बॉडीगार्ड आफ्रो - अमेरिकन कहानी लेखक : रॉबर्ट ब्राउन पार्कर अनुवाद : डॉ . दण्डिभोट्ला नागेश्वर राव ---------------------------------...
बॉडीगार्ड
आफ्रो-अमेरिकन कहानी लेखक : रॉबर्ट ब्राउन पार्कर
अनुवाद : डॉ. दण्डिभोट्ला नागेश्वर राव
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अपने काले चश्मे से डेविड़ की ओर देखकर रिकी ने कहा, “शिकागो से मेरा दोस्त जॉकी रॉबिन्सन यहाँ आनेवाला है।''
डेविड़ ने स्वीकृति में अपना सिर हिला दिया। उसने मुँह से सिगार बाहर निकालकर उसकी राख को एश ट्रे में छोड़ दिया फिर उसे अपने होठों के बीच रख लिया।
रिकी ने फिर कहा, ‘‘तुमको उसे बचाना होगा।'' डेविड़ ने फिर ‘हाँ' में सिर हिला दिया।
‘‘इस काम के लिए तुम कितने डॉलर लेते हो?''
‘‘पहले यह बताइए कि उसको किससे बचाना है''
‘‘जॉकी रॉबिन्सन एक नीग्रो है और तुम अच्छी तरह जानते हो कि उन लोगों के साथ आजकल अमेरिका में क्या चल रहा हे।''
यह 1920 के दशक का वह समय था जब अमेरिका में हब्शी या नीग्रो जाति के लोगों पर बेतहाशा वार करके उनको जान से मार दिया जाता था। ‘कु क्लुक्स कॉन' इसी हत्याकाण्ड में दिन-रात काम करनेवाले आतंकवादी गोरों का एक घातक संगठन था।
इसलिए डेविड़ को तुरंत पता लग गया कि रॉबिन्सन को किससे बचाना है।
‘‘तो..इस काम के लिए मैं हर दिन बीस डॉलर लेता हूँ। काम ज़रा मुश्किल का जो है...'' डेविड ने अपनी हथेलियों की ओर एक बार देखकर कहा।
‘‘जॉकी रॉबिन्सन सिर्फ तीन दिन के लिए फिलडेल्फिया को आने वाला है। तीन दिन के लिए पचास डॉलर सही दाम है'' रिकी ने मोल-तोल की।
‘‘सही दाम है, पर सिर्फ ढ़ाई दिन के लिए!''
रिकी ने डेविड़ को घृणा की नज़र से देखा और दस के छह डॉलर नोट जेब से निकालकर उसके हाथ में थमा दिये। फिर कहा, ‘‘देखो..शिकागो से ट्रेन ठीक एक घण्टे के बाद आयेगी और जॉकी रॉबिन्सन इंजन के बाद तीसरे डिब्बे में है। उसके हाथ में ‘शिकागो इंक्वाइरर' की पत्रिका और लाल रंग की बैग है। तीन दिन बाद फिर शिकागो की ट्रेन में बिठाने तक उसकी हिफाजत की पूरी जिम्मेदारी तुम्हारी होगी।''
‘‘जरूर..मैं उसकी पूरी तरह हिफाजत करूँगा।'' डेविड़ ने पैसे जेब में रखकर जवाब दिया।
‘‘हाँ.. सुनो, रॉबिन्सन शिकागो की वापसी गाड़ी में जब तक नहीं बैठता, तब तक तुम उसके साथ ही रहोगे। अगर वह नीग्रो के होटल में ठहरता है तो तुमको भी वहीं ठहरना होगा। अगर कोई पूछे कि तुम उसके क्या लगते हो, तो बोलना कि तुम उसके ‘पर्सनल एसिस्टेण्ट' हो। खासकर पुलिस से बचकर रहना ... जॉकी रॉबिन्सन अगर तुम्हारे काम से खुश है तो जब-जब वह फिलडेल्फिया को आयेगा, तुमको रोजाना बीस डॉलर जरूर मिलेंगे। ठीक है?''
