गाँधी, गुरुदेव और हिंदी // डॉ. रवीन्द्र अग्निहोत्री

SHARE:

गाँधी, गुरुदेव और हिंदी (डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री स्थायी पता : पी/138, एम आई जी, पल्लवपुरम-2, मेरठ 250 110 वर्तमान पता : 68 ,टैलबट रोड, माउं...

गाँधी, गुरुदेव और हिंदी

(डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री

स्थायी पता : पी/138, एम आई जी, पल्लवपुरम-2, मेरठ 250 110

वर्तमान पता : 68 ,टैलबट रोड, माउंट वेवरले, विक्टोरिया , 3149 , आस्ट्रेलिया )

agnihotriravindra@yahoo.com

पिछली शताब्दी में हिंदी प्रचार के लिए समर्पित लोगों की अगर सूची बनाई जाए तो निश्चित रूप से सबसे पहला नाम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का होगा । प्रसिद्ध है कि उनके पास आकर जब कोई व्यक्ति यह कहता था कि मैं देशसेवा करना चाहता हूँ, मुझे काम बताइए ; तो उनका पहला प्रश्न होता था, आपको हिंदी आती है ? जिनका उत्तर नकारात्मक होता था, उनसे गांधी जी कहते थे कि हिंदी सीखिए । यह देशसेवा का सबसे पहला काम है । उन्होंने तत्कालीन अनेक ऐसे लोगों को हिंदी सीखने और उसका व्यवहार करने के लिए प्रेरित किया जो हिंदी के प्रति उदासीन थे ।

ऐसा ही एक नाम है गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर । शुरू में गुरुदेव न तो “राष्ट्रभाषा हिंदी” के समर्थक थे, और न स्वतन्त्रता आंदोलन के । सन् 1911 में जब उन्हें ब्रह्मसमाज का नेता चुना गया, तब उनकी अध्यक्षता में यह निश्चय किया गया कि ब्रह्मसमाज का कोई सदस्य न तो इस आंदोलन में भाग ले और न आंदोलनकारियों से कोई संबंध रखे । ऐसा व्यक्ति गाँधी जी का प्रशंसक कैसे होता ? कम लोगों को पता है कि शुरू में तो उन्होंने गांधी जी से मिलना तक उचित नहीं समझा । वस्तुतः हुआ यह कि जब गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका से भारत आने का निश्चय किया, तो पहले अपने आश्रम के विद्यार्थियों को भारत भेजा और भारत में अपने सहयोगी सी एफ एंड्रयूज़ को इन विद्यार्थियों के रहने की ऐसी व्यवस्था करने का दायित्व सौंपा जहाँ इनका अध्ययन भी चलता रहे । श्री एंड्रयूज़ ने इन्हें पहले आर्यसमाज के नेता स्वामी श्रद्धानंद के गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार में और फिर लगभग एक वर्ष बाद गुरुदेव टैगोर के शान्ति निकेतन में रखा । श्री एंड्रयूज़ के तो इन दोनों महापुरुषों से अच्छे संबंध थे, पर गांधी जी का स्वामी श्रद्धानंद जी से ही पत्रव्यवहार के माध्यम से परिचय था, (स्वामी जी ने गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका में किए जा रहे आंदोलन के लिए अपनी संस्था की ओर से डेढ़ हजार रु. की सहायता राशि भी भेजी थी), पर नोबल पुरस्कार प्राप्त टैगोर से उनका कोई सम्पर्क नहीं था ।

जनवरी 1915 में जब गांधी जी भारत आए, तब ये विद्यार्थी शांतिनिकेतन में थे । अतः गांधी जी सूचना देकर 17 फरवरी 1915 को वहां गए, पर गुरुदेव उनसे मिलने के बजाय और किसी को कुछ बताए बिना चुपचाप कलकत्ता चले गए (One wonders why RT was not present when Gandhi arrived. There was no compelling reason to stay in Calcutta at this time……….. Probably for his own complex reasons, RT deliberately avoided welcoming Gandhi to Shantiniketan on first arrival ( Dutta & Robinson : Rabindranath Tagore; University of Cambridge; P. 196-197) । बाद में जब 6 मार्च 1915 को गाँधी जी पुनः पूर्व –सूचना देकर शांतिनिकेतन गए, तब गुरुदेव मानों बेमन से गांधी जी से मिले क्योंकि परिसर में गांधी जी के पहुँच जाने की सूचना मिल जाने के बाद भी वे अपने कक्ष में सोफे पर ही बैठे रहे । इस अवसर पर उनकी जिन विषयों पर चर्चा हुई, उसमें भी सहमति कम, असहमति अधिक व्यक्त हुई ।

