1.समय समय बहुत बलवान और मूल्यवान इसे समझने वाले बनते सफल इंसान समय को समझना आसान है भी और है बहुत ही दुरूह कार्य भी खुद समय...
1.समय
समय बहुत बलवान और मूल्यवान
इसे समझने वाले बनते सफल इंसान
समय को समझना आसान है भी
और है बहुत ही दुरूह कार्य भी
खुद समय के चाल को समझने की
कोशिश करते हैं जो होते विवेकी
जो इंसान समय की चाल समझ न पाए
मेरा अनुभव है वह शख्स सत्संग में जाए
सुनें, समझें और संतों से प्रश्न करे निर्भय
निश्चय ही मिलेगा उत्तर और होगा अभय
समय के भीतर ईश्वर ने छुपाए हैं अनमोल
अनेक प्रकार के खजाने, जो पाए खोल
जो समय का करें सम्मान और सदुपयोग
बनेगा सफल वह और हटेगा दुर्योग
बहाना बनाकर न करो समय का अपमान
समय ही बनाएगा तुम्हें सफल इंसान
करो सदा नेक काम बिना कोई कारण
ईश्वर की कृपा से सफलता करेगा वरण
मानो मेरा कहना सफल इंसान बनोगे
सुख, शांति और संतुष्टि के प्रतीक बनोगे
जो देते समय को धोखा समय भी उनको
देता है धोखा, कभी बहकावे में न बहको।
समय से कोई बलवान नहीं संसार में
समय एक बार ही रहता है हाथ में
सदुपयोग करो सदा सच्चे मन से
बिताओ सारा जीवन सदा महक से।
समय ने बनाया रावण और विभीषण
समय ने बनाया श्री राम और लक्ष्मण
समय ने किया सीता हरण
समय ने किया रावण मरण।
2. अनुमान
जब कोई काम छिपकर करने का आए अवसर
तब समझ लेना वहां होता है खतरा अक्सर
कर लेना मन में अनुमान और
वहां से हो जाना रफूचक्कर
जब कोई समय से पहले कोई काम करने
को कहे ,तो बात है जरूरत उससे बचने
समय से पहले कोई काम ठीक नहीं
गड़बड़ हो जाता है हर कहीं
जहां भी कुछ लगे शंका, करना वहां अनुमान
जो करता है विचार उसके साथ ही भगवान
ख़तरनाक लोग हैं हर तरफ,मानो मेरा कहना
किसी भी पल हो सकता है उनसे सामना
बुद्धि,शक्ति से खुद को बनाओ बलवान
बलवान को ही सहायता देते हैं इंसान
खतरे से पहले अनुमान करना
तो नहीं पड़ेगा बहुत पछताना।
अनुमान है बड़ा अच्छा हथियार
सदा ही रहना होशियार
दूसरों के अनुभवों से सीखो
कदम बढ़ाने से पहले देखो।
जब आये कोई भी परेशानी
अनुमान को बनाओ रोशनी
मेरा ये अनुभव पुराना है
आपके काम का है।
3.विश्वास
किसी पर न करना ज्यादा विश्वास
पर खुद मैं रखना जरूर विश्वास
ज्यादा विश्वास खतरे वाला होता है
जहां अंधविश्वास है वहां खतरा है
विश्वास करने से पहले परख लेना
पर अंधविश्वास कभी न करना
धीरे-धीरे विश्वास परखना
खुद को जल्दी न खोलना
किसी पर हो जाए भरोसा पूरी
तब भी रखना कुछ दूरी
न जाने कब बात बिगड़ेगा
दोस्त भी दुश्मन बनेगा
एक सबक मन में याद रखना
सच्चे दोस्त को धोखा न देना
पहले सच्चे दोस्त बनना
तब दूसरों से उम्मीद करना।
जो वचन दूसरों को देना
उस पर सदा टिके रहना
जो देते हैं दूसरों को दगा
वो जाते हैं खुद ठगा।
भगवान पर करना विश्वास
हैं सदा ही हमारे पास
जो जैसे काम करेगा
वैसा ही फल पाएगा।
विश्वास करना सदा मेहनत पर
विश्वास करना अपने गुरुओं पर
पर हर पल रहना सतर्क होकर
तब ख़ुश रहोगे जीवन भर।
4.आज के गांव
कहते हैं गांवों के लोग होते है बहुत सीधे-साधे
अगर आप भी ऐसा मानते हैं तो जानते हैं आधे
आज के गांव वाले अधिकतर हैं चालू
