हरियाणवी नाटक बिराण माटी लेखक - खान मनजीत भावडिया मजीद दृश्य-एक एक बै एक जमीदार अपनी बुग्गी म्ह ज्वार के ...
हरियाणवी नाटक
बिराण माटी
लेखक -
खान मनजीत भावडिया मजीद
दृश्य-एक
एक बै एक जमीदार अपनी बुग्गी म्ह ज्वार के भरोटे गेर कै हांक रहया था अर सरड़क पै गीत गाता जाण लाग रहया था। पाच्छै तै एक स्कूल का मास्टर अपनी मोटर कार नै बैठ्या चला रहया था। मास्टर जमीदार नै बुग्गी सरड़क तै नीचै तारण की कवहे सै अर बहोत होरण देवै सै।
कार ड्रैवरः बुग्गी के गड़वाले तेरी बुग्गी परैहटा ले।
किसान : मेरी बुग्गी तो सरड़क पै चालै तेरी मोटर कार दूर चला ले।
कार डै्रवर : रै मेरी मोटर नै सरड़क का यो टोल टैक्स भर राख्या।
किसान : तू टोल टैक्स नै रोवै अड़ै देश का भार सर ढो राख्या।
कार ड्रैवर : र देश का बोझ खिंचन आळै झोटे नै आराम दिवा ले।
किसान : ना घणा करै तगाजा तू तेरी मोटर दूर चला ले।
न्यू कहन्दी होड़ी किसान अपनी झोटा बुग्गी नै आगे बढ़ा लेवै सै और कहवै सै : र झण्डू चाल इस मोटर आळै मास्टर नै तू अपनी चाल दिखा दे।
किसान मास्टर तै कै कहवै सै
याणी उमर मै सीरी लाग्ये, जबर भरोटा ठाया,
दिया दस का नोट हाथ म्ह, सौ पै गुंठा लाया,
कर्ज घरां आया महमान, आफत म्ह पड़ी जान,
फिर बता मास्टर जी, म्हारी जग म्ह किसी शान,
ना समझी लूट तन्नै, घणा कुणबा एक बढ़ाया,
कुछ नेता लुट्टैं खान मनजीत, नहीं पढ़ण तूं बिठाया
कर्ज लिया बिना अनुमान करा म्ह जग नै परेशान,
ज यू उत्तर ज्या तै, मेरी आवै जान में जान,
किसान अर्थात जमीदार इस गीत को सुणावै सै अर फेर अपनी झोटा बुग्गी नै गांव की और मोड़ लेवै सै,
रलदू :- और भाई के हाल सै, खेत त आग्या कै,
पहला जमीदार
गोधू : हाँ भाई ज्वार के भरोटे ले आया।
रलदू :- तो भाई इबकै नरमा किसाक बणा ले गा?
गोधू :- भाई, दिखै तो किमै चोखी सै। घर आल्ये तीन किल्टा म्ह तो किमें हल्की सी लाग्ये सै। पर जो ठेका आळे दो किल्टे सैं उनमैं दम किमें चोखा लाग्यै सै। आपणैं के ग्यान सै इबकी।
रलदू :- भाई आंपा नै तो इबकै जीरी ला राख्यी सै, के करां भाई नरमा म्ह खाद, बीज, सपरे, दवाई का खर्चा घणाए हो ज्या सै। ऊपर सै पाणी घणा होणा, थोड़ा होणा अर चुगाई रह ज्या सै न्यारी। पूरा तो पाटदाई नी। बनछटी भी काटण आले ले ज्यां सैं। इस बार मन्नै सोचा जीरी न अजमा कै देख ल्यां।
गोधू :- हाँ भाई रलदू बात तो तेरी पूरी सोळह आने ठीक सै, खेती पै आजकाल खर्चा का तो कोई ओड़ कोन्या, फेर भाई करां के और इसतै न्यारा काम धंधा भी कोन्या। सोचां सां साड्ढू अर सामणी दोनवां नै मिला कै किमे दो आने बचा ल्यां। ज्यांतै जुटे रहवां सां। बाकी खेती मैं किमै आना जाणा ना सै।
रलदू :- हाँ भाई, बात तो तेरी पूरी सोळह आने पूरी फिट अर सई सै, फिर के करां, इतनी पैदावार कर लां सां फिर भी करजा दो हाथ आगे चाल्यै सै। किम्मे समझा मैं आंदा ना अर ना आढती के पूरे होंदे।
गोधू - समझ में के आवे भाई, किमें तो आप्पां ने अपनी पैदावार का भाव नी मिलदा अर किमै यू बीज इसा चाल पड़्या कै आख्खर मैं आ क भी डूबा पड़ जा सै। किमैं राम भी गेल्यां पड़ रह्या सै। कदै बरसात, कदै आँधी, ज यू भी टैम बरस ज्या तो किसान निहाल नी हो जै।
रलदू :- हाँ भाई, बात तो नूं की नूं सै, ले दे कि किमें डांगर पशु म्ह गुजारा हो ज्यांदा, इब इन मेलां पै भी सरकार नै रोक ला दी। इन्नै पाळ कै गुजारा कर लिया करदे।
गोधू :- हाँ भाई रलदू, बात तो तेरी सोलह आने सई सै। दुधारू पशुओं के सहारे थोड़ा ब्होत टैम पास हो ज्यांदा। सरकार नै यो भी ना सुहाया। किमै फसलड़ी हाथ लाग जा करती तो किम्मे एक आधे डांगर ने बेच दिया करदे इब तो ये आवारा डांगरां के टोल कै टोल हांडे सैं। ये भी कोन्या टिकदे, बड़गे तो सब किम्मै सूरड़ ज्या सैं।
रलदू :- हाँ भाई गोधू बात तो या ए सै के किसान अर मजदूर की खाल तो चारूं पासे पाड़े सै।
गोधू :- मजदूर की क्यूकर खाल पाडै सैं।
रलदू :- देख जीरी लाण म्ह, बाड़ी चुगण, गेहूं काटण आदि सारे काम खेतीहर मजदूर करै सै। किसी नै ठीक कहा सै अक किसान,मजदूर एक हो ज्यां तो पूरा समाज सुख तै रोटी तोड़ लेगा। जिब्बै क्रांति आवेगी।
गोधू :- ले भई रलदू, पहले गीत सुण।
जेठ साढ़ की गरमी मैं तेरा बिना फूस का ढारा रै
कड़ टूट ली कमा-कमा कै, मुश्कल होणा गुजारा रै
किस पै करां यकीन आज नहीं समझ मैं आरी
कैसे हो फसल सवाई जब बाड़ खेत नै खारी
धरी धराई रै जागी किसान मजदूर तेरी हुश्यारी
आज के बखत मैं या शामत आग्यी सै म्हारी
कल्ले कल्ले पिट रे सैं बोझ लादकै सारा रै
कड़ टूट ली कमा-कमा कै, मुश्कल होणा गुजारा रै
असली नकली का के बेरा कदै एक हरफ पढ़ाया ना
मैं अकेला आज तक कदे खाद दवाई ल्याया ना
पिछे खाई आगे कूआं कदै सई रास्ता पाया ना,
तेरी जैसी बीर मिली मनैं मैं कदे घबराया ना,
इस कमजोर गात नै रै भाई सारे कहें गुजारा रै
कड़ टूट ली कमा-कमा कै, मुश्कल होणा गुजारा रै।
पसीना तन मैं आवै सै दिन भर मेरै बहोत घणा,
धूप गरमी बरसात सह रा मैं बहोत घणा,
भुखा रह रया कुणबा मेरा देख्या खड़ा जणा जणा,
कच्चा ढारा मेरा कच्चा ए रह गया ये दुनिया नै सै बेरा घणा,
कितना बदला सै हरियाणा खोल बतांऊ सारा रै
कड़ टूट ली कमा-कमा कै, मुश्कल होणा गुजारा रै
करै यकीन तू झुठे पै धक्के कब तक खावै गा
तनै लूट कै खा ग्या सारा देस तू और के चावे गा
अंधेरा क्यूकर दूर हो समाज का तू खुद ए दीप जलावे गा,
खुद मालिक खुद के हक का खान मनजीत तू और के चावे गा,
गरीबी अड़ गी नासां तक इब खोजणा होगा चारा रै,
कड़ टूट ली कमा-कमा कै, मुश्कल होणा गुजारा रै
दृश्य - दो
दो लुगाई आपस मैं खड़ी - खड़ी बात करैं सैं।
गीता - सुना बाहण भरपाई के हाल सै।
भरपाई - के सुणाऊं बाहण में तो सारा दिन इस काम धंधे म्ह लाग्यी रहूं सूं। बस ज्यादा तर सारी हाणा चुल्हा-चाक्की म्ह उलझी रहूं सूं।
गीता - हाँ बेबे आपणी नारी जात नै तो घर का यौ गोबर बुहारी का काम ध्ांधा म्ह सदा ए न्यू ए रहणा पड़ा सै।
भरपाई -हाँ बेबे में तो सिरफ दस कर री सूं। मैं भी आगे दो आख सीख सकूं सूं के? दखे आज करूंगी मैं तेरे देवर त बात। अक कितै षहर के स्कूल में मेरा नाम लिखा दे बेबे। गांम के स्कूल मैं कोनू पढ़ा जावे मेरे पै, आड़ै गाम के छोरे तो न्यू ए न टिकण देवें और गांम के स्कूल में नाम लिखावाए पाछै तो बुझै मत ना।
गीता - हाँ बेबे यू राम रोला तो सारे न्यू ए चाल्ये सैं। पहले बखत बढ़िया होया करदे इब तो सारा ए माहोल खराब सै। ले भरपाई तू मेरी बात सुण मन्ने के के कहवैं थे।
