1. अवर्णित पौराणिक कथाओं में वर्णित है ब्रह्मा के मुख से उत्पन्न हुआ ब्राह्मण भुजाओं से उत्पन्न हुआ क्षत्रिय उदर से उत्पन्न हुआ वैश...
1.
अवर्णित
पौराणिक कथाओं में
वर्णित है
ब्रह्मा के मुख से
उत्पन्न हुआ ब्राह्मण
भुजाओं से
उत्पन्न हुआ क्षत्रिय
उदर से
उत्पन्न हुआ वैश्य
पैरों से
उत्पन्न हुआ शूद्र
यहूदी, मुस्लिम, इसाई
अन्य मतावलंबी
अन्य जीव-जंतु
किस इंद्री से उत्पन्न हुए
अवर्णित है जाने क्यों?
-विनोद सिल्ला©
2.
अहिंसा का पुजारी
उसकी अहिंसा
यरवदा जेल में
पूना पैक्ट में
साबित हुई घातक
वंचितों के लिए
उसकी अहिंसा ने की
वंचितों के
अधिकारों की हत्या
उनके शासक बनने के
अवसरों की हत्या
समता मूलक समाज की
परिकल्पना की हत्या
विपन्नता से
संपन्नता की ओर
अग्रसर होने के
हौसलों की हत्या
वो फिर भी
अपने जीवन के
अंतिम क्षण तक रहा
अहिंसा का पुजारी
-विनोद सिल्ला©
3.
सुंदरता
सुंदर चेहरे
नहीं होते सदैव सुंदर
यह सुंदरता
बाह्य आकार-प्रकार
बाह्य मापदंड
आधारित होती है
जरूरी नहीं यह
व्यवहार की कसौटी पर
अक्सर खरी उतरे
व्यवहार आधारित सुंदरता
होती है सदैव सुंदर
यह सुंदरता
होती है वास्तविक सुंदरता
इसके लिए
नहीं जाना होता
ब्यूटी-पार्लर
इसके लिए
नहीं होती आवश्यकता
सौंदर्य प्रसाधनों की
यही होती है
विशुद्ध सुंदरता
-विनोद सिल्ला©
4.
बसंत
इसे मधुमास भी
कहते हैं
पीले फूल सरसों के
चने के बूटे
लदे हुए हैं
हरे चनों से
शरद की रुत
तैयार है
विदा होने को
जर्रे-जर्रे में उमंग
फाल्गुन में खोने को
आएंगी पेड़ों पर
कोमल कोपल
इंसान भी गर
रंग जाए
इसी रंग में
जीवन से नीरसता
विदा हो जाएगी
-विनोद सिल्ला©
5.
खारा ही रहा
सागर की तरह
मानव जीवन में
मीठे जल की
कितनी ही
नदियाँ मिलीं
फिर भी
मानव जीवन
सागर की तरह
खारा ही रहा
जबकि नदियों ने
खो दिया अस्तित्व
सागर को
मीठा करने के लिए
-विनोद सिल्ला©
6.
बाह्य मूल्यांकन
कोट-पैंट टाई ने
बाह्य व्यक्तित्व
बना दिया आकर्षक
गिटपिट भाषा ने
बना दिया
इक्कीसवीं शदी का
लेकिन अंदर
आदमी था वही
पंद्रहवीं सत्रहवीं
शदी पुराना
वर्णाश्रम के
सांचे में ढला
जातिवाद की
भट्ठी में पका
पितृ सत्ता का
प्रबल समर्थक
बाह्य आवरण से
नहीं किया जा सकता
व्यक्ति का मूल्यांकन
-विनोद सिल्ला©
7.
मातम
समझ नहीं आता
मातम किसका करूं
सीमा पर
जान गंवाने वाले
जांबाजों की
शहादत का
या फिर
खादी पहने
जिंदा ही
मरने वालों का
या फिर
टी वी चैनलों में बैठ
हिन्दू-हिन्दू
मुस्लिम-मुस्लिम
चिल्लाने वालों का
समझ नहीं आता
परखचे उड़ी
लाशों को सहेज कर
श्रद्धा-सुमन
अर्पित करूं
या फिर
निंदा करती
चलती-फिरती
जिंदा लाशों का
मातम मनाऊं
-विनोद सिल्ला©
8.
परिवर्तन
मन के द्वार
देती हैं दस्तक
बार-बार
गमी व खुशी
चिन्ता व बेफिक्री
कभी हो जाता है
मन भारी
मानो पड़ा है इस पर
कई मण भार
कभी हो जाता है
फूल के माफिक
हल्का-फुल्का
तरो-ताजा
बदलती रहती है
मनोस्थिति
हुआ प्रतीत
कुछ भी नहीं है स्थाई
जीवन में
परिवर्तन है
प्रकृति का
अभिन्न अंग
-विनोद सिल्ला©
9.
