मनोरंजक लोक कथाएँ - 10 - बारह जंगली बतखें - नौर्स देशों की लोक कथाएँ-2// सुषमा गुप्ता

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10 बारह जंगली बतखें [1] एक बार की बात है कि नौर्वे देश की एक रानी अपनी स्ले [2] में बाहर घूम रही थी। उस दिन मौसम की पहली पहली बरफ पड़ी थी। व...

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10 बारह जंगली बतखें[1]

एक बार की बात है कि नौर्वे देश की एक रानी अपनी स्ले[2] में बाहर घूम रही थी। उस दिन मौसम की पहली पहली बरफ पड़ी थी। वह बरफ उसको बहुत अच्छी लगी तो वह कुछ और आगे चली गयी।

आगे जा कर उसकी नाक से खून निकलने लगा सो उसको अपनी स्ले से बाहर निकलना पड़ा। जैसे ही वह बाहर निकली और अपनी स्ले के सहारे खड़ी हुई तो उसकी नाक से निकले खून की कुछ बूँदें बरफ पर गिर पड़ीं।

उसको देखते ही रानी के मन में एक खयाल आया कि काश मेरे एक बेटी होती जो बरफ जैसी सफेद और खून जैसी लाल होती तो मैं अपने बेटों की भी चिन्ता नहीं करती।

इत्तफाक की बात कि ये शब्द उसके मुँह से अभी निकले भी नहीं थे कि एक बूढ़ी जादूगरनी उसके सामने आ कर खड़ी हो गयी और बोली — “बेटी, तुम्हारे ऐसी एक बेटी जरूर होगी जैसी तुम चाह रही हो। वह बरफ जैसी सफेद और खून जैसी लाल होगी।

लेकिन उसको बैप्टाइज़[3] करने के बाद तुम्हारे वे बेटे मेरे हो जायेंगे। सो तुम्हारे बेटे केवल तब तक ही तुम्हारे पास रहेंगे जब तक तुम अपनी बेटी को बैप्टाइज़ नहीं करतीं। ”

कुछ समय बाद ही रानी के एक बेटी हुई। अब जैसा कि उस जादूगरनी ने कहा था वह बरफ जैसी सफेद थी और खून जैसी लाल थी तो उसने उसका नाम “बरफ जैसी सफेद और गुलाब जैसी लाल”[4] रख दिया।

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बेटी के जन्म पर राजा के घर में बहुत खुशियाँ मनायी गयीं और रानी तो उसको देख कर बहुत ही खुश थी। पर जब उसको जादूगरनी की बात याद आयी कि “उसको बैप्टाइज़ कराने के बाद तुम्हारे वे बेटे मेरे हो जायेंगे। ” तो उसने एक चाँदी का सामान बनाने वाले[5] को बुला भेजा।

रानी ने उस चाँदी का सामान बनाने वाले से कहा कि वह उस के 12 बेटों के लिये चाँदी की एक सी 12 चम्मच बना दे। फिर उस ने वैसी ही एक और चम्मच भी बनवायी जो उसने अपनी बरफ जैसी सफेद और गुलाब जैसी लाल राजकुमारी को दे दी।

पर फिर हुआ वैसा ही जैसा कि जादूगरनी ने कहा था। जैसे ही राजकुमारी का बैप्टाइज़ेशन हुआ रानी के 12 बेटे जंगली बतख बन कर उड़ गये। फिर राजा और रानी ने उनको कभी नहीं देखा। वे दूर चले गये और दूर ही रहे।

राजकुमारी धीरे धीरे बड़ी होने लगी। जब वह कुछ बड़ी हुई तो वह अक्सर उदास रहने लगी। किसी को यह पता नहीं चल सका कि वह उदास क्यों रहती है।

एक दिन रानी भी बहुत उदास हो गयी। जब भी वह अपने बेटों के बारे में सोचती तो अक्सर उदास हो जाती। एक दिन रानी ने अपनी बेटी से पूछा — “बेटी, तुम अक्सर उदास क्यों रहती हो? अगर तुम्हें कुछ चाहिये तो बताओ हम तुमको अभी ला देते हैं। ”

