मनोरंजक लोक कथाएँ - 2 - चुहिया राजकुमारी - नौर्स देशों की लोक कथाएँ-2// सुषमा गुप्ता

SHARE:

2 चुहिया राजकुमारी [1] यह लोक कथा यूरोप महाद्वीप के फ़िनलैंड देश की एक बहुत ही लोकप्रिय लोक कथा है। फ़िनलैंड यूरोप के नौर्स देशों के पाँच देशो...

2 चुहिया राजकुमारी[1]

clip_image004

यह लोक कथा यूरोप महाद्वीप के फ़िनलैंड देश की एक बहुत ही लोकप्रिय लोक कथा है। फ़िनलैंड यूरोप के नौर्स देशों के पाँच देशों[2] में से एक है।

एक बार बहुत दूर उत्तर की जमीन पर फ़िनलैंड देश में एक किसान रहता था। उसके तीन बेटे थे।

जब वे बड़े हो गये तो उसने अपने तीनों बेटों से कहा — “बेटा अब तुम लोग बड़े हो गये हो सो अब तुम लोगों को शादी कर लेनी चाहिये। तुम लोग जाओ और अपने अपने लिये पत्नी ढूँढो।

मैं तुम तीनों को बहुत प्यार करता हूँ और मैं चाहता हूँ कि तुम लोगों को अच्छी अच्छी पत्नियाँ मिलें।

इसलिये जो भी लड़कियाँ तुम लोग अपने लिये चुनोगे पहले मैं उनका इम्तिहान लूँगा कि वे तुम्हारे लिये अच्छी पत्नियाँ बनेंगी या नहीं। उसके बाद ही तुमको अपनी चुनी हुई लड़की से शादी की इजाज़त मिलेगी। ”

उसके बेटों ने पूछा — “पर वे हमें मिलेंगी कहाँ पिता जी। ”

[post_ads]

पिता बोला — “मैं चाहता हूँ कि तुम तीनों एक एक पेड़ काटो और फिर जिस दिशा में तुम्हारा पेड़ कट कर गिरे तुम उसी दिशा में अपनी पत्नी को ढूँढने जाओ।

अगर तुमको उस दिशा में बहुत दूर भी जाना पड़े तो भी मुझे यकीन है कि तुमको अपनी पत्नी मिल जायेगी। ”

सबसे बड़े बेटे ने जो पेड़ काटा तो वह पेड़ पूर्व की तरफ गिरा। वह बोला — “यह तो बहुत अच्छा है। मुझे मालूम है कि पूर्व में एक बहुत प्यारी सी देहाती लड़की रहती है। मैं उसके घर जाऊँगा उसको अपने साथ शादी के लिये पटाऊँगा और फिर उससे शादी कर लूँगा। ”

बीच वाले बेटे का काटा हुआ पेड़ पश्चिम की तरफ गिरा तो वह भी बोला — “यह तो बहुत अच्छा है। मुझे मालूम है कि पश्चिम में भी एक बहुत प्यारी सी देहाती लड़की रहती है। मैं उसके घर जाऊँगा उसको अपने साथ शादी के लिये पटाऊँगा और फिर उससे शादी कर लूँगा। ”

जब तीसरे सबसे छोटे बेटे ने अपना पेड़ काटा तो वह उत्तर की तरफ गिरा। यह देख कर उसके दोनों बड़े भाई हँस दिये। क्योंकि वे जानते थे कि उत्तर की तरफ तो केवल जंगल और बरफ थी। उधर की तरफ कोई लड़की कहाँ होगी।

clip_image002वे बोले — “तुझको तो किसी रेनडियर[3] या भेड़िये से शादी करनी पड़ेगी। क्योंकि उत्तर में तो कोई लड़की ही नहीं है। ”

फिर भी सबसे छोटा बेटा जिसका नाम माइकल[4] था अपने पिता की इच्छा के अनुसार अपनी पत्नी ढूँढने के लिये उत्तर की तरफ चल दिया।

दोनों बड़े भाइयों ने अपने पिता का खेत छोड़ा और उस लड़की के पिता के लिये कुछ भेंटें लीं जिससे वे शादी करना चाहते थे और कुछ भेंट अपनी होने वाली पत्नियों के लिये लीं ताकि वे उनको खुश कर सकें और अपनी अपनी दिशाओं में चल दिये।

माइकल भी जंगल में होता हुआ उत्तर की तरफ चल दिया। हालाँकि वह जानता था कि उसको तो उधर कोई लड़की मिलने वाली थी नहीं जो उसकी पत्नी बन सके फिर भी वह उस जंगल में बहुत दूर तक चलता ही चला गया।

