चुभ रहे हैं आज भी // कविताएँ // गौतम गोविन्द

SHARE:

कविता न०- 1. ।। चुभ रहे हैं आज भी।।  अपनों ने दिए जख्म कुछ , चुभ रहें हैं - आज भी। है शान्त कुछ , बंद कोने में, और कुछ तड़प रहे हैं - आज ...

image

कविता न०- 1.

।। चुभ रहे हैं आज भी।। 

अपनों ने दिए जख्म कुछ , चुभ रहें हैं - आज भी।
है शान्त कुछ , बंद कोने में,
और कुछ तड़प रहे हैं - आज भी।
अपनों ने दिए जख्म...
कुछ को तो अश्कों ने सम्भाले,
कुछ और , शायद , मचल रहें हैं - आज भी।
अपनों ने दिए जख्म...
ये तोहफ़ा , है अपनों का,
दिखाऊं कैसे , किसी को,
छुपा है कई शिकवे , दिल में मेरे - आज भी।
अपनों ने दिए जख्म...
खामोश हूँ , देख के फितरत उनका,
मेरे दिल में शोले , जल रहें हैं - आज भी।
अपनों ने दिए जख्म...
उन्हें क्या? मेरे गमों से मतलब,
दबा है दर्द कितना , दिल में मेरे - आज भी।
अपनों ने दिए जख्म...


                        - गौतम गोविन्द
                  

कविता न०-2.

बनना है कुछ तो, बनाए रख आत्मबल।
डर मत किसी से, तू बस एक काम कर,
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"।
कौन हरा सकता है तुझे, भला,
गर खायी है, कसम मर मिटने का।
वक्त भी देता, साथ उसका,
जो ठान लिया कुछ कर दिखाने का।
करना है कुछ, तो बस एक काम कर।
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"।
सोने नहीं देती सपना, जिसे,
उसे भला, क्या 'निशा' सुलाएगी।
जो डटा है बनने को 'कुन्दन'
'पावक' उसे, क्या जलाएगी।
उठता रहा जो, खाकर बार-बार ठोकर,
भर के 'जूनून' चला वही, मंजिल की राह पड़।
बढना है गर तुझे, तो बढाए रख आत्मबल।
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"।
ठोकरें है 'गुरू' तेरा, तो दुनिया क्या सिखाएगा,
उठा है 'धुआँ' राख से, वह आसमां तक, जाएगा।
'मंजिल' है आसान, रख तू दिल में हौसला,
भटक मत, डगर पे बस तू चलता जा।
पाना है मंजिल तुझे, तू ' एक ' काम कर,
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"।
बढ़ता जा तू , 'अविचल' होकर, डरना नहीं 'तूफानों' से।
भरे पड़े  हैं "इतिहास के पन्ने", ऐसे "वीर-महानों" से।
'है दम' तो बढ़के आगे, तू हुंकार भर,
होगी तेरी "मुट्ठी में दुनियां" बस तू ये काम कर।
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"।
                         - गौतम गोविन्द

कविता न०-3.

है परेशान क्यों?
ऐ मेरे दिल,
लेकर किसी की याद को।
कल तक थी महफिल यहां,
आज तड़प रहा साथ को।
करना वफा किसी से,
है नहीं मुनासिब यहां।
करते है सिद्ध लोग ,
बस यहां अपने स्वार्थ को।
है परेशान क्यों........
जीवन एक पथ है ,
और है तू इसका पथिक।
थक गया? बस!
         अरे!
ये तो पहली चढ़ाव है।
माना पथ है थोड़ा विकट,
और अन्जाना पड़ाव है।
इस पार भले हो धूप,
            मगर,
उस पार तो ठंडी छांव है।
क्यों कोस रहा तू हार को,
           चल आगे,
भर तू अपने हूंकार को।
है परेशान क्यों........
ये तो सिर्फ कांटें हैं जीवन के,
चलना है तुझे अंगारों पे।
यूं ही नहीं खिलते चमन,
जीवन में प्यार के।
रहना नहीं तुझे मूक बनके,
बूलन्द कर तू अपनी आवाज को।
है परेशान क्यों........
कहीं देखा है?
रुकते हुए भला कभी,
नदियों के बहाव को।
हासिल कर बढ़के,
जीवन के हर्षो-उल्लास को।
है परेशान क्यों........

कविता न०-4.

