आलेख - विजय शंकर विकुज - शिल्पांचल के कथा साहित्य का इतिहास

SHARE:

शिल्पांचल के साहित्य और संस्कृति की अपनी एक परंपरा और धारा प्रवाहित होती रही है चाहे वह कहानी के क्षेत्र में हो या कविता के, आलोचना के या अन...

शिल्पांचल के साहित्य और संस्कृति की अपनी एक परंपरा और धारा प्रवाहित होती रही है चाहे वह कहानी के क्षेत्र में हो या कविता के, आलोचना के या अन्य किसी विधा के। हिन्दी कहानी की ही बात की जाये तो इसका फलक ही इतना विशाल है कि उस पर कुछ पन्नों में पूर्ण रूप से कह पाना संभव नहीं है। यहां यह भी कहा जा सकता है कि भारतीय हिन्दी कथा साहित्य भी बंगाल के शिल्पांचल के हिन्दी कथा साहित्य के बगैर अधूरा है और इसे यह गौरव यहां के कथाकारों ने दिलाया है जिनमें सर्वोपरि संजीव का नाम बेहिचक लिया जा सकता है। गर्व की बात यह है कि इस क्षेत्र के जितने भी कथाकार हैं, सभी राष्ट्रीय स्तर के कथाकार हैं और जिनकी कहानियों में वे सारे तत्व उपस्थित हैं जो कहानी विधा के लिए जरूरी हैं।

आज हम शिल्पांचल के जिस समय को जी रहे हैं, जिस जमीन पर खड़े हैं, उसे बौद्धिक रूप से उर्वर यहां के साहित्यकारों ने बनाया है। कुल्टी, आसनसोल, रानीगंज, अंडाल और दुर्गापुर जैसे छोटे-बड़े शहरों तथा निकटतम उपनगरियों व गांवों को मिलाकर ही आम तौर पर शिल्पांचल जाना जाता है। इस क्षेत्र में अन्य साहित्यकारों में गौतम सान्याल, मृत्युंजय तिवारी, महावीर राजी, सृंजय, रवि शंकर सिंह, गोविन्द प्रिय, आनन्द बहादुर, शिव कुमार यादव, विजय शंकर विकुज, सुभाष रंजन, दिनेश कुमार सहित अन्य अनेक नाम हैं। ये लोग विशेष रूप से कथा लेखन के लिए चर्चित रहे हैं। वहीं शिल्पांचल में कवियों, व्यंग्यकारों, हिन्दी के शायरों, आलोचकों की भी एक लंबी फेहरिस्त है लेकिन यह आलेख कथाकारों पर आधारित है इसलिए इसे एक सीमित दायरा देना ही ठीक होगा।

पहली पीढ़ी के कथाकार : शिल्पांचल में हिन्दी के प्रथम कहानीकार के बारे में इतना ही स्पष्ट हो पाया है कि आसनसोल बाजार में कोई बर्णवालजी थे जिनकी कहानियां सारिका तथा तत्कालीन अन्य कई स्तरीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। उस समय उनकी कहानियों की चर्चा काफी हुई है लेकिन बाद में वे कहां चले गये या उनकी रचनाओं का क्या हुआ, इसके बारे काफी खोज करने के बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है। उसके बाद आते हैं मिलिन्द कश्यप जो बंगाल के सीमांत क्षेत्र झारखंड के चिरकुंडा में रहते थे और एक स्कूल के अध्यापक थे। वे एक अच्छे कहानीकार और कवि थे। उन्होंने कई उपन्यास भी लिखे हैं। संजीवजी के अनुसार भाषा पर उनकी पकड़ काफी अच्छी थी कि और वे रचनाओं में विम्ब-प्रतीक का बड़ा ही सटीक प्रयोग करते थे। हालांकि वे बंगाल की सीमा से संलग्न झारखंड में रहते थे लेकिन शिल्पांचल के साहित्यिक कार्यक्रमों में समर्पित रूप से उपस्थित होते थे। यहां के कहानीकारों व कवियों के साथ उनकी आत्मीयता इतनी अधिक थी उन्हें शिल्पांचल का ही अंग समझा जाता रहा है।

