(1) कविता- बड़ा सुंदर ही नाच हो रहा है फूलमाला पहनायी जा रही खुल्लेआम छुर्री चल रही पवित्रता का चोला रंग पहने चोरी-डकैती और हत्या कर रहे...
(1) कविता- बड़ा सुंदर ही नाच हो रहा है
फूलमाला पहनायी जा रही
खुल्लेआम छुर्री चल रही
पवित्रता का चोला रंग पहने
चोरी-डकैती और हत्या कर रहे
सच्चाई के वादे किये जाकर
केवल हो रहे हैं काले कागज
सादगी का उड़ा मजाक
तारीफ पा रहा आडम्बर
तिलक-माला की आड़ में खेल है कोई और
पर्दे के पीछे की असल कहानी है कुछ और
चौकीदार चोर है या न्यायाधीश अंधा
चोर डाटे कोतवाल को या बेगुनाह को सजा
दिखता है फिर भी लगी आँखों पर चश्मा है
पर्दे का राज जान भी ग्वाह अनजान बन रहा है
नकली पर छाप असली लगा बेच रहे
गंगाजल के नाम पर शराब पिला रहे
नमक पर कीमत बढ़ा शक्कर मुफ्त
गाय को चारा नहीं कुत्ते को दूध मलाई युक्त
पद-प्रतिष्ठा का हो रहा सलाम
गुणों को गिरवी रखा टका-भाव
इज्जत बेच वाहवाही लूटते कह रहे
वाह, क्या बड़ा ही सुंदर नाच हो रहा है
- रतन लाल जाट
(2) कविता- हमारी जनता
कई सारे जुल्म
और अत्याचार
झूठे वादे
और काले कारनामें
कितनी आसानी से
सह लेती है
जनता हमारी
सब कुछ भूला देती
और हँसती हुई
पुनः एक बार फिर
पाँच साल तक
वही सब कुछ
वापस झेलने को
तैयार हो जाती है
सीने पर पत्थर रखकर
अपने अरमान खाक कर
जले पर नमक छिड़काने को
- रतन लाल जाट
(3) कविता- हवस या मजबूरी
कोई हवस में
है निरा अंधा
कोई मजबूर हो
करता काम
है घिनौना
अपने दिल की
दफन कर आवाज
गिर जाते हैं
गैर पैरों तले
वो शैतान
सारी मर्यादा तोड़
धन के बल
तार-तार कर देते
औरों की
इज्जत और आबरु
कौन दोषी है
कहो ताकतवर
या लाचार
- रतन लाल जाट
(4) कविता- माँ अनमोल है
बड़े प्यार से
जब सिर पर
हाथ कोई होता है
तो सच ही
वो माँ के सिवा
किसी और का
हाथ नहीं होता है
जब भूला दे
दर्द कोई अपने
वह ठंड़ी छाँव
माँ का आँचल है
बिना कहे
चेहरा देखकर
या आवाज मात्र से
मन की पीड़ा
समझने वाली
केवल माँ है
कहते हैं
जन्म सबको
ईश्वर देता है
लेकिन उसको भी
जन्म देने वाली
एक माँ ही है
धन-दौलत
यदि मिट्टी है
तो माँ के लिए है
औलाद ही
उसके लिए
सबसे बड़ी दौलत है
तो फिर क्या
संतान के लिए
माँ अनमोल नहीं है
- रतन लाल जाट
(5) कविता- प्यार का अहसास
क्या कर रहे हो
खाना खाया कि नहीं
अब मुझसे कभी भी
बात नहीं करना
तुम्हारे पास तो
मेरी फोटो है
यूँ समझो कि
मैं मर गयी
भूला देना मुझे
मेरे जैसे तो बहुत है
जाओ, उनसे मिलो
मेरी तुम्हें क्या जरूरत है
इस तरह कही जाने वाली
बातों में सच्चे प्यार का
अटूट अहसास होता है
ना कोई स्वार्थ भावना
ना कोई नफरत होती है
- रतन लाल जाट
(6) कविता- काश, वो जान जाते
टकटकी लगाये
घंटों निहारना
हमेशा देखते ही
दौड़ गले मिलना
काश, वो भी देख पाते
हर छोटी-छोटी बात
बताना और पूछना
खुद को भूलकर
सपने उसके देखना
काश, वो भी जान जाते
किसी मूरत के जैसे
मन-मंदिर में बसाना
दिन-रात उसके लिए
मन्नतें करना, दुआ माँगना
काश, वो भी पैगाम लाते
हर खुशी में उसको
सबसे पहले रखना
हर राह में उसके
सदा हाथ थामे चलना
काश, वो भी साथ आते
- रतन लाल जाट
(7) कविता- अंजाम प्यार का
खूब हँसना और अकेले रोना
गले मिलना और साथ बिछुड़ना
दिल लगना और जान निकलना
बात-बात पर रूठना और हर बार मनाना
महल-सा बनना और पत्तों-सा बिखरना
गुलाब बन महकना और कली जैसे मुरझाना
अनमोल मोती जुड़ना और कच्चा धागा टूटना
अटूट विश्वास और स्वार्थ धोखा
प्यार सपना और भ्रम कोरा
मीठी कल्पना और अनुभव कड़वा
