विश्व समुदाय से कोई सहयोग व समर्थन नहीं मिलने के कारण पाकिस्तान घबराया हुआ है। वह बौखलाहट में भी है। इस कारण आनन-फानन में पाक प्रधानमंत्री इ...
विश्व समुदाय से कोई सहयोग व समर्थन नहीं मिलने के कारण पाकिस्तान घबराया हुआ है। वह बौखलाहट में भी है। इस कारण आनन-फानन में पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने सीमा पर युद्ध के हालत पैदा होने के बीच नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक बुलाई। इस प्राधिकरण के पास ही पाक के परमाणु हथियारों का नियंत्रण और उनके इस्तेमाल के अधिकार हैं। संभव है पाक ने यह बैठक अलग-थलग पड़ जाने के कारण भारत और दुनिया को यह दिखाने के लिए बुलाई हो कि यदि उसे भारत से प्रत्यक्ष युद्ध में पराजित होने की स्थिति का सामना करना पड़ा तो वह भारत पर परमाणु हमला कर सकता है ? चूंकि पाक अच्छी तरह से जानता है कि वह परंपरागत युद्ध में भारत के मुकाबले कहीं टिकने वाला नहीं है, इसलिए उसने इस विकल्प की दिशा में सोचकर यह इशारा किया है कि विश्व समुदाय शांति के उपाय करे। चूंकि पाक जानता है कि भारत की नीति पहले परमाणु हथियारों का उपयोग करने की नहीं है, इसलिए परमाणु हमले की पहली पारी वह खेल सकता है ? पाक जैसे दोहरे चरित्र के आतंकी देश से निपटने के लिए भारत को अब जरूरत है कि ऐसी किसी नीति और वचनबद्धता से उसे बंधे रहने की जरूरत नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय रक्षा विशेषज्ञों का अनुमान है कि पाक के पास भारत से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। इनमें भी अधिकांश ऐसे खतरनाक बम हैं, जो अत्यधिक रेडियोधर्मी पदार्थों से भरे हैं। पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाले लेखकों के दल की 2018 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास इस समय 140 से 150 परमाणु हथियार हैं। यदि परमाणु अस्त्र-शस्त्र निर्माण करने की उसकी यही गति जारी रही तो 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 220 से 250 हो जाएगी। यदि यह संभव हो जाता है तो पाक दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा परमाणु हथियार संपन्न देश हो जाएगा। इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक एम क्रिस्टेनसेन, जुलिया डायमंड और रॉबर्ट एस नोरिस ने जानकारी दी है, जो वाशिंगटन डीसी में स्थित ‘ फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट‘ के परमाणु सूचना परियोजना निदेशक है। जबकि अमेरिका की ही रक्षा खुफिया एजेंसी ने 1999 में अनुमान लगाया था कि 2020 में पाकिस्तान के पास 60 से 80 परमाणु हथियार ही तैयार हो पाएंगे।
अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए के पूर्व वरिष्ठ खुफिया अधिकारी केविन हलबर्ट की बात मानें तो पाकिस्तान दुनिया के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक देशों में से एक है। पाकिस्तान की यह खूंखार और डरावनी सूरत इसलिए बन गई है, क्योंकि तीन तरह के जोखिम इस देश में खतरनाक ढंग से बढ़ रहे हैं। एक आतंकवाद, दूसरे ढह रही अर्थव्यवस्था और तीसरे परमाणु हथियारों का जरूरत से ज्यादा भंडारण। आर्थिक संकट के ऐसी ही बद्तर हालात से उत्तर कोरिया जूझ रहा है। हालांकि अब अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच सौहार्द्रपूर्ण स्थिति बन गई है। नतीजतन उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए समयसीमा तय कर दी है। मानव स्वभाव में प्रतिशोध और ईर्ष्या दो ऐसे तत्व हैं, जो व्यक्ति को विवेक और संयम का साथ छोड़ देने को मजबूर कर देते हैं। इस स्वभाव को कू्ररतम परिण्ति में बदलते हम अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर किए परमाणु हमलों के रूप में देख चुके हैं। अमेरिका ने हमले का जघन्य अपराध उस नाजुक परिस्थिति में किया था, जब जापान इस हमले के पहले ही लगभग पराजय स्वीकार कर चुका था। इस दृष्टि से पाकिस्तान पर भरोसा कैसे किया जाए ?
