रवि नोएडा मैं रहता था । वहाँ पर वह एक प्राइवेट जॉब करता था । रवि मूलनिवासी आगरा का था और अक्सर छुट्टियों में अपनी मां से मिलने आगरा आता रहता...
रवि नोएडा मैं रहता था । वहाँ पर वह एक प्राइवेट जॉब करता था । रवि मूलनिवासी आगरा का था और अक्सर छुट्टियों में अपनी मां से मिलने आगरा आता रहता था। रवि इस बार भी जब 2 दिन की छुट्टी पर आगरा आया तो देखा,पास के प्लॉट पर भवन निर्माण का कार्य चल रहा था। उस ने अपने भाई से पूछा ,ये किस का मकान बन रहा है।
का के भाई सूरज ने बताया कि कोई शर्मा जी हैं, मुंबई से यहाँ आये हैं। उन्हीं का मकान बन रहा है।
रवि ने बोला ओह अच्छा है। एक अच्छे पड़ोसी मिलेंगे और अपने काम पर चला गया।
लगभग 1 साल बाद जब वो मकान बन गया और उस में मकान मालिक रहने लगे।
बरसात का मौसम था। रवि की जॉब छूट गई थी, तो उस ने सोचा कुछ दिन माँ के साथ रहता हूँ। जब तक कि कोई नई जॉब नहीं मिल जाती और वो कुछ दिन के लिए आगरा आ गया।
आज बारिश नहीं हुई थी तो पुराने दोस्तों के साथ गली में ही बातों का दौर चल रहा था। तभी एक लेडीज़ ब्लैक कलर की साड़ी पहने वहाँ से गुजरी।
रवि की नजरें उन पर टिक गई,उस ने दोस्तों से पूछा यार ये नई लेडीज कौन हैं? पहले कभी नहीं देखा इन को यहाँ। कोई नई पडोसी हैं क्या??
बंटी ,रवि का दोस्त बोला हां भाई,ये मुंबई से अभी आगरा शिफ्ट हुए है, बराबर वाले नये मकान में ही रहती है।
ओह अच्छा बोल कर रवि दोस्तों के साथ बातों में मशरूफ हो गया।
अब रोज ही रवि दोस्तों के साथ बैठा होता तो जब भी वह लेडीज वहाँ से गुजरती,जाने क्यों रवि की धड़कन बढ़ने लग जाती।
रवि को एक अनजाना सा आकर्षण हो रहा था। वो कुछ समझ नहीं पा रहा था कि उसमें ऐसी कौन सा आकर्षण है, जो उसे उनकी और खिंच रहा है। चूंकि वो सोसायटी में नई थीं इसलिए रवि उन से बात नहीं कर पाया,फिर एक दिन वही महिला रवि को बाजार में मिली । शायद रिक्शे का इंतजार कर रही थी। रवि बाइक ले कर गुजर रहा था,तो उस की नजर अपनी नई पड़ोसिन पर गई। उसने बाइक उन के पास रोकी और बोला।
क्या मैं आप को घर तक छोड़ दूं?
मेरा नाम रवि है। मैं आप के पड़ोस में ही रहता हूँ।
महिला ने 1 सेकंड सोचा, फिर बोली नहीं आप को परेशानी होगी।
मैं रिक्शे से चली जाऊँगी।
रवि बोला, मैडम परेशानी कैसी और मैं आप का पड़ोसी हूँ।
पड़ोसी अगर पड़ोसी की मदद नहीं करेगा तो कौन करेगा।
ठीक है बोल कर वो बाइक पर बैठ गयी।
रवि-आप का नाम क्या है?
महिला-ऋतु
रवि-बहुत प्यारा नाम हैं भाभी जी
ऋतु-थैंक यू
रवि-और बताइये आप मुंबई से यहाँ आगरा कैसे?
मुंबई तो अच्छी जगह है।
ऋतु-वो मेरे हसबैंड की जॉब अमेरिका में लग गयी,फिर मैं अकेले बच्चों के साथ मुम्बई रहती,तो परेशानी होती। इसलिए हम यहाँ शिफ्ट हो गए।
बस कुछ साल जब तक बेटा छोटा है।
फिर यहाँ से चले जायेंगे।
रवि-ओह, ठीक है।
आप अकेले रहती हैं, परेशानी होती होगी यहाँ भी।
आप मेरा नम्बर ले लीजिये,जब भी कोई काम हो।
बस एक कॉल कीजिये,बंदा हाजिर हो जायेगा और रवि ने ब्रेक लगाये।
घर आ गया आप का कह कर बाइक रोक दी।
ऋतु ने थैंक यू बोला और अंदर आने को कहा।
रवि बोला थोड़ा जल्दी में फिर किसी दिन आता हूँ।
अब तो पड़ोस में है, मुलाकात होती रहेगी।
कुछ भी काम हो तो बेझिझक बोलियेगा और चला गया।
दो दिन बाद शाम का समय था,रवि अपने घर की छत पर था,तभी बारिश होने लगी।
वो नीचे जा ही रहा था कि उस की नजर बराबर वाले मकान पर गयी।
ऋतु छत पर थी और बारिश में नहा रही थी।
ऋतु को देखते ही रवि रुक गया और एकटक देखता ही रह गया।
शाम का समय था,तो ऋतु ने गाउन पहन रखा था।
बारिश में ऐसे नहाते हुए देखकर रवि को अनजाना सा प्यार हो गया।
फिर वो नीचे चला गया,जब बारिश बंद हुई। तो रवि का फोन बजा।
रवि-हेल्लो
रवि बोल रहे हैं, किसी महिला की आवाज आयी।
रवि-जी,बोलिये
मैं ऋतु बोल रही हूँ, आप की पड़ोसी।
रवि-एक मुस्कान को छुपाते हुए,जी भाभी बोलिये।
कैसे फोन किया?