पशुओं के जूं पढ़ लिख बिन,
मन्नै सारी उमर गुजारी बेबे,
मेरी पीहर से जिब चिट्ठी आई,
मन्ने ना वा बाचंणी आई,
खबर बीर की के के ल्याई,
ना पता लाग्या बिना पढ़ाई,
किसकी चिट्ठी आई, किसकी चिट्ठी आई,
किसकी चिट्ठी आई,
कोणे त वा पाटी पाई मैं सुध बुध भूली सारी बेबे
पशुओं के जूं पढ़ लिख बिन
मन्नै सारी उमर गुजारी बेबे
पड़ोसी मेरे जिब घर मैं आंवै,
बोला के वो तीर चलांवै,
कड़वे कड़वे मन्न लखावैं,
अनपड़ फूहड़ मन्ने बतावें,
ऊंच नीच की बात कह कै मन्ने खिजावैं,
ताते ठण्डे मन्नै ताव आवैं मन्ने शरम आवै भारी बेबे
तशुओं के जू पढ़ लिख बिन मन्ने सारी उमर गुजारी बेबे
ननद देवर मन्ने मखोलै,
आडी बात कर भितरला छोलै,
गिटर पिटर वो अंग्रेजी बोलै,
तन्नै अक्षर ज्ञान नहीं वो डोलै,
मैं पढ़ जाती तो वो इतना ना बोलै,
औकत मेरा वो नजर तै तोलै, या माड़ी सोच स म्हाराबेबे
पशुओं के जूं पढ़ लिख बिन मन्ने सारी उमर गुजारी बेबे।
खान मनजीत नै आण बताया,
क ख ग का मन्ने ज्ञान कराया,
मात्रा तक का मन्ने खूब समझाया,
वर्ण माला का पाठ पढ़ाया,
पढ़ण का रास्ता सारा सिखलाया,
सही रास्ता मन्ने ठ्याया, इब सबनै लागूं प्यारी बेबे
पशुओं के जूं पढ़ लिख बिन, मन्नै सारी उमर गुजारी बेबे।
भरपाई - ओर बेबे ये टिंगर सारी हाण गाला मै न्यू धक्के खांदे हांडे जा सैं। इन्होंने कोए नी टोकदा। अर आपा थोड़ी सी दीख जावां सां अर अपनी ममता बिखेर दां सां फेर बुझै ए ना। यो मेरा देवर देख भुराड़ा, सुरड़ा, सुगला काम की ना करम का, सिरफ खाण का। सारी हाणा इस चौपटे मैं खड़ा रह सै। आंदी जांदी कान्यी दीदे पाड़दा रह सै।
अंदर से एक बुढी लुगाई की आवाज आवै सै अर कहवै सै, बहू फेर बातां लाग गी कै, तन्नै के कह्या था कि भैसां खात्तर चाट हारे म्हं धर दे। इसनै तो बातां तै फुरसत कोन्यी।
भरपाई - री आई, (होठ ए होठ बाज्यें) या बूढ़ी मैंने टिकण कोनी देवे। सारी हाण बड़बड़ांदी पावै गी। घर जमा सर पै ठा राख्या सै। दो घड़ी काम की बात करां तो या नी करण दंदी। सारी हाण खाण नै आवै सै। आज आळन दे उसने सांझ नै, उसने कह दूंगी कि कितै मेरा भी स्कूल में नाम चलवा दे। मैं भी पढ़ लिख लूं। किम्मै दो आखर सीख लूंगी। कितै आने दो आने का काम भी पा ज्या गा। यू घरां का धंधा तो न्यू ए चालदा रह सै। अर न्यू ए चालदा रहवै गा। किमै आखर सीख ल्यां।
बा बूढी औरत अपनी बहू से कहवै सै।
स्कूल म्ह न रह छोरी, अर न रै इनकी सुरक्षा घर म्ह
(टेक)
स्कूल में जावै छोरी नरे टोटके मारें सै।
पढ़ाना जरूरी सै बाहण और के सहारेसैं,
माँ-बाप न पता चाल जा पढ़णा छुटवावै म्हारे रै,
बेटी घर की इज्जत रै, इनकी इज्जत राखो घर म्ह,
स्कूल मैं न रै छोरी, अर न रै इनकी सुरक्षा घर म्ह।
चाचे ताऊ के लड़के संबंध बणावैं, जब वो भाई कड़ै गया,
जिन्हे तुम समझो असनाई, वो असनाई कड़ै गया,
सगा भाई भी मेरे कानी आंख मिचोनी कर गया
किस पै करां भरोसा बेबे ना रह सुरक्षा घर म्ह,
स्कूल मैं न रै छोरी, अर न रै इनकी सुरक्षा घर म्ह।
पसंद का मैं छोरा देखूं, गांम पोन्ची बंधवावै सै, ना बन्धे पोन्ची तो गांम लिकाड़ा दिलवावैं सैं,
घणी न करें तो हुक्का पाणी बंद करवावै सैं,
हमनैं मारै दोनुअां नैं इसै घटिया से घर म्ह,
स्कूल मैं न रै छोरी, अर न रै इनकी सुरक्षा घर म्ह।
पाणी नै जाऊं अर खेत में जाऊं, मेरे पीछें छोरे लांगैं,
चाचा ताऊ के अर सगे भाई भी कसर घाट ना घाल्लैं,
दूसरे पै तो बंधवावैं पोन्ची ना आपणा किमै लाग्य,
हाँ ए बेबे जमा मर लिए इन भाइयां के घर म्ह,
स्कूल म्ह ना रै छौरी, अर न रै इनकी सुरक्षा घर म्ह
खान मनजीत नै सही टेम पै सही रस्ता दिखाणा,
गांम गुहांड की बाहणा का यू सदा मान बढाण,
कोई कमी ना रह इन्ने पूरा फर्ज निभाणा,
फेर भी बाहण की इज्जत नहीं मेरे हरियाणें म्ह,
स्कूल म्ह ना रै छौरी, अर न रै इनकी सुरक्षा घर म्ह
दृश्य-तीन
इन दो दिनां त लगातार बारिश होण लाग री सै, या बारिस बेमौसमी सै, कदै ओले गेर दे सै, कुल मिला तो किसानां नै तो हमेशा घाट्टा ए खाणा पड़ै सै। कदै नरमा की याहता हो ज्या सै तो कदै सरसम की। जीरी के टैम न बरस दा, साढ़ सामण तो बिल्कुल सुखे टपा दे सै, कि किसान कह, किमे तो नरमा खड़ी ह किमै करेले खड़े सैं, इनके तो इस बरसात नै फूल झाड़ दिए, किसान आख्खर म्हैं के करै, किमे रही र् खही ये सफेद माक्खी, घोडा, तीतली,टिडडे आदि जानवर खा ले सैं, किसान जो आपणी घणी एक पैदावार की बाट देखे सै वो आखिरी टैम पै खाली हाथ आपणे मात्थे पै टेक कै रोण लगा जा सै, अर मात्थै ने पिटण लाग ज्या सै, आखिरकार किसान खातर खेत एक जुआ सै जिसमैं हारता ए नजर आवै सै।
कितै तो या प्रधानमंत्री बीमा योजना भी नाकाम सी होंदी लागै सै, बीमा कंपनी प्रीमियम के रूप में घणी ए वसूली कर ले सै, फेर भुगतान के टैम पै आना कानी करण लाग जा सै, सरकार अर किसाना तै लेए होड़ा घणै करोड़ रपिये प्राइवेट कंपनियां न अपने खाते म्ह डाल रखै सै, अर इनका ब्याज खाण लाग रे सैं, रई खई जो फसल होवे वा न सरकार लेवै न हैफेड न एफसीआई, केवल आढ़ती लेवैं, अर आपणा मोल वो खुद तय करैं। जो किसान खातर बिल्कुल नाजायज सै, मतलब आढ़तियाँ की तिजोरी भरै सै, अर ये आढ़ती भी सरकार के सैं।
गोधू - भाई रलदू इस बेमौसमी बारिश नै जमा ए बुरा हाल कर दिया।
रलूद - हाँ भाई गोधू, भाई भरी भराई थाली जणू किसी नै हाथ म्ह ते खोस ली, इस मरोड़ियों नै अर सफेद माक्खी नै तो जमा ए चूस कै बगा दी, किम्मै बरसात नै फूल झाड़ दिये।
गोधू - के बताऊ भाई रलदू इन बीमा कंपनियां नै तो पिछले साल भी किमे काढ़ के ना दिया, बीमा कंपनी आळे किते नी जय कर दे।
रलदू - हाँ भाई गोधू, किसान बेचारा चारों ओर से मरा पड्या सै, जिबे देश म्ह जगह जगह किसान रोष प्रदर्शन, हड़ताल और धरने के समाचार आण लाग रे सैं।
गोधू - हाँ भाई रलदू, किसान के टमाटर सरड़कां पै बिखरण लाग रे सैं तो किते गन्ठे भी।
रलदू - और के करै किसान बेचारा जब उसके उत्पादन का दाम नी मिलदा।
गोधू - हाँ भाई, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु आदि सब जगह यो ही बुरा हाल सै। सुना सै कि बाजरा का सरकारी भा 1425 रपिये क्विंटल कर दिया लेकिन किसाना का बाजरा तो 1100 से भी कम रपियां में लेन लाग रे सैं, ये मजबूरी मैं टपाण लाग रे सैं।
रलदू - हाँ भाई, चारों पासे त बुरी खबर सुनण में आवै सै, सुना सा के तमिलनाडू में त इबकै बिल्कुल सुखा पड़ा सै 12 लाख किल्यां की फसल जल गी। भाई अर तबाह होगी।
