जीवन का क्रम // कविताएँ // राजेश माहेश्वरी

SHARE:

- राजेश माहेश्वरी परिचय राजेश माहेश्वरी का जन्म मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में 31 जुलाई 1954 को हुआ था। उनके द्वारा लिखित क्षितिज, जीवन कैसा ह...

- राजेश माहेश्वरी

परिचय

राजेश माहेश्वरी का जन्म मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में 31 जुलाई 1954 को हुआ था। उनके द्वारा लिखित क्षितिज, जीवन कैसा हो व मंथन कविता संग्रह, रात के ग्यारह बजे एवं रात ग्यारह बजे के बाद ( उपन्यास ), परिवर्तन, वे बहत्तर घंटे, हम कैसे आगे बढ़ें एवं प्रेरणा पथ कहानी संग्रह तथा पथ उद्योग से संबंधित विषयों पर किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

वे परफेक्ट उद्योग समूह, साऊथ एवेन्यु मॉल एवं मल्टीप्लेक्स, सेठ मन्नूलाल जगन्नाथ दास चेरिटिबल हास्पिटल ट्रस्ट में डायरेक्टर हैं। आप जबलपुर चेम्बर ऑफ कामर्स एवं इंडस्ट्रीस् के पूर्व चेयरमेन एवं एलायंस क्लब इंटरनेशनल के अंतर्राष्ट्रीय संयोजक के पद पर भी रहे हैं।

आपने अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, सिंगापुर, बेल्जियम, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग आदि सहित विभिन्न देशों की यात्राएँ की हैं। वर्तमान में आपका पता 106 नयागांव हाऊसिंग सोसायटी, रामपुर, जबलपुर (म.प्र) है।


जीवन का क्रम

.

इंसान प्रभु की सर्वश्रेष्ठ कृति है

बनाइये इसे अमृतमय।

मन को तप व कर्मों से

बनाइये तपोवन।

तन का समर्पित कीजिये जनहित में

और बनाइये सेवामय।

परपीडा को हरने हेतु

प्रयासरत रहिए

और बनाइये अपने आप को

सच्चा इंसान।

गुरू का आदर करके पाइये आशीर्वाद।

माता-पिता के प्रति श्रद्धा रखकर

लीजिये उनसे प्रेम का वरदान।

मनसा-वाचा-कर्मणा

सत्यमेव जयते

सत्यम् शिवम् सुन्दरम्

का जीवन में कीजिये समागम।

तब पाएँगे आप सफलता,

मान-सम्मान और आदर

ऐसा हो हमारा जीवन क्रम।

सलाह

.

असमंजस हो जब जीवन में

आत्ममंथन धूमिल हो,

लडखडा रही हो

निर्णय लेने की क्षमता,

तब मन के धैर्य को

तराजू समझकर

उसमें कर्म और चातुर्य के बाँट रखो।

अन्तरआत्मा की आवाज को

प्रारब्ध मानकर

जीवन में सही निर्णय लो।

असमंजस को समाप्त कर

अंगीकार करो

प्रगति का पथ

सफलता अवश्य मिलेगी,

धैर्य व प्रतीक्षा के पथ को

स्वीकार करो।

प्रेम की गंगा

.

आशा के दीपक जल रहे है,

निराशा से संघर्ष कर रहे है।

आशा का प्रकाश

मिटा रहा है निराशा का अँधेरा।

सूर्य के समान

किरणें बिखराकर

कर रहे है जीवन में उत्साह का संचार

और यह उत्साह

कर रहा है सृजन।

सृजन हमें देगा नया आधार

जीवन में करेगा संचार

सुख, शांति व प्रसन्नता का।

आशा का दीपक जलने दो

विपरीत परिस्थितियाँ भी

उसे बुझा न सकें

प्रयासरत् रहो।

दीपक से दीपक जलने दो

प्रेम की गंगा

अनवरत् बहने दो।

वाणी

.

वाणी ऐसी बोलिये

क्रोध भस्म हो जाए।

मन को शीतलता मिले,

जग प्रसन्न हो जाये।

.

कठिन उलझनें राह की,

धैर्य सहित सुलझाय।

मानवता के गुणों से,

मानव को महकाय।

.

वाणी मीठी बोलिये,

सत्य का कर श्रृंगार।

सच्चाई के रूप में,

कर लो अंगीकार।

.

वाणी ऐसी हो सदा,

मन को शांत कराय।

सब को सुख दे आपको,

यश अरू मान दिलाय।

.

जीवन ऐसा हो

गंगा, यमुना, सरस्वती से पवित्र हों

हमारे आचार और विचार।

हिम्मत हो

हमसफर और हमराज़।

.

