(शीतकालीन छुट्टी और हम बच्चों की मौज) एक माह पहले ही हमारे दादा जी जगदलपुर (छत्तीसगढ़) की यात्रा से लौट कर आए हैं आपने वहाँ जगप्रसिद्ध दंतेश...
(शीतकालीन छुट्टी और हम बच्चों की मौज)
एक माह पहले ही हमारे दादा जी जगदलपुर (छत्तीसगढ़) की यात्रा से लौट कर आए हैं आपने वहाँ जगप्रसिद्ध दंतेश्वरी देवी के दर्शन, कोटमसर की गुफ़ा और चित्रकोट जलप्रपात जिसे मिनि नियाग्रा के नाम से जाना जाता है, के बारे में विस्तार से जानकारी दी. जब आप हमे आँखों देखा हाल सुना रहे थे, तभी मेरे मन में भी एक विचार कौंधा कि क्यों न हम बच्चे भी एक ऐसी जगह का चुनाव करें, जहाँ भ्रमण के दौरान हमें गुफ़ा, जलप्रपात देखने और किसी देवता के दर्शनों का पुण्य लाभ मिल सके.
मैंने काफ़ी पहले यह सुन रखा था कि सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में बसे हमारे छिन्दवाड़ा जिले की सौंसर तहसील के विकासखण्ड बिछुआ के समीप राघादेवी के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित एक प्राकृतिक गुफ़ा है, जो अपने आप में अनेकों रहस्यों को समेटे हुए है और इसी के पास एक जलप्रपात भी है. हम बच्चों ने आपस में बैठकर एक प्रोग्राम बनाया कि क्यों न हम भी इस स्थान की यात्रा कर छुट्टियों का आनन्द लें. मैंने अपने पिता जी से इस संबंध में बात की. वे सहर्ष तैयार हो गए. प्रोग्राम कुछ इस तरह तय हुआ कि छिन्दवाड़ा-नागपुर मार्ग पर ही रामाकोना से करीब बारह किमी.की दूरी पर राघादेवी स्थित है और इसी मार्ग पर सावनेर से करीब सत्तर किलो.मीटर की दूरी पर स्थित आदासा में श्री गणेश जी का काफ़ी प्राचीन मन्दिर है. हमारी योजना सभी को पसन्द आयी. सभी सदस्यों ने सहमति दी और 25 दिसम्बर का दिन तय किया गया.
सुबह नौ बजे के आसपास हम लोग सावनेर की ओर रवाना हुए. यहाँ से करीब बारह किलो.की दूरी पर स्थित है ग्राम आदासा जहाँ बुद्धि के देवता श्री गणेश विराजमान हैं.
स्वयंभू श्री गणेश जी की प्रतिमा 11 फ़ीट ऊँची और 7 फ़ीट चौड़ी है. कहते है कि जब समुद्र मंथन के दौरान देवताओं की विजय और असूरों को पराजय का सामना करना पड़ा था, तब असूरों के गुरु शुक्राचार्य ने स्वर्ग पर आधिपत्य जमाने के लिए असूरराज बलि को अश्वमेघ यज्ञ करने को कहा था. यज्ञ सफ़ल न हो सके इसके लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से 3 पग भूमि मांगी. वामन पुराण के अनुसार वामन देव ने इसी आदासा ग्राम में गणेश जी की आराधना की थी. श्री गणेश ने शमि के वृक्ष से प्रकट होकर उन्हें अपने दिव्य दर्शन दिए थे. शमि वृक्ष से प्रकट होने के कारण शमि श्री गणेश के नाम से भी पुकारा जाने लगा.
आदासा गाँव जाने के लिए हमें जिस रास्ते से होकर गुजरना होता है. आपको प्रकृति के सुहावने दृष्य देखने को मिलते हैं. इस विशालकाय प्रतिमा के दिव्य दर्शन पाकर भक्त-गणॊं का जीवन धन्य हो जाता है. माना जाता है कि चाहे जैसा भी संकट हो सिद्धि विनायक के दर्शन से मुश्किलों के पहाड़ कट जाते हैं और दुखों के बादल छंट जाते हैं. बात चाहे नौकरी की हो या सुख शांति की, संतान की कामना हो या हो अच्छे रिश्ते की आस, विनायक के दर्शन से सारी मनोरथें पूर्ण हो जाती है. इस भव्य मन्दिर परिसर में और भी देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मन्दिर हैं, जिनके दर्शन करने का पुण्य लाभ भक्तो को मिलता है. दोपहर को हम सभी ने इस मन्दिर के प्रागंण मे बने बागीचे में सुस्वादु भोजन का आनन्द लिया.
श्री गणेश मन्दिर परिसर से कुछ ही दूरी पर महारुद्र हनुमान जी का भव्य एवं सुन्दर मन्दिर है, जिसमें श्री हनुमान जी लेटी हुई .
