1- शहादत ............ शहीद की धड़कन का दर्द (धड़कन=पत्नी) वो दूर हैं इतने कि मन पहुँच पाता नहीं रोज आते है वो ख्यालों में पर हाथ छू पाता न...
1-
शहादत
............
शहीद की धड़कन का दर्द
(धड़कन=पत्नी)
वो दूर हैं इतने कि
मन पहुँच पाता नहीं
रोज आते है वो ख्यालों में पर
हाथ छू पाता नहीं।
ठण्डी हवा का झोंका हलचल
मचा जाता है कहता है कोई हमसे
चलो जहाँ कोई पहुँच पाता नहीं ।।
इस पागल मन को
कोई समझा पाता नहीं
तस्वीर सीने से लगा कर भी
दिल चैन पाता नहीं
देखें है कई शोर्य पदक
देखीं हैं कई सलामियां पर,
मेरी आत्मा की प्यास
कोई बुझा पाता नहीं ।।
अबोध बच्चों के चेहरे से
भाव कोई पढ़ पाता नहीं
उनकी यादों का सावन
मन से दूर जाता नहीं।
कैसे ढालूं मैं अपने को
बिन आकार के सांचों में
अब दिन हो चाहे रात ढ़ले
वो सवेरा आता नहीं ।।
2-
हे! प्रेमी
...........
कड़वाहटों को दिलों में ना पालो
रोगों के सिवा कुछ पाओगे नहीं
रो लो जीभर के भूलो बीती
छोड़ो ये नाव किनारे से
फिर, जाने दो दूर किनारों तक
मंजिल की चिंता में ही घुलते
सफर के आनंद में झूमोगे कब
जीवन है जहर तो पी लो तुम
आज नीलकंठ कहलाओ तुम
प्रेमी शब्द है डर के पार
डर किसका तुमको प्रेमी
जीवन-मृत्यु का सत्य अटल है
सत्य से क्या घबराना है
हे! प्रेमी तुझसे प्रेम कहे
ये यात्रा तेरी अधूरी है
तुझे जीवन गुत्थियों को
उलझे हुये ही सुलझाना है
तुझे तुझसे भी टकराना है।
तुझे मौत से आगे जाना है
3-
अकारण
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कुछ तो खो रहा
जाने क्या मिलने को है...
पाने की इतनी चाहत
आखिर! इंसा तुझे हुआ क्या है?
कुछ तो थिरक गया भीतर
बहुत कुछ यहां अकारण भी है
हमेशा कारण की जिद्द
आखिर! इंसा तुझे हुआ क्या है?
कुछ तो है साथ पर मौन
खुद से कोई सवाल नहीं
दुनिया से तेरे सवाल बहुत हैं
आखिर! इंसा तुझे हुआ क्या है?
खजाने का मालिक गया उधारी
अंतरिक्ष की खिड़की खोली
स्व: जागरण से दूरी
आखिर! इंसा तुझे हुआ क्या है?
4- दर्द के रंग
देखो होली आई प्रिये
आओ मिलकर नाचे गायें हम
हर तखलीफ़ को भूल जायें हम
रंगों कि मादक खुशबू में
पोर -पोर भीग जायें हम
मैं कैसे सज - धज आऊँ पिया
मैं कैसे त्योहार मनाऊँ पिया
मेरे हृदय के घाव हरे हैं
में कैसे रंगों को हाथ
लगाऊं पिया
जब आज शहीद का शव
बिन सिर के घर
पहुँचाया जाता है
शहीद कि पत्नी से
अंतिम दर्शन भी
छिन जाता है
तो,इस दर्द दोपहरी में
मैं कैसे अश्रु छुपाऊँ पिया
जब दुधमुही बेटी के साथ
कुकृत्य हो जाता है
जब मुजरिम घर- परिवारी
ही पकड़ा जाता है
फिर वही अपराधी
जल्द छूट घर आता है
दिलों मैं लगी
इस आग को देखकर
मैं कैसे होलिका दहन
कराऊं पिया
कभी जिनके आंगन में
तुलसी पर घी का
दीपक जलता था
आज उसी घर का बच्चा
सूखी रोटी से पाला जाता है
तो ऐसी प्यासी महंगाई
में, मैं कैसे होली के मिष्ठान
बनाऊं पिया
देखो ! देश का भविष्य
सड़कों पे रिक्शा खींच रहा
सुनहरे सपनों की होली
हर रोज़ हर दिल में
जलती रहती है
बोलो! अब कौन सी होली
मनाऊँ पिया
मैं कैसे सब कुछ
भूल जाऊं पिया
अब दर्द से हाथ कराह उठे
तुम्हें कैसे रंग लगाऊं पिया
जब कलम हमारी ही रो पड़ी
कैसे शब्दों मैं हास्य लाऊं पिया
बोलो कैसे रंगों मैं डूब जाऊं पिया
5-
कश्मीरियों की फरियाद
............................
