पुस्तक समीक्षा बालकों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करती ,"पेड़ लगाओ" की कविताएं समीक्षक : डॉ. चित्रलेखा पु...
पुस्तक समीक्षा
बालकों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करती ,"पेड़ लगाओ" की कविताएं
समीक्षक : डॉ. चित्रलेखा
पुस्तक : पेड़ लगाओ (बाल कविता संग्रह)
रचनाकार : राजकुमार जैन राजन
प्रकाशक : अयान प्रकाशन, 1/20 - महरौली, नईदिल्ली -1100030
मूल्य : ₹.250/- (सजिल्द) प्रथम संस्करण: 2019
'पेड़ लगाओ' बाल कविता संग्रह के कवि राजकुमार जैन 'राजन' बहुत ही संवेदनशील, साहित्य के प्रति निष्ठावान, बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्तित्व के धनी रचनाकार हैं। जैसा कि संग्रह के नाम से स्पष्ट है कि यह एक ऐसा कविताओं का संग्रह है, जो बच्चों को प्रकृति प्रेम, पर्यावरण संरक्षण आदि की सीख देते हुए, उन्हें जागरुक करने का प्रयास करती है।
बाल साहित्य लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। 'पंचतंत्र' नामक पुस्तक की कहानियों में पक्षियों को माध्यम बनाकर बच्चों को शिक्षा प्रदान की गयी। कहानियां सुनना तो बच्चों को बहुत ही पसंद आता है। दादी , नानी से हम बचपन में कहानियां सुनते थे।कहानी के माध्यम से हमें कभी परियों के देश ले जाती थीं , तो कभी बहुत सारी जीवन उपयोगी यथार्थ पूर्ण बातें सिखा देती थीं। आज दादी, नानी के साथ बच्चे समय बहुत कम बिता पाते हैं। एकल परिवार होने के कारण छुट्टियों में ही बच्चे दादी नानी से मिल पाते हैं। नतीजतन आज वह परंपरा खत्म हो गई । आज माता-पिता ही ,जब बच्चे बोलना शुरू करते हैं, उसी समय से उन्हें छोटी-छोटी कविताएं सुनाकर उनका मनोरंजन तथा उन्हीं कविताओं के द्वारा उपयोगी बातें भी सिखाने का प्रयास करते हैं।
दरअसल, बाल साहित्य का उद्देश्य बाल पाठकों का मनोरंज करना ही नहीं, अपितु आज के जीवन की सच्चाइयों से अवगत कराना भी है। आज के बालक कल के भविष्य होते हैं। कविताओं के माध्यम से बच्चों को शिक्षा प्रदान करके उनका चरित्र निर्माण कर सकते हैं, तभी तो यह बच्चे जीवन के संघर्षों से जुड़ सकेंगे ।अंतरिक्ष की यात्राएं करेंगे ,चांद पर जाएंगे। शायद दूसरे ग्रह पर भी जाएंगे।
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किसी भी बाल साहित्य के रचनाकार को बाल मनोविज्ञान की पूरी जानकारी होती है, तभी वह बाल मानस पटल पर उतर कर कहानी, कविता या उपन्यास लिख पाते हैं । राजकुमार जैन 'राजन' वाकई एक बाल मन के चितेरे ऐसे कवि हैं जो इस सांचे में फिट बैठते हैं। 'पेड़ लगाओ' संग्रह की एक-एक कविता बाल मनोवैज्ञानिक सोच पर आधारित है । बहुत ही सरल और सहज--सीधा बाल मन, बिना परिश्रम उसे आत्मसात करेगा। इस कविता संग्रह की पहली कविता 'रोबोट दिला दो राम' शीर्षक से ही स्पष्ट है कि आज के इस मशीनी युग में भारी भरकम बस्ते के बोझ से थककरबच्चे होमवर्क झट से करने की बात रोबोट से करते हैं। आज एकल परिवार होने के कारण बच्चे अकेलेपन से जूझ रहे हैं। उसे अपनी मम्मी की भी चिंता है, तभी तो कहते हैं-" रोबोट किया करेगा / अब से मेरे घर का सारा काम/ मम्मी को भी मिल जाएगा/ कुछ पल को थोड़ा आराम /कभी बोर होऊंगा तो /बात करेगा प्यारी-प्यारी /करवाओ चाहे जो कुछ /नहीं कहेगा सॉरी।" वहीं 'गिलहरी ' कविता के माध्यम से कवि बच्चों में परिश्रम करने की सीख देते हैं। "श्रम करती पेड़ों पर चढ़ती/ करती नहीं आराम गिलहरी/ हरदम मेहनत करती रहती/ करती काम तमाम गिलहरी।", 'नदियाँ सी लहराती रेल' कविता की कुछ पंक्तियां देखिए--- "गुस्सा कभी न इसको आता /अपनापन बतलाती रेल/ रुको ना मंजिल से पहले/ हमको है सिखलाती रेल।" मनोरंजन के साथ साथ बच्चों में संस्कार भरती राजन जी की कविताएं बहुत ही उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक है। 'पेड़ की छांव' कविता में वृक्षों के महत्व को बताते हुए मां की ममता से तुलना करके उसकी सुरक्षा का भाव भरते हैं- "आओ मिलकर नाचे गाएँ/ जैसे अपना गांव/ मां की ममता सी लगती है/ हर पेड़ की छाँव ।"