बयां करूं क्या दिले हाल अपना,
बस चोट खाये हुए हैं।
अपनों की भरी महफिल में,
गले तन्हाई लगाये हुए हैं।
बयां करूं क्या दिल.....
फिकर मत करो यारों,
ये तो खुदा का मंजर है।
जुबां पे सरगम हाथों में खंजर है।
तारीफ करुं मैं किसकी,
किसकी शिकायत करूं।
बारी-बारी से सबसे
आजमाएं हुये हैं।
बयां करूं क्या दिल.....
तोड़ा किसी ने दिल अपना,
किसी ने मरहम लगाया।
सबने खेलने का यहां,
भरसक कोशिश है दिखाया।
खिलौना बना हूँ,
मैं यहां अपनों के मेले में।
जी भर के खेला सबने,
कोई मेले में कोई अकेले में।
गिला नहीं किसी से,
रंग हसीं का लगाये हुए है।
बयां करूं क्या दिल.....
रूपये-पैसों की बनी ये दुनिया,
जज्बातों का यहां कोई मोल नहीं।
ए खुदा, गजब तेरी दुनिया
इसका कोई जोड़ नहीं।
बन्दे मांगते है तुम्हीं से,
तुम्हीं को चढ़ाते हैं।
लगी है होड़ रिश्वत कि ,
यहां हरेक दफ्तर में।
न जाने मुझे हुआ है क्या ,
बेगानों को अपना बनाए हुए हैं।
बयां करूं क्या दिल.....
- गौतम गोविन्द

कविता न०-5.

सबसे छुपा कर,
होकर सबसे तन्हा।
दबा रखा था,
दिल के इक कोने में-
वह कुछ सपना।
कितनी ख्वाहिश होगी,
दिल में उसके।
जाने कितने रंगो से,
सजाये होंगे वो सपने।
भला कौन है?
जो टाल सका अनहोनी को।
जो उससे टल जाती?
टूट पड़ा पहाड़ जैसे,
दुःखों का एक साथ।
टूट गये उसके
सारे सपने।
कितनी खुशियाँ थी -
जीवन में उसके,
बिखर गये सब।
बचा रखा था जो कुछ,
वह लूट गये सब।
कितनी तकलीफ
हुई होगी उसे।
जब आया होगा,
हवा को चीर के कानों में
उसके वह शब्द।
जो नहीं सोचा था,
कभी उसने।
खिसक गया होगा,
जमीं पैरों तल्ले से।
लगी तो होगी जरूर,
उसे जोड़ों कि प्यास।
झट से बैठ गया होगा,
सर पे हाथ रख कर वह।
सोचता तो होगा,
काश मिलता मुझे भी-
किसी का साथ।
बहुत दिया धोखा,
जमाने ने उसको।
वक्त भी रूठा हुआ उससे,
पड़ा था एक कोने में।
लहु-लुहान थी,
उसकी आत्मा।
पड़ अटूट था-
विश्वास उसका,
जो जीवित था अब तक।
और साथ था ही कौन?
अरे कहाँ!
मानने वाला था वह।
गिरता फिर उठता,
था लड़खड़ाता-
पड़ चला जा रहा था।
सजा रखा था,

वर्षों से जो तमन्ना-
वो थकने कहां देती थी उसे।
लेकिन कब तक?
आखिर थक गया,
वह चलते-चलते।
सह नहीं सका और बोझ,
वह जिम्मेदारी का।
धराशायी हो गया,
वह धरा पड़।
नहीं आएगा अब वह,
वापस यहाँ तड़पने।
चला गया दूर बहुत दूर,
मौत के आगोश में।
                    - गौतम गोविन्द।
             

कविता न०-6.