गोधू - हाँ भाई, राजधानी दिल्ली में इन नै रोष प्रदर्शन करा था अर या बात जताण लाग रे सैं कित्ते देख ले पूरे देश में किसानां में आक्रोश फैला सै।
रलदू - राजस्थान में भाई, 10 किलोमीटर तक का लबा जलूस काड्या था। उसमें लुगाई भी घणी ए आई थी।
गोधू - के करां भाई, सारी सरकार लुटेरां की सै, कोई नी सुणदा, सुणा सै अक ढाई करोड़ रपिये एक प्रतिशत कर्जा माफ करा सै। यानी कि इन करोड़ पतियां का कर्जा माफ करा सैं। अर इबी बी 8 लाख करोड़ कर्जा बाकी सै, जो कदे नी लन्दे।
रलदू - और सुणा सै कि 10 लाख करोड़ बाकी सै अर 65 प्रतिशत जनता पै खर्च कर दिया तो म्हारे गामां में सुधार हो ज्या या सरकार या बात क्यो करण लाग गी।
गोधू - भाई रलदू के बतावां मेरे तो किमे समझ में नी आंदा, किसान कुणसे कुएं म्ह पड़ै।
रलदू - भाई गोधू इब कुएं म्ह पड़न का बखत आ गया, कुएं म्ह पड़न तै समस्या का हल कोनी, इब तो भाई खेतीहर मजदूर, दलित, पिछड़ा, किसान आदिवासी साथ म्ह आदि कठ्ठे हो कै इन मुद्दा पर आधारित एकता बनावां। जिबे बात बणैगी अर जिबे किमे हल लिकड़ेगा, नहीं गोधू इन किल्लां नै भी आपणे हाथ तै खो बैठेगा, मरण तै कोई हल कोन्या। हल सै सारे नै कट्ठे हो के समंस्या का सामना करना।
गोधू - हाँ भाई रलूद बात तो तेरी ठीक सै, इब जांगें सा भाई, जागे बिना काम नी चाल दा, किसे स्याणे मानस नै कहा सै के गोबरी सुक्खे पाछै उठा तो के उठ्या, बखत, बखत पै स्याणा होणा चाहिये।
रलदू - गोधू इब भी ठीक टैम से अक जाग्य गै।
दृश्य -चार
दो लुगाई आपस में बतलाण लागरी अर अपणे-अपणे बटेउ की चर्चा करण लागरी सै
गीताः- मेरा घर आळा तो बेचारा इन खेंता नै तोड़ दिया मैं कई बै कहं दू के खेतां न छोड़ दै अर शहर में नौकरी कर ले।
भरपाई- गांम म्हैं ठीक सै इनके साहरे काम पाया रह सै ना तो बिमार होवे, कसरत भी होती रहवै सै।
गीताः- सुणा सै रामफल के छोरया के ब्याह सै।
भरपाई- सुणा तो मन्नै भी था।
गीता- छोरा तो 35 साल का होग्या अर बताबैं सै उसकी बहू सारी बीस साल की भी ना होई सै।
भरपाई- यू तो अनमेल ब्याह सै इस तै तो बहु पै बुरा असर पड़ेगा।
भरपाई- ले सुण!
दादा ने कहा करते जोड़ी का वर टोहण खात्तर,
दादा भी इब डुब गया जोड़ी वर टोहण खात्तर
लिहाज शर्म कती फैंक दी, शर्म खूंटी पै टांग,
बराबर का हो छोरा-छोरी याहे समाज मै मांग,
अन मेल विवाह होगा तो पूरी उम्र होगा सांग,
अनमेल विवाह होगा तो पूरी उम्र होगा सांग,
दोनूं आं के मन पाटज्यागें जणू पिरया हो भांग,
दोनो हो एक समान दोनू हो चात्तर,
दादा भी इब डूब ग्या जोड़ी वर टाहेण खातर
छोरा 35 का छोरी 20 की या के जोड़ी हो सै,
छोरी 20 की छोरा 23 की या जोड़ी खास हो सै,
एक पढ़रया एक नरभाग वा क्यें जोड़ी हो सै,
दोनो पढ़रे दोनो ठीक वा जोड़ी जची हो सै,
दोनो आपस मैं न्यू सोच्चे मैं सू उसके भहात्तर दादा भी इब डुब गया जोड़ी वर टोहण खातर।
पढ़ी छोरी अनपढ़ छोरा तो भी काम चाल्ये ना,
पढ़ा छोरा अनपढ़ छोरी तो भी काम चाल्ये ना,
छोरा बढ़िया हो घर बढ़िया चाल्ये ना,
छोरी बढ़िया हो दर बढ़िया चाल्ये ना,
इस फर्क नर मेट के भाई बणा ल्यो आपणी चौधर,
दादा भी इब डूब ग्या जोड़ी वर टोहण खातर।
खान मनजीत तु भी पूरा राखिये ख्याल,
कदे तेरे बालकां भी बिगाड़ दे चाल,
पढ़े खूब करे शादी मनमानी बढ़िया रहे हाल,
समाज के हर घर नै तै सदा उधेड़मी खाल,
बच्चा की भी खाल नै ठीक करण खातर बणणा सै चात्तर
दादा भी इब डुब ग्या जोड़ी वर टोहण खात्तर
गीताः- या तो जमाए माड़ी बात सै
भरपाई- छोरा-छोरी का मेल-मिलाप, रंग-ढंग व्यवहार ठीक होना चाहिए जिबे तो कोए कदम उठाना चाहिए ना तो छोरा-छोरी दोनो नर्क में रहे सै।
गीताः- या बात तो ठीक आपणे बखत पै तो ब्याह पोतड़ा म्ह कर दिया कर दे अर 10-11 साल की न ब्याह दन्दे फेर तीन-चार साल पाच्छे मुकलावा करदें।
भरपाई- वो टेम तो ठीक था पर जब उसकी शादी बचपन हो जांदी वाहे तो उसकी खेलन की उम्र वा घर चलाण की।
गीता- बात तो तू ठीक कह पर इबी भी गरीब आदमी छोटा किसान तो शादी न्यूए करै सैं।
भरपाई- जै कोए उनकी शिकायत कर दे से तौ बेचारा कर्जा ल्याणा अर उसतै घना कर्जा फेर थाणे मैं देणा पडै, मतलब गरीब की तो सारे स्यात सै।
गीता- ब्याह तो न्यू कर सै कै एक खर्चे में मेरा काम चालज्या अर इन दोनुअां ने लपेट दूं।
भरपाई - उसकी बात तो सारी ठीक सै समाज इजाजत भी दे देगा पर सरकार तो कोनी दन्दी बाल विवाह करण की इजाजत।
गीता- सरकार नै तो यू गरीब दिख्य सै इसके पाच्छे पड़ी रह सै सारी सरकार ओर किम्मे काम कोन्यी।
भरपाई - गीता तेरी बात तो सोलह आने सही सै पर कै कंरा सरकार कै आगे आपणी के बसावै सरकार सरकार से आपां आपा सा दिन रात का अन्तर सै आपणै में अर सरकार में।
गीता - बालक तो ब्याहणे पडगे आपणी के बसावै सै।
भरपाई- बालक तो ब्याहणे पडगे सरकार के नियमानुसार अगर उनके अनुसार करांगे तो आपा नै भी तकलीफ नहीं होगी ना ही सरकार आपां कुछ कहवैगी।
गीता - हां ये बेबे ब्याह करण खातर भी सरकार बुझणी पड़ेगी यो जमाए खोटा काम होग्या। फेर तो जाम्या भी सरकार ने पुछ के।
क्योंकि सरकार कहवै सै छोटा परिवार सुखी परिवार।
गीता - बे बे मेरे तो पूरे पांच सै तीन छोरे अर दो छोरी
भरपाई- आज इस मंहगाई मैं पांच बाळक थोडे कोन्नी होन्दे इनका तो खर्चा ठाणा पूरी महाभारत सै।
गीता - बे बे या तो तेरी बात ठीक सै, पर इब जाम दिये तो फैके भी कोन्यी जावै।
भरपाई- मैं फैकण की कोन्या कहन्दी मै तो न्यू कहूं सू तन्नै जाम दिये सो जाम दिये तेरे बाळकां नै तो या सलाह दे सक सै।
गीता- बे बे जरूरी कहूंगी मेरे एक बात नी समझ मैं आती कै ये छोरे क्यूकर ब्याहूं, मन्नै तो जमा चिन्ता रोज खा वै सै
भरपाई- आज के टेम छोरी हजार पै नौ सौ सै रहरी सै न्यू मान पूरे सौ तो कंवारे रहगें।
गीता- या साच्ची बात सै
भरपाई- जमा साच्ची पहले तो छोरया के चक्करा मैं इन छोरिया नै मरवादे सै फेर समाज मैं छोरी तो कम रहवगी अक नहीं तू बता सोच कै।
गीता- सोचणा कै सै। या बात तो जमा साच्ची सै मन्नै सुणा सै अक आजकल छोरे ब्याह खात्तर छोरी बदलम्ह देनी पडै सै।
भरपाई- तू ठीक कहवै सै छोरी बदलम्ह देनी पडै सै।
गीता - क्यातै।
भरपाई - क्यातै के छोरी कम होरी सै समाज मैं जिसके सै वो सोच्चे से अब मेरा छोरा भी इन कै सहारे ब्याह ज्यागा ना तो न्यू गाळां मैं हाण्डगें। अर एक बात और बतांउ कै सार्या नै मां भी चईए अर बहू भी चईए अर बहन भी चईए पर बेटी क्यों नी चईए या बात सै आज पूरे हरियाणे म्ह ।
गीता- बे बे पूरी बात तो तू ठीक बतावै सै। पर अमल तो कोए नी करदां।