उनसे ठगा जाएंगे लोमड़ी और भालू
समय बदल गया है
गांव माडर्न हो गया है
बाप अब भी बास है
परंपरा बहुत हावी है
गांव के लोग अब भी अपनी बेटी को
भेजने की बात करते हैं पराए घर को
पढ़ाई-लिखाई में ध्यान कम देते
लड़के के सामने कमजोर मानते
एक सच लिख रहा हूं कुछ हिम्मत से
बाप के सामने बेटे चुप रहते हैं डर से
गांव में अब भी रिवाज है
बाप घर का न्यायाधीश है
विश्वास न हो तो आकर सब पता कर लो
छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सैर कर लो
मेरा लिखा गलत नहीं है
कमजोर का न्याय नहीं है
बच्चे अधिकार के लिए मांग नहीं कर सकते
क्योंकि की बच्चों की बातें सयाने नहीं मानते
गांव में नियम है कि शादी होने तक
बाप के पक्ष में न्याय देते हैं अभी तक
मैं चाहता हूं कि अब बदलाव चाहिए
बच्चों को अधिकार मिलनी चाहिेए
कमजोरों को रखते हैं गुलामों जैसे
बताएं गांव के लोग सीधे-साधे कैसे
गांव कभी शांत और खुशहाल था
सच्चे और अच्छे लोगों का समूह था
अब गांव कुछ और हो गया
आधुनिक व सभ्य हो गया
टीबी,कमप्यूटर आदि जब से आया
तब से गांव में अक्सर सन्नाटा छाया
बच्चों के हाथों में मोबाईल
भूल रहे अब बच्चे स्माईल
परिवार बिखरना अब आम हो गया
मेरे गांव को क्या नया रोग लग गया
धर्म कर्म अब दिखावा हो गया
आदमी अंदर से पत्थर हो गया
शराबियों को देख ऐसा लगा
सबेरे ही माहौल शाम का गया
शातिरों का अब गुंडा राज हो गया
खासियत गांव का खत्म हो गया
पहले जैसे गांव अब शांत नहीं
शायद आप को पता भी नहीं
कर्तव्य से अब मतलब नहीं
अधिकार की चर्चा हर कहीं
पहाड़ का झरना सुख रहा है
गन्ने का रस मिलना कठिन है
जवानी में ही कमर में दर्द है
डिब्बाबंद माल हर हाथ में है
अब दिखावा है भाई चारा
ईमानदार हो गया बेचारा।
5. वर्षा
पहले जैसी वर्षा नहीं
सुना -सुना हर कहीं
ये खतरे की शुरूआत अब लगती है
अब न चेते हम तो कितनी गलती है
खतरा सामने आ गया है
हमें पता नहीं क्या हो गया है
कितने तैयार हैं हम पता नहीं
बेतुकी हरकतें ही हर कहीं
लगायें जल्दी पेड़ पौधे आस- पास
जो फलों से बुझाएं भूख व प्यास
तब हम बच सकते हैं
धरती को बचा सकते हैं
मैं तो पेड़ लगाया हूं
आप कब लगा रहे हैं
बहुत लोग सोए हुए हैं
क्या आप जाग रहे हैं?
जागो जल्दी जग के जन
पेड़ लगाओ दे तन मन
पर्यावरण है सबसे बड़ा धन
तब बचेगा धरती में जीवन
वर्षा को बुलाना है तो पेड़ -पौधे लगाना
वर्षा नहीं हुआ तो पड़ेगा बहुत पछताना
नहीं तो समुद्र भी सुख जाएगा
तब बताओ इंसान कैसे बचेगा
वर्षा ही धरती का अमृत है
पेड़ लगाएं तो अभी समय है
जल से ही जीव जगत जन्मा है
वर्षा हमें बचाता है और मारता भी है।
6.प्रार्थना
बता रहा हूं प्रार्थना की अलौकिक शक्ति
कभी भी अनुभव कर सकता है व्यक्ति
जब जीवन में जब आई बड़ी परेशानी
प्रार्थना की शक्ति से दूर हुई परेशानी
अनुभव अनेक बार हुआ है मेरे जीवन में
वह हुआ जो न सोचा था कभी सपने में
पेट के रोग से परेशान था
हर तरफ से निराश था
प्रार्थना से राह मिला था तब
त्रिफला चूर्ण बनाया जब
पेट के रोग से यदि है बचना
सदा शुद्ध सात्विक भोजन लेना
खुद को दूर रखना मिलावट खाद्य से
बचके रहना हर प्रकार के नशे से