आगे जा कर वह एक झोंपड़ी के पास आ पहुँचा।

उस झोंपड़ी को देख कर उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसको लगा कि शायद वह उत्तर में अपनी पत्नी पा सके। उसने झोंपड़ी का दरवाजा खटखटाया तो दरवाजा खुला। वह उसके अन्दर घुसा तो उसने देखा कि झोंपड़ी तो खाली थी।

वहाँ तो बस एक छोटी सी चुहिया एक मेज पर बैठी थी। माइकल अपने आपसे बोला — “अरे यहाँ तो कोई नहीं है। ”

उस छोटी चुहिया ने कहा — “मैं यहाँ हूँ माइकल। ” वह वहाँ मेज पर बैठी अपने छोटे पंजों से अपनी मूँछें सँवार रही थी।

“पर तुम तो एक छोटी सी चुहिया हो। मुझे तो आशा थी कि मुझे यहाँ एक सुन्दर सी लड़की मिलेगी जिसको मैं अपनी पत्नी बनाऊँगा। ”

तब उसने उसको अपनी और अपने भाइयों की शादी के बारे में अपने पिता की इच्छा बतायी।

फिर वह बोला — “मुझे मालूम है कि वे लोग तो शादी कर ही लेंगे। पर मैं भी यह नहीं चाहता कि मेरे पिता मेरी तरफ से नाउम्मीद हों कि मैं अपनी पत्नी नहीं ढूँढ सका। ”

छोटी चुहिया बोली — “तुम मुझसे अपनी पत्नी बनने के लिये क्यों नहीं कहते? यहाँ उत्तर में तो कोई लड़की रहती नहीं पर मैं तुम्हें प्यार करूँगी और तुम्हारे लिये वफादार भी रहूँगी। ”

माइकल ने उस छोटी चुहिया को अपने हाथों में उठाया तो उसने माइकल के लिये अपनी मीठी आवाज में गाना शुरू कर दिया।

माइकल उसको और पास से देखने के लिये अपने चेहरे तक ले कर आया तो वह चुहिया उसकी उँगलियों पर चढ़ गयी और अपनी छोटी सी नाक से उसके गाल सहलाने लगी।

माइकल उस छोटी सी चुहिया को पसन्द किये बिना नहीं रह सका। इसके अलावा वह अपने पिता को नाउम्मीद भी करना नहीं चाहता था।

वह बोला — “ठीक है ओ छोटी चुहिया। मैं अपने पिता से जा कर कह दूँगा कि मुझे अपनी पत्नी मिल गयी। ”

यह सुन कर चुहिया बोली — “पर तुम्हारे लिये एक चुहिया से शादी करना बहुत मुश्किल होगा। ऐसा करते हैं कि मैं यहीं ठहरती हूँ तब तक तुम अपने पिता को इस खबर के लिये तैयार करके आओ। ”

[post_ads_2]

माइकल की समझ में आ गया कि वह चुहिया ठीक कह रही थी सो वह चुहिया को वहीं छोड़ कर अकेला ही घर वापस लौट गया।

सबसे बड़े भाई ने कहा — “मेरी वाली की तो बहुत सुन्दर आँखें है। ”

बीच वाले भाई ने कहा — “और मेरी वाली के तो बाल और मुस्कान दोनों ही बहुत सुन्दर है। तुमको शादी करने के लिये कोई लोमड़ी या भेड़िया मिला क्या?”

माइकल ने उनसे इतनी ज़ोर से कहा ताकि उसके पिता भी सुन लें — “तुम लोग मेरी चिन्ता मत करो। मुझे तो एक बहुत ही प्यारी और नाज़ुक सी चीज़ मिल गयी है। और वह मखमल के कपड़े पहनती है। ”

“मखमल के कपड़े?” कह कर उसके दोनों बड़े भाई ज़ोर से हँस पड़े। “तुमने तो लगता है कि उस उत्तरी जंगल और बरफ में कोई राजकुमारी ढूँढ ली है। ”

माइकल बोला — “हाँ मखमल के कपड़े। बिल्कुल राजकुमारियों की तरह से। और जब वह मेरे लिये गाती है तो उसकी मीठी आवाज तो मुझे बहुत ही अच्छी लगती है। ”

