1 खूबसूरत दिन बितायेगा कौन, तुम बिन यूं सतायेगा कौन! हरदम करती हो जिद मुझसे, यूं अपनी बात मनवायेगा कौन! रूठ जाना फिर मान जाना...
1
खूबसूरत दिन बितायेगा कौन,
तुम बिन यूं सतायेगा कौन!
हरदम करती हो जिद मुझसे,
यूं अपनी बात मनवायेगा कौन!
रूठ जाना फिर मान जाना,
ऐसा नखरा दिखायेगा कौन!
यूं तो सब कहते है मैं हूं ना,
पर साथ हमेशा निभायेगा कौन!
पल में बदल जाते है मन सबके,
हरदम स्थिर होकर दिखायेगा कौन!
कर लो फैसला जो करना हो,
इतनी सहानुभूति दिखायेगा कौन!
याद करोगी बिछड़कर मुझको खूब,
मुझ जैसा खास बन पायेगा कौन!
"ललित" तो जी लेगा तन्हा भी,
मगर तुमको सुला पायेगा कौन!!!
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ता उम्र हिफाजत करेगा कौन,
इतना प्यार तुमसे करेगा कौन!
फक़त बात ही करता है कोई,
तो मुझ सा उससे जलेगा कौन!
हर तरफ बस धुन्ध ही धुन्ध है,
ऐसे में मौसम साफ करेगा कौन!
बात बात पर रूठ जाते हो तुम,
इस तरह आखिर मनायेगा कौन!
मौत तो आनी ही है एक दिन,
फिर मौत से पहले मारेगा कौन!
'ललित' बात हो जहां अपनों की,
वहां फिर उनसे यूं लड़ेगा कौन?
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अपना जब कभी हिसाब होगा,
क्या शरीफ हो तुम?
जुबां पर बस सवाल यही होगा,
क्या नहीं किया तुम्हें हँसाने को,
ना जाने कब नसीब प्यार तेरा होगा!
हो गयी है काफी दूरी बीच में,
करीब आने का क्या जेहन में सवाल फिर होगा,
कोशिश तो पूरी जारी अभी भी,
मालूम है तुम्हें मुझसे प्यार जरूर होगा,
मिलेगे किसी दिन,तुझे भी इंतजार जरूर होगा!
बन्दिशें हैं बहुत जमाने की मालूम मुझे,
मगर एक जैसा हर इंसान नहीं होगा,
तुम कहो अगर रोका है घरवालों ने मुझको,
तो ऐसी बात मुझे विश्वास नहीं होगा,
दावा है तेरे घर 'ललित' का बखान जरूर होगा!
4
जिन्दगी क्यूं नहीं खास होती है,
हरदम सबसे यही बात होती है!
रोज मिलती है नयी परेशानियाँ,
सुख से नहीं कभी रात होती है!
ख्वाहिशें तो कई होती है सबकी,
मगर पूरी तो एक आध होती है!
इसी चाहत में जी रहे है जीवन,
नहीं किसी से अब बात होती है!
मशवरा क्या देगा कोई हमको,
नहीं दोस्ती भी अब खास होती है!
"ललित" मर ही जाना है सबको,
फिर क्यूं आपस में तकरार होती है!
5
कौन किसके हक में ब्यान होता है,
पैसे से ही हर जगह काम होता है!
अगर काम ना पड़े दोबारा उनको,
तो अगली सुबह नहीं सलाम होता है!
यूं तो अक्सर साथ आते जाते है लोग,
मुसीबत में कहा कोई साथ होता है!
हर बार हम ही हट जाते है जिद से,
उन्हें तो हमेशा खुद पर गुमां होता है!
कब तक मानते रहे हम बात उनकी,
हमको अब बहुत ही नुकसान होता है!
पल दो पल की जिन्दगानी है 'ललित'
फिर क्यूं आपस में मनमुटाव होता है!