‘‘ठीक है'' कहकर डेविड बाहर निकल पड़ा।
***
जॉकी रॉबिन्सन भूरे रंग का सूट पहना हुआ था। उँचा-पूरा आदमी था और उसके हाथ में वे दोनों चीजें मौजूद थीं जिनके बारे में रिकी ने पहले बताया था। डेविड़ ने आसानी से उसे पहचान लिया और उसके पास जाकर कहा, ‘‘हेलो.. मैं डेविड़ हूँ।''
‘‘ओह..रिकी ने तुमको भेजा है?''
‘‘जी हाँ''
जॉकी ने हँसकर कहा- ‘‘तब तो तुम बिलकुल ‘बॉडीगार्ड' जैसे दिखते हो!''
जवाब में डेविड़ भी मुसकाया।
जॉकी फिर कहने लगा, ‘‘देखो डेविड़..मैं ये तीन दिन जहाँ चाहे वहाँ जाऊँगा। मैं तुम्हारी इजाजत नहीं लेने वाला। ये तीन दिन मुझे कोई गोली न मारें और मुझे घायल न करें..यह तो तुमको ही देखना होगा।''
‘‘जी... मैं अच्छी तरह जानता हूँ और रिकी ने यह सब पहले बता दिया था। आप चिंता मत कीजिए। आपकी पूरी हिफाजत मैं करूँगा। आपको बचाना मेरा फर्ज है।''
‘‘तुम बड़े अक्लमंद हो।''
‘‘जी.. नहीं तो आपको गोरों से कैसे बचा पाऊँगा!''
जाते हुए जॉकी ने डेविड़ से पूछा, ‘‘तुम आखिर इस पेशे में आये हो कैसे?''
डेविड़ ने पहलीबार हँसते हुए कहा, ‘‘आप अपने पेशे में किस लिए आये? उसी वजह से..पैसों के लिए!'' दोनों बाहर निकल पड़े। कॉर में बैठने के बाद जॉकी ने कहा, ‘‘ये तीन दिन तुम शराब मत पिओ। औरतों से भी दूर रहो। समय बिताने के लिए ताश जैसे फालतू खेल मत खेलो। हर दम मेरे साथ रहो और पूरी निगरानी रखो। क्या मंजूर है?''
‘‘हूँ..कोशिश करता हूँ''
जॉकी ने फिर कहा, ‘‘पिछली बार जब मैं सिनसिनाटी में था, किसीने भीड़ में से अण्डा मेरे चेहरे पर फेंक दिया। सेण्टलूइस में किसी गोरे ने मुझे घूसा मारा। कैलिफोर्निया में तो मेरे कान के बाजू में से गोली निकल गयी थी। इसलिए जब बाहर निकलता हूँ मज़बूरन कोई बॉडीगार्ड रख लेता हूँ। अगर कोई मुझे ‘निग्गर' कहें और गाली दें तो कोई बात नहीं... मैं सहन कर लूँगा। लेकिन कोई मुझे मारने के लिए आये तो तुम जरूर उसे रोकना।''
‘‘जी.. मुझे अच्छी तरह पता है।''
जॉकी ने ताड़ लिया कि डेविड़ सचमुच पेशेवर बॉडीगार्ड है और हरदम बहुत सावधान है। उसने देखा कि जब कॉर सिग्नल के पास रुकी तो डेविड़ की आँखें चारों तरफ दौड़ रही थीं कि कोई जॉकी को देख, उसे नीग्रो जानकर कॉर की ओर झपट तो नहीं रहा। होटल में भी डेविड़ सबकी ओर शंका की नज़र से देखता रहा। लिफ्ट से तीसरी मंजिल पहुँचकर अपने कमरे में जाने के बाद जॉकी ने कहा, ‘‘तुम भी मेरे साथ इसी कमरे में रहोगे।''