ऋतु-रवि क्या तुम एक मिनट को मेरे घर आ सकते हो।
कुछ काम था।
रवि-अभी आता हूँ, आप गेट खोलिए बस।
रवि-झट से ऋतु के घर जाता है।
ऋतु दरवाजा खोलती है।
अंदर आओ रवि।
रवि बोलता है, जी बताइये क्या काम है?
ऋतु-कुछ खास नहीं बस ये घर का बल्व फ्यूज हो गया है शायद,क्या तुम चैंज कर दोगे प्लीज।
रवि हँसते हुए,भाभी बस इतना छोटा सा काम।
अभी कर देता हूँ।
रवि बल्ब बदल कर जैसे ही नीचे आता है, उस की नजर ऋतु पर जाती है। जो पिंक गाउन में गजब लग रही थी, गीले बाल उस का सौंदर्य और बड़ा रहे थे।
रवि का दिल उसी समय ऋतु पर आ जाता हैं।
ऋतु बोलती है, थैंक यू अगेन
रवि-भाभी थैंक यू से काम नहीं चलेगा।
आज आप को चाय पिलानी होगी।
ऋतु -बस दो मिनट रुको अभी अदरक और मसाले की बढ़िया चाय बना कर लाती हूँ।
रवि-ऋतु के पीछे पीछे किचन में चल देता है।
रवि कुछ चाहिए तो बता देते,मैं ले आती।
नहीं भाभी वो मैं अकेला था तो किचेन में आ गया, सोचा आप से दो बात भी हो जायेगी।
सच बोलूं तो मेरा अकेले मन नहीं लग रहा था।
ऋतु के चेहरे पर उदासी छा गई।
क्या हुआ भाभी , मैंने कुछ गलत बोला क्या?
ऋतु-नहीं रवि,मुझे भी अकेले रहना अच्छा नहीं लगता।
पर मजबूरी है और यहाँ किसी की जानती भी नहीं तो मन नहीं लगता मेरा भी।
खैर छोड़ो ना,तुम चाय पियो।
रवि चाय की प्याली हाथ में लेता है और ऋतु की आँखों के अकेलेपन को पड़ता है बोलता है, भाभी मैं हूँ ना। आप अकेले मत समझिए खुद को यहाँ।
आप चाहो तो मैं आप का एक अच्छा दोस्त बन सकता हूँ।
ऋतु और रवि इस तरह एक अच्छे दोस्त बन गए।
ऋतु को रवि से मिलकर लगा,जैसे किसी अपने से मिली हो।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और एक साल निकल गया। एक दिन ऋतु के पति का फोन आता है,बोलते है मेरा बॉस इंडिया में ही ऑफिस खोल रहे हैं। तो मैं जल्दी ही इंडिया आ रहा हूँ। तुम तैयारी कर के रखो, हम फिर से मुंबई शिफ्ट हो रहे है।
ऋतु खुश हो गई, पर उस के दिल में खुशी नहीं थी।
पता नहीं ऐसा लग रहा था जैसे कुछ कीमती चीज खो गई हो।
ऋतु रवि को फोन कर के ये खुशखबर सुनाती हैं।
रवि ऋतु को समझाता है कि अच्छी बात है, अब परिवार के साथ रहोगे।
अकेलापन नहीं होगा और अब आप को मेरी जरूरत भी नहीं होगी।
ऋतु बोलती हैं, मुझे याद नहीं करोगे क्या
रवि-आप तो ऐसी बातें कर रही हैं, जैसे बहुत दूर जा रहे हो।
मुंबई इतनी दूर भी नहीं,फिर कभी तो वापस आओगे ही ना।
ऋतु बोलती है-एक लास्ट काम कर दोगे मेरा ।
रवि-बस,आप हुकुम कीजिये।
क्या काम है?
ऋतु-मुझे स्टेशन तक ड्राप कर दोगे।
शरद अमेरिका से सीधा मुंबई जायेंगे, मुझे अकेले जाना होगा यहाँ से मुंबई।
रवि-बोला मैं आप को ट्रेन तक बैठा के आऊँगा, आप बिल्कुल चिंता ना करे, जाना कब है।
ऋतु-दो दिन बाद।
रवि-ओक
दो दिन बाद रवि ,ऋतु को छोड़ने स्टेशन जाता है।
साथ में ऋतु का बेटा,रोहित भी था।
जैसे ही ट्रैन चलने को होती है, ऋतु और रोहित दोनों रवि को थैंक यू बोलते हैं।
रवि रोहित से बोलता है, बेटा मम्मी का ख्याल रखना और 100 रुपये उसे देते ट्रैन से नीचे उतर आता है।
ऋतु सीट पर बैठ जाती हैं और ट्रैन रेंगने लगती हैं।
रवि ट्रैन को गुजरते देखता है, तो उसे लगता है जैसे उस का कीमती सामान ट्रैन में ही छूट गया हो।
उस की आँख से आँसू बहने लगते है।
घर आता है, तो कॉलोनी में घुसते ही, ऋतु के घर के लॉक पर नजर जाती हैं।
रवि को समझ नहीं आ रहा था,ये उसे क्या हुआ है।
उसे लग रहा था जैसे ऋतु के साथ सब कुछ चला गया हो, सब सूना हो गया हो।
शायद रवि को ऋतु से प्यार हो गया था।
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संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात
Wah...Apratim sandhya ji...
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