बचपन से अच्छी आदत डालना
बुरी संगत में कभी न रहना
स्वास्थ्य पत्रिकाएं सदा पढ़ना
उचित दिनचर्या का पालन करना
भगवान ही तब मेरे एक मात्र आस थे
घर वाले केवल स्वार्थ के साथी बने थे
इंसान के जब बुरे दिन आते हैं
अपने लोग भी दुश्मन बनते हैं
सुख के साथी सब बन जाते हैं
दुख में वही तिरस्कार करते हैं
प्रार्थना की शक्ति से एक रिश्तेदार आए
एक आयुर्वेद पुस्तक के विषय में बताए
उसे पढ़ बनाया त्रिफला चूर्ण
खाकर तब आराम पाया पूर्ण
घर के पास ही है प्राकृतिक जंगल
मुफ्त में मिले मुझे त्रिफला के फल
कुछ भी नहीं हुआ खर्चा मेरा
तब था फैला चर्चा गांव सारा
आंवला,हर्रा व बहेड़ा सबको सुखाया
निकाल गुठली, समान वजन में मिलाया
चूर्ण बनाकर सुरक्षित एक डिब्बे भर दिया
दो -दो चम्मच गुनगुने पानी से दो बार लिया
पेट का रोग हो गया दूर बस कुछ ही दिनों में
अगले साल फिर हुआ, ठीक हुआ त्रिफला में
जीभ पर निकलते दाने होता बहुत जलन
भूख मर गया था घटने लगा था मेरा वजन
आयुर्वेद है अमृत समान इसे अपनाएं
छोटी-मोटी दवाएं सदा घर में बनाएं
अपने ऋषियों का ज्ञान अपनाएं
उनके अनुभव का लाभ उठाएं
कहानी नहीं यह सच है ऐसा ही हुआ
प्रार्थना की शक्ति का अनुभव मुझे हुआ
सच लिखा हूं आप मानो न मानो
प्रार्थना में शक्ति है प्रमाण जानो
सबसे जरूरी है अच्छे कर्म करना
साथ में प्रार्थना भी अवश्य करना
लोग कहते हैं यह प्रार्थना का फल नहीं है
तुम्हारे जीवन के एक संयोग का फल है
यह ईश्वर का न्याय है या मेरी प्रार्थना
सच लिखा रहा हूं ,मुझे माफ कर देना
किसी के साथ अन्याय कभी न करना
ईश्वर हैं सबके साथ इतना याद रखना
यह चमत्कारी सत्य अनुभव है मेरे लिए
अब प्रार्थना करता हूं लोक मंगल के लिए
सब आज लिखना ठीक नहीं समझता हूं
प्रार्थना का फल मिलता है में मानता हूं
मित्रों किसी दुखी को सहायता करना
थोड़ा सहायता ही बहुत है याद रखना
जो देता है उसे अवश्य ही मिलता है
भगवान सब के कर्मों को जानता है
प्रार्थना के अनुभव हुए हैं और चमत्कारी
लिखूंगा वादा है--(मैं) अनिल कुमार देहरी।
7.विचार शक्ति और आकर्षण के नियम
विचार हैं संसार में बहुत महान
विचारों का सदा रखो ध्यान
विचार अवश्य करते हैं काम
कुछ दिनों में बनाते हैं गुलाम
विचार करो जरा सम्हल कर
वर्ना गुलाम बनोगे जीवन भर
विचारों का ही परिणाम है यह वर्तमान
जैसा विचार करोगे वैसा ही होगा विधान
मन में जैसा विचार होगा
ब्रह्माण्ड में वैसा सृजन होगा
विचार के साथ रहो हर्षित
तभी परिणाम होंगे आकर्षित
विचार का यदि देखना है असर
एक ही विचार करो अक्सर
विचार करो सोच समझकर
ब्रह्माण्ड पर होगा तुरंत असर
विचार हैं संसार में सार
ब्रह्माण्ड को करते हैं तैयार
नये तरीके अपनाओ वक्त के अनुसार
एक दिन अवश्य होंगे विचार साकार
कोई महाशक्ति है ब्रह्माण्ड में
इसे मानो सदा परम सत्य
वैज्ञानिकों ने पाया है
सबूत के अनेकों तथ्य
पिण्ड और ब्रह्माण्ड में नहीं है अंतर
जो ब्रह्माण्ड में है वही है पिण्ड के अंदर
विचार करते ही जुड़ता है तुरंत ब्रह्माण्ड से
प्रभावित होता है ब्रह्माण्ड मानव के विचार से
शुरूवात करें शून्य से
सहयोग मिलेगा ब्रह्माण्ड से
आपका एहसास ही