अमृत-सागर और थार का कुआँ
रिमझिम बरखा और भीषण ज्वाला
संग जीना और जुदा मरना
कसमें निभाना और वादे तोड़ना
धीरे-से उठना और पल में गिरना
हसीन फूल और दिल-चीर काँटा
घनी धूप और शीतल छाया
बसंती हवा और आँधी तूफां
भीगी चाँदनी और घोर अंधियारा
जर्रा-जर्रा और टुकड़ा-टुकड़ा
मैंने खूब देखा है यह फसाना
यारों! पता है अंजाम प्यार का
- रतन लाल जाट
(8) कविता- बिछुड़ना
मानों पेड़ से
टूटा हुआ
हो कोई पत्ता
या हो बिना
तारों की कोई
एक वीणा
जैसे कोई
दर्पण हो
बरसों से धुँधला
लगता है जैसे
बिना अक्स कोई
घुम रहा है पहिया
सूरजमुखी
बिना सूर्य के
जैसे हो मुरझाया
बिन बात्ती
बुझा-सा
कोई दीया
लता से
फूल कोई
टूटा हुआ
इन सबकी
कहानी एक
है बिछुड़ना
- रतन लाल जाट
(9)कविता- इतने आँसू
कितना ही
दुःख सह जाती
हैं ये आँखें
हजारों बाण से
हुए घाव कई सारे
लेकिन नहीं
सह पाती हैं
बस इतना-सा
और उसके
थोड़ा दुःखी होने
मौन चुप रहने
या बिछड़ जाने की बात पर
अचानक छलक जाती हैं
ये आँखें
पता ही नहीं चलता
कि इतने आँसू
कहाँ छिपे रहते हैं
- रतन लाल जाट
(10) कविता- बाँहों के बीच अकेले
प्रिय संग सेज पर
लगता है सूना
कोई और है
दिल में
किसी को नहीं है पता
तन इधर है
पर मन नहीं
हकीकत है
पर ख्वाब नहीं
पास होकर भी
दूरियाँ बहुत है
और वो दूरी
दिलों में कुछ भी
नहीं है
- रतन लाल जाट
(11) कविता- बीता हुआ वक्त
कुछ भी कर लो
गुजर जाने के बाद भी
बीता हुआ वक्त
शेष रह जाता है
आँखें मिलते ही
रंग चेहरे के बदल जाते
बरसों पुरानी कहानी
जीवित हो उठती है
गड़े मुर्दे उखड़ जाते
और तलवारें खींच जाती
सदियाँ मिटकर
केवल आज ही रह जाता है
- रतन लाल जाट
(12) कविता- छोटी-छोटी यादें
पीछा नहीं छोड़ती हैं
छोटी-छोटी यादें
बरसों बीत जाने के बाद भी
हमेशा साथ रहती हैं
कभी मरती नहीं
युगों तक जीवित
सदा रहती हैं यादें
जो बहुत ही
छोटी-छोटी
और बहुत ही
मीठी और प्यारी
कभी हमको
कई बार रुलाती है
कभी अकेले में
हँसाती है
दुःख में खुशी
सुख में गमी
एक ताकत नयी
और मंजिल अपनी
दिखाती हैं यादें
- रतन लाल जाट
(13) कविता- इन्तजार तेरा
हर वक्त
रहता है
इन्तजार तेरा
हर पल
नजर आता है
चेहरा तेरा
हमेशा धीरे-से
सुनता हूँ
अफसाना हमारा
नहीं भूलता हूँ
एक पल भी
यादों का सिलसिला
नींद में भी
कुछ कम होता नहीं
प्यार अपना
- रतन लाल जाट
(14) कविता- बिना तुम्हारे
साँसे रूक जाती
दुनिया बिखर जाती
चेहरा गुमसुम
लब है केवल चुप
सब हार गये
पर बेअसर रहे
ना आखों के आँसू टूटे
ना दिल रोता कभी थमे
जो पल में हर गम उठा ले
वो कोई नहीं सिवा तुम्हारे
बिन कुछ कहे सारी दास्तां
जान जायो वो और कोई है ना
हिम्मत जवाब दे चुकी
तन-मन ने हार मान ली
बैठ गये घुटने टेक हम
बिना तुम्हारे हो हैं बेदम
- रतन लाल जाट
(15) कविता-
वो बहुत चाहते हैं
एक दूसरे के
हमेशा साथ रहे
बड़ी तमन्ना उनको
लेकिन आसान नहीं है
साथ जीना-मरना
बहुत ही मुश्किल है
मिलना-जुलना
आखिर कब स्वीकारा है
दुनिया ने प्यार को
प्रेम नाम ही बदनाम हुआ है
बुझदिलों और बेदर्दो
कब प्रेमी एक दूसरे से मिलके
आपस में दुख दर्द बाँट
एक साथ जीवन जियेंगे
जब तक है आखिरी साँस
- रतन लाल जाट
इस बहुमूल्य जानकारी को साझा करने के लिए धन्यवाद। मैं आपकी साइट पर वापस आऊंगा
जवाब देंहटाएंKya Aapko bhi Ghar baithe WhatsApp use karke paisa kamana hai WhatsApp se paisa kamane ka Tarika Ghar baithe kamao
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