राजेश गोसाईं की कविताएँ

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1.......प्रीतम कभी सूरज सिन्दूरी हो जाये सांझ की दुल्हन मांग सजाये कभी कोई झोंका हवा का कहीं से आ के प्रीतम का घूंघट उड़ाये चाँद यूं ह...

1.......प्रीतम

कभी सूरज सिन्दूरी हो जाये
सांझ की दुल्हन मांग सजाये
कभी कोई झोंका हवा का
कहीं से आ के प्रीतम का
घूंघट उड़ाये

चाँद यूं ही हर रोज नजर आये
सितारों की बारात में
हवायें आधी रात में
दुल्हन के मेहंदी गीत गायें
श्रंगार कोई फिर नया हो जाये

भोर का सूरज फिर सिन्दूर सजाये
प्रीतम के अधर पे लाली लगा
नया सूरज माथे पर
सुनहरी हो जाये
हवाओं में मस्त हो हर किरण
सांझ तक झूमे गायें

प्यार से प्रीतम की बांहों में
हर दिन मुझे ले जाये
सपनों से दूर
कोई सूरज नया सा
रोज ये आये
राजेश गोसाईं
******

2.... मदहोशी

तेरी हर अदा पे मैंने गीत लिखा मैंने मीत लिखा
शर्माई लाल हुई मैंने गीत लिखा मैंने मीत लिखा

नींद में अंगड़ाई मैंने गीत लिखा मैंने मीत लिखा
शबनम में नहाई मैंने गीत लिखा मैंने मीत लिखा

सितारों की मांग मैंने गीत लिखा मैंने मीत लिखा
देखा माथे चाँद मैंने गीत लिखा मैंने मीत लिखा

नव यौवन श्रृंगार मैंने गीत लिखा मैंने मीत लिखा
पायल ये झंकार मैंने गीत लिखा मैंने मीत लिखा

मृगनैनों का प्यार, रुत सावन की बहार देख ये
उड़ती चुनरी , मैंने गीत लिखा मैंने मीत लिखा

अधर लाल गुलाबी गाल , काली घटा सम बाल
ये लचक मचक मैंने गीत लिखा मैंने मीत लिखा

कंचन काया चूडी छनन छन ये गजरे की खुशबू
चेहरे पे बालों से झांकती आँख लौंग लिशकारा

बेचैन मन तरसती निगाहें यूं तेरे ही मयखाने में
मदहोश हो कर मैंने गीत लिखा मैंने मीत लिखा
राजेश गोसाईं
*****


3... दिल्लगी

तू मेरे पास क्या बैठी आज
वक्त की हर शय गजल हो गई
देखा जो तिरछी नजर से
हर नजर आज गजल हो गई

अंग अंग अंगड़ाई लेता हुआ
शरमाई हुई रुत गजल हो गई
नीली आँखें तेरी झुकी झुकी
शराबी गालों पे गजल हो गई

हम क्यों जायें मयखाने आज
जाम तो तू खुद हो गई
पैमाना तेरे हाथ से लिये आज
होठों पे मेरे यह गजल हो गई

दीवारों का साथ छूटा साकी
तेरी दीवानगी मेरी नजर हो गई
दिल की लगी दिल्लगी में तू
आज दिल से दिलबर हो गई
राजेश गोसाईं
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4....मुस्कान

मैं बन के गीत आऊंगा
मैं प्यार के गीत गाऊंगा
बस तुम उदास न होना

अंधियारी जिन्दगी है
महफिल तो लगी है
मैं चराग बन आऊंगा
बस तुम उदास न होना

मेरी चिता पर लगेंगे
तेरे अश्कों के मेले
मैं तस्वीर से निकल
मुस्कान बन आऊंगा
बस तुम उदास न होना
राजेश गोसाई
******


5...जखीरा

मैं टूट के ना बिखर जाऊं
उन यादों की हवा से
जो अतीत के झरोखे से
आ कर मुझे हिला देती हैं
जिन्दगी का पेड़ हरा भरा है
डाल डाल फल भरा पड़ा है
पंछियों की चहचहाहट से
दिल को सुकून मिल रहा है
फिर क्यों गुजरे जमाने की
हवायें मुझे आज ले जा रही हैं
वापिस उस ओर

यादों का जखीरा बन गया
एक नाम तेरा दिल में
लकीरों को मिटा कर लकीर
लगा देता हूँ दिन गिन गिन कर
पहला अक्षर तेरे नाम का
छोड़ देता हूँ , शायद तू आये
इसे भी मिटाने को
पर तेरी आहट का अहसास
हिला जाता है मुझे

तू आये ना आये, मिले ना मिले
कैसे रोक दूं इन हवाओं को
जो बीते हुये कल से आ कर
आज मुझे हिला रही हैं
भविष्य की नींव डगमगा रही हैं
राजेश गोसाईं
*****


