राजेश गोसाईं 1.....पावन मिट्टी..... ऐ मेरे वतन की माटी तेरी शान निराली है जिस गोद में खेले तिरंगा वो धरती करमोवाली है इस पावन मिट्...
राजेश गोसाईं
1.....पावन मिट्टी.....
ऐ मेरे वतन की माटी
तेरी शान निराली है
जिस गोद में खेले तिरंगा
वो धरती करमोवाली है
इस पावन मिट्टी से तू
इतना प्यार कर
शान है जो वीरों की
चन्दन है ये माथे पर
हजारों राखियां इस माटी में
सज जाती हैं
खन खन चूडियां भी यहाँ
खूब भाती हैं
लौट के आये जो
आजादी के मेले से
रेशम की डोर उनके
हाथों में सज जाती है
कहती है हर राखी
कलाई में बंध कर
लाज मेरी तू रखना मगर
पहले धरती की रक्षा कर
इस पावन मिट्टी से
तू इतना प्यार कर
इस मिट्टी की यही कहानी है
वीरों की धरती अपनी जुबानी है
और.....
लौट के आये जो
सरहद से भाई हैं
भर जाती उनकी भी कलाई है
बहना ने भाई की
कलाई पे प्यार बांधा है
प्यार के दो तार से
वतन गुलजार मांगा है
मांगा है तोहफा
रोली चन्दन लगा कर
झोली बहनों की भर देना
हिन्दुस्तान सजा कर
सोने की चिडिय़ा है ये
वीरों की निशानी है
मिट्टी मेरे देश की
बड़ी सुहानी है
राजेश गोसाईं
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2......लौट आना
तू देश का सिपाही
अपना फर्ज निभाना
तू मेरा भी है भाई
बन्धन राखी का निभाना
तेरे माथे लहु की रोली
बांधुगी हाथ पे गोली
चाहे डोरी टूटे बचपन की , मेरे भाई
पहले डोर , देश की बचाना
बन्धन राखी के तारों का
चाहे टूट जाये कोई बात नहीं
सरहद के तारों की रक्षा में
तू हिन्द की बिन्दिया सजाना
ए मेरे वीर सिपाही
सीमा पे तू मुझको भूल जाना
याद करके ये कलाई
तू लाज देश की बचाना
दुश्मन चाहे कितने भी आये
तू लाशे सबकी बिछाना
कोई लांघ सके ना इधर
तू दीवार ऐसी बन जाना
राखी वाले हाथ , देख रहे हैं बाट
कब भरेगी तेरी कलाई
धरती का फर्ज निभा के
तू भारत की शान बढ़ाना
रेशम की डोरी से
प्यार की डोरी से
भर दूंगी तेरी कलाई
राखी के तोहफे में
तू हिन्दुस्तान नया ले आना
हिन्द की बगिया में
तिरंगा यहाँ लहराना
मेरे चंदा , मेरे भाई
तू लौट के जल्दी आना.....२
राजेश गोसाईं
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3.....जश्न ए आजादी
हर पतंग पे जय हिन्द लिख कर
तिरंगा खूब उड़ाओ
आजादी का जश्न मनाओ
सुबह होली शाम दीवाली
घर घर दीप जलाओ
आजादी का जश्न मनाओ
हर पतंग पे जय हिन्द लिख कर
आजादी का जश्न मनाओ
तिरंगा खूब उड़ाओ
मन्दिर मस्जिद गुरू घर जाकर
गिरजा में शीऑश झुकाओ
गले लगा कर हर बन्धु को
ईद आज मनाओ
आजादी का जश्न मनाओ
तिरंगा खूब उड़ाओ
तमन्ना है आजाद धरती की
आज इक पौधा जरूर लगाओ
हरियाली खूब बढ़ाओ
शान तिरंगे महान की
मुस्कान सदा बनाओ
आजादी का जश्न मनाओ
तिरंगा खूब उड़ाओ
हर तिरंगी पतंग पे लिख कर
बेटी आज बचाओ
बेटी आज पढ़ाओ
आजादी का जश्न मनाओ
तिरंगा खूब उड़ाओ
राजेश की कलम से लिखा
गीत आज यह गाओ
हर पतंग पे जय हिन्द लिख कर
तिरंगा खूब उड़ाओ
आजादी का जश्न मनाओ
आजादी का जश्न मनाओ
राजेश गोसाईं
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4.....आजादी का फूल....