यह सोचकर हैरानी होती है कि शुरू में ऐसे रूखे व्यवहार वाले गुरुदेव बाद में गांधी जी के प्रति इतने आकर्षित कैसे हो गए कि उन्हें “महात्मा “ भी कहने लगे (सबसे पहली बार “महात्मा “ स्वामी श्रद्धानंद ने कहा था जिसे गुरुकुल कांगड़ी के विद्यार्थियों ने तभी अपने अभिनन्दन पत्र में स्थायित्व भी प्रदान कर दिया), और उनके अनुरोध पर गुजराती साहित्य परिषद, भावनगर, काठियावाड के छठे अधिवेशन का सभापति बनने एवं हिंदी में भाषण देने को भी तैयार हो गए । गांधी जी की विशेषता देखिए कि “ गुजराती ” साहित्य परिषद का सभापति “ बांग्ला ” के कवि गुरुदेव को बनवाया और उनसे सभापति का भाषण “ हिंदी “ में दिलवाया । भारत के भिन्न भाषा-भाषी जब मिलें तब उनके सम्पर्क की भाषा हिंदी हो – यही तो राष्ट्रभाषा की संकल्पना है ! मेरी जानकारी में यह गुरुदेव का हिंदी में पहला भाषण था जो 06 अप्रैल 1920 को दिया गया । ऐतिहासिक महत्व का वह भाषण प्रस्तुत है :

“ आपकी सेवा में खड़े होकर विदेशीय भाषा में बोलूँ, यह हम चाहते नहीं । पर जिस प्रान्त में मेरा घर है, वहां सभा में कहने लायक हिंदी का व्यवहार है नहीं ।

महात्मा गांधी महाराज की भी आज्ञा है हिंदी में कहने के लिए । यदि हम समर्थ होता तब इससे बड़ा आनंद और कुछ होता नहीं । असमर्थ होने पर भी आपकी सेवा में दो-चार बात हिंदी में बोलूंगा ।

सारी राह में आप सभों का समादर का स्वाद पाते-पाते हम आए हैं । हरेक स्टेशन पर बाल-वृद्ध–बनिता हमको सत्कार किए हैं । मेरा घट तो पूर्ण होने को चला है, पर पूर्ण घट से आवाज तो निकलने चाहती नहीं । तो भी नि:शब्द याने खामोश रहकर आपकी प्रीति का अर्घ्य ग्रहण करूं, ऐसी असभ्यता भी सह सकूँ किस तरह से ।

जो सभ सुवक्ता लोकसभा के चबूतरा पर चढ़कर अपनी भाषा के प्रवाह से सर्वसाधारण के चित्त अनायास से बहा ले जा सकते हैं, इतना दिन उन सभों पर मेरी ईर्ष्या याने हसद न थी, आज चाहते हैं कि यदि उन्हीं की ऐसी वाक्शक्ति हमारी भी होती, ईश्वर मुझे दिए होते, तब बस यहीं से फ़ौरन मैं नगद आपका कर्जा चुका देने की चेष्टा करते ।

लेकिन मैं सिर्फ कवि हूँ । वाक्य तो मेरा कंठ में है नहीं, है दिल में । मेरी वाणी ऐसा जलसा में बाहर होने तो चाहती नहीं, वह रहती है छंद का अंदर – महल में । उसी वाणी की साधना में सारी जिंदगी-भर मैंने निर्जन-वास को स्वीकार कर लिया है, मैं तो पौर-सभा के योग्य नहीं हो सका हूँ । प्रकृति जिस निभृत जगह में अपने फूलों को विकसित करती है, वहीं मैं गान के लिए प्रभु का आदेश पाया हूँ । वहां से अगर मुझे जमायत में कोई खींचे ले आवे, तब मैं गूंगा बन जाता हूँ । दिल भर जाने से भी मुख तो खुलने चाहता नहीं । यही तो मेरी मुश्किल है । जब तक हम लोकालय याने इंसान के वतन से दूर में रहता हूँ, तब तक मेरा सुर वहां पहुँच सकता है । सभों के सामने अगर मुझे खींचा जाए, तो मैं बिलकुल गूंगा बन जाता हूँ ।

मैं गीत गाने-वाल चिड़िया – ऐसा हूँ । पत्तों के परदे में मेरा गीत है – तभी मेरा गीत घरों में सब आदमियों के पास पहुंचता है । पर आज आप सभों ने समादर करके मुझे सभा के मंच में चढ़ा दिया है । आप कवि के पास उम्मीद करते हैं वक्तृता, याने बाँसुरी को चाहते हैं लगाने लाठी के काम में । इसलिए यदि वह काम अच्छी तरह से न बने, तब विधाता की निंदा कीजिए वह मुझे शक्ति बांटने के समय में कृपणता किया है । अगर विधाता मुझे कुछ दिया हो, तो दिया है कवित्व, बोलने की शक्ति नहीं ।

विधाता की यह कृपणता से मुझमें भी दीनता आ पहुंची है । सभा में खड़ा होकर के आप लोगों को अपार आनंद दूँ या उपदेश दूँ या काम लायक बातें कहूँ, ऐसा दाक्षिण्य दिखने का सौभाग्य मुझे हुआ नहीं, दाक्षिण्य केवल आप लोगों के तरफ से प्रकाश हुआ, मुझे हार मानना पड़ा ।