6..* * उस दिन * *

मोहब्बत की किताब का
पहला पन्ना था उस दिन
जब हाथ बढ़ाया था मैंने
दिल छूने को उस दिन

टुकड़ों में बंट गया अरमान
बेचैन निगाहें थी उस दिन
आखरी पंक्ति की मौत में
बिछुड़ गयी जिन्दगी उस दिन

यादों की हवाओं में चिंगारी बन
जमाने में आग लगी थी उस दिन
बीते हुये लम्हों का कारवां गुजर गया
तस्वीरों पे धूल बन कर उस दिन

उदास हूँ पन्नों के फट जाने से
निराश भी बहुत था उस दिन
जिन्दगी मिल जाती जिन्दगी में
गर वो मिल जाती उस दिन

जमाना बीत गया देखे हुये उसे
हर मोड़ पे सदायें बिखर गई
हाथ दिल से बढ़ाया होता , रूह तक
काफिला यादों का रुक जाता उस दिन

रूह में तू ही तू , बस जिन्दा ही हूँ
पहले पन्ने से आखरी पन्ने तक ही हूँ
हमसफर बन जाते हम , हम होकर
अरमानों की राख पे आशिया
ना बनता ...तुझसे बिछुड़ के ... उस दिन
/\
राजेश गोसाईं
*****

7......प्रेम पर्व

शहर में बरसात है
बिजली रूठ कर चली गई
आँधी तुफां की रात है
पानी आस पास है
मौसम मस्त खास है
अंधेरी यह रात है
गर्मी का विनाश है
ठण्डी हवा की आस है
चाय काफी की प्यास है
हरि हरि घास है
हरियाली भी साथ है
सुहाना सफर आज है
नहाई हुई रात है
प्रीतम का साथ है
प्रेम पर्व की बात है
राजेश गोसाईं
******


8...झील सी आँखें

आँखों की झील में कहीं
आँखों से बात होगी
जो दिल से दिल मिलेगा
तो दिल की बात होगी

इन आँखों की मस्ती में कहीं
मस्त हो जाते हैं हम
जो कतरा शबनम मिल जाये
तो शबनम की बात होगी

इन आँखों की चाहत में कहीं
ढल ना जायें रातें
जो पूनम की रात होगी
तो रात की बात होगी

इन आँखों की रोशनी में कहीं
लड़खड़ा जाते हैं कदम
जो मयखाना ये खुलेगा फिर
तो पैमाने की बात होगी

इन आँखों की सीप में कहीं
छुपा लो हमे तुम
जो दिल को चैन मिलेगा
तो अश्कों की बात होगी

इन आँखों की गजल में कहीं
जम ना जाये महफिल
जो महफिल का रंग जमेगा
तो गीतों की बात होगी
तो प्रेम की बात होगी
राजेश गोसाईं
*****



9....अजनबी

दोस्ती तुम्हारी की चाह है अब भी
किसी निशा की चाँदनी में बैठ कर
बुनेंगे फिर हम नया
कोई सितारों का जाल

मैं गीत लिखूंगा तुम्हारा चाँद देख कर
तुम मुस्कुराना नैनों में मेरे ....फिर से

जब वैरी हुये थे हम दोनों तब भी
दोस्तों से कम ना थे हम अजनबी
तुम्हारी मुलाकात फिर लड़ाई की बात
बन्द पलकों के पीछे का सागर ताल

याद है सब मुझे आज तक ईर्ष्या तुम्हारी
जो तुम्हारे प्यार का सबूत थी शायद
मगर पानी का बुलबुला मात्र वो ख्वाब

पर आज मैं जानता हूँ तुम आओगी
फिर नई मुलाकात होगी
फिर से नई कोई बात होगी
लड़ाई में आँसुओं की बरसात होगी

पर तुम आओगी जरूर आओगी
किसी ठण्ड की अंधेरी रात में भी
या पूर्णमासी की चाँदनी में
तुम आओगी
फिर से अजनबी बनने को मेरी
आ भी जाओ अब पगली -अजनबी
इंतजार में है यह अजनबी
राजेश गोसाईं
*****


10....अक्स

तुम्हारे चाँद का कोई अक्स
अब भी मेरे दिल के
आईने में उतर आता है कहीं

तुम बहुत दूर हो मेरे से
मगर हर तरफ फिर भी
सिर्फ तुम्हारा ही चेहरा
नजर आता है

नीले अम्बर की चादर में भी
तुम्हारा साया छुपा होता है
मगर हर ढलती सांझ को
तुम्हारा अलग ही रूप
उभर आता है

काले बादलों की ओट में भी
तुम कहीं सिमट के बैठी हो
मगर हवा का झोंका कोई
फिर तुम्हारा घूंघट
सरका जाता है
राजेश गोसाईं
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1..... यादों की शाम

यादों की शाम में
प्यार के गीत भरे
तेरे ही नाम में
प्यार के गीत भरे
आ जा के आँखों में
समन्दर हैं भरे भरे
यादों की ......