डेविड़ ने हाँ में सिर हिला दिया और अगले दो दिन वह हर पल जॉकी रॉबिन्सन के साथ बना रहा। जॉकी रॉबिन्सन उसे पास में पाकर निश्चिंत था।
हालात बहुत नाजुक थे कि डेविड़ को हर समय बहुत होशियार रहना पड़ा। हर कोई गोरा जॉकी रॉबिन्सन को शक्की नजर से देखता था किन्तु डेविड़ के कारण कोई इतना साहस नहीं कर पाता कि उस पर रौब जमाये। तीसरे दिन सुबह जब ऑफिस जाने के रास्ते में एक चर्च (गिरजाघर) मिला, तो जॉकी रॉबिन्सन ने गाड़ी रोक दी। जॉकी पहले चर्च के अंदर गया तो डेविड़ उसके पीछे हो लिया। लेकिन अंदर जाने के बाद डेविड़ को तंगी महसूस हुई क्योंकि वह चर्च काले लागों का था। डेविड़ को छोड़कर वहाँ एक भी गोरा नहीं था। चर्च में सभी लोग डेविड़ को देख तालियाँ बजाने लगे।
डेविड़, जॉकी के कान में फुसफुसाया, ‘‘ये लोग मुझे जानते हैं क्या?''
‘‘नहीं..ये तालियाँ मेरे लिए हैं। इन्होंने मुझे पहचान लिया। नीग्रो लोगों में सिर्फ मैं ही हूँ जिसने इतना ऊँचा पद प्राप्त किया। मेरे फोटो और इण्टर्व्यू अखबारों में बराबर छपते हैं।'' जॉकी की आवाज में तनिक गर्व था।
कुछ लोग जॉकी के पास आकर हाथ मिलाने लगे। कुछ लोग उससे बातें करने में लग गये। चार-पाँच मिनट ऐसे ही बीत गये और चेहरे पर बिना किसी भाव के, डेव़िड़ चुपचाप एक कुर्सी पर बैठा रहा। वह भगवान में विश्वास नहीं करता।
अचानक चर्च का दरवाजा खुला और छह गोरे लोग अंदर आ गये। सबने फेल्टहैट और ओवरकोट पहने हुए थे। उनकी नजरों में कठोरता थी। उनमें से एक नीली टाई पहना हुआ था और उसके बदन पर ओवरकोट नहीं था। डेविड़ ने उसे पहचाना। उसका नाम पि.वि. रीव्ज़ था। डेविड़ ने पहले उसके बारे में बहुत कुछ सुना था। यह रीव्ज़ गोरों के उस घातक आतंकवादी संगठन का सदस्य था जो नीग्रो लोगों को चुन-चुनकर मार रहा था। अगर वह किसी नीग्रो के घर के सामने जाकर लकड़ी का क्रास जलाता तो उस रात को उस घर का जलकर राख हो जाना निश्चित था! उसके बगल में खड़े जॉनसन से भी डेविड़ वाकिफ था। वह भी नीग्रो जाति से खौफ़ खानेवाला था। कई बार उसने नीग्रो लोगों को पीटा लेकिन उसके खिलाफ एक भी मुकदमा नहीं था। पुलिस में अधिकांश गोरे होते हैं, इसलिए ऐसे गुण्डे लोगों का बच निकलना सहज है।
डेविड़ सोच रहा था.. वे कुल मिलाकर छह हैं। पर वह अकेला...
