चार कविताएं 1- अस्तिव की तलाश """""""'""""""""""...
चार कविताएं
1- अस्तिव की तलाश
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अनकही ख़्वाहिशों और
अनचीन्हे परिवेश के बीच
सन्नाटा, ख़ौफ और आशंकाएं
रह - रह कर डराती है
निर्वासित, स्तम्भित
जकड़ा हुआ मृगमरीचिका -सा हूँ
शायद जीवन का कोई गुनाह
साथ लाया हूँ
कि हर दृष्टि भरम ने
चला है मुझको
अपने आप से अनजान
एक छटपटाता अस्तित्व
और असफलताओं की पीड़ा
हर क्षण सालती रहती है
अपने आप को
अंधकार के खोजने की चेष्टा
व्यर्थ और अर्थहीन
गुम हो जाती है
चेहरे पर मायूसी, व्यथा लिए
विचलित इस संसार में
सामने खड़े हो जाते हैं
सम्वेदनाओं, आशाओं के बिम्ब
अनेक संदर्भ आकर जुड़ने लगते हैं
और न जाने क्या
अंदर ही अंदर
कुछ पिघलने लगता है
ऐसे में बंद किसी मुट्ठी में
तितली -सा
जीवन का हर रिश्ता
पंख बन फड़फड़ाता है
अपने अस्तित्व की तलाश में।
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2- ● हौसलों के समंदर●
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हमारे आस - पास
अपेक्षाओं की बहुत बड़ी भीड़
पगडंडी के दोनों ओर
गन्तव्य तक पहुंचने की चाह में
बिछी हुई घटनाएं
और जीवन के गोदाम में
लगी हुई आग
संवेदनाओं की फसल को
कर दिया खाक
मौन और चुप्पी के धुंए में
जख्मों का शहर हो गया आदमी
एकाकीपन की छाया में
स्वार्थ मुखर हो गये
और विद्रोह से उपेक्षित भीड़ ने
अपनत्व भरे रिश्तों को
कब का ही बेच डाला
शहर की चकाचौन्ध
और प्रदूषित हवा
ग्रहण लगाने को उतावली है
शांत जिंदगी में
चुभता है कांटा बन
मंदिरों का सन्नाटा
शिखर पाने की चाह में
हिलने लगी फिर
बुनियाद की दरारें
सुरक्षित नहीं है अब उजाले
अपने घर - द्वार के
जर्रा- जर्रा कायनात का
साजिश रचता है हर पल
फिर भी
हौसलों के समंदर हैं जो
होकर बेख़ौफ़ खड़ें हैं
जो रुख बदल देते है
हवाओं का भी।
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3 ● मोम बन पिघला दे ●
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अस्ताचल में
जमा हुआ ग्लेशियर
पिघल कर भावों की धारा में
चल पड़ा है
मुझे डर है इस धारा में
कहीं डूब न जाऊं
किसी अनजान भंवर के फंस कर
कोई इतिहास न बन जाऊं
उपेक्षाओं की बहुत बड़ी भीड़
नियति की डाल पर
सक्रिय है
इससे पहले कि
पढ़ी हुई किसी कहानी की तरह
कोई ओंठ मुझसे छू जाए
और घटनाक्रम के रेले
दिमाग की नसें फाड़कर
मुझे खून से सराबोर कर जाए
मैं लिख देना चाहता हूं
बर्फ का पहाड़, दुनिया के नाम
जो जिंदगी की गुफाओं में तड़फते
मानव को शांति का संदेश दे
सर्वहारा के अधरों की खामोशी को
नई उमंगों से भर दें
स्वार्थ, ईर्ष्या, द्वेष,लोभ को
मोम बन पिघला दे
ग्लेशियर की तरह!!
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4- ● ईश्वर मर गया है ●
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निराशा
अंधेरे की ओट में खड़ी है
और लगता है यह रात
जिंदगी से बड़ी है
आज कोई मासूम कली
फिर छली गई है
विकृति!