ढ़ूंढ़ते थे हम जिनको हमराह रहगुजर
करते थे भीड़ में अपनी आवाज को बुलंद
सुनता नहीं था कोई गला रूंध सा जाता
हर तरफ चीख पुकार मातम हर वक्त छाया
ऐ खुदा! तेरी खुदाई किधर है
डूबीं थी लहू में लाशें घर के चिरागों की
गलियाँ तंग थी सैलाब आँसुओं के
रोयें भी किसके सामने दुखड़ा किसे सुनायें
यहाँ भ्रष्ट और बहरों का फैला साम्राज्य है
क्यूँ मेरे खुदा तू खामोश है
दुल्हन की मांग है सूनी कहीं राखी उदास है
त्यौहार रो रहे हैं खत्म सारा श्रृंगार है
झूठ मचा रहा आतंक सत्य खामोश है
चुप्पी तोड़े कोई इनकी बस यह सवाल है
बता ऐ खुदा! तू कितने पास है
हर सवाल आज सवाल बनकर लौटता है
आँसू भी आँख का समंदर बनकर लौटता है
झूठे वादों से ये जख्म ना भर सकेंगे
ग़र भर भी जायें तो निशां कौन मिटायेगा
ऐ खुदा! इस आतंक को कौन मिटायेगा
आकांक्षा सक्सेना
ब्लॉगर 'समाज और हम'
(6) नारी की बदहाली
..........................
सबकुछ पाया पर प्रेम नहीं
सबकुछ मांगा पर बेटी नहीं
सबकुछ दिया पर सम्मान नहीं
सबकुछ हारा पर अहंकार नहीं
सबकुछ जीता पर हृदय नहीं
सबकुछ जागा पर आत्म नहीं
सबकुछ प्यारा पर स्वप्न नहीं
सबकुछ छीना पर दर्द नहीं
सबकुछ मिला पर हमदर्द नहीं
सबकुछ समझा पर इंसान नहीं
सबकुछ मिटा पर अस्तित्व नहीं
सबकुछ छूटा पर रूढ़िवाद नहीं
सबकुछ थमा पर अत्याचार नहीं
सबकुछ देखा पर सबूत नहीं
सबकुछ मेरा पर वजूद नहीं
सबकुछ सूखा पर आंसू नहीं
सबकुछ सहन पर अन्याय नहीं
(7) एक आरजू
......................
हर जगह रहने वाले मालिक
मेरी एक आरजू पूरी कर दो
अब तक मांगा नहीं कुछ भी तुमसे
चाहे जितना भी जैसा समय था
आज दिल कर रहा है प्रभु जी
तू आज मेरी फ़रियाद सुन ले
उन अनाथों को सनाथ कर दे
बदले में तू मेरी तमन्नायें छीनें
उनकी जिंदगी रोशन तू कर दे
बदले में मेरी हर एक खुशी ले
उनके कदमों में बिछ जाये दुनिया
बदले में तू मेरी हर श्वांस छीने
उनकी हर राह फूलों से महके
बदले में तू मुझे जहां की सजा दे
सलामत रहें सभी के घर और अपने
बदले में तू मेरी जिंदगी ले
हर दिल में बसने वाले मालिक
मेरी दुआ की लाज रख ले
तू मेरी यह आरजू पूरी कर दे
(8)
हमारी बेटियाँ
................