‘‘हम बाहर जायेंगे'' उसने तुरंत जॉकी के पास जाकर कहा।
‘‘मैं कहीं बाहर नहीं जाऊंगा'' जॉकी ने जवाब दिया।
उन छह लोगों में से एक मोटू गुण्डे ने जॉकी के पास जाकर कहा, ‘‘मिस्टर पि.वि.रीव्ज़ तेरे लिए व्हिस्की की एक बोतल लाये हैं और वे चाहते हैं कि तू वह बोतल यहीं पी ले।''
जॉकी ने जवाब में कहा, ‘‘यह चर्च है..मधुशाला नहीं।''
मोटू गुण्डा रीव्ज़ की तरफ मुड़कर चिल्लाया- ‘‘बॉस..यह शख्स कहता है कि यह चर्च है बल्कि मधुशाला बिलकुल नहीं है।''
‘‘अच्छा..ऐसा कहता है? ठीक है। चर्च को मधुशाला बनाने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। रॉबिन्सन यदि व्हिस्की का सेवन करे तो यह चर्च ‘बॉर' में तबदील हो जाए। क्या कहोगे डि-जे-अकोमो?''
‘‘जी हाँ भाई..आप बिलकुल सही हैं।'' अकोमो ने जवाब दिया।
‘‘सुना कि नहीं..यही बात कह दो उससे।'' रीव्ज़ ने धमकी की आवाज में मोटू गुण्डे से कहा।
‘‘सुना है तू ने? रीव्ज़ कहता है कि अगर तू पियेगा तो यह चर्च ‘बॉर' बन जायेगा। चल..पी ले'' कहकर उस मोटू गुण्डे ने बोतल का ढ़क्कन खोल दिया। पर जॉकी ने दृढ़ता से कहा, ‘‘नहीं..रीव्ज़ से कह देना कि मैंने ‘नो-थैंक्स' कहा।''
तुरंत उस मोटू ने कहा, ‘‘रीव्ज़ को कोई ‘नो' नहीं कहता।''
‘‘पर मैं कहूँगा।'' जॉकी भी निड़र था।
इतने में डेविड़ आकर जॉकी रॉबिन्सन और उस मोटू गुण्डे के बीच खड़ा हो गया। उसने गुण्डे से कहा, ‘‘जॉकी रॉबिन्सन शराब बिलकुल नहीं पीता है। आप जा सकते हैं।''
‘‘तू कौन है बे?''
‘‘मेरा नाम डेविड़ है। नाइस टु मीट यु...आप जाइए।'' डेविड़ ने कुछ सख्ती से जवाब दिया।
इससे रीव्ज़ बहुत नाखुश हो गया। वह जॉकी रॉबिन्सन की तरफ बढ़कर उसके सामने गया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा, ‘‘सुबह से तेरी खोज कर रहा हूँ। चल..एक घूँट तो पी- नहीं तो..''
एक पल में सारे चर्च में निस्तब्धता छा गयी। सब लोग उन दोनों की तरफ कातर नेत्रों से देखने लगे। रीव्ज़ ने अकोमो को कुछ संकेत किया। फिर अकोमो ने अपने ट्रेंच कोट से पानी की एक लंबी ‘पाइप' निकाली। वह हँसते हुए उस पाइप को हाथ से घुमाकर कहा, ‘‘इस पाइप पर कई ‘निग्गर' लोगों का खून अंकित हुआ है।''
रीव्ज़ ने डेविड़ के चेहरे पर एक घूसा लगाया। पर डेविड़ अचानक सटकर उस मार से बच गया और और पलटवार की। डेविड़ की मार खा, रीव्ज़ डगमगाकर दो कदम पीछे हो लिया।
‘‘चलो अकोमो...दिखा दो इस ‘निग्गर' को तुम्हारी पाइप की ताकत!'' रीव्ज़ ने अकोमो को इजाजत दी। अकोमो आगे बढ़ने लगा, जॉकी की तरफ। बाकी गुण्डों ने पिस्तौलें निकालीं। यह देखकर रीव्ज़ ने चिल्लाते हुए कहा- ‘‘रे..यहाँ गोली न चलाओ। पहले उस निग्गर को बाहर तो खींच लाओ'।''
अकोमो बड़ी हुनर से पाइप को अपनी उँगलियों पर से घुमाते हुए आगे बढ़ता गया। डेविड़ ने देरी न की। उसने भी अपनी प्वाइंट फोर फाइव कोल्ट रिवाल्वर जेब से निकाली। चर्च में जुटे सभी नीग्रो लोग भयभीत होकर यह सब देखने लगे।
रीव्ज़ ने धमकी देते हुए डेविड़ से कहा, ‘‘अगर पहले तुम पिस्तौल चलाओगे तो हम भी चलायेंगे और इसे यहीं गोलियों से भून देंगे। फिर ये निग्गर बच्चे सब मिलकर चर्च में खून के दाग़ साफ करेंगे। क्या रे..करोगे कि नहीं?''