आजादी का फूल मिला
के बगिया सारी खूब खिलेगी
खुशी खुशी है सब जगह
के बगिया सारी खूब खिलेगी
आजादी तो है पर्व सुहाना
शान से जीना और मर जाना
बलिदानी का अंजाम मिला
के बगिया सारी खूब खिलेगी
दीवानों का ये जशन मना
के टोली सारी खूब झूमेगी
आजादी की ये चली हवा
के बगिया सारी खूब खिलेगी
खुशी का ये बिगुल बजा
के बगिया हमारी खूब सजेगी
राजेश गोसाईं
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5......जिस जमीं पे.....
जिस जमीं पे तिरंगा झूमे आसमां
उस जमीं को हमें छोड़ना ही नहीं
जो हवा उस जगह से आये यहाँ
उस हवा का तो कुछ कहना ही नहीं
आओ मिल के रहें धर्म मजहब छोड़ के
और चलें ऊँच नीच की दीवारें तोड़ के
जिस जगह पे अमन का हो जहां
उस चमन के हमें फूल तोड़ना ही नहीं
जिस जमीं पे तिरंगा झूमे आसमां
जिन्दगी में बहारें कम हैं ही नहीं
देश सेवा के मौसम भी हजारों हैं यही
जिस जगह हम पैदा हुये हैं ...माँ
उस जगह पे हमे मरना सो बार ही सही
जिस जमीं पे तिरंगा झूमे आसमां
जिस जमीं पे तिरंगा झूमे आसमां
उस जमीं को हमे छोड़ना ही नहीं
राजेश गोसाईं
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6.... जयकारा
स्वर्ग से सुन्दर घाटी
ये कश्मीर सबसे प्यारा है
भारत माँ की जय का
यहाँ अब भी लगता नारा है
अमृत के झरने में यहाँ
अमन चैन का नजारा है
केसर क्यारी में मिलता
फसल ए भाईचारा है
मन्दिर मस्जिद गिरजा सब
पावन यहाँ गुरूद्वारा है
जय हिन्द जय भारत का
गूंजे इनमें जयकारा है
कुछ सिरफिरे बाशिंदों ने
छलनी किया सीना सारा है
फिर भी ना कोई दर्द ना बंटवारा है
सुन लो दुनिया वालों फिर भी
ये कश्मीर तो हमारा है
राजेश गोसाईं
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7..... बेटियाँ
भारत की आन बान शान में
दुश्मन पर भारी हैं
बेटियां हिन्दुस्तान की
अब
रूह भी कांप जायेगी - पाकिस्तान की
सम्भल जा ओ ना पाक
आ रही है दुर्गा सेना
अबला नहीं अब नारी
सबला है शक्ति हिन्दुस्तान में
थर थर जल जला कर देंगी
सर्वत्र आसमान में
चिड़ियां नहीं अब चीलें हैं
हिन्दुस्तान में
राजेश गोसाईं
8........नेवले
क्युं फन फैला रखा है तूने
इस सोने की खान पे
नजरें लगायें बैठे हैं हम भी
बन के मोर हिन्दुस्तान के
क्युं इतरा रहा है तू
विषधर
रेंगता आ रहा है गिर पर
कुचल देंगे तेरे इरादे
हर अभिमान के
हर पल उड़ते हैं हम
बन के चीलें
आँच न आने देंगे जरा भी
भारत माँ के खजाने -खान पे
थर थर कंपन कर देंगे
हम नेवले भारत महान के
रचना: : राजेश गोसाईं
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9..* * * केसर घाटी * * *
हम राष्ट्र गान भी गायेंगे
हम राष्ट्र गीत भी गायेंगे
केसर घाटी में मिल कर
हम तिरंगा नया फहरायेंगे
पी ओ के को आजाद कर
हम कश्मीर नया बनायेंगे
हम राष्ट्र गान भी गायेंगे
हम राष्ट्र गीत भी गायेंगे
केसर घाटी में मिल कर
हम तिरंगा नया फहरायेंगे
खूब हो गई खून की होली
खूब हो गई बम की दीवाली
केसर चन्दन की खुशबु से
हम स्वर्ग नया बनायेंगे
डल झील चिनाब रावी
हम फिर निर्मल सजायेंगे
हम राष्ट्र गान भी गायेंगे
हम राष्ट्र गीत भी गायेंगे
केसर घाटी मे मिल कर
हम तिरंगा नया फहरायेंगे
मुस्कायेगी हरी धरती फिर
केसर तिलक लगा कर
हिम ताज पर्वत ऊपर
हम नया आज पहनायेंगे
गले लगा कर हर बन्धु
मन्दिर -मस्जिद फिर सजायेंगे
अमन-चैन की घाटी में
मिल कर अजान-शंख बजायेंगे
हम राष्ट्र गीत भी गायेंगे
हम राष्ट्र गान भी गायेंगे
केसर घाटी में मिल कर
हम तिरंगा नया फहरायेंगे
हम राष्ट्र गान भी गायेंगे
हम राष्ट्र गीत भी गायेंगे
केसर घाटी में मिल कर
हम तिरंगा नया फहरायेंगे
पी ओ के को आजाद कर
हम कश्मीर नया बनायेंगे
हम राष्ट्र गान भी गायेंगे
हम राष्ट्र गीत भी गायेंगे
केसर घाटी में मिल कर
हम तिरंगा नया फहरायेंगे
राजेश गोसाईं
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10.......स्वयं सेना.....