बचपन से डांटी फटकारी जायें
फिर भी मुस्काती बेटियाँ
हर वक्त आजादी छीनीं जायें
फिर भी चुप सहतीं बेटियाँ
ससुराल में शोषण सहकर भी
सामंजस्य बैठातीं बेटियाँ
हंसी-खुशी हो या हो गम
सभी काम को करतीं बेटियाँ
रिश्तों से जब धोके खातीं
टूटकर भी जीतीं बेटियाँ
बन जातीं हैं शिकार
जब जबरदस्ती कीं
तब, भी उठतीं-चलतीं
पहिचान बनातीं बेटियाँ
सबकुछ खो जाने पर भी
कभी न हारती बेटियाँ
सरहद पर पति शहीद हुये
तो, जयहिन्द कहतीं बेटियाँ
हिम्मत का पर्याय
हमारी बेटियाँ
(9)
एक आरजू
......................
हर जगह रहने वाले मालिक
मेरी एक आरजू पूरी कर दो
अब तक मांगा नहीं कुछ भी तुमसे
चाहे जितना भी जैसा समय था
आज दिल कर रहा है प्रभु जी
तू आज मेरी फ़रियाद सुन ले
उन अनाथों को सनाथ कर दे
बदले में तू मेरी तमन्नायें छीनें
उनकी जिंदगी रोशन तू कर दे
बदले में मेरी हर एक खुशी ले
उनके कदमों में बिछ जाये दुनिया
बदले में तू मेरी हर श्वांस छीने
उनकी हर राह फूलों से महके
बदले में तू मुझे जहां की सजा दे
सलामत रहें सभी के घर और अपने
बदले में तू मेरी जिंदगी ले
हर दिल में बसने वाले मालिक
मेरी दुआ की लाज रख ले
तू मेरी यह आरजू पूरी कर दे
(10)
घर की गौरैया
...................
किसे देखती हो तुम गौरैया
कौन तुम्हें बुलायेगा
गंगा को भागीरथ लाये
तुम्हें कौन ले आयेगा
आज दुनिया ऑनलाइन है
किसके पास आज टाइम है
चाँद मंगल पर पानी ढू़ंढ़ते
घर की गौरैया गायब है |
किसे ढू़ंढ़ती हो तुम गौरैया
कौन दाना तुम्हें चुगायेगा
हाथी को ले आये थे भीम
तुम्हें कौन ले आयेगा
परग्रही पूर्वजों को ढू़ंढ़ते
घर की गौरैया गायब है |
किसे सोचती हो तुम गौरैया
कौन तुम्हें पुकारेगा
कामधेनु को ले आये थे मुनि
आज तुम्हें कौन ले आयेगा
महामशीन से कण ढू़ंढ़ते
घर की गौरैया भी लायक है
(11)
माँ गंगे जी का गुणगान
.....................
जय गंगे माता मैया जय गंगे माता
आदिशक्ति जय माता सभी के पाप हरें
मैया जय गंगे माता..जय गंगे माता
......
तुम पापनाशनी माता तुम मोक्षदायनी माता
तुम भारतवर्ष की शक्ति तुम्ही अमृतमयी माता
जय गंगे माता मैया जय गंगे माता
....
भक्त भागीरथ ने तपस्या से आपको प्रसंन्न किया
शिवजी की जटाओं से आपने धरती पर
प्रस्थान किया
जय गंगे माता मैया जय गंगे माता
.......
ऋषि -मुनि, साधु- संत, देवताओं ने माँ तेरा ध्यान
किया
माँ ने प्रकट होकर सभी का कल्याण किया
जय गंगे माता मैया जय गंगे माता
..............