बेटी बोली — “माँ, यहाँ मुझे बहुत अकेला लगता है। सबके भाई बहिन हैं पर मेरे नहीं हैं। मैं बिल्कुल अकेली हूँ इसी लिये मैं उदास रहती हूँ। ”

तब उसकी माँ ने उसको उसके भाइयों के बारे में बताया — “बेटी, तुम्हारे भाई थे। और एक नहीं 12 भाई थे। मेरे 12 बेटे थे पर तुमको पाने के लिये मैंने उन सबको दे दिया। ” और फिर उसने उसको सारी कहानी सुना दी।

कहानी सुनने के बाद तो राजकुमारी को बिल्कुल ही चैन नहीं था। रानी ने उसको तसल्ली देने के लिये बहुत कुछ समझाया पर वह तो रोती रही और भगवान से प्रार्थना करती रही।

कुछ देर बाद उसने माँ से कहा कि वह अपने भाइयों को जरूर ढूँढेगी क्योंकि उसको लग रहा था कि उसी की वजह से उसके भाई घर से गये थे। और यह कह कर वह महल से निकल गयी।

वह चलती रही, चलती रही और इतना चली कि तुम लोग सोच भी नहीं सकते कि इतनी छोटी लड़की इतनी दूर चल सकती है।

एक बार वह एक बड़े से जंगल से गुजर रही थी कि उसको बहुत थकान लगी। वह वहीं घास पर बैठ गयी और सो गयी। उसने सपने में देखा कि वह जंगल में बहुत दूर तक चली गयी है। वहाँ उसने लकड़ी का एक मकान देखा और उसमें देखे अपने भाई। बस तभी उसकी आँख खुल गयी।

आँख खुलने पर उसने देखा कि घास में से हो कर एक बहुत ही कटा फटा रास्ता जंगल की तरफ चला जा रहा है। सपने को याद करके वह उसी रास्ते पर चल दी। काफी दूर चलने पर वह वैसे ही लकड़ी के मकान तक आ पहुँची जैसा उसने सपने में देखा था।

वह उस घर के अन्दर घुस गयी पर वहाँ तो कोई था नहीं। हाँ वहाँ 12 पलंग बिछे थे, 12 कुरसियाँ थीं, 12 चम्मचें थीं। यानी हर चीज़ दर्जन में थी।

यह देख कर वह बहुत खुश हुई। इतनी खुश तो वह पहले कभी नहीं हुई थी। उसको यकीन हो गया कि यही वह जगह थी जहाँ उसके भाई थे और वे पलंग, कुरसियाँ और चम्मच भी उन्हीं के थे।

वहाँ पहुँच कर उसने आग जलायी, सब बिस्तर ठीक किये, शाम का खाना तैयार किया और जितना साफ वह कर सकती थी उस घर को उतना साफ किया।

खाना बनाने के बाद उसने अपना खाना खाया और अपने सबसे छोटे भाई के पलंग के नीचे जा कर सो गयी। पर खाना खाते समय वह अपनी चम्मच वहीं मेज पर भूल गयी।

वह अभी लेटी ही थी कि उसने हवा में पंख फड़फड़ाने की आवाज सुनी। उसने देखा कि 12 बतख उसी घर की तरफ उड़े चले आ रहे हैं। जैसे ही वे अन्दर घुसे वे राजकुमार बन गये।

घुसते ही उनके मुँह से निकला — “अरे यहाँ तो बड़ा गरम हो रहा है। भगवान उसका भला करे जिसने हमारे लिये यह घर गरम करके रखा है। और जिसने हमारे लिये यह खाना बनाया है। ”

कह कर वे अपनी अपनी चाँदी की चम्मच से खाना खाने के लिये मेज पर बैठे। सबने अपनी अपनी चम्मच उठा ली पर फिर भी वहाँ एक चम्मच रखी रह गयी।

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पर वह चम्मच उनकी चम्मच से इतनी मिलती थी कि उनमें से यह कोई नहीं बता सका कि वह चम्मच वहाँ किसकी रह गयी थी।

फिर वे बोले — “अरे यह तो हमारी बहिन की चम्मच है। पर अगर यह उसकी चम्मच है तो वह भी यहाँ से कहीं बहुत दूर नहीं होगी। ”