सूरज कल भी निकला थ
चाँद सितारे कल फिर आयेंगे
लेकिन भारत माँ के आँचल में
शांति के दीये हम कब जलायेंगे
आज भी रौशन है धरती
मगर भ्रष्टाचार के चरागों से
बंधी हुई है माँ भारती
रिशवत के पक्के धागों से
भारत के नन्दन वन में बन्धन है
सांपों में लिपटा चन्दन है
वसुधा की आँख में पानी है
क्योंकि घर घर में आज क्रन्दन है
बंटवारा फिर एक बार कर दो
दिल्ली की सरकारों से फरियाद है
कर दो टुकड़े सारे मजहब के
रक्तबीज बन रहे जो आज हैं
बन्दूकों के मेले में यहाँ
जन गन मन गाया जाता है
डर डर के हर रोज यहाँ
राष्ट्रीय त्यौहार मनाया जाता है
वोटों की मंडी में केवल कोढ़ी
लाशों का व्यापार बनाया जाता है
अर्थी कानून - नियमों की बनती
गूंगा बहरा संविधान सजाया जाता है
नारों में भारत का नारा
विश्व में सबसे प्यारा है
यह तो केवल कागज के दिलों में
देश की छाती पे चलता आरा है
किलकारियों में रूदन की कहानी है
वासना भरी आँखों में कहाँ बहता पानी है
घायल मिट्टी जख्मी धरती यहाँ
दरिंदे की होती मनमानी है
मन्दिर मस्जिद लहुलुहान है
यह कैसा बन गया हिन्दुस्तान है
रक्तिम होली में केसर रोली
चाँद तारे भी होते बदनाम है
डूब रहा धरती का सूरज
कब खुशहाली के जुगनू जगमगायेंगे
कब हम शांति के आसमां पर
दीप एकता के जलायेंगे
कब अखण्ड भारत को
भ्रष्टाचार के राक्षस से मुक्त करायेंगे
कब धर्म मजहब के नाम पर
हम त्यौहार एक मनायेंगे
कब गले लगा कर हम
अनेक से एक हो जायेंगे
कब चाँदी की जेबों को हलका कर
हम नया स्वर्णिम हिन्दुस्तान बनायेंगे
कब अंगारों से उठ कर
हम फूलों की खुशबु बन जायेंगे
कब हिन्द की बगिया में हम
स्वतन्त्र पंछी बन के चहचहायेंगे
करने दो सेना को अपना काम
कब देश धर्म हम अपनायेंगे
सच्चे देश भक्त बन कर
हम स्वयं कब देश की सेना बन जायेंगे
छा रही हैं घटायें काली
धरती अम्बर देश के अन्दर
कब बादल खुशियों के मिल कर
मेरे नहीं ,... हमारे हिन्दुस्तां में गुनगुनायेंगे
राजेश गोसाईं
*****
11.....लाज
अज रख ले सरहद दी लाज
ओ रखड़ी वाले वीरा
मैनु भुल जांवी तू आज
ओ बचपन वाले वीरा
सारी सारी उम्र
तैनु रखड़ी बनदियां
तिलक मत्थे कर
आरती कर दियां
भूल जांवी ओ रेशम दी डोर
कफन तिरंगे दा
चाहे रख लवीं तू आज
राजेश गोसाईं
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12....पतंग....