यह सुन कर उसके दोनों बड़े भाई उससे जलने लगे कि उनके छोटे भाई को तो उत्तर में भी इतनी अच्छी लड़की मिल गयी। पर इसमें वे क्या कर सकते थे।

clip_image006कुछ दिन बाद पिता बोला — “मैं अभी भी यह तय नहीं कर पा रहा हूँ कि किसको सबसे अच्छी पत्नी मिली है। इसलिये मैं चाहता हूँ कि मेरी हर एक बहू मेरे लिये डबल रोटी बनाये ताकि मैं यह देख सकूँ कि वह तुमको ठीक से खाना खिला सकेगी भी या नहीं। ”

सुनते ही दोनों बड़े भाई अपने छोटे भाई माइकल से बोले — “मुझे मालूम है कि मेरी वाली सबसे अच्छी डबल रोटी बनायेगी। पर माइकल तुम्हारी राजकुमारी?”

माइकल बोला — “यह तो मुझे उससे पूछना पड़ेगा। ”

पर असल में तो वह चिन्ता कर रहा था कि उसकी चुहिया डबल रोटी बनायेगी भी कैसे। फिर भी वे तीनों भाई एक साथ घर से निकल पड़े अपनी अपनी होने वाली पत्नियों से डबल रोटी बनवाने के लिये।

छोटी च्ुहिया ने जब माइकल को वापस आते देखा तो वह तो गाने नाचने लगी। और जब उसने आ कर उसे यह बताया कि उसको डबल रोटी बनानी है तो वह हँस दी।

माइकल बोला — “मैं तो तुमसे यह कहते हुए डर रहा था कि तुम डबल रोटी बना दो। ”

वह फिर हँसी और एक छोटी सी घंटी बजा कर बोली — “तुमको तुम्हारी डबल रोटी जरूर मिलेगी माइकल। बस ज़रा सा इन्तजार करो। ”

माइकल ने देखा कि छोटी चुहिया के घंटी बजाते ही दरवाजे से सैंकड़ों की तादाद में चूहे चले आ रहे हैं। छोटी चुहिया ने उनसे कहा — “तुम सब जाओ और गेहूँ के सबसे बढ़िया वाले दाने ले कर आओ। ”

वे सब चूहे तुरन्त ही वहाँ से भाग गये और कुछ ही देर में गेहूँ के सबसे बढ़िया वाले दाने ले कर वहाँ आ गये। छोटी चुहिया ने उन गेहूँ के दानों से डबल रोटी बनानी शुरू कर दी।

माइकल बड़े आश्चर्य से उस छोटी चुहिया को उन गेहूँ के दानों से डबल रोटी बनाते देखता रहा।

अगले दिन तीनों भाई अपनी अपनी डबल रोटियाँ ले कर अपने पिता के पास पहुँचे। सबसे बड़ा भाई राई[5] की बनी डबल रोटी ले कर आया था। बीच वाला भाई जौ की बनी डबल रोटी ले कर आया था।

पिता ने उन दोनों की डबल रोटियाँ चखीं और कहा कि उनकी होने वाली पत्नियों ने बहुत अच्छी डबल रोटियाँ बनायी हैं। देहाती लड़कियों को जैसी डबल रोटी बनानी चाहिये उन्होंने वैसी ही डबल रोटियाँ बनायी है। वह सन्तुष्ट था कि शादी के बाद उसकी दोनों बहुएँ उसके बेटों को ठीक से खाना खिलाती रहेंगीं।

तब माइकल ने अपनी सफेद डबल रोटी अपने पिता को दी। पिता ने उसको भी देखा और चखा तो बोला — “अरे यह तो बहुत सुन्दर सफेद डबल रोटी है जरूर किसी अच्छे और मँहगे अनाज की होगी। लगता है कि तुम्हारी होने वाली पत्नी बहुत अमीर है। ”

माइकल बोला — “उसने तो बस घंटी बजायी और उसके नौकर उसके लिये डबल रोटी बनाने का आटा ले कर आ गये। और उसने फिर डबल रोटी बना दी। ”

दोनों बड़े भाई बहुत खुश हुए जब उनके पिता ने कहा — “अब हम एक और इम्तिहान लेंगे। तुम सबकी होने वाली पत्नियों को एक काम और करना पड़ेगा। मैं देखना चाहता हूँ कि वे सिलाई भी कर सकती हैं या नहीं। तुम लोग उनके हाथ के बुने हुए कपड़े का नमूना ले कर आओ”

यह सुन कर दोनों बड़े भाई तो खुश थे क्योंकि वे जानते थे कि उनकी होने वाली पत्नियाँ कपड़ा बुनना जानती थीं पर वे यह तो सोच भी नहीं सकते थे कि कोई राजकुमारी भी कपड़ा बुन सकती है तो उनके छोटे भाई का क्या होगा।