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अगर गलती निकालो तो सुधार कराओ,
जीवन में किसी को ना उधार दिलाओ!!
फायदा उठाते हैं यहां सब मजबूरी का,
तुम तो सबसे इंसानियत दिखा जाओ!
रूतबा अलग होता हैं सबका यहां पर,
तुम भी अपने रूतबे को सलाम कराओ!
लिख लिख कर भर दी होगी डायरियां,
अब तो उनको सबके सामने ले आओ!
माना कठिन है डगर बहुत यहां पर,
मगर तुम कांटों से भी निकल आओ!
मरने की जल्दी ना करना 'ललित' तुम,
क्या पता दो चार साल और जी जाओ!
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बार बार यही बात करनी है,
वतन पर जान कुर्बान करनी है!
मरना तो है ही सबको एक दिन
कुछ अपनी पहचान करनी है!
दिन गुजरे बेहतर या ना गुजरे,
बस बाहर हरदम मुस्कान करनी है!
जरूरी नहीं कि सैनिक बने हम
एक नागरिक होकर परवाह करनी है!
'ललित' हम एक ही है आपस में,
ऐसी कुछ सबकी परवाह करनी है!
8
बात सुनो
तुम हरदम सताया करती हो
कहर दिल पर ढाया करती हो
मुझे देखकर
मेरे तौर तरीके दोहराया करती हो
मालूम हैं तुमसे मुहब्बत है हमको
लेकिन ये सबको जताया करती हो!
है सब्र कितना,
तुम अब तक ना जान सकी
सूरत वालों की करतूतें ना पहचान सकी
एक मैसेज के जवाब में तेरी
चल निकल पता हैं मेरे को
आवाज मेरे कानों तक सुनायी पड़ी!
नब्ज मेरी
है तुमसे ही अब तक भी ना जान सकी
अब बन जाओ अंजान
कह दो तुम्हारे प्यार को ना जान सकी
बिगडे़गा क्या तुम्हारा अब तो
"ललित" की तो सूली पर जान टंगी!
9
मातृभाषा हिन्दी हमसे कर रही है ये सवाल
समझ नहीं आती क्यूं सबको हिन्दी में बात
यू बदली है युवा पीढी अलग है उनकी बात
इंगलिश में करते हैं हर वक्त आपस में बात
फ्रिक नहीं है उनको कि हिन्दी का क्या हाल
हो रहा है पतन इसका और सब है खुशहाल!
मातृभाषा हिन्दी..............
दर्जा दिया है राष्ट्रभाषा का हिन्दी को सबने
पर दिया नहीं फिर तब से इसपर कभी ध्यान
अगर ना उठाये कदम तो नतीजा बुरा ही होगा
नव पीढी का बच्चा हिन्दी से अंजान ही होगा!
मातृभाषा हिन्दी..............
थे विवेकानंद जिन्होंने संसार को ये बताया
भाईयों और बहनों कहकर सबको था हर्षाया
भारतेन्दु ने भी हिन्दी को ही था श्रेष्ठ बताया
राज काज कामों में इसको अनिवार्य बताया!
मातृभाषा हिन्दी...............
10
हार के बाद हमेशा जीत तय है,
सफलता का मिलना श्रेय तय है!
जब करोगे इतनी अय्याशियां,
तो नाम बदनाम होना भी तय है!
जी लो जीवन को अपनी मर्जी से
क्यूंकि तुम्हारा भी तो मरना तय है!
अगर कर रहे हो प्यार तुम किसी से
तो फिर दिल का टूटना भी तय है!
अगर कुछ भी है खासियत तुममें
तो हर जगह पर काम मिलना तय है!
छोड़ तो दोगी तुम साथ "ललित" का
फिर तुम्हारा भी दिनरात रोना तय है!
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ललित प्रताप सिंह
ग्राम _ बसंतपुर,पोस्ट_ हसनापुर
जिला__रायबरेली
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