अपने अहम में फूल गई हो तुम
यही अहम कोढ़ बनकर फूटता है
इस चमन में
कोमल कमल कलियां
कांटों के कैक्टस में बिंध रही है
एक एक कर
मासूम कलियों के साथ
हो रहा यहां व्यभिचार
लगता है आत्मा के अंधेरे कोनों में
चेतना की लौ कहीं धुंधला गई है
हमारी धमनियों में अब खून की जगह
नीला पानी बहता है
हम अबोध थे
हमे अहसास होता था कि
कण - कण में ईश्वर है
जो सबका रक्षक है
किंतु यह सपना अब टूट गया
मन का वह भरम छूट गया
हमे लगा कि हमारा ईश्वर मर गया है
और मरते मरते भी
कई परिवारों के सपने
हो गए चकनाचूर
ओ काम पिपासु बुझदिल इंसान
भुला दी तुमने जो हमी से सीखी थी
जो सभ्यता, जो सहूर
उन मासूमों का क्या दोष था
जिनको मरने से पहले तुमने मार दिया
अपनी अंधी वासना में
ईश्वर मर गया तो क्या
उन मासूम कलियों के आंसुओं की चीख
ज्वालामुखी बन फूटेगी एकदिन
और भस्म कर देगी इन व्यभिचारियों को।
--
●राजकुमार जैन राजन
चित्रा प्रकाशन
आकोला - 312205 (चित्तौड़गढ़) राजस्थान
ईमेल : rajkumarjainrajan@gmail.com
उपरोक्त चारों रचनाएँ पूर्णतः मौलिक, अप्रकाशित, अप्रसारित है
● राजकुमार जैन राजन
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रचनाकार का परिचय
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*नाम*- राजकुमार जैन राजन
*जन्म तिथि*- 24 जून 1969
*जन्म स्थान* - आकोला, राजस्थान
*शिक्षा*- एम. ए. (हिन्दी)
*लेखन विधाएं*- कहानी/कविता/पर्यटन/ लोक जीवन एवं बाल साहित्य
*प्रकाशन*- ’नेक हंस’, ‘लाख टके की बात’, ‘झनकू का गाना’, ‘आदर्श मित्र’, ‘बच्चों की सरकार’, ‘आदिवासी बालक’,‘पशु पक्षियो के गीत’, ‘एक था गुणीराम’, ‘सबसे अच्छा उपहार’, ‘प्यारी छुट्टी जिन्दाबाद’, ’बस्ते का बोझ’, ’चिडि़या की सीख’, ‘जन्म दिन का उपहार’, ‘मन के जीते जीत’,'रोबोट एक दिला दो राम', 'पेड़ लगाएं' (सभी हिन्दी), ‘खुशी रा आंसू’ (राजस्थानी), ‘लाडेसर बण जावां’ (राजस्थानी) The Best Gift (अंग्रेजी) ’मनर जयेइ जय’ (असमिया), "सभ तों चंगा तोहफा"(पंजाबी) , " सबथु भाला उपहारा (उड़िया )आदि बाल साहित्य कीव36 पुस्तकों का प्रकाशन।
*हिंदी बाल कहानियों का मराठी अनुवाद 20 पुस्तकों के सेट में प्रकाशित*
'खोजना होगा अमृत कलश' (कविता संग्रह) पंजाबी, मराठी,गुजराती सहित "नेपाली" में काठमांडू एवम "सिंहली" में अनुदित होकर श्रीलंका से प्रकाशित, एवं 'इसी का नाम ज़िन्दगी' (सम्पादकीय आलेख संग्रह)
लगभग तीन दर्जन पुस्तकें एवं पत्र-पत्रिकाओं में हजारों रचनाएं प्रकाशित
*प्रसारण* - आकाशवाणी व दूरदर्शन सहित विभिन्न चैनल्स से प्रसारण