विनय के साथ हार मानने को तैयार हूँ, पर सिर्फ वचन के हार, हृदय में हार हम मानते हैं नहीं । आप लोगों के साथ जो प्रीति का संबंध हुआ है, उस संबंध में मेरा दिल से कुछ भी कमी रह गई, यह हम मानते नहीं ।

आप लोगों से जो प्रीति, जो समादर लाभ कर रहा हूँ, उसको हम ईश्वर के तरफ से अप्रार्थित दान समझ करके ले रहा हूँ । ईश्वर की दया आदमियों की योग्यता का हिसाब करती नहीं । उनकी दया के योग्य होने की साधना करना ही मेरा कृत्य है । अंतर्यामी जानता है कि वह साधना मेरा दिल में है – वही मेरी कवि की साधना ।

पर कवि की साधना है क्या चीज ? वह और कुछ नहीं, बस आनंद के तीर्थ में, रसलोक में, विश्वदेवता के मंदिर के आँगन में सर्व -मानव का मिलन गान से विश्वदेवता की अर्चा करना । पृथ्वी के सब मनुष्यों को हम कहाँ पाऊं, शक्ति की क्षेत्र जहाँ लड़ाई दिन-रात चल रही है, उस जगह में, या बाजार में, जहाँ खरीद और बेच का शोर और कोलाहल से कान बहरा हो गया है – मनुष्य का मिलन होना है किस जगह में, शक्ति की राह में या लाभ की राह में ? सब राहों की चौमुहानी पर कवि की बाँसुरी टेर से यह सुनाने के लिए है कि जिस प्रेम की राह में मुझको ईश्वर बुला रहे हैं, वहां जाने का सम्बल है दु:ख को स्वीकार करना, अपने को भरपूर दान करना, और उस राह का परम लोक और मेरा परम आनंद । भगवान के वह चरण पद्म में सारा भारत का चित्त एक हो जाए । यही एक भाव सारी दुनिया के ऐक्य की राह दिखलावेगा ।

यह पृथ्वी सुन्दर है, यह नील आकाश उदार है, यह सूर्यालोक पवित्र है । मनुष्य जो जन्म लिया है, सो मार-काट के मरण के लिए नहीं । यह सुन्दर जगत में चिर सुन्दर के स्पर्श लाभ करने के लिए, यह पवित्र आलोक में चिर पावन के आशीर्वाद को लाभ करने के लिए । यह भारत अपनी तपोवन छाया में एक समय यह घोषणा सारा विश्व को दिया है । यह घोषणा जब से उसके कण्ठ में मलिन हो गयी, तभी से उसका दारिद्रय और अपमान । फिर भारत को वही तपस्या लेना है । सारा दुनिया के लिए तपश्चर्या करना है, क्योंकि दुर्दिन आज आ पड़ा है । विश्व वसुंधरा तापिस है, श्यामल वसुधा शोणित से पंकिल और पाप से मलिन है । आज भारत के चिर-दिन की साधना का शून्य आसन फिर ग्रहण करना है । ब्रह्मालोक की वार्ता सर्वत्र पहुंचाना है :

एष सेतुर्विधरण असम्मेदाय लोकानाम

नैनम सेतुरहोरात्रे तरत: न शोको न जरा

न मृत्यु: एतम सेतुम तीर्त्वा अन्य: सन अनन्य

भवति विद्ध:सन् अविद्धो भवति

उपतापीसन् अनुपतापी भवति,

सकृद्विभातो हमेदेष ब्रह्मलोक .

यह सेतु सर्वलोकों को धारण करने के लिए है, सम्भेद को दूर करने के लिए है, अहोरात्रि यह सेतु को लंघन कर सकता नहीं, शोक जरा मृत्यु इसको लंघन कर सकता नहीं, इसको पार हो करके अन्य अनन्य हो जाते हैं, शोकार्त विगत शोक हो जाते हैं, यह ब्रह्मलोक उदय मात्र और अवसान को प्राप्त होता नहीं ।

(शांतिनिकेतन पत्रिका वर्ष 4, संख्या 12, 1331 बंग संवत से उद् धृत)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: गाँधी, गुरुदेव और हिंदी // डॉ. रवीन्द्र अग्निहोत्री
गाँधी, गुरुदेव और हिंदी // डॉ. रवीन्द्र अग्निहोत्री
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEizB5K9R7C-18jqugNnOap00t9C-OzjWEJCqq389lvbhKIQAMUzW60ru9B8q5KklGOMt7fzLEkiDyONreCjoS775lrx_LLjCZTh5F8R-VS27OLrLo35DhmM_tY-UEaPP2_W_6R0/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEizB5K9R7C-18jqugNnOap00t9C-OzjWEJCqq389lvbhKIQAMUzW60ru9B8q5KklGOMt7fzLEkiDyONreCjoS775lrx_LLjCZTh5F8R-VS27OLrLo35DhmM_tY-UEaPP2_W_6R0/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/11/blog-post_1.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/11/blog-post_1.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content