तब तक सभी बच्चे डर के मारे अपने माँ-बाप के पीछे चले गये।
जवाब न मिलने से रीव्ज़ ने खीजकर कहा- ‘‘क्यों रे...तुम लोग साफ करोगे कि नहीं?''
‘नहीं' - पतली मूँछोंवाले एक नीग्रो बूढ़े ने आगे बढ़कर कहा।
‘नहीं' - पीले ड्रेसवाली एक पतली जवान नीग्रो लड़की ने भी कहा।
‘नहीं' - एक जवान नीग्रो ने कदम बढ़ाकर जवाब दिया।
अब धीरे-धीरे ‘नहीं' कहनेवालों की संख्या बढ़ती गयी। पीली पोशाक की वह जवान लड़की अब समूह से बिलकुल आगे निकलकर आयी। वह जॉकी रॉबिन्सन के सामने अपनी दोनों बाहें पसारकर क्या खड़ी रह गयी, एक के बाद एक सभी नीग्रो लोग जॉकी की रक्षा के लिए जुट गये। पाँच मिनट के अंदर-अंदर जॉकी रॉबिन्सन और गोरों के हाथों में गोलियों से भरी पिस्तौलों के बीच एक काली दीवार-सी खड़ी कर दी गयी! पिस्तौल पकड़े गोरे गुण्डे रीव्ज़ की ओर देखने लगे कि अब क्या किया जाये। रीव्ज़ उन नीग्रो बच्चों को और उनके माँ-बाप को अपलक देखता रहा। उन बच्चों की उम्र चार साल से लेकर पंद्रह साल तक है।
रीव्ज़ के चेहरे पर कुछ समय पहले तक जो निर्मम हँसी छलक रही थी, वह अब गायब हो चुकी। फिर वह कुछ समय तक डेविड़ को, जॉकी रॉबिन्सन को और बाकी नीग्रो लोगों को देखता रहा फिर अपना मुँह मोड़कर अपने गुण्डों से कुछ न कहकर, चुप्पी साधे, बाहर निकल पड़ा। हाथ में पाइप लिये अकोमो और बाकी गुण्डे भी उसके पीछे-पीछे हो लिये। उनके बाहर जाते ही सभी नीग्रो लोग खुशी से चिल्ला उठे। डेविड़ को सब कुछ सपना जैसा लग रहा था। उसने अपना सिर हिलाकर कहा, ‘‘रॉबिन्सन.. अब आपको मेरी जरूरत नहीं है। देखिए..आपके कितने बॉडीगार्ड हैं!''
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(अमेरिका में आये दिन नस्लवाद का भयानक स्वरुप देखने को मिल रहा है। पर 'सामूहिक चेतना और एकता से इसका सामना किया जा सकता है' यह संदेश लेकर 1920 के दशक के नेपथ्य में लिखित यह अंग्रेजी कहानी आज भी प्रासंगिक है। एफ्रो अमेरिकन लेखक पार्कर इसके लेखक हैं। - अनुवादक)
सब साथ मिल जाये तो अतियायी के डर से आसानी से निजाद पाया जा सकता है। यह बात हर वर्ग और हर समय लागू होती है। प्रासंगिक कहानी।
जवाब देंहटाएंhaa sir.. well said
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