विशाल प्रतिमा है. श्री पवनदेव के दर्शनों उपरान्त हम पुनः छिन्दवाड़ा की ओर चल पड़ते हैं. रास्ते में रामाकोना पड़ता है जिसकी दूरी छिन्दवाड़ा से महज 22 किमी है. रामाकोना ग्राम से दाईं ओर करीब सतरह किमी.की दूरी तय करने पर राघादेवी आता है, जहाँ प्रकृति की सुहानी वादियों के बीच यह गुफ़ा स्थित है. जगदलपुर में कोटमसर की गुफ़ा की जैसी ही यह गुफ़ा है, जिसमें लोहे की सीढ़ियों से उतरकर नीचे जाना होता है.
राघादेवी की गुफ़ा.
रामाकोना से करीब सतरह किमी.की दूरी पर अवस्थित है यह प्राकृतिक गुफ़ा. प्रकृति का अनुपम सौंदर्य देखकर तबीयत खुश हो जाती है. ऊँची-नीची पहाड़ी और सघन जंगल के बीच से हिचकोले खाते हुए हमारा वाहन अपनी मंजिल की ओर बढ़ता रहा. खूब आनन्द लेते हुए हम राघादेवी जा पहुँचे. प्राकृतिक गुफा के मुहाने पर पाखड़ का एक वृक्ष है, इसकी जड़ों के बीच से होते हुए नीचे की और जाने का रास्ता नजर आता है. नीचे उतरने के लिए दो लोहे की सीढ़ियां लगाई गई हैं. इस गुफा के बारे में इतिहास से पता चलता है कि वरदान प्राप्त भस्मासुर, शंकर जी के पीछे दौड़ा, तब शिवजी इस गुफा में आकर छिप गए थे. यहाँ पर दो प्रकोष्ट बने हुए हैं. एक में शिवलिंग तथा दूसरी में नागराज की मूर्ति स्थापित है.
शिवलिंग के ठीक लगभग सौ फीट ऊपर प्राकतिक गुम्बज बना हुआ है. पूरी गुफा में अनेक स्थानों पर देवी देवताओं की आकृतियां उभरी दिखाई देती है. हर वर्ष महाशिवरात्रि के दिन यहां 5 दिवसीय मेला लगता है. इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालुगण दूर दराज से आते हैं.
गुफ़ा के भीतर से ऊपर देखने पर, बाहर का दृष्य कुछ इस प्रकार दिखाई देता है. ऊपर गुफ़ा के छिद्र से प्रकाश की किरणे नीचे पहुंचती है. अन्दर हल्का सा अंधकार, और ऊपर से आती रोशनी अद्भुत दृष्य उपस्थित करती है.
राघादेवी पहुँचने से पहले बिसाला के समीप पश्चिम वाहिनी पवित्र नदी बहती है. नदी को छोटा भेड़ाघाट के नाम से जाना जाता है. इस नदी पर पंचधारा का पानी एक कुंड में एकत्रित होकर निरंतर बहता रहता है. इस कुंड की विशेषता यह है कि नदी का प्रवाह कम होने पर भी कुंड में पानी का स्तर वर्ष भर एक समान बना रहता है. यहाँ पंचधारा का मनोरम दृश्य लोगों का मन मोह लेता है. पंचधारा कुंड से लगभग 1 कि. मी. की दूरी पर यहाँ भोले नाथ की प्राकृतिक प्राचीन गुफा शिवालय पड़ती है.
छोटा भेड़ाघाट के नाम से प्रसिद्ध पंचधारा का अद्भुत सौंदर्य.
सर्र-सर्र कर बहती शीतल हवा के झोंकों में कौन भला बिन पंख लगाए उड़ना नहीं चाहेगा?, कौन भला कल-कल के स्वर निनादित कर बहती हुई, अल्हड़ नदी के अद्भुत सौंदर्य को जी भर के नहीं निहारना चाहेगा?. चाहते तो सभी हैं. लेकिन इसके लिए आपको समय निकालकर प्रकृति के पास जाना होता है. सच ही कहा है किसी ने कि रोजमर्रा की जिन्दगी में एक ठहराव सा आ जाता है. यह ठहराव प्रायः सभी में देखा/पाया जा सकता है. इसे दूर करने के हमें प्रकृति की गोद में जाना चाहिए. यहाँ आकर एकरसता समाप्त होती है और जीवन प्रफ़ुल्लित हो जाता है. प्रश्न यह नहीं है कि यात्रा एक दिन की हो या फ़िर एक सप्ताह की, यात्रा, यात्रा ही होती है,जो आपको जीवन जीने का मंत्र देती है. हालांकि हमारी यात्रा मात्र एक दिन की थी,लेकिन हम बच्चों ने अपने पूरे परिवार के साथ प्रकृति की गोद में बिताया. इस रोमांचकारी यात्रा को हम जीवन भर याद रखेंगे.
कामठी बिहार कालोनी, परासिया रोड,छिन्दवाड़ा (म.प्र.) 480001 दुष्यंत यादव. ( बी.ए.प्रथम वर्ष)
माननीय,
जवाब देंहटाएंश्री रवि श्रीवास्तवजी,
आलेख प्रकाशन के लिए हार्दिक धन्यवाद.