दूसरी पीढ़ी के कथाकार : इस पीढ़ी में डॉ. सुवास कुमार, संजीव और गौतम सान्याल के नाम प्रमुख रूप से आते हैं। डॉ. सुवास कुमार आसनसोल के बीबी कॉलेज के हिन्दी के भूतपूर्व अध्यापक थे। उनका निधन पिछले 5 अप्रैल 2018 को पटना स्थित उनका मकान में 69 वर्ष की उम्र में हो गया। संजीव से पहले 70 के दशक में वे प्रमुख कथाकार के रूप में जाने जाते थे। 80 के दशक में उस जमाने की प्रसिद्ध पत्रिका रविवार में उनकी एक चर्चित कहानी यहां एक नदी थी प्रकाशित हुई थी। वे आसनसोल से बर्दवान विश्वविद्यालय होते हुए लगभग 10-12 वर्ष पूर्व तक हैदराबाद में थे। अच्छा कहानीकार होने के बावजूद वे बाद में आलोचना विधा की ओर मुड़ गये थे। उन्होंने कुछ अनुवाद भी किये। बांग्ला भाषा पर उनका अधिकार बंगालियों की तरह था। उनकी कुछ किताबें मध्यकालीन फैंटसी, सूरदास और चंडीदास का काव्य, हिंदी कविता : आत्मनिर्वासन और अकेलेपन का संदर्भ, आचंलिकता, यथार्थवाद और फणीश्वरनाथ रेणु (समीक्षा), अन्य रस तथा अन्य कहानियां (कहानी संकलन), कविता में आदमी (कविता संकलन), साहित्यिक समझ, विवेक तथा प्रतिबद्धता (आलोचना), हिंदी : विविध व्यवहारों की भाषा, आधुनिक बांग्ला कविता (अनुवाद), फणीश्वरनाथ रेणु संचयिता, वेस्टइंडीज का साहित्य, यहां एक नदी थी उल्लेखनीय हैं।

इनके बाद आता है संजीव का नाम जिनके बारे में कुछ कहना सूरज को दीपक दिखाने के समान है। संजीव ने अब तक लगभग 300 कहानियां लिखी हैं और कई उपन्यास। उनकी हर रचना एक शोध और अभिनव प्रयोग है। उनकी चर्चित कहानियों में किनका नाम छोड़ दिया जाये, यह बहुत ही कठिन है। दुनिया की सबसे हसीन औरत, मकतल, चिरबेनी का तड़बन्ना, ऑपरेशन जोनाकी, घर चलो दुलारी बाई, अपराध, सागर सीमांत, लिटरेचर, कन्फेशन, खोज उनकी कुछ कहनियां हैं तो सावधान नीचे आग, धार, सर्कस लोकप्रिय उपन्यास हैं। संजीव ने विभिन्न विषयों पर आलेख भी लिखे हैं तो कविताओं से भी उनका अगाध लगाव रहा है। संजीव की कहानियों के विभिन्न देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी कई कहानियों का नाट्य रूपांतरण भी हुआ है। हम जिस शिल्पांचल के हिन्दी कथा साहित्य की बात करते हैं, उस जमीन को उर्वर बनाने और नये लेखकों का मार्गदर्शन करने में संजीव की बहुत बड़ी भूमिका रही है। बहरहाल संजीव कुछ सालों पहले कुल्टी के इस्को कारखाने से अवकाश ग्रहण करने के बाद दिल्ली चले गये तो अब दिल्लीवासी ही बन कर रह गये हैं लेकिन वहां भी उनकी लेखनी की धार उसी पहले वाली रफ्तार से प्रवाहित हो रही है। वे एक ऐसे रचनाकार हैं जिनकी कोई रचना कहीं प्रकाशित होती है तो लोगों को यह आस रहती है कि उन्होंने क्या नया शोध किया है। उनकी हर रचना एक शोध है।

गौतम सान्याल एक अच्छे कहानीकार, व्यंग्यकार और आलोचक हैं। सारिका में प्रकाशित उनकी कहानी 'तुम्हारे बाद सौमित्र दा' काफी चर्चित हुई थी। इसके अलावा उन्होंने और भी कई कहानियां लिखी, व्यंग्य व कविताएं लिखी और बाद में आलोचना की ओर मुड़ गये। उनका एक आलेख 'हिन्दी साहित्य में अनुपस्थित' की भी काफी चर्चा हुई है। उन्होंने वर्ष 2017 में हंस के अपराध, रहस्य वार्ता अंक का अतिथि संपादन किया है। इसके अलावा वे और भी कई पत्रिकाओं के साथ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं। कहानियों की बारीकियों को पकड़ने में वे काफी माहिर हैं।