भरपाई- अमल तो सारे करेगे तब उनकी पुलिस तै खाल उधड़ ज्यागी फेर अमल करेंगें इतने कोए अमल नी करैं।
गीता - पुलिस क्यूं खाल उधेड़गी।
भरपाई- पुलिस न्यू खाल उधेड़गी जो कम उम्र म्हं शादी करें, जो समान ना देखे।
गीता - समान कै।
भरपाईः- समान पढ़ाई, समान उम्र, समान घर आदि देख के ब्याह करणा चाहिए ब्याह करदी होणा ।ठब्क्म् का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
गीता - बेबे मन्नै अंग्रेजी तै आती ना फेर भी बता ये ऐबीड़ी के कहवै सै।
भरपाई- ये एबीड़ी कोन्या ।ठब्क्म् है। एका अर्थ सै ऐज मतलब आयु/उम्र देखनी चईए अर बी का मतलब ब्लड मतलब खून अर्थात एक खून का ना हो या खानदानी हो।
गीता - हाँ ये बेबे या सी.ई.डी बताई थी ये कै होवै से।
भरपाई- बे बे तू मन्नैपूरा तो बता लेन्दें बीच म्ह बोल पड़ै सै। सी का अर्थ सै करेक्टर अर्थात चरित्र का अर्थ से उसका गाम म्ह व्यवहार/चाल चलन डी का मतलब सै डावरी मतलब दहेज इसका मतलब सै ना दहेज लेंगे ना दहेज देगें।
गीता - ई के होवै से
भरपाई- बेबे इ का मतलब एजुकेशन हो सै मतलब पढ़ाई। लिखाई इन चीज़ा ने देख कै ब्याह करना चाहिए ना तो दोनू सारी उम्र तंग पावेंगे।
गीता - तंग कयूं पावेंगे।
भरपाई- जै एक पढ़ लिखा रहा सै अर उसकी घर आली अनपढ़ सै तो भी पूरी तरह जी नहीं सकते ना एक दूसरे न समझ सकते याहे स्थिती अगर छोरी पढ़ रही सै अर छोरा अनपढ़ सै तो भी याहे स्थिती रहवगी।
गीता - भरपाई ऐ तेरे म्ह तो दिमाक घणा सै तू तो सतसंग लाग ज्या करण।
भरपाई- सत्संग आले आप जेल में जावै सै म्ह तो न्यूए ठीक सूं। मन्नै जितना बेरा सै उतनी बात बता दी। और आजकाल कै कर रहे सै छोरे, ये सुण इस गाणे के माध्यम तै जनता मैं बताऊ सूं अर तेरे संत्संग का भजन सुण।
हर घर रोवै बेटी बाहण अर हर नारी रै,
करे रेप ना करे शादी नारी होगी भारी रै (टेक)
देख जमाना सारा लिया इसा बेहुदा पाया ना
अपनी जायी नै समझे अपनी इसा टेम आया ना,
पैर की जुती कहवै दुनिया फेर नर क्यू पछताया ना
जो डाण नपूती कह बेटी नै भला कदे चाह्या ना
क्यूं तुम दुख द्योघर में, पनाह द्यो नारी नै करे रेप, ना करे शादी, नारी होगी भारी रै
नारी नै अपणा असली रूप दिखाणा होगा,
घर तै बाहर लिकड़न का अपना हक जमाणा होगा,
घर म्ह तेरी पूछ रहे न्यू तन्नै गिरकाणा होगा।
तन्नै कहवै खरी खोटी समाज का ना तेरे सिर उल्हाणा होगा,
इस समाज के सारे मानस समझे मेरी जात बिराणी रै
करे रेप, ना करे शादी नारी होगी भारी रै।
सावित्री का खुद दुश्मन नारद बणया देख्या रै
सीता का खुद दुश्मन रावण बणया देख्या रै
देवकी का खुद दुश्मन कंस बणया देख्या रै
द्रोपदी का खुद दुश्मन दुशासन बणया देख्या रै
कई पीढ़ीयां ते कष्ट झेले फेर भी कहवै भारी रैं
करे रेप, ना करे शादी नारी होगी भारी रै।
नारी नै अपणा परचम खुद लहराणा होगा,
पति के गेल्यां डट के मुकाबला कराणा होगा,
जो हक बात करै ना, वो पति भी समझाणा होगा,
नारी नै भी हक चईए, ना तेरे सिर उल्हाणा होगा,
पढे़ लिखे गर नारी, पूरी करै अपणी तैयारी रै
करे रेप ना करे शादी नारी होगी भारी रै।
मात पिता अर गांम म्ह यूं सबतै कहणा होगा,
बेटी बाहण नै तुम प्यार न्यू सबका लहणा होगा,
ओछी बोदी बात ना कहवै इन पैं सब तै बचणा होगा,
प्यार से राखो नारी नै, यू है हर घर का गहणा होगा,
खान मनजीत सब अधिकार देने होगें नारी तै
करे रेप ना करे शादी भारी होगी नारी रै।
इन बाता पर गौर करणी चईए।
गीता - बे बे गीत तो बहुत बढ़िया था।
नहीं तै समाज का सत्यानाश हो ज्यागा।
भरपाई- आपणे परिवार के सारे तै न्यूए कहो कि समाज बिगाड़ना अर समारणा आपणे हाथ म्ह सै।
दृश्य पांच
आज काल का जमाना बिल्कुल खोटा आग्या अपने माँ-बाप के पिस्से न तो न्यूए उड़ावै से उन्ने न्यू कोन्या बेरा अक ये पिस्से आये कड़े तै।
गोधू - आज का टेम जमाए खराब आग्या माँ बाप की इज्जत तै जमाए खत्म होग्यी इन्नै तै जमाए नी बुझते।
रलदू - भाई जमाना तै खराब आग्या पर किम्मे बाळक समझाणे भी तो आपणे हाथ सैं।
गोधू - आंपा बाळकां न समझा सकां सा। धमका तो आजकल बाळकां ना सकते।
रलदू - क्यांतै
गोधू - जै बाळक कोए गलत काम कर दे उसने आपां डरा/धमका देयां तो वो आपणी सुणता
कान्ेया कूण मैं बैठ के रोण लागज्या सै।
रलदू- रोव तो गा, रोण दे थोड़ी देर रो कै रहलेगा।
गोधू - आज काल बाळक, सुल्फा, गांजा, बिड़ी, सिगरेट, दारू, अफीम अर घणे नशे तै घिर रै से।
रल्दू - या बात तो तेरी ठीक सै पर नशा तै क्यूकर छुटकारा पाया जा सकै सै।
गोधू - भाई कितने नशा मुक्ति केन्द्र खोल राख्ये से अर डाक्टर कै भी नी समझ में आती इस्से-इस्से नशे करै सै।
रलदू - सुल्फा, गांजा, समैक का नशा तै इसा सै जै यू ना मिल्या तै चोरी कर लेगा पर उसनै नशा करणा पड़ेगा।
गोधू - या बात तो ठीक सै, पर आपणा बाळक आपा ना समझा सकते ना धमका सकते इसाटेम आग्या।
रलदू- क्यूं नी धमका सकते
गोधू - धमकान का अधिकार भी खोस लिया इस लोकतन्त्र मुल्क नै।
रलदू - इस मै मुल्क का कै खोट सै
गोधू - मैं मुल्क न नहीं कहन्दा कुछ भी म्ह तो न्यू कहूं सू के अगर आपा अपने बाळक न धमका द्ंया तो वो रूस के फांसी ले के पखे पै लटका पावै से किससे पै उटदी कोन्या।
रलदू - या बात स्याणी सै तेरी पर कै करू जिसके एक सै उसका कै करू।
गोधू - बात एक छोरे की कोन्या इन छोरया ने ये छोरी भी नशेबाज बणा दी।
रलदू - छोरी क्यूकर
गोधू - छोरी बेचारी गांम तै एकादी पढ़ण शहर मैं जावै, उसने ये शहरी बाळक बारा म्ह ले जाकै पहले कोल्ड ड्रींक, फेर बीयर अर दारू फेर पता नी के के प्यांव सै।
रलदू - भाई या बात तो मन्नै तेरे पै सुणी सै
गोधू - बिल्कुल साच्ची सै।
रलदू - जिसके छोरा या छोरी एक हो तो वो कै करै।
गोधू - बड़े बूढ़े पहले ठीक कहाया करदे अक एक आंख का कै खोलना अर कै बन्द करणा आंख तो दो होणीये चाहिए।
रलदू - कुणसी आंख की बात करो सो
गोधू- तू जमाए बोवला सै इसा बोवला तो आज कित्ते भी कोन्यी रहरे।
रलदू - बावला क्यूकर।
गोधू - बावला तू न्यूए सै अक आंख का मतलब एक छोरा या छोरी तै से कहण का अर्थ से दो टाबर होणे चाहिए।
रलदू - सुणा सै या बात तो छारैया पै लागू हो सै।
गोधू - समाज मान्नै सै। लेकिन मैं कोन्यी मानदा मेरे ना के तो दोनू बराबर सै।
रलदू - क्यूं छोरा छोरा सै अर छोरी छोरी सै दोनू एक क्यूकर सै।
गोधू - दोनू एक न्यू सै अक जो अधिकार छोर्या नै सै वो अधिकार छारिया नै भी सै।
रलदू -हरियाणा की बसां में छोरिया की, अर लुगाईया की न्यारी सीट सै फेर भी मलंग बैठे सै।