अकेले बैठे-बैठे
मन में
अकेलापन छा जाता है।
तब
कुछ खास
आभास होता है।
जिस्म पड़ जैसे
हवा का झोंका छेड़ रहा हो।
जैसे प्रकृति
अपने पास आने का
इशारा कर रहा हो।
हिला-हिला कर हाथ अपना
इंद्रिय झंकृत हो रही है।
वर्षों बाद
शान्ति,खुशी,
और
अपनापन
महसूस कर रहा हूँ।
पड़ सता रहा है,
वह वृक्ष,
वो पत्ते,
वो नदी,और वह किनारा।
जहां घंटों बातें होती,
अकेले।
याद आने लगी अपना गाँव,
वो गली,
वो मन्दिर,
और वह बरगद पुराना।
हां अच्छा लगता था,
बैठना अकेला।
खो गया सब,
बची शेष बस यादें,
आह!
तरुवर की ठंढी छाया
मीठा पानी,
दृश्य,
अति प्यारा।
कोई चले,ना चले
पड़ चलता है वक्त
अपने रफ्तार से।
हम कहां आ गये?
गाड़ी कि रफ्तार से।
पिछे, छूट गई,
वो, लहलहाते खेत,
सुहानी हवा,
गंगा का निर्मल जल।
कहां गया?
हमारा बीता कल।
कूदते-फांगते,
हवा को चीरते
आ गया ये,
चकाचौंध,
भयावह पल।
आह!
वो सुहाना पल,
बीता हुआ कल।
                - गौतम गोविन्द।

कविता न०-7

ढ़ूंढ़ता रहा हूँ मैं,वो बीते पल।
वो मस्तियाँ,वो बचपन।
सफर था सुहाना,थी मदहोशियाँ।
ना कोई मंजिल,ना कोई गम।
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं....
सासों से बन्धी,थी वो यारियां।
लड़ते-झगड़ते,पड़ कभी होती ना दूरियां।
थे साथ हम,बन हम सफर।
कहां गये वो जाने चमन।
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं....
पलके,बिछाए रखा हूँ अपना।
रैनों में,मिलने का आता है सपना।
खफा है अभी भी,वो शायद।
तड़पता है फिर भी,मेरा पागल मन।
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं....
                    - गौतम गोविन्द

कविता न०-8.

ओ पैसेवाले,

      पैसे पे,

  न गुमान कर।

पैसा-पैसा,पैसा,

ये माया का जाल है।

पैसा है पर देख तू,

फिर भी कंगाल है।

पैसे का खजाना तेरा,

रखे-रखे सड़ जाएगा।

   पड़ किसी का

दो वक्त कट जाएगा।

भगवान ने दिया पैसा तुझे,

     नेक काम कर।

     जग में अमर तू,

    अपना नाम कर।

      ओ पैसेवाले,

          पैसे पे,

      न गुमान कर।

                 - गौतम गोविन्द

कविता न०-9.

देखा है, करीब से तुझे...
ए जिन्दगी बदलते हुए।
जो साथ चले कभी...
उन लम्हों को देखा है, फिसलते हुए।
डरता हूँ ,फिसल ना जाऊँ कहीं,
अन्धेरी राहों में यूं बढ़ते हुए।
देखी है बहुत हमने,
वक्त की मार चलते हुए।
देखा है करीब से तुझे...
ए जिन्दगी बदलते हुए
ना चांद बदले ना तारें बदलें,
पर बदल गये वो...
जो थे कभी साथ, चलते मेरे।
कांप उठता है मेरा रूह देख कर,
किसी का घर उजड़ते हुए।
देखा है करीब से तुझे...
ए जिन्दगी बदलते हुए।
मैं रहूँ ...ना रहूँ ....
दिलों से जुड़ा तेरा याद रहे।
यादे हटे नहीं दिलों से कभी,
सदा नया कोई पैगाम रहे।
हमेशा से ही रहा है,
अरमानों की चिता जलते हुए।
देखा है करीब से तुझे...
ए जिन्दगी बदलते हुए।
कहीँ चूक ना हो जाये मुझसे,
आ सम्भाल अब मुझको आकर।
कैसे चूकाये एहसान उनका,
जो पकड़े हैं हाथ कभी आकर।
खायी है बहुत ठोकरें,
राहों में , मैने चलते हुए ।
देखा है करीब से तुझे...
ए जिन्दगी बदलते हुए ।
कैसे भुलाएं उनको,

जो हंसते हैं मेरे ख्यालों पर।

इस तरह बिखर गये मेरे अरमां कि-

क्या सोचूं, अपने हालातों पर।

कैसे भुलाएं गमें दास्तां,

छप गया जो नाजुक,दिल के दीवारों पर ..

यूँ ही बीत गये वक्त,

दिलों में गम छिपाते हुए।

बस जल रहा हूं मैं,
बदलते हालातों में मिलते हुए।
देखा है करीब से तुझे...
ए जिन्दगी बदलते हुए ।
- गौतम गोविन्द

कविता न०-10.