सागर से गहरी हो

प्रेम व त्याग की प्यास।

श्रम व कर्म के प्रति

हो हमारा समर्पण।

.

यह इतना आसान नहीं

पर असम्भव भी नहीं।

सत्य और ईमानदारी की राह पर

रहो संघर्षशील

इसे समझो अपना कर्तव्य,

मन में हो धैर्य,

सफलता की चाह

तो राहें भी होंगी आसान

तुम्हें मिलेगा

जीवन में असीम उत्साह का भाव

और प्राप्त करोगे

सुखद परिणाम

जल की लहरों के समान

सुख और दुख का ज्वार - भाटा

जीवन में आता रहेगा

पर विजय श्री प्राप्त कर

आत्म संतोष का होगा दिव्य दर्शन।

ऐसा शान्तिप्रिय को हमारा जीवन।

जीवन का विकास

.

नदी बिना जल के

नैया बिना नाविक के

जीवन बिना प्राण के

औचित्यहीन है।

जीवन बिना संघर्ष के

बिना किसी सृजन के बेकार है।

धन, संपदा और वैभव

बिना दान के

कर्म बिना धर्म के

चिंतन बिना निष्कर्ष के निस्सार है।

भक्ति बिना समर्पण के

म्ंदिर बिना पूजा के निरर्थक है।

सुमन बिना सुगंध के

वृक्ष बिना छाया के

वायु बिना गति के व्यर्थ है।

हमारा जीवन

इन सब का

दर्पण है।

सकारात्मक और नकारात्मक चिंतन

पैण्डुलम के समान है

एक जाता है

तो दूसरा आ जाता है।

नकारात्मक सोच हो तो

जीवन एक बोझ है

सकारात्मक चिंतन हो तो

वसुधा का विकास है।

मानवीय संवेदना

.

परोपकार सदैव कृतार्थ करता है,

सामने वाला उसे मानें या न मानें,

यह उस पर निर्भर करता है।

यह सदा दाता से बढाता है अभिलाषा।

यदि अभिलाषा पूरी न हो तो

अभिलाषी को होती है निराशा,

हमारी भी हो सकती है मजबूरी

पर याचक इसे नहीं समझता।

उसकी नजरों में हम स्वार्थी है

मदद नहीं करने के लिये

आदतन बहाना बनाने वाले।

उसके मन में कहीं न कहीं

हमारे प्रति आ जाती है दुर्भावना।

यही दुर्भावना कष्ट देती हे आत्मा को।

जीवन में सेवा कर सकते हो तो अवश्य करो।

इससे बडा धर्म और कर्म दूसरा नहीं है।

लेकिन यदि संभव न हो तो प्रेमपूर्वक समझाओ

कठोर वचनों या घमंडपूर्ण वाणी का

प्रयोग मत करो।

यदि कुछ नहीं दे सकते तो

प्रेम की वाणी से सांत्वना अवश्य दो।

उसकी पीडा में

यथासंभव सहभागिता करो।

उसके कष्ट को कम करने का प्रयास करो।

यह देगा तुम्हें

जीवन में परम आनंद की अनुभूति

और परोपकार की राहों पर चलने की शक्ति।

विश्वास

.

विश्वसनीयता

विश्वास की जननी है।

इसको जाने पहचाने बिना

जिंदगी अधूरी है।

संदिग्ध विश्वसनीयता

करती है विश्वास का अंत।

स्वविवेक, आत्ममंथन और चिंतन

अन्तर्मन को कराता है

इसकी पहचान।

हम विश्वसनीयता को परखे बिना

करते है विश्वास

और खाते है धोखा

होते है परेशान

और तब समझ पाते है

विश्वसनीयता और विश्वास के

अर्थ और महत्व को।

दृढ़ता

.

मानवीयता सिद्धान्तों पर जो अटल है

वह सच्चा मार्गदर्शक है।

ऐसा मार्गदर्शक पाना

आज कितना कठिन है।

सद्चरित्रता और सद्व्यवहार

आज कितना दुर्लभ है।

धन-सम्पदा का निस्वार्थ दान

आज लगभग असम्भव है।

त्याग और तपस्या भरा जीवन

मानो एक कल्पना है।

इसलिये हो रहा है

सामाजिक चरित्र का अवमूल्यन

जीवन का हो रहा है

निरन्तर पतन।

इसे रोकना नहीं है असम्भव,

यदि हम हों

मानवीय सिद्धान्तों पर दृढ

तो यह परिवर्तन भी

हो सकता है सम्भव।

महँगाई

.