गोधू - या बात तो तेरी ठीक सै पर किम्मे तो इन लुगाईया नै भी करणा पड़ेगा, लड़ाई लड़नी पड़ेगी सीटा पै लिंखण ते किम्मे कोन्यी होंदा।
रलदू - सीटां पै तो मन्नै भी लिखा देख्या सै पर कै करा क्यूकर ठावा।
गोधू - लुगाईयां नै अर छोरिया जो उनकी सीट से अर उनपै कोए मंलग बैठया सै तो उसने जबए धक्के तै ठा देना चाहिए।
रलदू - फेर माणस की तो बेज्जती होज्यागी।
गोधू- बेज्जती बाज्जती किम्मे नी जब अगले नै दिखण लागर्या अक तु लुगाईया की सीट पै बैठ्या सै तो उसने फटक दे सी उठना चाहिए।
रलदू - जै कन्कटर सीट न0 उसका छोरी आला छोरे न दे दे।
गोधू - या कन्कटर की गलती सै उसने महिला की सीट नी देणी चाहिए वो अपणे हिसाब सै सीट बाण्डे जो सरकार ने निर्धारित कर राख्यी सै।
रलदू - सीट तो घणीए से पर कै करां या जनता बिल्कुल बेकूप सै इसने कूण समझावै।
गोधू - समझावै तो घणै सै पर किस्से कै लागदी कोन्या
रलदू - जगहा जगहा दिवारा पै अर सीर के स्थाना पै लिख्या मिले सै के इन न0 तै इन तक महिला सीट से फेर भी ना समझे तो ना समझ इसमें, सरकार की कै गलती सै।
गोधू - या गलती तो आम जन की उन्मै खुद सोचणा चईए कै किस पै बैठू या ना बैढु।
रलदू - तन्नै घणये गीत सुणा दिये ले ऐक म्ह भी सुणा के देखू किस्सा के सै बताईए भाई।
सारी की सारी बस का भाईयों यू नजारा अलग हो सै,
महिला की सीट पै बैठे फेर ठावै फेर गजब तमाशा हो सै,
किते-किते तै आकै सब एक म्ह समा जावै
थोड़ी देर तो चुप रहे फेर आपस मैं बतलावै,
तू किन्मत सै फेर रिश्ता तक नया बणावै
कोए उतरे कोए चढ़े कोए सफर दूर जावै
ब्होत बढ़िया सै सफर बस इस तै फालतू कै हो सै
महिला की सीट पै बैठे फेर ठावै फेर गजब तमाशा हो सै
नये दोस्त बणावै नयी बात चलावै सै,
घरा ना जै टेम हो दुख-सुख बस म्ह बतलावै से,
भाई बहन अर पूरे परिवार की चर्चा खूब करावै से,
फेर दूसरा आजा बस म्ह उसने बतलानिया पावै से
सफर कर दूर तक इसतै बढ़िया नजारा कै हो सै
महिला की सीट पै बैठे फेर ठावै फेर गजब तमाशा हो सै
बुढ़े न ताऊ, बुढ़ी न ताई कोए कहवावै से चाची
इन रिश्ते न तो भूलग्ये रहगे अक्ल अर आंटी
हाण की छोरी ने यो ना बाहण कह देखे से नजर आड़ी
बुरे-बुरे शब्द कहे करे टौटके, इनमैं ना इज्जत आती।
देख समझ के कदम धरिये न्यू समझाते इस तै आगे के होवे से
महिला की सीट पै बैठे फेर ठावै फेर गजब तमाशा हो से
खान मनजीत नै भी सुख तै रहणा होगा घर हो चाहै बाहर
बेटी-बेटी समझे, बाहण ने बाहण पूरा देवे से इन्ने प्यार
एक-दूसरे मैं ना करवाव लडाई इससे काम म्ह रहे त्यार
प्यार बरसाओ, इज्जत कमाओ ना सै इसकी कोए उधार
जिब सब किस्से ठीक होज्या इसते ऊपर के हो सै
महिला की सीट पै बैठे फेर ठावै फेर गजब तमाशा हो सै।
गोधू - गीत तो तेरा ठीक था पर मन्नै न्यू लाग्ये जणू पहले ठीक कोन्या अर बाद आला ठीक सै।
रलदू - तू भी मन्नै करा कीत लेग्या बात चालरी थी नशै पै।
गोधू- हाँ भाई या बात तो म्ह भूल ग्या।
रलदू - भाई नशे मैं 100 मे से पांच जणे हर
महीने हरियाणे म्ह मर ज्या सै।
गोधू - मतलब पांच परसेंट।
रलदू -हां भाई ठीक कहवै सै।
गोधू - पर ज्ये भुक्की का नशा सै बो तो साथ आले प्रदेश म्ह घणी पियी व खायी जा सै।
रलदू - कुछ दिन पहल्ंया फतेहाबाद व सिरसा म्ह ये घटना घटी से नशे मैं पांच मरगे।
गोधू - आदी भी आपा बणावा सा
रलदू - क्यूकर
गोधू - आपा अपणे घर तै ला ले, आपां होक्का भरवाना, फेर कुछ दिना पाच्छे वो उस होक्के न सिलगाण लाग ज्या से फेर वो होक्का का आदी हो ज्या सै। फेर लत लाग ज्या सै।
रलदू - न्यूए बीडी, सुल्फा, समैक भी पिवै सै।
गोधू - हाँ भाई पहले तो बिड़ी लाण की कहवै गे फेर घुंट मारण की फेर वो एक आधा सुट्टा मारण लाग ज्या सै तो फेर उसपै रूक्या कोन्यी जान्दा फेर वो टूट होडी व झूठी बीडी चुगदा होण्डे जा सै।
रलदू - या बात तो तेरी ठीक सै फेर खत्म क्यूकर करा।
गोधू - पहले तो बीडी प्याणी सिखादें सै फैर वो धूप जिस्सा सुल्फा भरके प्याण ल्याण लाग ज्या सै अर फेर वो सुल्फा खरीद कै ल्यावगा अर अपने उस्ताद न भी प्यावगा जिसने उस तई सिखाया सै।
रलदू - या बात तो तेरी जमाए बढ़िया सै मन्नै सुणा सै अक सुल्फा दिमाग म्ह चढ़ ज्या सै।
गोधू - भाई सुल्फा ज्यातर गामा के किसान, पाली, अर बड़े-बड़े गायक इसमें धंसे पड़े सै।
रलदू - फेर दिमाग म्ह क्यूकर चढ़े से।
गोधू - यूं दिमाग म्ह यू चढ़ सै अक पूरे दिन गाला म्ह हाग्डे ज्याग अर किलकी मारे ज्यागा, गन्दी गन्दी गाली देवेगा, कुआं भाज्यगा कुअां खड़ा होग्या ना तो गाळां म्हे तै लिफाफे चुगदा हाण्डे ज्यागा।
रलदू - इसका इलाज कै सै
गोधू - इसका कोए इलाज नहीं सै पूरी दुनिया मैं डाक्टर की सलाह तै उसका नशा कम कराया जा सकै सै फेर धीरे-धीरे छुट सकै सै। फेर इतने वो डटदा नहीं उसने चोरी करदे सुल्फा खरीदना अर पीणा जमा बुरा हाल सै।
रलदू - बुरा हाल सै उनके घर के भी परेशान रहन्दे होगें इनका तो यूहे इलाज इन्हें ताळ्य भीतर राख्यो बाहर ना लिकड़न दूयों।
गोधू - भाई न्यू बता यूं नशा क ढ़ाल का होसे।
रलदू - नशा दो ढाल का हो सै
गोधू - कुणसा-कुणसा नशा सै
रलदू - एक तो ओपिआईडिस व दूसरा कनाबिज एक ओर इन दोनुंआ तै मिलके बणे वो सै मल्टीपल सबस्टास।
गोधू - भाई घणी अंग्रेजी ना बक साफ-साफ समझादे न
रलदू - ओपिआईडिस नशा जो अफीम तै तैयार होवे सै अर कैनाबीज जो भांग तै तैयार होवे सै।
गोधू - आच्छा इन तै बणे सै नशा के सारे उपकरण
रलदू - अफीम तै बणन आळा नशा हैरोईन, स्मैक आदि अर भांग तै बणन आळा सुल्फा, गांजा, चरस आदि बण सै।
गोधू - आज भी इनका सेवन करै सै।
रलदू - भाई 40 किलो नशा हर रोज पकड़ा ज्या से हरियाणा में मई 2018 तक 1048 आदमी इसका सेवन करे सै अर दिसम्बर तक तै इनकी दोगुणी होण की सम्भावना है।
गोधू - नशे में मरे भी ब्होत सै।
रलदू - हर साल सौ आदमी नशे कै चक्कर में मरे सै
गोधू - फेर तो आदमी घणे कम होगे
रलदू - एक मरे से तो तीन पैदा हो से। भारत में एक तस्वीर पेश करू सूं नशे की
वर्ष | नए केस | पुराने केस | कुल | भर्ती |
2011 | 428 | 414 | 842 | 133 |
2012 | 704 | 799 | 1503 | 112 |
2013 | 895 | 1601 | 2496 | 136 |
2014 | 1038 | 1609 | 2647 | 147 |
2015 | 1440 | 1950 | 3390 | 163 |
2016 | 1600 | 2107 | 3707 | 157 |
2017 | 1505 | 2813 | 4318 | 90 |
2018 | 1048 | 1598 | 2814 |
उपरोक्त केस नशामुक्ती केंद्र तै सरकारी अस्पतालां तै लिये गए सै।
गोधू - भाई तू तो काम का आदमी लिकड़ा फेर न्यू ओर बतादें कुणसा नशा कितने आदमी करें से।