माइकल भी चिन्तित था। वह भी यही सोचता था कि कोई चुहिया भी कपड़ा बुन सकती है क्या। फिर भी वह सोच कर मुस्कुराया कि अगर वह चुहिया कपड़ा न भी बुन सकेगी तो भी कम से कम वह उस बोलने वाली चुहिया से फिर से मिल तो सकेगा।

जब माइकल चुहिया के पास पहुँचा तो चुहिया उसको देख कर फिर बहुत खुश हो गयी। वह तुरन्त ही माइकल के खुले हाथों पर चढ़ गयी और वहाँ नाचने लगी।

माइकल बोला — “मै तुमको देख कर बहुत खुश हूँ चुहिया रानी लेकिन , , ,”

“लेकिन क्या माइकल। क्या तुम्हारे पिता को कुछ और चाहिये?”

“वह तुम्हारे हाथ के बुने हुए कपड़े का नमूना देखना चाहते हैं। क्या तुम कपड़ा बुन सकती हो? मैंने तो कभी सुना नहीं कि कोई चुहिया भी कपड़ा बुन सकती है। ”

यह सुन कर चुहिया फिर हँसी और एक बार फिर उसने अपनी छोटी घंटी बजायी और एक बार फिर उसी दरवाजे से सैंकड़ों की तादाद में चूहे वहाँ आ गये। वे अपनी राजकुमारी के हुकुम के लिये उसकी तरफ देखने लगे।

clip_image008चुहिया ने उनसे कहा — “जाओ और सबसे बढ़िया अलसी[6] की रुई ले कर आओ। ”

जब वे अलसी की रुई ले आये तो उस चुहिया ने उस रुई का बहुत ही बढ़िया धागा कातना शुरू किया। धागा कातने के बाद उसने उसका एक बहुत ही बढ़िया रूमाल बुना। वह इतना बढ़िया और बारीक बुना हुआ था कि उसने उसको बुनने के बाद गिरी के एक खोल में रख दिया।

फिर वह माइकल से बोली — “लो इस गिरी के खोल को तुम अपने पिता के पास ले जाओ। इससे उनको पता चल जायेगा कि मैं कपड़ा भी बुन सकती हूँ या नहीं। ”

जब तीनों भाई अपने पिता के पास पहुँचे तो दोनों बड़े भाई मुस्कुराये। उनको ऐसा लग रहा था कि जैसे उनके सबसे छोटे भाई के पास कोई बुना हुआ कपड़ा था ही नहीं।

इसका मतलब यह था कि उसकी होने वाली पत्नी उनके पिता को खुश नहीं कर पायेगी। जबकि माइकल ने गिरी का वह खोल जिसमें उसका बुना हुआ कपड़ा रखा था अपनी जेब में रखा हुआ था।

पिता ने दोनों बड़े बेटों के लाये हुए कपड़े देखे। उसने कहा — “तुम लोगों की होने वाली पत्नियाँ तुम्हारे लिये अच्छा कपड़ा बनायेंगी और तुमको ठीक से कपड़े पहनायेंगी और गरम रखेंगी। उनका काम सादा है पर समय के साथ साथ सुधरता जायेगा। ”

फिर उसने माइकल से पूछा — “बेटे तुम्हारी होने वाली पत्नी के हाथ का बुना कपड़ा कहाँ है। क्या तुम्हारी होने वाली पत्नी भी तुम्हारे लिये कोई कपड़ा बुन सकी?”

माइकल ने अपनी जेब से गिरी का एक खोल निकाला और अपने पिता को दे दिया।

उसके भाई तो उसको देखते ही हँस पड़े — “तो तुम्हारी राजकुमारी ने हमारे पिता को कपड़े की बजाय गिरी का एक खोल भेजा है। ”

तब उनके पिता ने गिरी के उस खोल को खोला तो देखा कि उसके अन्दर तो तह किया हुआ एक बहुत बढ़िया कपड़ा रखा था। उसने उसकी तह खोली तो देखा कि वह तो दुनिया का सबसे अच्छा कपड़ा था। उसने तो इतना अच्छा कपड़ा पहले कभी देखा ही नहीं था।

उसको देख कर तो उसके बड़े भाइयों की हँसी रुक गयी। पिता को भी उस कपड़े को देख कर बहुत आश्चर्य हुआ।

वह भी बोला — “यह तो बहुत सुन्दर काम है। तुम्हारी होने वाली पत्नी इतना सुन्दर और बढ़िया कपड़ा कैसे बुन पायी?”