सबसे बड़ा भाई बोला — “अगर यह उसकी चम्मच है तो वह यहीं है। उसको तो हमें मार देना चाहिये। क्योंकि वही हमारी सब मुसीबतों की जड़ है। ” यह सब उस लड़की ने पलंग के नीचे लेटे लेटे सुना।

पर सबसे छोटा भाई बोला — “यह तो हमारे लिये बड़े शरम की बात होगी अगर हम उसको इस छोटी सी बात पर मार देंगे। क्योंकि इसमें उसकी कोई गलती नहीं है। अगर किसी की गलती है तो वह हमारी अपनी माँ की गलती है। ”

उसके बड़े भाइयों की भी यह बात समझ में आ गयी सो फिर उन्होंने उसको ढूँढना शुरू किया। उन्होंने इधर देखा उधर देखा। फिर उन्होंने उसको पलंगों के नीचे देखना शुरू किया तो वह उनको सबसे छोटे भाई के पलंग के नीचे लेटी मिली।

उन्होंने उसको वहाँ से खींच लिया। उसका सबसे बड़ा भाई अभी भी उसको मारना चाहता था पर राजकुमारी ने उससे अपनी ज़िन्दगी की भीख माँगी और प्रार्थना की कि वह उसको छोड़ दे।

वह बोली — “ओ मेरे अच्छे भाइयो, मेहरबानी करके मुझे मत मारो। मैं तो तुम लोगों को तीन साल से ढूँढ रही हूँ, और अगर मैं तुम लोगों को इस ज़िन्दगी से अपनी जान दे कर भी आजाद कर पाऊँ तो मैं अपनी जान भी देने को तैयार हूँ। ”

यह सुन कर उसके भाई बोले — “ठीक है। अगर तुम हमको इस ज़िन्दगी से छुटकारा दिला पाओ तो हम तुम्हारी ज़िन्दगी बख्शते हैं। क्योंकि अगर तुम चाहो तो तुम ही हमको इस ज़िन्दगी से छुटकारा दिला सकती हो। ”

राजकुमारी बोली — “बस तुम मुझे यह बता दो कि यह सब कैसे होगा। मैं उसे कर दूँगी वह काम चाहे कुछ भी हो। ”

फिर उसके भाइयों ने उसको बताया — “हम अपनी इस ज़िन्दगी से तभी आजाद हो सकते हैं जब तुम थिसिल[6] के फूलों के बालों को चुनो, उन्हें कातो और उसका धागा बनाओ।

फिर उस धागे से कपड़ा बुन कर हमारे लिये 12 कोट, 12 कमीज और 12 मफलर बनाओ।

और जब तुम यह कर रही हो तो न बात करो, ना रोओ और ना हँसो। अगर तुम ऐसा कर सकती हो तभी हम अपनी इस ज़िन्दगी से आजाद हो सकते हैं। ”

राजकुमारी बोली — “पर इतने सारे थिसिल के फूल मैं लाऊँगी कहाँ से जिनसे मैं इतने सारे कोट, कमीज और मफलर बना सकूँँ। ”

राजकुमार बोले — “वह हम तुमको बताते हैं। ”

कह कर वे उसको एक बहुत बड़े मैदान में ले गये जहाँ थिसिल की खेती हो रही थी और वहाँ लाखों की तादाद में थिसिल के फूल हवा में ऊपर नीचे हिल रहे थे। उनके बाल धूप में चमकते हुए हवा में इधर उधर उड़ रहे थे।

राजकुमारी ने इतने सारे थिसिल के फूलों के बाल अपनी ज़िन्दगी में पहले कभी नहीं देखे थे। वह तुरन्त ही उनको जितनी जल्दी हो सकता था समेटने में लग गयी। जब वह रात को घर लौटी तो उन फूलों के बालों को साफ करने और कातने के लिये बैठ गयी।

वह ऐसा बहुत दिनों तक करती रही और साथ में राजकुमारों के घर की देखभाल, जैसे उनका खाना बनाना, बिस्तर ठीक करना, घर साफ करना आदि भी करती रही।

उसके भाई दिन में बतख बन कर उड़ जाते पर हर रात को आदमी बन कर घर लौट आते। अगले दिन फिर वे बतख बन कर उड़ जाते और फिर सारा दिन बतख ही बने रहते।