रलूद - सुण भाई
वर्ष | ओपिआईडिस | कैनाबिज | मल्टीपल संबस्टास |
2011 | 97 | 22 | 36 |
2012 | 190 | 32 | 93 |
2013 | 163 | 59 | 140 |
2014 | 209 | 74 | 120 |
2015 | 326 | 80 | 161 |
2016 | 397 | 86 | 207 |
2017 | 339 | 89 | 178 |
2018 | 457 | 63 | 117 |
यूं ऊपर आला रिकार्ड हरियाणा का सै
गोधू - या नशे की बिमारी तो सारे लाग्यी घर गेल नशा करं सै
रलदू - इस नशे में शराब, बिडी अर सिगरेट कोन्यी ना तम्बाकू जर्दा सै।
गोधू - नशा तो दारू भी घणा करें सै।
रलदू - बड़े बुढ़े कहया करदे की पहल पेग दवा हो से दुसरा पेग दारू हो सै अर तीसरा पैग शराब होसे चौथा पेंग खराब हो से ये कहा करदे फेर भी पिवै सै तो वो मरण तै कम कोनी ऊं तै नशा कोणसा नहीं करना चाहिए सारे के सारे नशा बेकार सै।
गोधू - दारू तो घर-घर बिकै सै।
रलदू- दारू बेचण में सरकार पूरी मदद करै सै, वो पंजीकरण ठेका तो कोए गली-गली मैं खुरदा खोल राख्या सै। जै इन पै पांबध लादे तो शराबी/नशेडी तो पैदा नहीं होगे
गोधू- हजारो पेटी दारू की बरामद कर सै उनका कै करै सै
रलदू- कुछ तो बरामद करण आले पीले किम्मे बेच दे अर कागंचा म्ह तो 1000 में से 300 पेटी बतावै आपणी गोज भी गरम करेगे अर रात नै पूरा जश्न करेगे वो न्यारा।
गोधू- दारू पीण आळा पुरे दिन रात बडवडान्दा रह सै उसमे न्यूए कोनी बेरा तू सै कित किते गाळा मैं पड़दा हाडे जा सै।
रलदू- बात तो तू सारी स्याणी कर सै पर अमल तो कानी करता आजकाल काम करवाण खातर चपड़ासी तै लेके डी.सी. तक दारू मांगे सै गरीब की तो शामत आग्यी।
गोधू - फेर तो सारे दारू में बिकरे रै।
रलदू- दारू में भी साध ले अर ना साधे तो पिस्से भी ले अर फेर उस गरीब आदमी पै अपने हाथ हळवे करै या नौबत से प्रशासन म्ह।
गोधू - फेर इसका कै इलाज सै।
रलदू- इसका एक कै इलाज सै के दारू/अन्य नशा पूरे प्रदेश हरियाणा में बन्द हो। लन्दे देन्दे न जेल में ठोके अर जरमाना लावै। जेल आळे भी उन्ने पै दारू पिवै व नशा करे इन्नै भी कम ना लावों।
रलदू- फेर खत्म क्यूकर हो।
गोधू - जगह जगह नशा मुक्ति केन्द्र खोले जाए, सरकारी अस्पताल में इनकी मुक्त दवाई हो ओर इनने राखण का प्रबंध भी सरकार करै खाण-पीण का खर्चा भी सरकार देवे तो हरियाणा नशा मुक्त बन सकें सै नहीं तो नशा माता बांझ नीं होगी हर साल 3000 बच्चे पैदा करेगी।
गोधू - इब कै करना होगा।
रलदू- सरकार ने दीवार लेखन, इश्तिहार, पोस्टर व प्रचार-प्रसार के माध्यम तै नशा मुक्ति गीत बजाणे होगे लोगां म्ह पेश करने होगे इनके नुकसान बताने होगे जब रोक लाग्यी नहीं ंतो नशा माता बच्चा की पैदावार बढ़ावगी घटावैगी नहीं।
गोधू - भई मन्नै एक गीत सुणाना सै कदे ताम बुरा मान जाओं।
रलदू- गोधू तू गीत सुणा दुनियादारी तो न्यूए चालदी रहगी
गोधू - ले गीत सुण
नाड़ ऊचीं क्यूकर करूं मैं चोर हो लिया,
दारू मैं मेरा गात सुख के कमजोर हो लिया
कै नाम कमाया से इस जग में या दारू पीके,
सब मन्नै धन खो दीया या दारू पी कै, करां गात का नाश या दारू पीकै,
आच्छा खासा शरीर खोया या दारू पी कै?
के बतांऊ थामने मैं ढोर हो लिया
दारू मैं मेरा गात सुख के कमजोर हो लिया
भाईचारे का नाम दिमांक तै जा लिया,
असली छाया थी जिनकी वो भी जा लिया,
जो झाड़-झाड़ बेटी का था मेरा वो भी जा लिया
प्यार करण आना जमाना वो भी जा लिया
कै बताऊ थामनै मेरा नाम में कती शोर हो लिया।
दारू मैं मेरा गात सुख के कमजोर हो लिया
पहले घंरा पीकै शौंक तै ठाठ करां करता,
ईब ठेके पै जाऊ पीण फेर भी जी ना भरता
मैं गाल मैं धक्के खाऊ घरकैंया का जी ना भरता
के बताँऊ लोगों में दुनिया में और ही लिया
दारू मैं मेरा गात सुख के कमजोर हो लिया।
रोज पड़ोसी तानै मारे मैंरे म्ह कै बताऊ
घरा रोज एक आधा उल्हाना ल्यांऊ
दिन दिहाड़े नशा टुटे ना के थामने बताऊ
कै करू मैं सबते आंख क्यूकर बचाऊ
गया ठीक ठाक मैं सामाजिक चोर हो लिया
दारू मैं मेरा गात सुख कै कमजोर हो लिया
डरपोक सू गादड़ ज्यूकर शेर क्यूकर बणू
राजा रह पंद्रह दिन फेर भिखारी बणू
जग आगे हाथ पसांरू, मैं दुखिया टेर बणू
के बेरा कित पडज्या, हमेशा कुडे की डेर बणू
दारू होगी मस्त फागण की, मेरा कती तोड़ हो लिया
दारू में मेरा गात सुख कैं कमजोर हो लिया।
सारी बाते घर आली की काढ़ी कान्नो कान मन्नै,
के करे बाळक मेरे, ना दिया कदे भी ध्यान मन्नै,
बेच दिये सारे गहणे, ना छोड़या घरा सामान मन्नै,
खान मनजीत रह किराये पर, ना घर तलक लिया मन्नै,
समय आग्गा ईब तो कहदूं, मै बोर हो लिया,
दारू के म्ह मेरा गात सुख कैं कमजोर हो लिया।
रलदू- गीत का तो जमा तोड़ पाड़ दिया
गोधू - ये शराबी भी कोन्या जीण दन्दें। ये घरक्ैंया गेल्यां पूरा रूक्का रोळा राख्ये सै।
रलदू - हाँ भई, ये गाळां मैं हाण्डे सै, रात नै इनके मुँह में कुत्ते मुत दे सै इसे शराबी सै
गोधू - कुत्ते-कुत्ते कोन्यी मुते ये रास्ता भी भूल ज्या सै। जाणा अपने घरा सै पहुंचे बिराणे के घरा। या बात भी खूब होवे सै।
रलदू - मैं तो यहि बात कहूं सूं कै जितना भी नशा सै वो सारे के सारे बेकार सै इन्ने छोड़न का प्रयास करां अर नई जिन्दगी जीण की शुरूआत करो।
दृश्यः छ
मैं इस दृश्य में कई पात्र ले के आँऊगा जिसमें मन्नै छोरी बचाण की कोशिश करी सै जिसमें पिछले पात्र तो न्यू के न्यू सै अर इसमैं मैं एक पात्र का इजाफा करूंगा जिबे मेरे हिसाब तै लिख्या ज्यागा न तै नुए सुनापन सा लाग्यगा। ईब मन्नै दो जणा की आपस की वार्तालाप करी सै लेकिन मैं ईब दोनू परिवार के ऊपर का दृश्य पेश करण की कोशिश करूंगा।
रलदू - वाह! रे रलदू, तू भी कदे जवान होया करता
दिन लिकड़न तै पहला खेत म्ह जाणा अर सारा दिन हल चळाना पढ़ाई लिखाई तै दूर रहना ये मेरे काम होया करदें।
सुण सै कै मन्नै लाग्ये इस शक्ल नै भी काल
खावेगा।
गीता - जै इस शक्ल न भी काळ खावेगा तो काळ तो जमाए नराए गोबर खाणा सै।
रलदू - अर डट ज्या कदे इस जबान न भी लगाम दे लिया कर सारी हाण तर-तर चाल्ये जा सै तन्नै क्यूं मेरे कर्म फोड़ राख्ये सै। जब मैं तन्ने ब्याह कै ल्याया था अपणा धरा जब तै तन्ने म्हारे घर का नाश कर राख्या सै।
गीता - तेरा घर बसा दिया होगा, तेरे तै ब्याह त पहल्यां रोज उल्हाणे आया करदे।
रलदू - हूँ पर बसा दिया तन्नै ब्याह तै पहले तो मेरे घरा नरे रिश्ते आळे आया करते कदे डाक्टरनी के, कदे मास्टरणी के और तो और वकीलणी के भी रिश्ते आये थै।