माइकल बोला — “उसने अपनी छोटी सी घंटी बजायी और उसके नौकर उसके लिये अलसी की रुई ले आये। तब उसने उसका धागा बनाया और फिर यह रूमाल बुन दिया। ”

पिता बोला — “यह सब तो बहुत अच्छा था अब मैं तुम लोगों की होने वाली पत्नियों से मिलना चाहूँगा ताकि फिर तुम लोगों की शादी की जा सके सो तुम उनको यहाँ ले कर आओ। ”

यह सुन कर माइकल ने सोचा कि अगर मैं अपनी होने वाली पत्नी को यहाँ ले कर आऊँगा तो मेरे बड़े भाई जब यह देखेंगे कि इसकी होने वाली पत्नी तो एक चुहिया है मुझ पर हँसेंगे। और मेरे पिता भी मेरी उससे शादी करने पर राजी नहीं होंगे। पर मैं उस सबकी चिन्ता नहीं करता।

उसने मेरे लिये डबल रोटी बनायी। उसने मेरे लिये कपड़ा बुना। वह गाती है वह नाचती है वह बहुत दयालु भी है। मैं तो बस उसी की परवाह करता हूँ चाहे वह एक चुहिया ही सही। ”

यही सोच कर वह फिर से चुहिया के घर की तरफ चल दिया ताकि वह उसको साथ ले कर अपने पिता से मिलवाने के लिये उनके पास आ सके।

वह फिर से उसी झोंपड़ी में जा पहुँचा। उसको देखते ही चुहिया फिर से उसके हाथों में चढ़ गयी।

माइकल ने उससे कहा कि उसके पिता उससे मिलना चाहते हैं।

छोटी चुहिया तो यह सुन कर खुशी से पागल सी हो गयी। उसने अपनी वह छोटी सी घंटी एक बार फिर बजायी तो पहले की तरह से फिर से वहाँ सैंकड़ों चूहे दरवाजे से अन्दर आ गये। उसने उनसे कहा कि वे उसकी गाड़ी तैयार करें।

clip_image010जल्दी ही गिरी का एक खोल वहाँ आ गया। उस गिरी के खोल को दो चूहे खींच रहे थे। एक चूहा उस गाड़ी के कोचवान की जगह बैठ गया। दूसरा चूहा एक नौकर की तरह उस गाड़ी के पीछे एक बक्से पर बैठ गया। उस नौकर चूहे ने छोटी चुहिया को गाड़ी में बिठाया और गाड़ी वहाँ से चल दी।

माइकल भी मुस्कुराता हुआ अपनी होने वाली पत्नी की गाड़ी के साथ साथ अपने पिता के घर चल दिया।

वह चुहिया से कहता जा रहा था — “मेरे भाई मुझ पर हँस सकते हैं। यहाँ तक कि मेरे पिता भी शायद इस शादी से खुश नहीं होंगे पर मैं इस बात की चिन्ता नहीं करता। मैं हमेशा तुम्हारी रक्षा करूँगा। और तुम और मैं हमेशा खुश रहेंगे। मैं तुमको उसी तरह से रखूँगा जैसे कोई अपनी असली पत्नी को रखता है। ”

जब वे जा रहे थे तो उनको एक पुल पार करना था। यह पुल जंगल पार करके एक नदी पर बना हुआ था।

जब माइकल यह सब कह रहा था तभी वे उस पुल पर पहुँचे तो वहाँ हवा इतने ज़ोर से चल रही थी कि गिरी के खोल की वह गाड़ी, उस गाड़ी का कोचवान, उसके दोनों काले चूहे जो उस चुहिया की गाड़ी खींच रहे थे, चुहिया राजकुमारी और उसके दोनोंं नौकर सब उस हवा में उड़ गये और नदी में डूब गये।

और माइकल उनको गिरने से रोक भी न सका।

उसकी आँखों में आँसू आ गये। उसके मुँह से निकला — “ओह छोटी चुहिया, मुझे तुम्हारे इस तरह पानी में गिरने का बहुत अफसोस है। तुम मेरे ऊपर कितनी मेहरबान थीं। मुझे तुम्हारे साथ बात करना और तुम्हारा गाना बहुत याद आयेगा।

और अब जब तुम चली गयी हो मुझे तब पता चल रहा है कि मैं तो तुमको अपनी असली पत्नी की तरह से ही चाहता था। ”