*संपादन*- 'रॉकेट' ( बाल मासिक), 'श्रमनस्वर' (मासिक), 'टाबर टोली', 'बाल मितान', 'बाल वाटिका' एवं 'हिमालिनी' (नेपाल) पत्रिकाओं को सम्पादन सहयोग।
■"साहित्य समीर दस्तक" मासिक ( पूर्व प्रधान सम्पादक),
‘राष्ट्र समर्पण मासिक’ (साहित्य सम्पादक) , "साहित्य गुंजन" (संपादक), "संगिनी" (सह संपादक)
*कई पत्रिकाओ के ‘बाल विशेषांक’ सम्पादन*
*अनुवाद* - ‘सबसे अच्छा उपहार’ बाल कहानी संग्रह पंजाबी, मराठी, उडिय़ा, गुजराती और अंग्रेजी में अनूदित।
*अनेकों रचनाएं/बाल कहानियां गुजराती, मराठी, कन्नड़, पंजाबी, अंग्रेजी, राजस्थानी, तमिल, सिंधी और संस्कृत में अनूदित।*
*संस्थापक*- ‘ हिन्दी बाल साहित्य की उत्कृष्ट पुस्तक पर प्रति वर्ष अखिल भारतीय स्तर पर इक्कीस हजार रूपये का ‘पं. सोहनलाल द्विवेदी बाल साहित्य पुरस्कार’। (पिछले ग्यारह वर्ष से)
*प्रत्येक पांच हजार रू. राशि के सम्मान*
राजस्थानी बाल साहित्य की उत्कृष्ट पुस्तक पर 'चन्द्रसिंह बिरकाली पुरस्कार'।
‘डॉ. राष्ट्रबन्धु स्मृति वरिष्ठ बाल साहित्यकार सम्मान’ (दो सम्मान प्रतिवर्ष)
'डॉ. श्री प्रसाद स्मृति युवा बाल साहित्यकार सम्मान'
'डॉ. बालशौरी रेड्डी बाल साहित्य सम्मान'
'श्री अम्बालाल हींगड़ स्मृति साहित्य सम्मान'
'श्रीमती इन्द्रादेवी हींगड स्मृति साहित्य सम्मान' एवं अन्य एक दर्जन सम्मान
*‘राजकुमार जैन राजन फाउण्डेशन’ की स्थापना*
साहित्य/शिक्षा/सेवा/चिकित्सा
*प्रमुख पुरस्कार और सम्मान*
●महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन, उदयपुर से ‘राजसिंह अवार्ड’ (दो बार)
●'शकुन्तला सिरोठिया बाल साहित्य पुरस्कार', इलाहाबाद
●राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी (राज. सरकार) द्वारा
‘जवाहर लाल नेहरू राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार’
●साहित्य मण्डल श्री नाथद्वारा द्वारा ‘गिरिराज शर्मा स्मृति सम्मान
●राजस्थान जन मंच, जयपुर द्वारा ‘समाज रत्न-2016’
●‘राजीव गांधी एक्सीलेंट अवार्ड- 2016’, लखनऊ (उ.प्र.)
●भारतीय बाल कल्याण संस्थान, कानपुर द्वारा ‘डॉ. राष्ट्रबंधु सम्मान-2017’
●भारत - नेपाल मैत्री संघ द्वारा साहित्य सेतु सम्मान- 2018
●क्रान्तिधरा साहित्य अकादमी, काठमांडू ,नेपाल द्वारा साहित्य सेवा सम्मान-2018
सहित 101 से अधिक पुरस्कार / सम्मान
*विशेष* - हिन्दी के प्रचार-प्रसार सहित बाल साहित्य उन्नयन व बाल कल्याण के लिए विशेष योजनाओं का क्रियान्वयन
*संपर्क* चित्रा प्रकाशन,
आकोला- 312205,
चित्तौडगढ़ (राजस्थान)
ईमेल rajkumarjainrajan@gmail.com
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