ऋद्धा-भक्ति से जिसने भी तेरी सेवा और नाम जपा
जन्म-जन्मान्तर के पापों से छूटा उस भक्त को मोक्ष मिला
जय गंगे माता मैया जय गंगे माता
........
प्रेम-भाव बालकबन जो माँ की शरण आया
माँ तुमने गोद बिठाकर उन सबका बेड़ा पार किया
जय गंगे माता मैया जय गंगे माता
........
माँ गंगे का गुणगान जो कोई नित गावे
निर्मल हो जाये तन-मन, सदगति को पावे
जय गंगे माता मैया जय गंगे माता
......
माँ गंगेजल के आचमन से हर विकार मिटे
दर्शन ही आपका पाकर हर जीव तरे ||
जय गंगे माता मैया जय गंगे माता
.......!! जय गंगे माता !!....
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ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
जन्म- मथुरा उत्तर प्रदेश
शिक्षा: बी.एस.सी,बी.एड,एम.एड, पत्रकारिता
लेखन - कहानियाँ, पटकथा,कविताएँ, गीत,भजन, लेख,श्लोगन, संस्मरण।
फिल्म - दर्दफेहमियां जोकि युवाओं में आत्महत्या के रोकनेहेतुु सामाजिक जागरूकता फिल्म रह ,वहीं दूसरी रक्तदान पर आधारित रक्तप्रदाता और तीसरी शॉर्ट फिल्म खाने की बर्बादी के रोकने पर आधारित फिल्म
ए सोयल दैट बीट्स में बतौर एसोसिएट डॉयरेक्टर कार्य।
सोसलवर्क - सर्व समाजहित के लिये कई मुहिम चलाई काम किये जैसै- एक लिफाफा मदद वाला, पॉलीथिन हटाओ कागज उढ़ाओ, अखबार ढाकें, कीटाणु भागें, सेवा व परोपकार भरी मुहिम घर से निकलो खुशियां बाटों व घुमन्तु जाति के गरीब बच्चियों के परिवार को समझाकर उनका स्कूल में दाखिला कराना जैसे सेवा कर्तव्य शामिल हैं।
प्रकाशित: लेख,कविता,शोधपत्र एवं कहानियां भारत के कई नामचीन समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित।
पुरस्कार सम्मान - अंतर्राष्ट्रीय कायस्थवाहिनी सामाजिक धार्मिक संगठन द्वारा समाजहित व लेखन में सप्तऋषि अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड, आर्ट एण्ड क्राफ्ट, पिडिलाईट कलाकृति कॉन्टेस्ट की विनर, गायत्री महायज्ञ हरिद्वार की संस्कार परीक्षा प्रमाणपत्र,गोलिया आयुर्वेदिक प्राकृतिक चिकित्सा प्रमाणपत्र,दिल्ली योग प्राणायाम अणुव्रत जैनमुनि केन्द्र से योग सिविर अटेण्ड, प्रेरणा एनजीओ झारखण्ड़, अखिल नागरिक हक परिषद मुम्बई एनजीओ सपोर्ट प्रमाणपत्र, साहित्य परिषद द्वारा काव्य श्री सम्मान, अर्णव कलश साहित्य परिषद हरियाणा द्वारा बाबू बाल मुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-2017 तथा साहित्य के चमकते दीप साहित्य सम्मान। बाबा मस्तनाथ अस्थल बोहर अर्णव कलश एसोसिएशन अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में शोध प्रमाण पत्र।
संप्रति- स्वतंत्र ऑनलाइन ब्लॉगर,
मेम्बर ऑफ स्क्रिप्ट राईटर ऐसोसिएसन मुम्बई
समाचार संपादक राष्ट्रीय पत्रिका सच की दस्तक, वााराणसी ।
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बहुत सुंदर आकांक्षा जी समाज में सब तरफ नजर डाली है
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