चल उड़ जा री पतंग
तू ऊँचे आसमान
जा लिख दे वहाँ पे ...जय हिन्द
और दिखा दे दुनिया को
नया ये हिन्दुस्तान
बन के विजयी विश्व तिरंगा
देना यह संदेश
देशों में है देश हमारा
स्वर्णिम भारत देश
जा लिख दे तू इसकी शान
चल उड़ जा री पतंग
तू ऊँचे आसमान
उड़ जा तू मेरी पतंग
हवा में चारो ओर
मचा दे आसमां में
जयहिन्द का तू शोर
राजेश गोसाईं
लोरी ...(पंजाबी कविता )
अज लोरी तु सुणा माँ
गोदी च तेरी आया हाँ
फुल गोलियां दे छाती च
ले के माँ तेरी लोरी
सुनन नु आया हाँ
सौं तेरे दुध दी
दुशमन इक वी नी
छडया ए माँ
फखर ए है के तेरी
गोद च सोण आया माँ
एस पवित्र मिट्टी च
मिल के मैं
तेरे दुध दा कर्ज
चुकान आया माँ
बनी रवे शान तेरी
आसमां च
उडदा रवे तिरंगा
मैं ते गोद च तेरी
थकान मिटान आया हाँ
राजेश गोसाईं
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********लोरी
सुन के लोरी तेरी माँ
जब हम सो जाते थे
तेरा हाथ सर पे होता था
हम दुनिया से लड़ जाते थे
आज गीत देश के गाकर
तेरे साथ साथ हम में
माँ भारती का भी
बल हो जाता है
परन्तु......
लड़ते हैं सारे जग से
तेरी रक्षा खातिर
मगर भाई भाई होकर भी
क्युं आपस में लड़ जाते हैं
जर जोरू और जमीं के लिये
तो खून सदा बहाते हैं
पर मातृ भूमि के लिये
हम खून कहाँ बचाते हैं
राजेश गोसाईं
*******&
13....
नन्ही ख्वाइश....... )
राखी वाले हाथों से
बन्दूक जो उठाउंगा
दुश्मन चाहे कितने आये
मैं सबको मार भगाऊंगा
तेरी रेशम की डोरी के बल से
भारत माँ की लाज बचाऊंगा
लाज मैं बचाऊंगा........
तू तो है इक नन्हा बालक
बन्दूक कैसे उठायेगा
छोटे छोटे हाथों में तू
शक्ति कहाँ से लायेगा
बोल मेरे राजा बेटे , फिर
देश की लाज कैसे बचायेगा
कैसे तू बचायेगा........
तू चिंता ना कर मैया
पूरा फर्ज निभाऊंगा
तेरे दूध की ताकत से
मैं शिव ताण्डव कर आऊंगा
चरणों में तेरे दुश्मन का
सर , काट मैं ले आऊंगा
कर्ज मैं चुकाऊंगा.........
तू मेरी आँखों का तारा
सीना चौड़ा कर जायेगा
एक एक दुश्मन मार के
तू , सर मेरा , ऊँचा कर आयेगा
मातृभूमि की माटी का मान रखने
तू अपने लहु का तिलक लगायेगा
गोदी में सो जायेगा.......
मैं वापिस आऊंगा
दुश्मन मार भगा आऊंगा
राखी की लाज बचाऊंगा
आँचल में तेरे लौट के माँ , मैं आऊंगा
सहारा लाठी का फिर बन जाऊंगा
ये मिट्टी सर आँखों पर
माथे मेरे सजा , भेजो
देश मेरा खेेलता रहे इस मिट्टी......
इस खातिर , मैं मिट्टी बन जाऊंगा
भारत माँ का लाल बन कर , मैं.....
तिरंगे में लिपट कर आऊंगा......
राजेश गोसाईं
****&
14..
......गजब हो गया......
कमाल का है देखो
ये अपना वतन
ऐक सरकार का पूर्ण आना
गजब हो गया
हमरी ना मानो तो
बेगमवा से पूछो....2
जिनका सारी उमर
कष्ट में था जां ओ तन
उसपे तीन तलाक
पास हो जाना
गजब हो गया
कमाल का है देखो
ये अपना वतन
अब भी शंका है तो
नासा से पूछो...2
उनका चन्द्रयान 2 का सफल
हो जाना गजब हो गया
कमाल का है देखो
ये अपना वतन
हमरी ना मानो तो
लोगों से पूछो....2
जिनका जन्नत में हुआ है पतन
उनका 370 धारा खत्म हो जाना
गजब हो गया
कमाल का है देखो
ये अपना वतन
मना रहें हैं आजादी का
त्यौहार हम
उसमे रक्षा बंधन का आना
गजब हो गया
कमाल का है देखो
ये अपना वतन
राजेश गोसाईं
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