जब वह ऐसा बोल रहा था तभी उसने देखा कि एक बहुत बड़ी सुनहरी गाड़ी जिसको दो बहुत सुन्दर घोड़े खींच रहे थे नदी के किनारे किनारे आ रही थी।

एक लम्बा सा नौकर उस गाड़ी के पीछे खड़ा हुआ था। एक बहुत सुन्दर लड़की उस गाड़ी में बैठी हुई थी। इतनी सुन्दर लड़की तो माइकल ने पहले कभी देखी नहीं थी।

वह खुद बरफ जैसी सफेद थी। उसके होठ बैरीज़ जैसे लाल थे। उसने सफेद मखमल के कपड़े पहने हुए थे और अपने सुनहरे बालों में बहुत सारे जवाहरात पहने हुए थे।

उसने माइकल को पुकार कर कहा — “क्या तुम मेरे साथ मेरी गाड़ी में बैठना पसन्द नहीं करोगे माइकल? मैं अपने होने वाले पति के पिता से मिलने जा रही हूँ। ”

माइकल कुछ दुखी आवाज में बोला — “नहीं मैं नहीं बैठ सकता। मेरी अपनी होने वाली पत्नी तो यहाँ नदी में डूब गयी है। ”

उस सुन्दर लड़की ने कहा — “तुमने मुझे नहीं खोया है माइकल। मैं ही तुम्हारी वह छोटी चुहिया हूँ। मैंने ही तुम्हारे पिता के लिये डबल रोटी बनायी थी मैंने ही तुम्हारे पिता के लिये कपड़ा बुना था।

मैं अब तक एक जादू के ज़ोर में थी जिसने मुझे एक चुहिया बना दिया था। जब तुमने कहा कि तुम मुझे प्यार करते हो बस तभी मेरा वह जादू टूट गया और मैं फिर से आदमी बन गयी। चलो अब हम तुम्हारे पिता के पास चलते हैं ताकि वह हमारी शादी की इजाज़त दे दें। ”

फिर वे माइकल के पिता के घर पहुँचे। वहाँ जा कर वह उन लडकियों से मिला जो उसके भाइयों से शादी करने वाली थीं।

पिता ने सबको अपना आशीर्वाद दिया और अपने सब बेटों की शादी उनकी लायी हुई लड़कियों से शादी कर दी।

माइकल के दोनों बड़े भाई अपने पिता के खेत पर अपनी अपनी पत्नियों के साथ आराम से रहे। माइकल अपनी चुहिया के साथ उसके राज्य चला गया। वहाँ वे जब तक ज़िन्दा रहे खुशी खुशी रहे।

clip_image011


[1] The Mouse Princess – A folktale from Finland, Europe. Adapted from the Web Site :

http://www.mikelockett.com/stories.php?action=view&id=245

Adapted by Mike Lockett

[2] Norse, Nordic or Scandinavian coutries are five. They are located in the far North of Europe continent. These five countries are – Denmark, Finland, Iceland, Norway and Sweden.

[3] Reindeer, also known as caribou in North America, is a species of deer native to arctic, sub-arctic, Tundra etc regions – see the picture.

[4] Michael (Mikael) – name of the youngest son

[5] Rye is a kind of grain.

[6] Translated for the word “Flax” – see the picture of flax seeds above.

---

सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से सैकड़ों लोककथाओं के पठन-पाठन का आनंद आप यहाँ रचनाकार के  लोककथा खंड में जाकर उठा सकते हैं.

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: मनोरंजक लोक कथाएँ - 2 - चुहिया राजकुमारी - नौर्स देशों की लोक कथाएँ-2// सुषमा गुप्ता
मनोरंजक लोक कथाएँ - 2 - चुहिया राजकुमारी - नौर्स देशों की लोक कथाएँ-2// सुषमा गुप्ता
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgh2fKgW05_vUv2CCUJ8FEPORjEX3stO5dI7mHWEITpp0y4wzUjc0qOK7R0A4zIcBUs252wT-QiKwPZeeDs5jn10X1ygLSGtm2MQAutsSp7c9kWt-SKAoafLM_KueHdg5teLldL/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgh2fKgW05_vUv2CCUJ8FEPORjEX3stO5dI7mHWEITpp0y4wzUjc0qOK7R0A4zIcBUs252wT-QiKwPZeeDs5jn10X1ygLSGtm2MQAutsSp7c9kWt-SKAoafLM_KueHdg5teLldL/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/12/2-2.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/12/2-2.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content