फिर एक दिन ऐसा हुआ कि जब वह उस खेत पर से आखिरी बार थिसिल के फूलों के बाल इकठ्ठा कर रही थी तो उस देश का नौजवान राजा शिकार के लिये निकला हुआ था।

शिकार खेलते खेलते वह उसी खेत की तरफ आ निकला। उसने राजकुमारी को देखा तो उसको वहाँ देख कर वह रुक गया और सोचने लगा कि यह इतनी सुन्दर लड़की इस खेत पर थिसिल के फूलों के बाल इकट्ठा करके क्या कर रही है।

उसने लड़की से उसका नाम पूछा पर उसको तो बोलना नहीं था सो उसने कोई जवाब नहीं दिया। यह देख कर उसको और भी ज़्यादा आश्चर्य हुआ।

अब वह उसको इतनी अच्छी लगने लगी थी कि उसके पास उसको घर ले जाने और उससे शादी करने के अलावा और कोई चारा नहीं रह गया था।

बस उसने अपने नौकरों को हुकुम दिया कि वे उसको उठा कर उसके घोड़े पर बिठा दें।

राजकुमारी ने अपने हाथों से उसको इशारा किया और उसको अपना थैला दिखाया जिसमें उसका काम रखा था तो राजा को लगा कि वह अपना थैला अपने साथ ले जाना चाहती थी तो उसने अपने नौकरों को उसका थैला भी साथ लाने के लिये कहा।

जब उन्होंने यह सब कर लिया तब राजकुमारी को धीरे धीरे होश आया क्योंकि राजा एक अक्लमन्द आदमी भी था और सुन्दर भी। इसके अलावा वह उसके साथ एक डाक्टर की तरह से बड़ी नरमी और दया का बरताव कर रहा था।

राजा उसको ले कर अपने महल में पहुँचा। घर में राजा की सौतेली माँ थी। उसने उस लड़की को देखा तो वह तो उसको देख कर बहुत जलने लगी क्योंकि राजकुमारी बहुत सुन्दर थी।

उसने राजा से कहा — “क्या तुमको दिखायी नहीं देता कि जिस लड़की को तुम घर ले कर आये हो और जिससे तुम शादी करना चाहते हो वह न बोल सकती है, न हँस सकती है और न ही रो सकती है। ”

पर राजा ने अपनी माँ की एक न सुनी और उससे शादी कर ली। वे खुशी खुशी रहने लगे। पर वह लड़की अपने भाइयों के लिये कमीज, कोट और मफलर बनाना नहीं भूली।

एक साल बाद राजकुमारी ने एक बेटे को जन्म दिया। तब तो राजा की सौतेली माँ को और ज़्यादा गुस्सा आया और वह उससे और भी ज़्यादा जलने लगी।

एक रात जब राजकुमारी सो रही थी तो राजा की माँ उसके कमरे में घुसी और उसके बेटे को चुरा लिया और साँपों से भरे एक गड्ढे में डाल दिया।

फिर उसने उस लड़की की छोटी उँगली काटी और उसका खून उसी के मुँह पर लगा दिया। फिर उसने अपने बेटे को बुला कर उसको यह दिखा कर उससे कहा — “देखो तुम कैसी लड़की ले कर आये हो जो अपने बच्चे को खुद ही मार कर खुद ही खा गयी है। ”

राजा को यह देख कर बहुत बुरा लगा और वह यह सब देख कर बहुत ही आश्चर्य में पड़ गया कि ऐसा कैसे हो सकता था।

पर राजा ने सोचा — “यह सब सच हो सकता है क्योंकि यह तो मैं अपनी आँखों से ही देख रहा हूँ। पर वह अगली बार ऐसा नहीं करेगी सो अबकी बार मैं उसको छोड़ देता हूँ। ”

राजकुमारी अपने बचाव में न तो कुछ बोल ही सकी और न अपने बच्चे की मौत पर रो ही सकी।

एक साल बाद राजकुमारी ने एक और बेटे को जन्म दिया। राजा की सौतेली माँ राजकुमारी से और ज़्यादा गुस्सा हो गयी और और भी ज़्यादा जलने लगी। उसने उस बच्चे के साथ भी ऐसा ही किया जैसा उसने उसके पहले बच्चे के साथ किया था।