तीसरी पीढ़ी के कथाकार : इस पीढ़ी में शिल्पांचल के बहुत सारी कहानीकार आते हैं जिन्होंने हिन्दी कथा साहित्य में शिल्पांचल की एक अलग ही पहचान बनाई है। मृत्युंजय तिवारी तीसरी पीढ़ी के महत्वपूर्ण कथाकार हैं। उनकी कहानियों में 'एक टुकड़ा अरमान' से लेकर 'गांव अभी तक मरा नहीं है' समाज के एक संदेश देती कहानियां हैं। वर्ष 1984 में उनकी कहानी 'विकलांग' को सारिका द्वारा पुरस्कृत किया गया था। अभी हाल-फिलहाल हंस में उनकी कहानी 'दोराहा-चौराहा' की खासी चर्चा हुई है। जीवन की विडम्बनाओं के कारण उन्हें रानीगंज से असम तक भटकना पड़ा जिस दौरान उनका लेखन स्थगित रहा। वहीं दुर्गापुर वापस लौटने पर वे लेखन के क्षेत्र में फिर से सक्रिय हुए और पिछले 7-8 सालों में उन्होंने कई अच्छी कहानियां हिन्दी कहानी के पाठकों को दी। वहीं इन दिनों में दुर्गापुर छोड़कर बिहार के बक्सर जिला के अपने गांव में इन दिनों लेखन में सक्रिय हैं।

ऐसे कथाकारों में महावीर राजी एक ऐसे कथाकार हैं जिन्होंने 90 के दशक में लेखन आरंभ किया। उनकी पहली कहानी मुक्ता में छपी थी। 'वर्तमान साहित्य' में पुरस्कृत 'सूखा' कहानी को वे अपनी पहली साहित्यिक कहानी मानते हैं। उनकी कहानियां हंस, कथादेश, पाखी, वागर्थ, नया ज्ञानोदय, शुक्रवार सहित देश की विभिन्न स्तरीय पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रही हैं। उनकी 'उल्टी' कहानी काफी पहले हंस में छपी थी जिसकी खासी चर्चा हुई थी। मावनीय जीवन के कड़वे यथार्थ को संवेदनशील रूप से उन्होंने अपनी कहानियों में शामिल किया है। उनकी कोशिश हमेशा यही रही है कि किसानों, मजदूरों, दलितों पर अपनी कलम उठायें।

सृंजय शिल्पांचल में कथाकारों में अपनी एक अलग ही पहचान रखते हैं। सृंजय की पहली कहानी 'बैल बधिया' काफी पहले 'जन संस्कृति' नामक पत्रिका में आई थी। हंस में छपी उनकी कहानी 'कामरेड का कोट' काफी चर्चित रही है। इस कहानी ने देश भर में कहानी को लेकर एक नई चर्चा छेड़ी थी। उनकी पहली रचना एक लघुकथा थी जो 1982 में छपी थी। इसके बाद उन्होंने कहानियों का लेखन शुरू किया। भगदत्त का हाथी, बुद्धिभोजी, खल्ली छुलाई सहित और भी कई कहानियां लिखीं जो काफी चर्चित रही हैं। वहीं पिछले लगभग 20 सालों से उनका लेखन ठहर गया है लेकिन उनकी एक खास विशेषता यह है कि साहित्यिक गोष्ठियों में जाते हैं और कथा विधा पर चर्चा भी करते हैं। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न विषयों पर आलेख भी लिखे हैं।

रविशंकर सिंह एक अच्छे लघुकथा लेखक और कहानीकार हैं। हंस में आई उनकी कहानी अखाड़ा की काफी चर्चा रही है। उनकी कहानियां हंस, वागर्थ, वर्तमान साहित्य, जनसत्ता, अक्षर पर्व, संवेद, अलाव, प्रगतिशील वसुधा, कथाविंब, अंग चम्पा जैसी स्तरीय पत्रिकाओं में आ चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने कविताएं एवं कई शोधपरक आलेख भी लिखे हैं। उनकी कहानियां मुंबई से प्रकाशित कथाबिंब पत्रिका सहित अन्य कई पत्रिकाओं द्वारा पुरस्कृत भी हुई हैं। उन्होंने संजीव की कहानियों पर शोध भी किया है। वे समानान्तर रूप से कहानी व लघुकथा लेखन में सक्रिय हैं। वे भागलपुर ने निकलने वाली अंग चम्पा के संपादन से भी जुड़े हुए हैं।