देखे यह रैना काली
नहीं दिल में चैना... मतवाली
तू ही बता दे क्यों
उदास हैं ये पल मेरे

मिलन को प्यासा है मन
यादों के बादल उमड़े
आ जा के आँखों में
समन्दर हैं भरे भरे
यादों की .......

शीतल पवन भी बनी अगन है
वक्त की चुभन भी बनी लगन है
पानी के दीप भरे
नैनों में प्रीत तरे
आ जा के आँखों में
समन्दर हैं भरे भरे
यादों की शाम में
तेरे ही नाम में
प्यार के गीत भरे
राजेश गोसाईं
******


2... तुम्हारे प्यार में

तुम्हारे प्यार के मन्दिर में
दीप बन कर जल जाऊं मैं
तुम्हारे मन के आँगन में
प्रीत बन कर फल जाऊं मैं

जब से मिला है  प्यार तुम्हारा
मीत बन के अमर हो जाऊं मैं
जग माने ना माने ,
हर रीत तोड़ के दौड़ आऊं मैं

आँखों ही आँखों में समन्दर पार
साहिल तुमसा पाकर , तर जाऊं मैं
जिन्दगी रौशन हो गई अब मेरी
काली रातों में फिर क्यों जाऊं मैं

खुशबु बन के गुलिस्तां में मेरे
बसन्त की तरह आये हो जब से
बाँहों को सावन में फिर से
हर बार झूला बना कर सजाऊं मैं
राजेश गोसाईं
*******


3......दीप

प्यार का कोई दीप जल जाये
तो मैं गीत गाऊं
दिल में जब कोई समा जाये
तो मैं गीत गाऊं

सावन रिमझिम संग गुनगुनाये
तो मैं गीत गाऊं
कोई बाँहों में भर कर शर्माये
तो मैं गीत गाऊं

चाँद चौंधवी का मन भाये
तो मैं गीत गाऊं
कोई पंछी कानों में चहचहाये
तो मैं गीत गाऊं

बिछुड़े हुये आज मिल जायें
तो मैं गीत गाऊं
रूठे हुये फिर मान जाये
तो मैं गीत गाऊं

"राजेश - 'का कोई मीत बन जाये
तो मैं गीत गाऊं
यह बोल कोई आवाज बन जाये
तो मैं गीत गाऊं
राजेश गोसाईं
*****

4....चाँद

यूं तांक झांक करता रहता है
यह चाँद की गन्दी आदत है

ये लुका छुपी खेल में रहता है
रात में इसकी बुरी आदत है

मैंने चाँद को समझाया बहुत है
मेघों ने आकर छिपाया बहुत है

पर्वत के पीछे जाने की आदत है
यह पेड़ों के भी संग बैठा रहता है

धरती पे इसको लाना मुमकिन नहीं
बच्चों के साथ खेलने की आदत है

चाँदनी रात में प्रीतम की बाँहों को
गले लगा यह मस्ती करता रहता है

भोर होने पे भी ये जोश में रहता है
अंधियारी रात में सोने की आदत है

यहाँ वहाँ सब जगह खेलता रहता है
होश में भी मदहोश करता रहता है

सितारे भी इससे नाराज रहते हैं
दूर हो कर टिम टिम करते रहते हैं

इसे रात को रूठने की आदत है
यह आसमां पे इतरा के रहता है

लुक छुप हर दिल में ये रहता है
बिंदी बन माथे पे लगा रहता है

इसे सुहागन बनाने की आदत है
फिर भी धोखे सबको देता रहता है
राजेश गोसाईं

***********

5...... धूल का गुबार

क्यों ढूंढते हो दिल की तस्वीर में मुझको
जहाँ ना यादें हैं किसी की ना किसी का है प्यार

सम्भाल लो इन निगाहों को जो जलाती हैं बार बार
इन अंगारों में ही तो पिघला था मेरा - तेरा  प्यार

इक खामोश सी मजार का दीया
ना बना किसी का रोशन गुलजार
उजड़ी हुई तम्मनाओं के चमन में
बना मोहब्बत की फसल ए बहार

ना ढूंढो मुझे उन लम्हों में चिंगारी है जहाँ प्यार
राख का ढेर हूँ उड़ा देगी कहीं कोई बयार

अंत है उन चाहतों के सफर का अब
जिन्दगी की राह में
जहाँ , ना मैं नूर किसी का था
ना मैं किसी का प्यार

अंदाज ए सांसों का रुका हुआ काफिला
मिलेगा मुझमें  सिर्फ धूल का गुबार
राह ए गर्दिशों में रहा हूँ
ढूंढ लेना सितारों में कहीं भी यार
राजेश गोसाई
**********