एक रात जब राजकुमारी सो रही थी तो राजा की माँ उसके कमरे में घुसी और उसके इस बेटे को भी उसने चुरा लिया और साँपों से भरे एक गड्ढे में डाल दिया।

उसने फिर उस लड़की की छोटी उँगली काटी और उसका खून उसी के मुँह पर लगा दिया। फिर अपने बेटे को बुला कर उसको यह दिखा कर उससे कहा — “देखो तुम कैसी लड़की ले कर आये हो कि वह अपने बच्चे को खुद ही मार कर खुद ही खा गयी है। ”

राजा को यह देख कर फिर बहुत बुरा लगा और वह यह सब देख कर फिर से बहुत आश्चर्य में पड़ गया।

पर राजा ने फिर सोचा — “यह सब सच हो सकता है क्योंकि यह तो मैं अपनी आँखों से ही देख रहा हूँ। पर मुझे यकीन है कि वह अगली बार ऐसा नहीं करेगी सो अबकी बार मैं उसे फिर से छोड़ देता हूँ। ”

इस बार भी राजकुमारी अपने बचाव में न तो कुछ बोल ही सकी और न अपने बच्चे की मौत पर रो ही सकी।

अगले साल राजकुमारी ने एक बेटी को जन्म दिया। रानी ने पिछली बार की तरह से उसको भी साँपों से भरे गड्ढे में फिंकवा दिया और राजकुमारी के मुँह पर खून लगा कर राजा को यह दिखा दिया कि उसने अपना बच्चा खुद ही मार कर खुद ही खा लिया है।

वह फिर राजा से बोली — “अब तुमने देखा कि मैं ठीक कह रही थी कि वह जादूगरनी है। उसने अपना तीसरा बच्चा भी खा लिया है। ”

अबकी बार राजा बहुत दुखी हुआ और इतना दुखी हुआ कि इस बार वह उसको माफ नहीं कर सका और उसने उसको लकड़ी के ढेर पर जलाने का हुकुम दे दिया।

पर जैसे ही वे लकड़ियाँ तेज़ी से जलने लगीं और राजा के नौकर उसको उस आग के ऊपर रखने लगे तो उसने इशारों से उनसे कहा कि वे 12 तख्ते आग के चारों तरफ लगा दें।

उन तख्तों पर उसने अपने भाइयों के लिये बनाये हुए वे थिसिल के फूलों के बालों के 12 कोट, 12 कमीजें और 12 मफलर फैला दिये।

उसके सबसे छोटे भाई की कमीज में बाँयी बाँह तब तक नहीं लग पायी थी क्योंकि उसको लगाने का उसके पास समय ही नहीं था।

जैसे ही नौकरों ने वे कपड़े उन तख्तों पर फैलाये तो उसने हवा में पंखों के फड़फड़ाने की आवाज सुनी और 12 बतख नीचे उतरते देखे। उन्होंने अपनी चोंच में अपने अपने कपड़े उठाये और फिर आसमान में उड़ गये।

रानी फिर बोली — “अब देखा न तुमने? क्या मैं सच नहीं कह रही थी कि यह एक जादूगरनी है? जल्दी करो। इससे पहले कि आग ठंडी पड़ जाये इसको आग में फेंक दो। ”

राजा बोला — “तुम चिन्ता न करो माँ, हमारे पास बहुत सारी लकड़ी है। मैं अभी थोड़ा सा इन्तजार और करता हूँ क्योंकि मैं यह जानना चाहता हूँ कि इसका अन्त क्या होगा। ”

जैसे ही उसने यह कहा तो उसने देखा कि 12 सुन्दर राजकुमार घोड़ों पर सवार उन्हीं लोगों की तरफ चले आ रहे हैं। पर उनमें से एक राजकुमार की बाँयी बाँह की तरफ बजाय उसकी बाँह के बतख का एक पंख लगा हुआ है।

राजकुमारों ने आते ही पूछा — “यह सब यहाँ क्या हो रहा है?”