शिल्पांचल के कथाकारों में गोविन्द प्रिय अपनी एक विशेष पहचान रखते हैं। उनकी कहानी 'रूमाल का सच' वर्तमान साहित्य में वर्ष 1991 में पुरस्कृत हुई थी। उनकी दो कहानियों का नाट्य रूपांतरण हुआ है तो कई कहानियों का पंजाबी, उर्दू व बांग्ला भाषा में अनुवाद भी हुआ है। उनका एक कहानी संग्रह भी 'लुप्त होती हुई प्रजाति' प्रकाशित हो चुका है। हालांकि वे व्यवसाय से जुड़े हुए हैं लेकिन कहानी लेखन क्षेत्र में समानान्तर रूप से सक्रिय हैं। उनकी कहानियों के बारे में संजीव का कहना है कि गोविन्द प्रिय की कहानियां सामाजिक विमर्श की कहानियां हैं जिनसे गुजरना एक रोचक अनुभव है।

शिव कुमार यादव की कहानियां अपनी अलग ही पहचान रखती हैं। वे भी लगभग 30 सालों से निरंतर कथा लेखन से जुड़े हुए हैं। उनकी अनेक कहानियां देश की विभिन्न पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रही हैं। उनकी हवा, जायें तो जायें कहां हम, राम अवतार की भैंस काफी चर्चित कहानियां हैं। उनकी कहानियों का बांग्ला, मराठी, कन्नड़ तथा पंजाबी भाषा में अनुवाद हो चुका है। इस दौरान उनके तीन कहानी संग्रह हवा, काले फूल का प्रेम और राम अवतार की भैंस प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा वे साहित्यिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहते हैं।

दिनेश कुमार एक अच्छे कथाकार और कवि हैं। उनकी एक प्रकाशित कहानी 'जहाज गिरेगा' काफी अच्छी कहानी है जो आज के दौर में लोगों की अवसरवादी मानसिकता को लेकर भविष्य की तस्वीर पेश करती है। इसके अलावा उन्होंने और कई कहानियां लिखी हैं। फिलहाल वे कविता के क्षेत्र में मुड़ गये हैं और उनके दो कविता संग्रह 'जिज्ञासावाद के दौरान' और 'पानी का पेड़' प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी रचनाएं हंस, वागर्थ, वसुधा, आधारशिला, वर्तमान साहित्य, अंगचम्पा, लहक, कथाक्रम, युद्धरत आम आदमी जैसी स्तरीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी 'अवसर' कविता को 'उत्तम कविता' सम्मान मिल चुका है। वे कविता और कहानी के क्षेत्र में समानान्तर रूप से सक्रिय हैं। कथा गोष्ठियों में उनकी हिस्सेदारी सक्रिय रूप से रहती है।

सुभाष रंजन इन दिनों शिल्पांचल के उभरते हुए कथाकार हैं। हालांकि वे काफी दिनों से कहानी लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनकी कहानियां कथाबिंब, परिकथा, अक्षर पर्व, जनपथ, सर्वनाम, समय के साखी सहित अन्य कई पत्रिकाओं में आ चुकी हैं। उनकी कहानी अच्छे दिन, आपद धर्म, विरवे का काफी चर्चा हुई है। कहानी के अलावा उन्होंने आलेख तथा अन्य कई विधाओं पर भी कलम उठाया है। कहा जाये तो सुभाष रंजन शिल्पांचल की तीसरी पीढ़ी के एक महत्वपूर्ण कथाकार हैं जिनकी कहानियों में संवेदना और यथार्थ की गहराई है।

कथाकार विजय शंकर विकुज की पहली कहानी सवालिया सपने धनबाद से प्रकाशित कतार में प्रकाशित हुई थी। उसके बाद दूसरी कहानी नक्शा को वर्तमान साहित्य द्वारा आयोजित कहानी एक प्रतियोगिता में सांत्वना पुरस्कार मिला। इसके बाद वे निरंतर रूप से कहानी लेखन में सक्रिय हो गये। दूसरी ओर जीवन संघर्ष के लिए उन्हें रानीगंज से कोलकाता और फिर आसनसोल तक भटकना पड़ा। उनकी एक और कहानी 'ऑपरेशन प्रलय' भी वर्ष 2013 में वर्तमान साहित्य द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता में पुरस्कृत हुई है। पेश से पत्रकार लेकिन स्वभाव से साहित्यकार का कहानी लेखन जीवन की विडम्बनाओं के कारण इन दिनों धीमा पड़ गया है इसलिए अपने आपको संतोष प्रदान करने के लिए वे लघु आलेख या लघुकथाएं भी लिख लेते हैं। कुछ कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं। उनकी लगभग चालीस कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं लेकिन अभी तक कोई कहानी संग्रह नहीं आया है।