लाने ही वाले हैं
मित्रों
बयालीस के बदले
चार सौ बीस सिर
लाने ही वाले हैं
तीन सौ सत्तर
हटाने ही वाले हैं
काला धन
विदेशों से
लाने ही वाले हैं
पंद्रह लाख खातों में
आने ही वाले हैं
अच्छे दिन
आने ही वाले हैं
बुरे दिन
जाने ही वाले हैं
थोड़ा सब्र कीजिए
-विनोद सिल्ला©
10.
जीत गया चुनाव
जीत कर चुनाव
किए वादों की
करते-करते वादाखिलाफी
बीत गए साढे़ चार साल
अब नेता जी को
आए पसीने
पृथ्वी देने लगी दिखाई
छोटी-सी
लगने लगा
निर्वाचन क्षेत्र भयावह
दरकता नजर आया
जनसमर्थन का किला
तो खोल दिए
उस तहखाने के मुंह
जिसमें रखी थी
काली कमाई की
काली दौलत
कुछ टिकट के बदले
हाईकमान को दे दी
कुछ को मीडिया कर्मी
चाट गए
कुछ को बूथ कैप्चर
आपस में बांट गए
और नेता जी
फिर से चुनाव जीत गए
-विनोद सिल्ला©
परिचय
नाम - विनोद सिल्ला
शिक्षा - एम. ए. (इतिहास) , बी. एड.
जन्मतिथि - 24/05/1977
संप्रति - अध्यापन
प्रकाशित पुस्तकें-
1. जाने कब होएगी भोर (काव्यसंग्रह)
2. खो गया है आदमी (काव्यसंग्रह)
3. मैं पीड़ा हूँ (काव्यसंग्रह)
4. यह कैसा सूर्योदय (काव्यसंग्रह)
5. जिंदा होने का प्रमाण(लघुकथा संग्रह)
संपादित पुस्तकें
1. प्रकृति के शब्द शिल्पी : रूप देवगुण (काव्यसंग्रह)
2. मीलों जाना है (काव्यसंग्रह)
3. दुखिया का दुख (काव्यसंग्रह)
सम्मान
1. डॉ. भीम राव अम्बेडकर राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2011
(भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा)
2. लॉर्ड बुद्धा राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2012
(भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा)
3. उपमंडल अधिकारी (ना) द्वारा
26 जनवरी 2012 को
4. दैनिक सांध्य समाचार-पत्र "टोहाना मेल" द्वारा
17 जून 2012 को 'टोहाना सम्मान" से नवाजा
5. ज्योति बा फुले राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2013
(भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा)
6. ऑल इंडिया समता सैनिक दल द्वारा
14-15 जून 2014 को ऊना (हिमाचल प्रदेश में)
7. अम्बेडकरवादी लेखक संघ द्वारा
कैथल में (14 जुलाई 2014)
8. लाला कली राम स्मृति साहित्य सम्मान 2015
(साहित्य सभा, कैथल द्वारा)
9. दिव्यतूलिका साहित्य सम्मान-2017
10. प्रजातंत्र का स्तंभ गौरव सम्मान 2018
(प्रजातंत्र का स्तंभ पत्रिका द्वारा) 15 जुलाई 2018 को राजस्थान दौसा में
11. अमर उजाला समाचार-पत्र द्वारा
'रक्तदान के क्षेत्र में' जून 2018 को
12. डॉ. अम्बेडकर स्टुडैंट फ्रंट ऑफ इंडिया द्वारा
साहब कांसीराम राष्ट्रीय सम्मान-2018
13. एच. डी. एफ. सी. बैंक ने रक्तदान के क्षेत्र में प्रशस्ति पत्र दिया, 28, नवंबर 2018
पता :-
विनोद सिल्ला
गीता कॉलोनी, नजदीक धर्मशाला
डांगरा रोड़, टोहाना
जिला फतेहाबाद (हरियाणा)
पिन कोड-125120
ई-मेल vkshilla@gmail.com
आदरणीय श्रीमान विनोद सिल्ला जी की रचनाएं हमने पढ़ी ! सुन्दर रचनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद यद्यपि आपकी प्रकाशित पुस्तक प्रकृति के शब्द शिल्पी : रूप देवगुण (काव्यसंग्रह)2. मीलों जाना है (काव्यसंग्रह)3. दुखिया का दुख (काव्यसंग्रह) मुझे पढ़ने के अवसर नहीं मिले हैं फिर भी अच्छी ही होंगी | कहावत है कि आइना भांप लेता है , चेहरा देखने के बाद | रचनाकार को बहुत बहुत बधाइयां | (googl+sukhmangal)
जवाब देंहटाएंनवाजिश के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मान्य.सुखमंगल सिंह साहब
जवाब देंहटाएं-विनोद सिल्ला
हार्दिक शुभकामनाएं आपको आदरणीय श्री मान जी
जवाब देंहटाएं