कहानियों के शीर्षक कथानक के अनुसार है और शीर्षक कलात्मक भी है।
लेखिका ने इन कहानियों में भारतीय समाज के यथार्थवादी जीवन, आम आदमी का आत्मसंघर्ष, स्त्री संवेगों और मानवीय संवेदनाओं का अत्यंत बारीकी से और बहुत सुंदर चित्रण किया है। कविता वर्मा का दृष्टि फलक विस्तृत है। इनकी कहानियों में व्याप्त स्वाभाविकता, सजीवता और मार्मिकता पाठकों के मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ने में सक्षम है। इस संकलन की कहानियों में लेखिका की परिपक्वता, उनका सामाजिक सरोकार स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। कविता वर्मा की कहानियों में हर जगह गहन मानवीय पक्षधरता है। कविता जी ने कहानियों में घटनाक्रम से अधिक वहाँ पात्रों के मनोभावों और उनके अंदर चल रहे अंतर्द्वन्द्वों को अभिव्यक्त किया है।
लेखिका के कहानियों के पात्र अपने ही करीबी रिश्तों को परत दर परत बेपर्दा करते हैं। लेखिका जीवन की विसंगतियों और जीवन के कच्चे चिठ्ठों को उद्घाटित करने में सफल हुई है। संग्रह की सभी कहानियां शिल्प और कथानक में बेजोड़ हैं और पाठकों को सोचने को मजबूर करती हैं। संकलन की कुछ कहानियों के पात्र नॉस्टेल्जिया से ग्रस्त हैं लेकिन कथाकार उन पात्रों के जीवन में किस प्रकार सकारात्मकता लाती है, यह तो आप इस संग्रह की कहानियों को पढ़कर ही समझ पाएंगे। कविता जी की कहानियों में कथा पात्रों के मन की गाँठे बहुत ही सहज और स्वाभाविक रूप से खुलती हैं, वे अपनी तरफ से कोई फैसला नहीं देती है, मन की अनकही उथल-पुथल को शब्दों के धागों में सुंदरता से पिरोती है और कहानी का अंत बहुत ही स्वाभाविक रूप से करती है, यही उनकी कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता है। कविता की कहानियां जीवन और यथार्थ के हर पक्ष को उद्घाटित करने का प्रयास करती है। कहानी कला के तत्वों की दृष्टि से कविता की कहानियाँ एक से बढ़कर एक हैं। इस संकलन की कहानियों का कथानक निरंतर गतिशील बना रहता है, पात्रों के आचरण में असहजता नहीं लगती, संवाद में स्वाभाविकता बाधित नहीं हुई है। देशकाल एवं वातावरण की दृष्टि से इस संग्रह की कहानियाँ सफल है और अपने उद्देश्य का पोषण करने में सक्षम रही हैं।
कहानियां लिखते समय लेखिका स्वयं उस दुनिया में रच-बस जाती है। कविता वर्मा की कहानियां एक व्यापक बहस को आमंत्रित करती है। कहानियों का यह संग्रह सिर्फ पठनीय ही नहीं है, संग्रहणीय भी है। आशा है कि कविता वर्मा के इस कहानी संग्रह का हिन्दी साहित्य जगत में भरपूर स्वागत होगा।
पुस्तक : कछु अकथ कहानी
लेखिका : कविता वर्मा
प्रकाशक : कलमकार मंच, 3, विष्णु विहार, अर्जुन नगर, दुर्गापुर, जयपुर – 302018
आईएसबीएन नंबर : 978-81-940093-5-1
मूल्य : 150 रूपए
पेज : 96
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दीपक गिरकर
समीक्षक
28-सी, वैभव नगर, कनाडिया रोड,
इंदौर- 452016
मेल आईडी : deepakgirkar2016@gmail.com
हार्दिक आभार आपका 🙏🙏🙏
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