इनके अलावा शिल्पांचल में और भी कई कहानीकार हुए हैं जिनमें डॉ. डीपी बर्णवाल, आनन्द बहादुर, सुरेश अंतर, कमलेन्दू मिश्रा, संजय भालोटिया का नाम भी लिया जा सकता है। रानीगंज टीडीबी कॉलेज के पूर्व अध्यापक डॉ. डीपी बर्णवाल की कई कहानियां धनबाद से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक आवाज सहित अन्य कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आनन्द बहादुर एक अच्छे कहानीकार हैं और वे भी पहले रानीगंज टीडीबी कॉलेज के अंग्रेजी के अध्यापक रहे हैं। उनकी कहानियां हंस सहित अन्य कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। सुरेश अंतर भी रानीगंज टीडीबी कॉलेज के हिन्दी के अध्यापक रह चुके हैं और उन्होंने भी कई कहानियां लिखी हैं। कमलेन्दू मिश्रा की कहानियां जनसत्ता के सबरंग पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। संजय भालोटिया ने भी कहानियां लिखी हैं लेकिन उनकी कोई कहानी कहीं प्रकाशित हुई है या नहीं इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। ये सारे लोग शिल्पांचल के तीसरी पीढ़ी के कहानीकार हैं।

अब बात आती है चौथी पीढ़ी की तो पता चला है कि शिल्पांचल के कुछ युवा इन दिन कहानी लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हुए हैं जिनमें विक्रम सिंह, रामबली कहार का नाम उभर कर सामने आया है। कथाकार रविशंकर सिंह के अनुसार विक्रम सिंह की कई कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं तो संग्रह भी आ चुका है। उनकी किसी कहानी पर कोई फिल्म भी बन रही है। रामबली कहार भी इन दिनों कहानी लेखन में सक्रिय हुए हैं।

इस दौरान आसनसोल में शिल्पांचल के हिन्दी कथा साहित्य को लेकर हुए एक परिसंवाद में कहानी लेखन, रचना प्रक्रिया, लेखन के क्षेत्र में आज तकनीकी सुविधाओं को लेकर बात सामने आई है तो इस संक्रमणकाल में कई तरह की समस्याओं की बात भी सामने आई है। फिलहाल यह भी देखा जा रहा है कि भले ही दुनिया के स्वभाव, पसंद और कार्य क्षेत्र में एक बदलाव आ रहा है तो साहित्य को लेकर अभी भी लोगों में वही पहले की तरह रुची और ऊर्जा वर्तमान है। इससे एक बात तो स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि शिल्पांचल का कथा साहित्य अपने प्रगति के सोपान पर चढ़ रहा है जहां यह विश्वास जगता है कि साहित्य का जीवन काफी लंबा है।

--------

विजय शंकर विकुज

द्वारा - देवाशीष चटर्जी

ईस्माइल (पश्चिम), आर. के. राय रोड

बरफकल, कोड़ा पाड़ा हनुमान मंदिर के निकट

आसनसोल - 713301

ई-मेल - bbikuj@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: आलेख - विजय शंकर विकुज - शिल्पांचल के कथा साहित्य का इतिहास
आलेख - विजय शंकर विकुज - शिल्पांचल के कथा साहित्य का इतिहास
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWyYnRHVW8cSCynXzwCbG4Oj5oNHth7g541ZGSgJ3KyJL-PgKIgYCEp1INhr0bzmrckWLFkr_sKHSre5V21shq5JZqB_3sOOjeH4ToTFZ3N8oG4gVjElLdOpVbCM4MWuq3Eg9k/s320/bbikuj+photo2+%25282%2529-766665.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWyYnRHVW8cSCynXzwCbG4Oj5oNHth7g541ZGSgJ3KyJL-PgKIgYCEp1INhr0bzmrckWLFkr_sKHSre5V21shq5JZqB_3sOOjeH4ToTFZ3N8oG4gVjElLdOpVbCM4MWuq3Eg9k/s72-c/bbikuj+photo2+%25282%2529-766665.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/03/blog-post_92.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/03/blog-post_92.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content