राह निकालेगा शून्य से
सीमित सोच ही देता है
सीमित सफलता
असीमित सोच बनाएं
तब मिलेगा असीमित सफलता
गिलास को आधा भरा देखो
आधा खाली नहीं
निराशा पाप है
कभी निराश होना नहीं
विचार फैलता है ब्रह्माण्ड में
तरंगों के माध्यम से
करो विचार सदा पूरे मन से
न रहे मतलब संसार से
धैर्य रखो विवेक से
साहस से सदा काम करो
ब्रह्माण्ड देगा सहयोग
मन से डर दूर करो
छोटी चीजों से विचार शक्ति का करो प्रयोग
आकर्षण के नियम का जीवन में करो उपयोग
ब्रह्माण्ड नहीं जानता क्या है उचित या अनुचित्त
वह तो उत्तर देता है जैसा विचारता है चित्त
विचार आकर्षित करता है समान विचारों को
प्रकट करता है विचार इच्छित घटनाओं को
अच्छे विचार से बढ़ता है मन का आत्मविश्वास
मन असीमित शक्ति है मन भगवान का निवास
ब्रह्माण्ड की अनंत उर्जा सब में होगी प्रकट
हर पल समझो अपने को ईश्वर के निकट
अंधेरे में दीया भी राह दिखा सकता है
सकारात्मक विचार जीवन संवार सकता है
विचारों के कारण ही हुए इतने आविष्कार
समझो विचारों को विचारों से होंगे चमत्कार
विचार जुड़ता है ब्रम्हाण्डीय ऊर्जा के साथ
अच्छे विचार करो सदा विश्वास के साथ।
8.इंसानियत
अक्सर मेरे मन में विचार आता है कि---
क्या होता होगा उन बच्चों का
जो यतीम होते हैं
घर तो दुनिया में
बहुत होते हैं
पर उनका कोई अपना
घर नहीं होता
अनुमान है कि वे महफूज घरों के
तलाश में होते हैं
मगर उन्हें महफूज घर
अक्सर नहीं मिलता
जिसे वे शरीफ समझते हैं,शायद?
वह शरीफ नहीं होता
आइए एक प्रयास हम भी करें
उनके मन में एक विश्वास पैदा करें
इस दुनिया में कोई एक कोना
अवश्य है,
जिसे देख लगे कि इंसानियत
अब भी कायम है।
9.ख्वाब
मीठे ख्वाब जीवन के सजाकर काले पंखों पर
छूना चाहूं सितारों को या उनसे ऊपर
उड़ना चाहूं दूर तक उनमुक्त गगन में
जहां से पृथ्वी तो दिखे मगर उस पर डरती जिंदगी नहीं
देखा है एक ख्वाब मन में
कि पंछी की तरह ऊपर उड़ू एक दिन
मुक्त होकर संघर्ष- चक्र से
शुद्ध ताजी आक्सीजन के साथ,साथ हों तो सिर्फ
अपने ख्वाब और न सुनाई दे
ये शोर लगातार मशीनी हुई जिंदगियों का
गुजरे हैं यों दिन और रात निहारते हुए ऊपर
और घिसते हुए उसी भंवर में
ख्वाबों को संभाले मन में
नजर फंसी हुई दुनिया के संघर्ष चक्र में
और पांव नित गतिमान इसी आशा में
कि मिलेगा वो एक लम्हा कभी जीवन में
जब पंछी की तरह उड़ूंगा और नीचे रह जाएगा
ये दर्द ये जख्म ये भ्रमित हुए करोड़ों चेहरे
यकीन अभी भी उतनी ही कमसिन है क्योंकि
सितारे अब भी उतने ही चमकीले हैं।
10.तुम
जब तुम्हारी याद आती है तो
जानती हो
सबसे ज्यादा क्या याद आता है?
--क्या कोयल को लजाती हुई तुम्हारी बोली?
--क्या गुलाब को फीका करता हुआ मुख?
--क्या चंदन-चंदन महकता बाहुपाश?
--क्या मेघों के बीच चमकती बिजली सी हंसी?
--क्या झील सी गहरी आंखें?
--क्या खजुराहो को शिल्प सिखाता हुआ कोई
महाप्रणय?
नहीं! नहीं
यह सब तो
मेरी कल्पना भर है।
मुझे याद आती है
बीते समय की वह संशय की घड़ी
जब यह आशा कभी-कभी टूट जाती थी कि-
इस संसार में
अब भी ऐसा प्रेम हो सकता है कि---
मिलन के बिना भी
प्रेम का कोई और रूप हो सकता है।
2.