पाकिस्तान दुनिया के लिए खतरनाक देश हो अथवा न हो, लेकिन भारत के लिए वह खतरनाक है, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए ? दशकों से वह भारत पर हमला करने के लिए आतंकियों के इस्तेमाल को सही ठहरता रहा है। पाक भारत के खिलाफ छद्म युद्ध के लिए कट्टरपंथी मुस्लिम अतिवादियों को खुला समर्थन दे रहा है। मुंबई और संसद पर हमले के दिमागी कौशल रखने वाले योजनाकार दाऊद और हाफिज सईद को पाक ने शरण दे रखी है। पुलवामा हमले का अपराधी अजहर मसूद वहां खुला घूम रहा है। यही नहीं भारत के खिलाफ आतंकी रणनीतियों को प्रोत्साहित व संरक्षण देने का काम पाक की गुप्तचर संस्थाएं और सेना भी कर रही हैं। हालांकि पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को संरक्षण देने के उपाय अब उसके लिए भी संकट बन रहे हैं। आतंकी संगठनों का संघर्ष शिया बनाम सुन्नी मुस्लिम अतिवादियों में तब्दील होने लगा है। इससे पाक में अंतर्कलह और अस्थिरता बढ़ी है। ब्लूचिस्तान और सिंघ प्रांत में इन आतंकियों पर नियंत्रण के लिए सैन्य अभियान चलाने पड़े हैं। बावजूद, पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी सेना और खुफिया तंत्र तालिबान, अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी गुटों को खतरनाक नहीं मानते ? इन आतंकियों को अच्छे सैनिक माना जाता है, जो धर्म के लिए अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। आज पाक में आतंकी इतने वर्चस्वशाली हो गए हैं कि लश्कर-ए-झांगवी, पाकिस्तानी तालिबान, अफगान तालिबान और कुछ अन्य आतंकवादी गुट पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार को भी चुनौती बन गए हैं। ये चुनी हुई सरकार को गिराकर देश की सत्ता पर सेना के साथ अपना नियंत्रण चाहते हैं। यदि ऐसा हो जाता है और परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग जाते हैं, तो तय है, पाक को दुनिया के लिए खतरनाक देश बन जाने में देर नहीं लगेगी ? इस नाजुक परिस्थिति में सबसे ज्यादा जोखिम भारत को उठाना होगा, क्योंकि भारत पाक सेना और आतंकी संगठनों के लिए दुश्मन देशों में पहले नबंर पर है। प्रधानमंत्री इमरान खान से आतंक पर नकेल कसने की उम्मीद थी, लेकिन मौजूदा हालत में वे कठपुतली प्रधानमंत्री साबित होते लग रहे हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर 6 अगस्त और नागासाकी पर 9 अगस्त 1945 को परमाणु बम गिराए थे। इन बमों से हुए विस्फोट और विस्फोट से फूटने वाली रेडियोधर्मी विकिरण के कारण लाखों लोग तो मरे ही, हजारों लोग अनेक वर्षों तक लाइलाज बीमारियों की भी गिरफ्त में रहे। विकिरण प्रभावित क्षेत्र में दशकों तक अपंग बच्चों के पैदा होने का सिलसिला जारी रहा। अपवादस्वरूप आज भी इस इलाके में लंगड़े-लूल़े बच्चे पैदा होते हैं। अमेरिका ने पहला परीक्षण 1945 में किया था। तब आणविक हथियार निर्माण की पहली अवस्था में थे,किंतु तब से लेकर अब तक घातक से घातक परमाणु हथियार निर्माण की दिशा में बहुत प्रगति हो चुकी है। लिहाजा अब इन हथियारों का इस्तेमाल होता है तो बर्बादी की विभीषिका हिरोशिमा और नागासाकी से कहीं ज्यादा भयावह होगी ? इसलिए कहा जा रहा है कि आज दुनिया के पास इतनी बड़ी मात्रा में परमाणु हथियार हैं कि समूची धरती को एक बार नहीं, अनेक बार नष्ट-भ्रष्ट किया जा सकता है।
इसीलिए कहा जा रहा है कि यदि भारत और पाक के बीच परमाणु युद्ध का सिलसिला शुरू होता है तो इसके पहले ही प्रयोग में 12 करोड़ लोग तत्काल प्रभावित होंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर दी है कि ऐसे हालत में जिस देश पर परमाणु बम गिरेगा, वहां ड़ेढ़ से दो करोड़ लोग तत्काल मौत की गिरफ्त में आ जाएंगे। साथ ही इसके विकिरण के प्रभाव में आए लोग 20 साल तक नारकीय दुष्प्रभावों को झेलते रहेंगे। यदि यह युद्ध शुरू हो जाता है और परमाणु अस्त्रों से हमले शुरू हो जाते हैं तो इन्हें आसमान में ही नश्ट करने की तकनीक फिलहाल कारगर नहीं है। शायद इसीलिए इमरान खान भारत से अपील कर रहे हैं कि युद्धों से कभी सार्थक परिणाम नहीं निकले हैं, लिहाजा बातचीत के जरिए समस्या का हल तलाशा जाए ? दरअसल इमरान ऐसा इसलिए भी कहने को मजबूर हुए हैं, क्योंकि पाक के पास फिलहाल टेक्टिकल परमाणु अस्त्र हैं। जिसकी मारक क्षमता अपेक्षाकृत कम है। इन्हें केवल जमीन से ही दागा जा सकता है। इसे दागने के लिए पाक के पास शाहीन मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 1800 से 1900 किमी है। इसकी तुलना में भारत के पास अग्नि जैसी ताकतवर मिसाइलों की पूरी एक श्रृंखला है। इनकी मारक क्षमता 5000 से 8000 किमी तक है। यही नहीं भारत के पास परमाणु बम छोड़ने के लिए ऐसी त्रिस्तरीय व्यवस्था है कि हम जमीन, पानी और हवा से भी मिसाइलें दागने में सक्षम हैं। भारत की कुछ मिसाइलों को तो रेल की पटरियों से भी दागा जा सकता है। साथ ही हमारे पास उपग्रह से निगरानी प्रणाली भी है। भारत का संकट केवल इतना है कि उसके हाथ, ‘पहले परमाणु शस्त्र‘ का उपयोग नहीं करने की नीति से बंधे हैं। भारत को पीठ में छुरा भौंकने वाले देश पाकिस्तान के परिप्रेक्ष्य में इस नीति से बंधे रहने की जरूरत नहीं रह गई है, यही समय की मांग है।
प्रमोद भार्गव
शब्दार्थ 49,श्रीराम कॉलोनी
शिवपुरी म.प्र.
शायद भारत ने पहले परमाणु बम इस्तैमाल करने की नीति छोड दी है लेकिन फिर भी वह पहले बम नहीं फेंकेगा , जिसे भांप कर पाकिस्तान पहले बम फेंक सकता है चाहे खुद मिट जाए । उसे तो भारत पर कब्जा करना है और ऐसा ं््न हो पाए तो उसे मिटाना है ।
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