गीता - हाँ कोए सूंघा भी ना करै था न्यू हाण्डे ज्याया करदा ब्याह तै मेरा होणा था उस इन्जिर गेल्या वा तो मेरे बाबू की इसी तीसी होगी ना कित तेरे गेल्या लागू रै तन्नै कोए कुता भी कोनी पुच्छे था।
रलदू - तन्नै न्यूए कैप्सूल देने सै तन्नै कूण इन्जिनियर पुछ था।
गीता - जब मन्नै कोए पुछै ना था तो तन्नै क्यू मेरे गेल्या इसी तीसी करवाई।
रलदू - जब तै तू भाज-भाज काम करया करदी आज तो तेरे भी कुते फैल होरे से जमा ईंजन बैठया पड्या सै।
गीता - बेसक इंजन बैठ्या पड्या हो काम मैं तन्नै आज भी ना जाण दू चाहे लामणी करवा, बाड़ी चुगावा तुं ऐ पानी मांग लेगा लेकिन मैं तन्नै आज भी कोन्यी जाण दू तू बेसक तै मेरा इंजन बैठ्ा पड़ा हों।
रलदू - न्यू तो मन्नै म्हारे गाम मैं भी सुणा सै अक फलाणी कमाणी घणी सै आज भी तेरे रूके रोळे सै। पर तु न्यूए बता न्यूए दिमाग खावैगी किम्मे काम ध्ांधा भी करेगी घर का काम निपटा लिया सै अक नहीं।
गीता - एक तो तन्नै यू बांध राख्या लहन्डा, न्यार खावै से अर चौथ कर दे सै।
रलदू - अर न्यार खावेंगे तो चौथे करेगे टीका तो करण तै रहे अर भागवान मै तो तन्नै न्यू बुझूं सू अक तू जा कड़अ रही थी अर किते आई सै।
गीता - भतेरी की मां धोरे गई थी लाग्या इतणी बार म्ह काळजा पाटण कुंआ शबर भी कर लिया कर।
रलदू - भतेरी की मा धारे के कबड्डी खेलन गई थी
गीता - तू भर थू धोरे के सांग करन गया था पड्या रहे सारी हाण खाट मैं जणू टेशन पै कुतिया पडी से काम धन्धा किम्मे सै नी न्यू चबोल काटये जा सै।
रलदू - रे, भागवान किम्मे थोड़ा ब्होत म्हारे कान भी देख लिया कर म्हारा भी ख्याल राख्या कर।
गीता - ख्याल राखण नै म्ह तेरे पोन्ची बांध दंयू।
रलदू - देख ले सोनू तेरी ताई न इसने तो बोलण को जमाए सूर कोया, सूर कड़़े तै आवंगा स्कूल आंला कै तो कदे डळे भी ना मारें।
गीता - स्कूल आळे के मेरे तलाकी लाग्ये सै तन्नै तो एक छोरा पढ़ाया था बोए घरा बैठ्या सै देख क्यूकर बथूए की ढाळ लागर रहा सै सुखण।
रलदू - ले एक गीत सुण
पढ़ा लिखा छोरा हान्ड सै गाल म्हे,
अनपढ़ रै कमावै रह सदा रह माल म्ह।
पढ़कै के न कहा करै या जिन्दगी समर ज्यागी,
इन सलन्दा का कै करा जो सन्दूक में सड् ज्यागी
किते भी जाले अडे़ लाम्बी लगी लेन पा ज्यागी
फेर बता रै भाई क्यूं हाण्डू सू गाल म्ह,
अनपढ़ रै कमावै रह सदा माल म्हे।
पढ़े लिखे नै कोए दन्दा ना हजार दस में,
करे शीसे साफ रै कण्डकटर रह सै बस मैं, बेरोजगारी का टेम इसी खान न ना मैं
रहू पूरा तस मैं
पढ़ लिखा न्यूए हाण्डे क्यूकर रह माल म्ह
अनपढ़ रै कमावै रह सदा माल म्ह।
दिन लिकड़न तै पहल्या तान्नै सुणन लागूं सू,
इतना पढ़रा खाट तोड़े बता मैं कित भाजू सूं
पढ़ा लिखा लावै 200 रूपये बता यू कित भाज सै, जमाना कोनी सै पढ्ण लुटलो माल न्य,
अनपढ रै कमावै सदा रह सै माल म्ह।
खान मनजीत भी न्यूए धक्के खावै सै,
रोटी की भूख बताव क्यूकर रोवै सै,
पेट कालजा मांगे रोटी ओर के खावै सै,
भूल जमाना गया ना इज्जत माल म्ह
अनपढ़ रै कमावै सदा रह सै माल म्ह।
रलदू - एक होतो पूरा ध्यान भी राखूं पूरे ठारा जाम राख्ये सै गून्द के लोभ म्ह देख मरे बटे क्यूकर बैठ्ये सै जणू आपण बाबू की जनैत म्ह आरे सै।
गीता - तू जाम दे न, ल्या म्ह दू एक पीपा गून्द का तू मकौड़ा ए जाम के दिखा दें घणा ना बोल्या आळ ना कर ना तै म्ह अपणे घरा चली ज्यांगी।
रलदू - किसके गेल्या जा गी।
गीता - दखे वो बेठ्या मेरा भाई लाल बुरसठ आला
रलदू - तन्नै तो समझाना ऊंट रेल में चढ़ाना सै। मैं तो पोळी म्ह जाकै आपणा होक्का पी सूं
उसके छोरा बाहर तै आ जावै सै जिसका नाम रामफल होवै सै।
रामफल- ओ बाबू, ओ बाबू ये ढ़ोल डीजे बाज्ये तन्नै आच्छे ना लागदे।
रलदू - आरे मेरी उम्र के ढ़ोल डीजे बजवाणा की सै
रामफल-ओ बाबू, मैं तेरी नी, मेरे ब्याह की बात करू सूं।
रलदू - रै तु ब्याह की बात करै सै पर रिश्ते आले न्यूए जा सै जणू खेतां म्ह कै रेल। कोए बारण आग्य क्य आन्दाए नी।
रामफल- ओ बाबू तू मेरा तो रोग कटवा दे किते न किते।
रलदू - रे आजकाल तो छोरिया की इतनी कमी होरी सै कै छोरे आला नै दहेज देना पड़ सै।
रामफल- ओ बाबू तननै चाहे कुछ भी करणा पड़े चाहे वा फूली भैंस बेच, चाहे वो खुड बेच चाहे बिटोडा बेच पर मेरा ब्याह करवादें।
रलदू - मैं जाऊ सू सै एक मेरा बाळक पन का यार गोधू उसके तै छोरी होई थी मेरे तू होया था उसने पूछूं सूं उसके धोरे जाके आंऊ सूं अर तेरे ब्याह की बात चलाके आंऊ सूं।
ले तु इतने ले यू सौ का नोट अर
घर का सारा सामान ली आईयें।
रामफल - बाबू सौ म्ह के आवै सै आज के टेम इतनी महंगाई होरी सै।
रलदू - र घट भी तो भेतरा कुछ रहा सै,
रामफल- कै घट रहा सै।
रलदू - माँ-बाप की इज्जत घटगी, मजदूर की मजदूरी घटगी, फसल की राशि घटगी, पढ़े लिखा की नौकरी घटग्यी, तू सामान ली आईए मैं गोधू धोरे जाऊं सूं।
गोधू - हाँ-भाई रलदू न्यू क्यूकर आणे होये।
रलदू - आणे क्यूकर होये कन्दी हाण भी शर्म आवै सै मैं सोचूं सू कै इस डब्ब प्यार नै रिश्ते म्ह बदल ल्या।
गोधू - न्यू क्यूकर मैं समझा नी।
रलदू - तेरे जब छोरी होयी थी भरपाई अर मेरे यू रामफल छोरा होयां था। तै इन दोनूआं की बांत बण ज्या तै तन्नै किते छोरा नी देखणा पड़ै मन्नै किते छोरी नी देखणी पड़। तन्नै बटेऊ मिल्ज्या अर हामने बहु मिलज्यागी, देख लें तेरे समझ म्ह आन्दी हो तों।
गोधू - ठीक से भाई या बात मेरे भी समझ म्ह आगी अर छोरी के भी समझ म्ह आ ज्यागी।
भरपाई- ना बाबू मैं तो छोरा खुद देखूंगी जब ब्याह करूगी।
गोधू - कोए नी बेटी देख लिये मैं तन्नै कद नाटू सूं फेर देख लो कोए सुथरा सा दिन।
रलदू - दिन तै सारे सुथरे हो सै।
गोधू - दिन तै सारे सुथरे हो सै परसुं म्ह छोरी न लेके आ ज्यागा अर दोनू आपस म्ह बतला भी लेगें अर समझ भी लेगे।
रलदू - सुणे सै के, भागवान रामफल के रिश्ते की बात पक्की कराया सूं गैल्या भरपाई न भी परसु ल्यावगा ठीक सै कोए नी आजांगें।
गोधू - आपकी छोरी न लेके रलदू के घरा चला जावै सै।
रलदू - आओं आओ चौधरी साब आण म्ह कोए तकलीफ तो ना होई
गोधू - ना भई मन्ने आण म्ह कोई दिक्कत ना होई
रलदू - यू ले होक्का पीले
गोधू - होक्का तो म्ह कोन्यी पीआ करदा
रलदू - भाई रामफल या मेरी लाड़ली कोडली छोरी सै अर मन्नै बड़े चाव तै पाली सै बड़ा प्यार दिया सै मन्नै इसनें कोए दुख ना दिये इसने ठीक राखिए।
भरपाई- बाबू, रोती हुए
गोधू - बेटी इब तो यू तेरा घर सै।
भरपाई- पर मेरा ब्याह तो कर दें रोते हुए, बारात लेके आण दें।
गोधू - आपणी बेटी भरपाई तै के समझावे सै।
ठा-ठा ऐड़ी ब्याह शादी म्ह कर्ज चढ़ाणा ठीक नहीं, दूसरे की रीस के म्ह घणा गिरकाणा ठीक नहीं।