केवल मृगमरि चींका नहीं तुम्हारी यादें
खुले मन की भुमि में
कांटों भरे यादों में
एक पुष्प की तरह ताजा है याद तुम्हारा
अब अधिक स्पष्ट दिखाई दे रहा है
यहां तक कि
धुंध में भी
अब ज्यादा स्वच्छ -सुन्दर दिखने लगा है
रात में तो
खुमारी सपने में चमक ही उठती है
यदि तुम भी यही सोचती हो
तो आओ कभी या आता हूं में
सारी सृष्टि को ले चलें अपने साथ
नफरत मिटा
नये विश्वास का नया
इश्क रचें
इसी दुनिया में
कि जीवन के बाद भी जाये
यह विश्वास के साथ
जैसे जाता है बसंत
नये -नये ......नये -नये रूपों में आने के लिए।
11.मंजिल
कौन कहता है कि मंजिल मिलता नहीं
लोग भरपूर मेहनत कभी करते नहीं
मंजिल पाने को क्यों तरशते हैं
कठिन मेहनत से क्यों बचते हैं
नदी की तरह चलते रहना
रूकावटों को पार करते रहना
मन में सदा उत्साह बनाए रखना
राह में मिले असफलताओं से सीखना
मंजिल के लिए पैशन जरूरी है
दूसरों की बातों में आना नहीं है
मंजिल के लिए लक्ष्य बनाओ
धीरे-धीरे पग आगे बढ़ाओ
कौन कहता है काम कठिन लगेगा
यदि मन पर विवेक का लगाम होगा
चिंता छोड़ो कर्म कुशलता से करो
हार जीत जो भी मिले प्यार करो
मेरा सच्चा अनुभव यही है
सफलता की चाबी आपके पास है
अपने बुद्धि का सदुपयोग करो
यही सबसे बड़ा गुरू है यकीन करो
सफलता का कोई बिशेष राज नहीं है
विवेक,मेहनत व धैर्य का परिणाम है
कौन क्या करता है ये नहीं देखना
सदा अपने लक्ष्य पर नजर रखना
गुणियों का संग है फायदे मंद
गुणी पाओगे हजारों में चंद।
12.असली प्राचीन महाइन्द्रजाल
जब मैं पढ़ता था कक्षा दसवीं में
उस समय था कुछ परेशानी में
मां बाप में होता था तकरार बहुत
मुझे घबराहट होती थी बहुत
घरवालों की बातें पिता नहीं मानते
कामचोरी भी करते और हमें डराते
सुना था इंन्द्रजाल में बहुत मंत्र होते हैं
साधना करने से देवी -देवता आते हैं
एक दिन बाजार में बहुत भीड़ था
मढ़यी मेला में एक पुस्तक वाला था
वहां गया देखा -असली प्राचीन इंन्द्रजाल
सोचा इसकी साधना से बनूंगा मालामाल
पुस्तक खरीद कर घर लाया, करने लगा साधना
सोच रहा था सिद्ध होकर, दिखाउंगा अब देखना
पागलपन का शिकार हुआ घर वाले हैरान
तब एक तांत्रिक बाबा ने बचाया मेरी जान
तांत्रिक बाबा के घर जब ले गये मेरे परिजन
ऐसी साधनाएं और न करने का लिया वचन
गांव के तांत्रिक ठीक न कर पाए
मेरे कारण घर वाले भी दुख पाए
अजीब हरकत करता था
बातें किसी से नहीं करता था
खान पान पर ध्यान नहीं था
नींद कभी आता नहीं था
खाने पीने की अजीब मांगें करता में जब
हरकत देख परेशान हुए थे घरवाले सब
बच्चे आप ऐसा जीवन में कभी न करना
मंत्र-तंत्र साधनाओं में मुश्किल है बचना
बड़ों से सलाह लेना, अच्छी पुस्तकें पढ़ना
कुछ करने से पहले विचार अवश्य करना
यह मेरे जीवन की है सत्य घटना
बहुत खतरनाक है ये तंत्र साधना
रहस्यमय है असली प्राचीन महाइन्द्रजाल
खेल समझने पर बन सकता है यह काल
ब्रह्माण्ड में हैं कुछ पारलौकिक शक्तियां
इनको साधने व पाने की हैं कुछ विधियां
बना है इन्हें समझने बाबत महाइन्द्रजाल
सहज में कभी नहीं होता कोई मालामाल
जब आए जीवन में कभी विकट समस्या कोई
तब अच्छे लोगों से सलाह लेना न डरना भाई।
अनिल कुमार देहरी
गांव -भोजपल्ली ,पो.-लोईंग,
जिला -रायगढ़,(छग)
anildehari2986@gmail.com
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