राजा बोला — “मेरी रानी को जलाया जा रहा है क्योंकि यह एक जादूगरनी है। क्योंकि इसने अपने ही बच्चे खा लिये हैं। ”

राजकुमार बोले — “इसने उनको बिल्कुल नहीं खाया है। ”

फिर उन्होंने अपनी बहिन से कहा — “बहिन बोलो। अब तुम बोल सकती हो। तुमने हमें उस ज़िन्दगी से आजाद कर दिया है और हमें बचा लिया है। अब तुम अपने आपको बचाओ। ”

तब उसने अपने पति को शुरू से ले कर आखीर तक सारी कहानी बतायी कि किस तरह से जब भी उसने किसी बच्चे को जन्म दिया तो रानी उसके कमरे में रात को चुपके से घुस आयी और उसका बच्चा चुरा कर ले गयी।

फिर किस तरह उसने उसकी छोटी उँगली काटी और उसका खून उसके मुँह पर लगा गयी।

इसके बाद बारहों राजकुमार राजा को उस साँपों भरे गड्ढे के पास ले गये जहाँ राजा की सौतेली माँ ने उनकी बहिन के बच्चों को फेंका था। वहाँ जा कर राजा ने देखा कि उसके तीनों बच्चे वहाँ साँपों और मेंढकों से खेल रहे थे।

उसकी कहानी सुन कर राजा को अपनी माँ पर बहुत गुस्सा आया। उसने अपने तीनों बच्चों को तुरन्त ही वहाँ से उठाया और उनको अपनी सौतेली माँ के पास ले कर गया

वहाँ जा कर उसने अपनी माँ से पूछा — “माँ, आप उस औरत को क्या सजा देंगी जिसके पास एक बेगुनाह रानी को इस तरह धोखा देने वाला दिल हो जिसके इतने प्यारे भोले से तीन बच्चे हों?”

रानी बोली — “उसको तो 12 खुले घोड़ों के सामने खम्भे से बाँध देना चाहिये ताकि वे सब उसको खा जायें। ”

राजा बोला — “अफसोस आपने तो अपनी सजा अपने आप ही सुना दी है और आपको यह सजा अब तुरन्त ही मिलेगी। ”

रानी को 12 घोड़ों के बीच एक खम्भे से कस कर बाँध दिया गया और वे घोड़े उसको खा गये। उधर राजा अपनी पत्नी और बच्चों को अपने घर ले गया।

बारहों राजकुमार अपने माता पिता के पास चले गये वहाँ जा कर उन्होंने अपनी कहानी उनको सुनायी तो उनके माता पिता बहुत खुश हुए।

सारे राज्य में बहुत खुशियाँ मनायीं गयीं क्योंकि राजकुमारी ने अपने भाइयों को बचा लिया था और राजकुमारों ने अपनी बहिन को बचा लिया था।

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[1] 12 Wild Ducks – a fairytale from Norway, Europe. Taken from the Web Site :

http://www.surlalunefairytales.com/sixswans/stories/twelvewilducks.html

Collected by Christen Asbornson and Jorgen Moe in their “Norske Folkeeventyr” (Popular Tales from the Norse).

Translated by George Webbe Dasent. “East o’ the Sun and the West o’ the Moon”. NY, Dover, 1970.

[It is like “Six Swans” story. Read this and like this other stories in the Book “Chhah Hans Jaisi Kahaniyan” written by Sushma Gupta in Hindi language.]

[2] Sleigh – a kind of light vehicle on runners, usually open and generally horse-drawn or very big dogs-drawn used especially for transporting persons over snow or ice – see the picture above

[3] Baptization is a religious ceremony for Christians by which they make their children Christian.

[4] Snow-white and Rosy-red

[5] Translated for “Silversmith”

[6] Thistle is a flowering plant whose flower has lots of hair – see the picture above

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से सैकड़ों लोककथाओं के पठन-पाठन का आनंद आप यहाँ रचनाकार के  लोककथा खंड में जाकर उठा सकते हैं.

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: मनोरंजक लोक कथाएँ - 10 - बारह जंगली बतखें - नौर्स देशों की लोक कथाएँ-2// सुषमा गुप्ता
मनोरंजक लोक कथाएँ - 10 - बारह जंगली बतखें - नौर्स देशों की लोक कथाएँ-2// सुषमा गुप्ता
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