पैर घणे फैला लिये आपणी चादर तलक भूल गए
8-10 पकवान घोड़ी बाजे बता नहीं क्श्र पै कब टूल गए,
खर्च करां ब्होत घणा, घणे खर्च फिजूल गए,
बाजे क्श्र नाचै गाबरू, नोट देन्दा-देन्दा भूल गए,
पेट म्ह जब कुछ नहीं, मुह चमकाणा ठीक नहीं।
नाच रहे दारू पिके होज्या मुक्के लात उड़े,
नाई पण्डित, समंधी कर रहे पिससे की बात उड़े,
न्यू लाग्ये जणू छोरे आला, ला रहा डाकू घात उडे,
हद कर दी मलंगा नै, होरी नोटा की बरसात उड़े,
आपणे धन के आपणे हाथा, आग लगाना ठीक नहीं।
कितना देगा छोरी आला, व्यापारी बणे खोल रहे,
सै
कितकी रिश्तेदारी, नोटां हम उन्नै तोल रहें
उपर तै डर, ऊपर तै गरीबी, होठां के ना बोल रहें,
चाहवै ना रिश्तेदारी हम, जो जेबा ना आज टटोल रहें,
मुंह पै लाली पेट खाली, घणा गिरकाणा ठीक नहीं।
बोझ घणा सै जाथर थोड़ा नाड़ तुड़ानी चाहवै,
ना ब्योत देखते आपणा रीस विरानी चाहवै,
व्यापार बणा दी रिश्तेदारी कुणबा घाणी चाहवै,
खान मनजीत वो स्याणे लोग, बहू जो स्याणी चाहवै,
बदलनी होगी रित आपणी, यूं गांत उलहाणा ठीक नहीं।
भरपाई - बाबू तू ज्यूकर करेगा न्यूए ब्याह कर लूंगी
भरपाई अपने सासरे चली जावै सै और के होवे सै।
गीता - भरपाई ए बेटी भरपाई यो घरबार तेराए सै देखभाल के काम करिये म्हारी इज्जत सही राखिये।
रामफल - माँ में इसने घरा फिटाल्याऊ, इसका घरां जाण ने जी करै सै।
गीता - कोए बात ना बाळक सै लेजा इसका पां भारी होरा सै अर ठीक ढ़ाल लेजिये किते ऊचँ-नीच होगी तो जमा मुश्कल हो ज्यागी।
रलदू - ना भागवान जाण दे, काम तू न्यूए चालदा रहगा
रलदू की बेटी पींकी कोलज में जावै सै।
पींकी - मां ए मां मै कालज में जाऊ सूं
गीता - ना बेटी के करगी कालज में जाकै आज काल इसा ए माहोल होरा सै।
पींकी - मां-बेटा-बेटी एक होसे।
थाम समझ ल्यो मेरी बात, सै कम ना सै भाद
किसने करा सै इतना फर्क सै यूं घणा मोटा फसाद
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई थे ये चार देख ल्यों जात-पात इनके अन्दर इसमें होती रोज लड़ाई देखल्यों,
तू छोटा मैं बड़ा न्यू कदे रोज नेता कसाई देखल्यों,
अलग धर्म का अलग राजा यू होता काम आज देखल्यों,
किस धर्म पै करू यकीन, नमक जिसा होग्या सवाद।
हिन्दू मैं पण्डत, मुस्लिमान मैं ये मुल्ला राज करें, सिख में ग्रंथी, ईसाई में पादरी ये भी तो राज करे,
अमीर-गरीब बांट राखी राजनेता इस पै राज करें,
क्यूं होगा विकास देश, यो आपा धापी का काज करें,
सारे जै ये इक्टठे होज्या, न्यू होवै ज्यूकर खेत म्ह खाद।
राजनेता भी धर्म-जात की आज लड़ाई लड़ रै सै
ऊँच नीच में ब्याह हो आपस मैं या लड़ाई लड़ रै सै,
जब दोनूआ के ब्याह वो इसांन पैदा कर रहे सै।
थाम क्यू डरो सो बाबू यो वो काम नेक कर रहे सै,
जात-पात ने दूर कर, यू भरोटा सर पै लाद।
छोरी-छोरे म्हे प्रेम हो, ये गांम के अड़ ज्या सै
जब घंरा आवै पुलिस तो ये कुवाड़ बन्द कर भीतर बड़ ज्या सै,
जो राके सै शादी इनकी, वो जेल म्ह पड़े सड़ ज्या सै,
खान मनजीत ना जुल्म गुजारे, यू तो सबके आग्य अड़ ज्या सै
जात-पात न दूर फैंक दयो, दी इंसान की जला मशाल
उसकी माँ बतावै सै अक कालज मैं जाये पाच्छे छोरे-छोरी में दोस्ती हो सै फेर ब्याह उसने वो घणे दिन ना टिकण दन्दे।
पींकी - ना-मां म्ह तो जाऊंगी।
गीता - तन्नै बेरा नी इब यू भारत म्ह तो हरियाणा, अर संसार म्हं भारत पहले नं0 पै से बलात्कार अर छेड़छाड़ म्ह। तू मरले भीतर हामं म्ह मुंह दखाण के नी रहंवागे।
रामफल- बाबू, मां
रलदू - आज्या बेटा, आज्या रामफल
गीता - आये भरपाई यूं के लेरी सै
भरपाई :- मां या छोरी सै।
गीता - खप्पर भरणी मै जो सोचू थी वा ए होगी तन्नै कर दिया न म्हारा नाश, मै तो पहल्याए नाटू थी अक मतना ज्या। पर मान्यी कोन्या पर इबकै तो उस जोहड़ आले बाबे ने भी कह राखी थी अक इबकै छोरा होका तन्नै तो फोड़ दिये म्हारै कर्म।
भरपाई :- मां ये बाबे वुबे किम्म कोन्या
आदमी के पसीने आवै भगवान के ऊपर पंखा चाल्ये सै,
गर्मी सर्दी म्ह मौत हो ब्होत घणी यूं भगवान खड़ा लखावै सै।
स्याणे लोग हाथ सेकरे, ला धर्म की आग देख ल्या,े
पत्थर का शिवलिंग, चौगरदे न लिपटे नाग देख ल्यो,
धर्म के धोखे वाजे कै हाथ, इब आग्यी या डोर देख ल्यो,
इस कलयुग वाली सोच दिल म्ह, इब आग्यी या घोर देख ल्यो,
एक गाम घणे भगवान, चार दिवारी के भीतर लखावै सै।
भगवान अर भगत के बीच में ये दलाल बैठगे आ के,
एक दूसरे की थाली पै सदा नजर राखे जमा कै,
बात करै सीधी साच्ची ना, करै सै बात घुमा के,
पळे पड़े ये झोटे ज्यूं, ये माळ मुफत का खा कै,
आपणी जेब दिखावै, कोन्या, ये आपणी कानी लखावै सै।
डेरे बणवा दिये साड़ पाळ कै, चर सै खेत म्हारे,
छप री खबर बलत्कार की, खुद भगवान के द्वारे,
दोष लागरे हम उनके छिपाण, बणगे सै हम बेचारे
साध रहे सै हम सबका हित, देश भुलगे देख सारे
ब्होत घणे भगत देश में ना बाबा का लेरे,
जो सुथरी छोरी कानी लखावै सै।
मजिस्द में भी शोर घणा दिन लिकड़न तै पहला होज्या,
मुल्ला ऊँची आवाज लगावै के अल्लाह न वो टोहज्या,
पांच नवाज पढ़ जिन्दगी भर उनका मोह खुदा म्ह होज्या,
छत्तीस करोड़ देवता हिन्दू धर्म में, यू बेचारा मित एक धरज्या,
खान मनजीत पता नहीं कितने आदमी धर्म का मुखौटा सजावै सै।
रलदू :- भागवान कोए बात नी यो जोहड़ आले, भीतर आले, बाहर आले इनमें किम्मे ना सै। आजकाल की छोरी किसे काम म्ह छोरया तै कम ना सै तन्नै बेरा नी वा कल्पना चावला, जो चांद पै पहोंचगी, वा इन्दिरा गांधी जो सारे देश पै राज करगी वा झांसी की रानी जो आखरी सांस तक देश की खातर लड़ी अर वा सावित्री बाई फुले जो छोरिया ने पढागी वो भी छोरी ये थी इब तू भी तो किसे की छोरियें थी जै छोरी-छोरी तै नफरत करगी तो या दुनिया कयूकर चालेगी कुण
छोरिये की इज्जत करेगा, भागवान छोरी तो भागा आळा नै मिला करै।
गीता - हाँ या बात तै तू सारी साची कहवै सै।
रलदू :- रे समाज आलो हाम तो समझ ग्ये सा की छोरी तो सावित्री बाई फुले हो से, जीजाबाई जैसी हो से। जिससे दो घर बसै सै। जै ताम छोरिया नै मरावगे तो फेर ये राण्डे भैंसा गेल ब्याह करेगें।
गीता - मै भी अपणी बाहणा नै हाथ जोड़ कै न्यूऐ कहू सू अर जिसी गलती मैं करू थी थाम ना करियों।
परदा गिरता है ।
हरियाणवी नाटक
खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड़ तह गोहाना जिला सोनीपत-131302 फोन न. 9671504409
एम ए समाजशास्त्र, जनसंचार व उर्दू मे जारी है ।
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