6....... करीब थी

लम्हा लम्हा थम गया जब वो मेरे करीब थी
मैं छू ना सका उसको जब वो मेरे करीब थी

इक मृगतृष्णा की भांति , अहसास हुआ था
वो बादल स्वाति नक्षत्र का बड़ा सुनहरा था
मैं चकोर ही बन गया जब वो मेरे करीब थी
मैं प्यासा ही रह गया ,जब वो मेरे करीब थी

तिरछी नजरों का जादू जो दिल पे चला था
उन जुल्फों में हो बेकाबू , इक तीर चला था
जब कातिल अदाओं पे घायल , मैं हुआ था
मैं मर भी ना सका था जब वो मेरे करीब थी

इन लम्हों में इक लम्हा  ऐसा भी अजीब था
जब उसने मेरे से मेरे दिल का पता पूछा था
मैं बता ना सका उसको , तुफां जो अंदर था
वो मुस्कुरा के चली गयी जो बहुत करीब थी

इक उड़ती हुई खुशबू मिली इश्क की हवा में
बन्द मुट्ठी की रेत फिसलती हुई दिल जहां में
क्षितिज सम दूर खड़ी थी , जो मेरे करीब थी
इक लहर बन के बह गई ,  जो मेरे करीब थी
राजेश गोसाई

*************
7........गवाही

मेरे लिखे हुये खत में
सितारों की गवाही थी
ये चाँद भी जानता है
मैंने नींदे कितनी गवाई थी

स्याह रातों में मेरी
ये बड़ी तन्हाई थी
कभी आँखों में बस के
कभी दिल में तू समाई थी
बता दे इस कातिल को तू
कत्ल करने क्यों आई थी

मेरे लिखे हुये खत में
सितारों की गवाही थी

तुझे मैं रोज कहता था
खिली हैं तुम पे नूर की कलियां
कभी धार अलहड़ सी नदिया
कभी टुकड़ा चाँद का बन के
मेरे वास्ते आसमां से तू आई थी

मेरे लिखे हुये खत में
सितारों की गवाही थी

शबनम के मोती बिखरे
तेरे गुलाबी चेहरे पे
जुल्फ एक पगली सी आई थी
सितारों ने भी मांग तेरी जब ये सजाई थी
बागों में बहारें ले कर
बाहों में मेरी तू शर्माई थी

मेरे लिखे हुये खत में
सितारों की गवाही थी

राजेश गोसाईं
**********

8......नूर ए जहां

जब तक सूरज चन्दा चमके
चमके भारत हमारा
ये विश्व गुरू हमारा
ये हिन्दुस्तां प्यारा

बहती रहे सदा यहाँ पर
अमृत यमुना की धारा
बढ़ता रहे भाईचारा
इस गुलिस्तां में हमारा

बहे युगों युगों तक पावन गंगा
लहराता रहे हर दिल में तिरंगा
हो नभ में सबसे सुन्दर सितारा
ये भारत देश हमारा

हो खुशबू इस किसलय की
सजा रहे नन्दन वन ये सारा
जो नूर ए जहां है हमारा
ये मधुबन प्यारा प्यारा
राजेश गोसाईं
*********

9.......तिरंगा

युगों युगों तक लहरायेगा
ये तिरंगा हमारा
विजयी विश्व बन जायेगा
इक दिन भारत हमारा

होगा अमन शांति भाईचारा
बहेगी अमृत गंगा धारा
प्रेम चैन बंसी बजायेगा
इक दिन भारत हमारा

युगों युगों तक लहरायेगा
ये तिरंगा हमारा

होगा कोई ना पेट खाली
रोज होगी होली दिवाली
खुशहाल सब हो जायेगा
इक दिन भारत हमारा

रोजगार मिल जायेगा
उन्नत जन जीवन होगा सारा
विकास पथ पे चल जायेगा
इक दिन भारत हमारा

युगों युगों तक लहरायेगा
ये तिरंगा हमारा
राजेश गोसाईं
**********

10.........बे काबू

तेरे हाथ की लकीरों में
कुछ तो है जादू
ना मैं काबू ना तू काबू

कत्ल भी किया मुस्करा कर
होठों ने कातिल का ही,
हो बे काबू
ना मैं काबू ना तू काबू

नशे में भी निशाना हो गया
इन आँखों का
तेरी नजरों का है जादू
ना मैं काबू ना तू काबू

पर्दा हो गया बेपर्दा
तेरे बेपनाह प्यार का
गुनाहगार मैं या तू
ना मैं काबू ना तू काबू
राजेश गोसाईं
********

COMMENTS

BLOGGER: 1
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 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. 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श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक 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तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड 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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: राजेश गोसाईं की कविताएँ
राजेश गोसाईं की कविताएँ
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