'मीठी वाणी का जादू' कविता में मीठे बोलने की सीख देते हुए कहते हैं- "मीठी वाणी में है जादू/ सबसे प्रीती जगाती है/ झगड़ा, टंटा, बैर भूलाकर/ स्नेह, सुधा बरसाती है / रूपया - पैसा चुक जाता है/ हरदम साथ निभाती है/ अपने घर से दूर देश में सबको मीत बनाती है।"
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आज बच्चों का बस्ता बहुत भारी ही गया है। बच्चे बस्ते के बोझ से बेहद थकान महसूस करते हैं ।कवि की दृष्टि उस पर भी जाती है- 'बस्ते का बोझ' शीर्षक कविता में- "तुम्हीं बताओ मुझको/ कैसे विद्यालय मैं जाऊं/ बोझा बस्ते का है भारी/ उठा नहीं मैं पाऊं/ थोड़ी समझ बड़ों को दे दो/ ओ मेरे प्यारे भगवान/ बस्ता हल्का करवा दो तो/ पढ़ना हो जाए आसान।" बच्चों की मन की बात राजन जी ख़ूब समझते हैं, तभी तो कहते हैं - "मम्मी अब तो दया करो/ रूप लंच का नया करो / लंच लजीज हो जायकेदार/ कुछ तो ऐसा किया करो/ सेंडविच और नूडल हो /और कभी हो भटूरे -छोले/ मित्रों में भी रौब जमे/ खा दिल बोले ओले-ओले।" आज बच्चों में पुस्तकों के प्रति उदासीनता के प्रति सजग हैं कवि।'पुस्तक' शीर्षक कविता में पुस्तक का महत्व समझाते हुए कवि लिखते हैं- " कथा, कहानी और कविताएं / दादी जैसा प्यार है पुस्तक/जैसे चाहो वैसे हाजिर/ कभी नही लाचार है पुस्तक/ आगे बढ़ने का हर सपना/ करे सदा साकार है पुस्तक।"" ' पेड़ लगाओ' शीर्षक कविता इस काव्य संग्रह को और भी विशिष्ट बनाती है। आज धूल ,धुआं, जहरीली गैसें आदि प्रदूषण का बड़ा कारण है। वृक्षों और पहाड़ों की कटाई से जल संकट की स्थिति पैदा हो गई है, और दिन पर दिन तापमान में बढ़ोतरी के कारण भी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का ही परिणाम है। ऐसे में कवि की यह कविता बच्चों को पर्यावरण की रक्षा के प्रति सजग करती है। "अपने सर पर धूप झेलकर/ सबको देता छाया/ अपना फल देता दूजों को/ स्वयं कभी ना खाया। धूल ,धुआं,जहरीले गैसें/पी जाता है सारी /शुद्ध आॅक्सीजन हमको देकर/ रक्षा करे हमारी।", पेड़ बचाएं ' कविता की कुछ पंक्तियां- "पेड़ हमारे जीवन रक्षक/ इनकी महिमा न्यारी/पेड़ रहे धरती पर/ यह हम सबकी जिम्मेदारी ।" 'पानी को सहेजें' शीर्षक कविता में कवि पानी को सहेजने की बात करते हैं-" पानी अमृत जीवन का क्यों/ करते हम नादानी/ कैसे बीतेगा भू का कल/ बचा नहीं यदि पानी।"
एक तरफ जहां राजनजी 'कंप्यूटर भैया', 'इंटरनेट' कविता बच्चों के लिए लिखते हैं वहीं दूसरी तरफ 'सन्यासी बिल्ली', 'हाथी की सवारी',' झबड़ा भालू',' सूरज मामा'," गुड्डे गुड़ियों की शादी',' शेर की शादी' इत्यादि कविताएं लिखकर बच्चों का भरपूर मनोरंजन करते हैं। 'परिणाम भुगतने होंगे' कविता में कवि चेतावनी देते हैं- "खनिज सम्पदा दोहन करके पर्यावरण बिगाड़ दिया/ अंधाधुंध काटे सब तरूवर/ वन जीवों का नाश किया।"
इस प्रकार हम कह सकते हैं रचनाकार राजकुमार जैन 'राजन' जी का बाल कविता संग्रह 'पेड़ लगाओ' निश्चित ही बाल पाठकों के लिए उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक साबित होगा। हालांकि, यह इनकी पहली बाल पुस्तक नहीं है, इनकी लगभग 36 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। कई पुरस्कार, सम्मान आपको मील चुके हैं ,कई पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक भी हैं, साथ ही साथ कई साहित्यिक सम्मानों के संस्थापक भी हैं। आशा करती हूं साहित्य जगत में "पेड़ लगाओ" का व्यापक स्वागत होगा।आगे भी आप उपयोगी पुस्तकें बाल पाठकों के लिए रचते रहेंगे ।मेरी शुभकामनाएं इनके साथ है।●
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◆डॉ.चित्रलेखा
एसोसिएट प्रोफ़ेसर
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय
बी.एस.कॉलेज,दानापुर
पटना-800012 (बिहार)
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