मन बावरा,
तेरी याद में,मन बावरा।
लागे न जियरा कहीं,
तड़पे तेरे याद में।
मन बावरा....
वैरी पिया मोरी रंग दे चुनरिया।
मुझे भाये न कोई दूजा रंग रे।
तोहे ना देखूं पिया,जिया हो जाए तंग रे।
मन बावरा....
मेरी अखियां ढ़ूढ़ं रही है,
अपने पिया  का मुखड़ा।
सौतन की बातें दिल को बेधे ।
रे जाने कौन पीड़ पराई।
मन बावरा....
                - गौतम गोविन्द

कविता न०-11.

औरों कि खातिर यूं
      तन्हां अपनो में,
      रोता रहा हूँ मैं।
औरों को जोड़ते-जोड़ते
बस,खुद टूटता गया हूं मैं।
चाहे होली हो या दशहरा,
    या फिर दिवाली हो,
        तो क्या।
रातों को तन्हां अक्सर,
आसूँ बहाता रहा हूँ मैं।
औरों की खातिर यू्ं ......
माना था,जिसको अपना
हो न सका वो अपना।
दिल का अरमां अक्सर टूटा,
   पड़ मुझे,कोई गम नहीं।
         अब तो
अपनों का भी ना रहा,
      मुझपे यकीं।
खिलाई है जीने की कसमें,
    इसलिए जिन्दा,
       रहा हूं मैं।
औरों की खातिर यू्ं ......
कितना गहरा जख्म,
       है दिल में,
कैसे दिखाऊँ उसे।
      जब कभी,
लगती है उसको,
    तो क्यों?टिस
    उठता है मुझे।
कहते हैं लोग यहां,
शराबी हूँ मैं बड़ा।
पड़,क्या पता उन्हें?
जख्म भरने के लिए
   पीता रहा हूँ मैं।
औरों की खातिर यू्ं ......
        कौन है?
जिसको सुनाऊं दिले हाल अपना।
       अब तो
सब कुछ लगता बस,
    था एक सपना।
बरसात का मौसम
         पर,
   लगी है आग,
   सीने में इतना।
      चिंगारी,
भड़कती है और अंगारों पे,
जलता रहा हूँ मैं।
औरों की खातिर यू्ं ......
      शायद
यही करम अपना,
      चलना,
बस काटों पे चलना।
नहीं है कोई पूछने वाला,
    क्या हुआ
    कैसे हुआ।
दिल टूटने कि आवाज,
    होती नहीं
शायद इसलिए,
       टूट कर
बिखरता गया हूँ मैं।
औरों की खातिर यू्ं ......
       नहीं है,
कुछ गिला किसी से।
    ना शिकवा,
   बचा है अब।
       खैर,
क्या कहूँ किसी से,
दिल नादान है जब।
हुई हो भूल गर कोई तो,
माफ करना यारों।
खुशी के महफिल में,
अक्सर आसूँ ,
बहाता रहा हूँ मैं।
औरों की खातिर यू्ं ......
क्यों कहा,कैसे कहा,
ये मुझे पता नहीं।
कब कहा,क्या कहा,
ये मुझे पता नहीं।
         मैं तो,
बस हकिकत बयां,
    किया था उसे।
तब से चुप रहने का,
बहाना ढ़ूंढ़ता रहा हूँ मैं।
औरों की खातिर यू्ं ......

     


गौतम गोविन्द

           ग्राम-पोस्ट - ठेंगहा, थाना- सकतपुर,

          जिला- दरभंगा,(बिहार)


G. Govind

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: चुभ रहे हैं आज भी // कविताएँ // गौतम गोविन्द
चुभ रहे हैं आज भी // कविताएँ // गौतम गोविन्द
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhtizOkOeW94EX4QOFz_GDqAKkL2NJyY51TwRKACHueHQPiw9vy6TfHDMuRLsFh8oeJmgfDIY8x8KM8oNiYIDG-WdEF20nUsGa4CafKCvowCYMp6q7LFWqF8uUWpiADCwWc4iqK/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhtizOkOeW94EX4QOFz_GDqAKkL2NJyY51TwRKACHueHQPiw9vy6TfHDMuRLsFh8oeJmgfDIY8x8KM8oNiYIDG-WdEF20nUsGa4CafKCvowCYMp6q7LFWqF8uUWpiADCwWc4iqK/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/12/blog-post_99.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/12/blog-post_99.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content