नो बार्किंग या नो पार्किंग शहर में चोरी की घटना अपने चरम सीमा पर थी। सिक्योरिटी गार्ड के होते हुए भी चोर अपना काम कर जाते थे। चांदनी विला अभ...
नो बार्किंग या नो पार्किंग
शहर में चोरी की घटना अपने चरम सीमा पर थी। सिक्योरिटी गार्ड के होते हुए भी चोर अपना काम कर जाते थे। चांदनी विला अभी तक चोरों से अछूती थी। चांदनी विला के मालिक दस्तूर खान ने चौबीसों घंटे दो कंपनी के गार्ड रखे थे। कोने-कोने पर सी.सी. टी.वी. कैमरा लगा रखे थे।
दस्तूर खान ने अपनी अम्मी जानकी बात मानकर विदेश से एक प्रशिक्षित कुत्ता टॉमी को मंगवाया।
ट्रेनिंग खत्म होने के बाद टॉमी की पहली पोस्टिंग चांदनी विला में हुई।
टॉमी के ट्रेनर ने सारी कलाबाजी, अपनी ड्यूटी पर चौकन्ना रहना और थोड़ी बहुत अंग्रेजी भी सीखा दी थी।
चांदनी विला में टॉमी को अच्छा खाना और रोज मांस का टुकड़ा मिलने लगा।
सिक्योरिटी गार्ड्स तो आई क्यू टेस्ट में औसत निकले। अब टॉमी का आई क्यू एंड एलर्टनेस टेस्ट होना बाकी था।
टॉमी के जोरदार भोंकने की शक्ति पे दस्तूर खान फिदा हुआ ही थे कि संयोगवश चांदनी विला में भयंकर चोरी हो गई। चोरों ने बेशकीमती सामानों पर हाथ साफ कर लिया।
बौखलाहट में आकर दस्तूर खान ने सिक्योरिटी गार्ड्स को डांट-डपटकर भगा दिया और अम्मी जान को भी खरी-खोटी सुनाई, क्योंकि उनकी ही सलाह मानकर ‘टॉमी’ कुत्ता पर दो लाख रुपए खर्च किए थे।
पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखाने के बाद दस्तूर खान सीधे कुत्तों के ट्रेनर के पास गए।
ट्रेनर ने घटना के बारे में सुनकर ‘सॉरी’ बोलकर अपना पल्ला झाड़ लिया लेकिन सॉरी से क्या हो जाने वाला था। कुत्तों के ट्रेनर डेविड ने दस्तूर खान की जिद के सामने घुटने टेकते हुए टॉमी के सारे दोस्तों और उनके सरदार की सभा बुलाई।
कुत्तों के सरदार बॉन्ड ने दस्तूर खान को भरोसा दिलाया कि ‘‘टॉमी के साथ उचित कार्यवाही की जाएगी।’’
टॉमी अपने दोस्तों और सरदार के बीच असहाय सा बैठा हुआ था, क्योंकि मामला बड़ा संगीन था और इल्जाम ऐसा कि माफी की कोई गुंजाइश नहीं।
बॉन्ड ने कहा, ‘‘टॉमी जो बात है सच-सच बताओ, क्योंकि हमारी बिरादरी झूठ नहीं बोलती है और हमारी वफादारी का तो कोई मुकाबला ही नहीं।’’
टॉमी ने भौंककर अपना सिर हिलाया।
बॉन्ड ने कहा, ‘‘टॉमी, दस्तूर साहब के सुरक्षा गार्ड बता रहे थे कि उनको नींद आ गई थी। अगर तुम भौंक देते तो सिक्योरिटी गार्ड्स की नींद टूट जाती और बड़ी घटना घटने से रह जाती। कम से कम तुम पर तो सारा इल्जाम नहीं आता।
बॉन्ड ने भौं तानी, आंखों को कड़ा कर कहा, ‘‘मेरा पहला और आखिरी सवाल यही है कि तुमने भौंका क्यों नहीं? आखिर क्यों? क्यों? क्यों?’’