सवेरे-सवेरे कौए ने की काँव-काँव,

हम समझ गए

आज आ रहा है कोई मेहमान।

तभी पत्नी ने किया टीवी ऑन।

उसे देखते ही हम सकपका गए,

बिस्तर से गिरे और

धरती पर आ गए।

पेट्रोल, डीजल, कैरोसीन और

गैस की टंकी के बढ गए

अनाप-शनाप दाम।

नेताजी से दूरभाष पर पूछ बैठे

यह आपने क्या कर दिया काम ?

नेताजी ने फरमाया -

यह हमारा नहीं है काम

हम तो लेकसभा, राज्यसभा और विधानसभा में

जितने पहले थे उतने ही अभी भी है,

हमारी संख्या स्थिर है।

पर तुम्हारे घर की संख्या

बढती ही जा रही है।

हम जितना उत्पादन बढाते हैं

तुम उससे चार गुना अधिक

संख्या बढाते हो

ऐसे में कैसे कम होंगे दाम ?

तुम इसे कम करो ते दाम

अपने आप कम हो जायेंगें।

तुमको भी मिलेगी राहत और

हम भी चैन की बंसी बजाएँगें।

प्रेम

.

मन भटक रहा है

मंथन कर रहा है।

प्रेम तथा वासना में

समझ रहा है।

पत्नी की मांग में सिंदूर

उसे सप्त वचनों की

याद दिला रहा है।

प्रेम व प्यार बाजार में

उपलब्ध नहीं,

यह है भावनात्मकता का आधार।

धन से वासना मिल सकती है

पर प्रेम सुख नहीं।

जीवन में पत्नी का हो सच्चा साथ

तो यहीं पर है सच्चा प्रेम व प्यार

तब यही बनता है

तृप्ति से जीने का आधार।

पर यदि यह उपलब्ध नहीं

तब जीवन में

तनावग्रस्त रहना ही

है तुम्हारा दुर्भाग्य।

प्यार और खुदा

.

ये मोहब्बत के मारे भी

कैसे मोहब्बत करते है।

मरते हैं माशूका पर

याद खुदा को करते है।

खुदा से माँगते हैं

धन-दौलत,

फिर उसे लुटाते है

अपनी महबूबा पर।

हर समय रहते हैं बेचैन

देखने माशूका की सूरत।

उस समय इन्हें नहीं रहती

खुदा की जरूरत।

जब आती है जिन्दगी में मुसीबत

बस तभी करते है खुदा की इबादत।

मतलबी तासीर होती है जिनकी,

उनकी होती है ऐसी ही आदत।

तन माशूका को और मन खुदा को

समर्पित करके तो देखो।

चाँद तारों से जगमगाओगे

खुदा की रहमत भी पाओगे।

हर खुशी होगी तुम्हारे करीब

मृत्यु के बाद जन्नत भी होगी नसीब।

चिलमन और धुआँ

.

चिलमन में बैठे हो

हुक्के का धुआँ उड़ा रहे हो।

हुक्के के उडते हुए धुएँ में

अपने गमों को

उड़ा रहे हो।

दिल किसी ने तोड़ा है

गुस्सा किसी और पर निकाल रहे हो।

प्रेमिका को हुक्का समझकर

गुड़गुडा रहे हो

और दाम्पत्य जीवन को

धुएँ में धुंधला रहे हो।

प्रीति की रीति को भूलकर

दोष तकदीर पर लगा रहे हो।

प्रेम के मद में डूबे हुए तुम

धन को पानी में बहा रहे हो

वो देखो !

आ गई तुम्हारी प्रियतमा।

बुझ गया हुक्का

उड गया धुआँ।

ऐसा सच्चा प्रेम

सदा-सदा बना रहे।

हुक्का हमेशा

कोने में ही पड़ा रहे।

मदिरा का प्रेम

.

मदिरालय में

साकी तेरे हुस्न ने

गजब कर दिया।

असम्भव को सम्भव कर दिया।

तेरे रूप ने आज

मदिरा को ही नशे में डुबो दिया।

वह मदहोश हेकर

पैमाने में ही छलक रही है।

मदिरा

प्रेमी के गिलास में न जाकर

पैमाने से नहीं निकल रही है।

वह उसी में बेहोश हो गई है।

रात ढल रही है

मदिरा प्रेमी

बिना मदिरा सेवन के

बाहर जा रहे है

यह करिश्मा देख-देख

चक्कर खा रहे हैं।

रात बीत रही है

मदिरा बोतल में बंद हे गई है।

साकी भी चुपचाप चली गई है,

मदिरालय भी बंद हो चुका है,

पर मदिरा यह सोच का गमगीन है

कल उसे किसी

मदिरा प्रेमी के हलक में जाना पडेगा।

साकी के जुदाई का गम

उठाना पडेगा।

स्टेपनी

.