टीम जीभ बाहर निकालकर ठंडी आहें भरने लगा। चेहरे पर आया शिकन साफ-साफ बयां कर रहा था। टॉमी अपने पंजे से खुद को नोचने लगा। चुप ही रहा, कोई जवाब नहीं दिया।
बॉन्ड और टॉमी के दोस्त समझ गए कि सारी कसूर टॉमी का है।
कुत्तों के सरदार बॉन्ड ने कहा, ‘‘टॉमी को बिरादरी से अलग कर देना चाहिए। इसके किसी शुभ या अशुभ कार्य में हम में से कोई शामिल नहीं होगा और न ही कोई बात करेगा।’’
टॉमी के लिए यह दंड मृत्युदंड से भी बड़ा था। टॉमी ने आंसू बहाते हुए कहा, ‘‘योर योनर, आपका हर फैसला मंजूर है। आप आइए, आपको कुछ दिखाना चाहता हूं। अपनी बात कहने का एक मौका दे दीजिए।’’
टॉमी की बात मानते हुए बॉन्ड और उसके साथियों के साथ दस्तूर खान भी टॉमी के पीछे गए। टॉमी उन सबों को मेन गेट के पास ले जाकर कहता है, ‘‘उधर ध्यान से देखिए, क्या लिखा हुआ है।’’
बॉन्ड ने भौकते हुए पूछा, ‘‘क्या? कहां लिखा हुआ है? टॉमी ने उंगली के इशारे से गेट में लगे कंपनी के विज्ञापन पोस्टर की तरफ दिखाया। विज्ञापन कंपनी वालों ने बड़ी कंपनी का विज्ञापन तो सही प्रस्तुत किया लेकिन पेंटर की गलती के कारण नो पार्किंग के स्थान पर नो बार्किंग लिखा गया था।
टॉमी ने बताया, ‘‘पिछले गेट पर भी यही लिखा हुआ है, इसीलिए हुजूर मैं नहीं भौंका।’’
टॉमी के सारे साथी वाव-वाव, भों-भों करके ठहाका लगा रहे थे। बॉन्ड और डेविड ने सिर पर हाथ रख लिया और दस्तूर खान बेहोश होकर गिर गए।
-राजीव कुमार
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शौचालय
एक भीड़-भाड़ वाले इलाके में बड़ा-सा मंदिर और बड़ी-सी मस्जिद अगल-बगल में ही था। दोनों देवस्थानों के पीछे शौचालय बना हुआ था। मस्जिद के पीछे जो शौचालय बना हुआ था उसमें लिखा था, ‘‘इसका इस्तेमाल सिर्फ मुसलमान भाई ही करें।”
मंदिर के पीछे बने शौचालय में लिखा हुआ था, ‘‘इसका उपयोग सिर्फ हिंदू बंधू ही करें।”
मंदिर और मस्जिद परिसर में बने शौचालयों के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगती थीं।
हिंदू बंधुओं ने पंडित जी से कहा, ‘‘पंडित जी, विधायक जी से सिफारिश करवाकर, शौचालय में और कमरे बढ़वा दीजिए। कतार में एक घंटा खड़ा रहना पड़ता है।”
मुसलमान भाइयों ने इमाम साहब से कहा, ‘‘इमाम साहब, सांसद से सिफारिश करवाकर, शौचालय में दस-बारह कमरे और जोड़ दिए जाएं तो शौच के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पेट की गैस माथे पर चढ़ जाती है।”
पुजारी जी और इमाम साहब दोनों अपने-अपने धर्म के लोगों की शौच व्यवस्था के बारे में सोचने लगे। वालेंटियर नियुक्त किए गए।
मंदिर परिसर के शौचालय कतार में तीन-चार लोगों से पूछताछ की गई तो सुलेमान ने अपना नाम संजय, अल्ताफ ने अपना नाम अनिल और मुजम्मिल ने अपना नाम मुकेश बता दिया।
मस्जिद परिसर के शौचालय कतार में तीन-चार लोगों से पूछताछ की गई तो आनंद ने अपना नाम अरबाज, संतोष ने शकील और दीपक ने अपना नाम दाउद बता दिया।
जब दोनों धर्मों के वालेंटियर ने डांट-डपट की और एकांत में ले जाकर लिंग जांच की धमकी दी तो सारे लोगों ने अपना-अपना जुर्म कुबूल किया। अब ऐसे मुकदमे तो किसी भी अदालत में नहीं जा सकते थे और न ही ऊपर वाले का कोई फैसला चलता।
इमाम साहब और पुजारी जी दोनों लंगोटिया यार थे। कहीं दंगा न भड़क जाए इसीलिए मंदिर और मस्जिद क्षेत्र में बने शौचालयों से साइन बोर्ड हटा दिया गया और एनाउंस करवा दिया कि ‘‘बंदा चाहे किसी भी धर्म, मजहब का हो, इन शौचालयों का इस्तेमाल कर सकता है।
पंडित जी और इमाम साहब शौचालय के कमरे बढ़ाने की सिफारिश में जुट गए।
परिचय
नाम ः राजीव कुमार
जन्म ः 22 जून, 1980, बिहार, बाँका
शिक्षा ः स्नातक (अंग्रेजी)
विधा ः बचपन से लेखन आरंभ
लघुकथा, ग़ज़ल, उपन्यास
संप्रति ः स्वतंत्र लेखन
साहित्यकुंज, यशोभूमि, साहित्य सुधा, कथादेश में स्वीकृत
संपर्क ः राजीव कुमार
कृष्णा एन्क्लेव, मुकुंदपुर, पार्ट-2
गली: 2/5, दिल्ली-110042 (भारत)
ईमेल: rajeevkumarpoet@gmail.com
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