नर और नारी मिलकर

बनती है जीवन की गाड़ी।

इनके बिना मानो

जीवन बिना चक्के की गाड़ी।

फिर स्टेपनी क्यों रखी जाती है ?

जब पंचर होता है

तो स्टेपनी काम आती है,

जीवन रूकता नहीं है

चलता ही जाता है।

कार पुरानी होती है

तो नयी आ जाती है

स्टेपनी बेचारी

जहाँ थी

वही रह जाती है।

तुम्हारा प्रतिबिम्ब

.

जीवन में किसी असहाय को

बेचारा मत समझो।

उसकी मदद करके

स्वयं को

दाता या दयावान मत समझो।

गरीब वह नहीं जिसके पास

धन नहीं है।

गरीब वह है

जिसके पास किसी की

मदद का मन नहीं है।

भाग्य ही बनाता है गरीब या अमीर

कभी-कभी अमीर को गरीब और

गरीब को अमीर।

लक्ष्मी का प्रवास

कब, कहाँ, कैसे और कब तक हो

मानव नहीं जानता।

प्रतिदिन पूजा और

दीप प्रज्जवलित करने की अपेक्षा

किसी गरीब के कुलदीपक को

शिक्षा के व्यवस्था करके

उसे स्वावलम्बी बना दो।

इससे तुम्हारे अन्तरमन में होगी

शांति और संतुष्टि।

समाज के लिये तुम बन जाओगे

मानवीयता का दर्पण।

तुम्हारे अनन्त में विलीन होने के बाद भी

सदा-सदा रहेगा।

तुम्हारा प्रतिबिम्ब

इस दर्पण में सजीव।

काम

.

काम

वासना नहीं है

कामुकता वासना हो सकती है।

काम है प्यार के पौधे के लिये

उर्वरा मृदा।

काम है सृष्टि में

सृजन का आधार।

इससे हमें प्राप्त होता है

हमारे अस्तित्व का आधार।

काम के प्रति समर्पित रहो

यह भौतिक सुख और

जीवन का सत्य है।

कामुकता से दूर रहो,

यह बनता है विध्वंस का आधार

और व्यक्तित्व को

करता है दिग्भ्रमित

और अवरूद्ध होता है

हमारा विकास।

माँ

.

माँ का स्नेह

देता था स्वर्ग की अनुभूति।

उसका आशीष

भरता था जीवन में स्फूर्ति।

एक दिन

उसकी साँसों में हो रहा था सूर्यास्त

हम थे स्तब्ध और विवेक शून्य

देख रहे थे जीवन का यथार्थ

हम थे बेबस और लाचार

उसे रोक पाने में असमर्थ

और वह चली गई

अनन्त की ओर

मुझे याद है

जब मैं रोता था

वह परेशान हो जाती थी।

जब मैं हँसता था

वह खुशी से फूल जाती थी।

वह हमेशा

सदाचार, सद्व्यवहार, सद्कर्म,

पीड़ित मानवता की सेवा,

राष्ट्र के प्रति समर्पण,

सेवा और त्याग की

देती थी शिक्षा।

शिक्षा देते-देते ही

आशीष लुटाते-लुटाते ही

ममता बरसाते-बरसाते ही

हमारे देखते-देखते ही

एक दिन वह

हो गई पंच तत्वों में विलीन।

लेकिन अभी भी

जब कभी होता हूँ परेशान

बंद करता हूँ आंखें

वह सामने आ जाती है।

जब कभी होता हूँ व्यथित

बदल रहा होता हूँ करवटें

वह आती है

लोरी सुनाती है

और सुला जाती है।

समझ नहीं पाता हूँ

यह प्रारम्भ से अन्त है

या अन्त से प्रारम्भ।

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. राजेश जी माहेश्वरी की कविताएँ आज के समय में स्जीवनी है। रतन लाल जाट

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: जीवन का क्रम // कविताएँ // राजेश माहेश्वरी
जीवन का क्रम // कविताएँ // राजेश माहेश्वरी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhH9nsNYnFPsZsgKZrFjYCAl96eYz4d7O8nlj485dmyObJbHfjgMG2bRhwwNmztWNZPl8w3ytJxaQthfVEl-DeBj1Cefx3fJvbRwq5WLY3Fo1q_KRYc4lWWuIcG-31WHDB07i-9/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhH9nsNYnFPsZsgKZrFjYCAl96eYz4d7O8nlj485dmyObJbHfjgMG2bRhwwNmztWNZPl8w3ytJxaQthfVEl-DeBj1Cefx3fJvbRwq5WLY3Fo1q_KRYc4lWWuIcG-31WHDB07i-9/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/12/blog-post_75.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/12/blog-post_75.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content