1.... कौरव सेना * ---------_---------- छोड़ आये इंसानियत वहाँ तड़पता देखा इंसान जहाँ लौट आई हैवानियत सरे राह मरता देखा आद...
1.... कौरव सेना *
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छोड़ आये इंसानियत वहाँ
तड़पता देखा इंसान जहाँ
लौट आई हैवानियत सरे राह
मरता देखा आदमी यहाँ
माचिस की क्या जरूरत
आदमी से आदमी जलता यहाँ
रूपया चाहे कितना भी गिरे
इसके लिये गिरता इंसान यहाँ
भरी जेब ने दिखाई दुनिया
खाली में मरता अपनापन यहाँ
जहर की जुर्रत ही क्या
आदमी -आदमी में जो भरा यहाँ
मीठी बात नहीं इंसान की दुकान में
खुली जुबां से पता चला यहाँ
इंसान और आदमी की महाभारत में
कब तक चलेगा द्रौपदी का सिला
लालच की कौरव सेना से पूछो यहाँ
रिश्वत और भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह
कैसे तोड़ें
ईमान का अभिमन्यु फंसा यहाँ
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2.....*खिलौना * * *
मैं खिलौना
जिन्दगी के मेले का
इक दिन पड़ेगा खोना
वक्त कितना खेलेगा
पल भर में खो जाऊंगा
किसी के हाथ न आऊंगा
जिन्दगी के रंग मंच पर
सांसों की धुन पर नाचता
किसी को हंसा कर
किसी को रुला कर
कहीं दूर गिर जाऊंगा
रिश्तों की दुकान पर
प्यार के भाव बिकता
यह मेरा है , यह तेरा है
टूट कर किसी
कोने में लग जाऊंगा
रिश्तों के मकड़़ जाल में
फिर कौन पूछेगा मुझे
और एक दिन गठरी में
बंध, यादें ही रह जाऊंगा
दिल की दीवारों पर
यादों के हार बन मैं
जिन्दगी के मेले
कहीं और सजाऊंगा
मैं प्यार के भाव
फिर बिक जाऊंगा
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3...." मैं " - युद्ध
राम कोई बन नहीं सकता
इस कलयुग की रामायण में
राम भक्ति ही हो जिस दिल में
वो ही जला सकता है रावण ये
आज के इस - "मैं"- युद्ध में
दिल में किसी के हार नहीं
कौन बड़ा है कौन छोटा
कहीं किसी की इज्ज़त और प्यार नहीं
जब तक दिल में भक्ति ना हो राम की
तो दशहरा केवल मेला है , त्यौहार नहीं
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4........सात पन्ने
मौत की किताब है - " जिन्दगी "
सांसों के सात पन्ने
चार दिनों के वक्त में
कोई भी इसको पढ़ ले
पांचवां दिन ना मिलेगा
युग चाहे कितने बदल ले
उम्र के सफर में
सांसों से लड़ रहा है
छीन लूं मैं किसकी तारें
वक्त सोच रहा है
देने मौत को सांसें
तड़प रही है जिन्दगी भी
श्मशान की डगर पे
हर पल द्वंद्व चल रहा है
जीवन की किताब में
होते चार भाग हैं
अंतिम पन्ने में मिलता
सिर्फ मौत का हिसाब है
खून की स्याही से
लिखा जहाँ हर जवाब है
सात दिन से ज्यादा
मिलते नहीं यहाँ पन्ने
चार दिन के वक्त में
पढ़ ले कोई सम्भल के
जिन्दगी के सफर में हमसफर
बस मौत की किताब है
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5......* * जिन्दगी * *
जिन्दगी तो
एक कहानी है
आँखों में समन्दर
आशाओं का पानी है
नदिया की धारा में
दुख सुख ही किनारा है
सिर्फ प्यार ही सहारा है
यह नग्मा प्यारा है
तमन्ना की उड़ानों में
सपनों की जवानी है
जिन्दगी तो
एक कहानी है
आँखों में समन्दर
आशाओं का पानी है
मर कर भी जी जाये
जी कर भी मर जाती है
हंस कर भी रोना है
रो कर भी मुस्काती है
अश्कों की लहरों पे
मौजों की रवानी है
जिन्दगी तो
एक कहानी है
आँखों में समन्दर
आशाओं का पानी है
संसार की बगिया है
फूलों संग काटें हैं
हवाओं का घेरा है
परिन्दों का डेरा है
पत्ता पत्ता गिरना है
खुशबू यह पुरानी है
जीवन की रीत यही
ऋतु फिर आनी है
जिन्दगी तो
एक कहानी है
आँखों में समन्दर
आशाओं का पानी है
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6.....दुनिया
कब तक चलेगी
झूठी ये दुनिया
रस्मों रिवाजों में लिपटी
ढोंग पाखण्डों की दुनिया
कब तक चलेगी
मृगतृष्णा सी ये दुनिया
स्वार्थों के जाल में
जकड़ी हुई
लालच लोभ की
मकड़ी यही
कब तक चलेगी
इंसां को इंसां से
डसती ये दुनिया
ममता प्यार की मतलबी
पैसों में बिकती है यही
कब तक चलेगी
जेबों की सांसों पे
घुटती ये दुनिया
पूछती है दुनिया
दुनिया से यही
हंसते चेहरों के पीछे
गम छुपाती ये दुनिया
पत्थर की नगरी में
पत्थरों को मनाती
दिल के कस्बों में
दिल को जलाती
कब तक चलेगी
रूहों तक तड़पाती ये दुनिया
सवालों पे सवाल लिये
सुनहरे ख्वाबों पे
मलाल लिये
टूटी नींद की खुमारी सी
कब तक चलेगी
अंतहीन रंगीन ये दुनिया
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7.......मुलाकात
इक दिन मौत से मुलाकात हो गई
जुबां खुले बिना ही बात हो गई
जिन्दगी ने मन ही मन पूछा
क्यों खेल रही है तू मुझसे
आज तेरी क्या औकात हो गई
मौत ने जवाब दिया- आँखें फैला कर
तेरे मेले लगे हैं तो
मैं तेरे साथ हो गई
मैं तो तेरा सच हूँ
फिर भी तू उदास हो गई
धरती में मेरा कोई अस्तित्व नहीं
मैं पहेली हूँ , मैली हूँ
जिधर देखूं- मौत- तू साफ हो गई
रंज ओ गम के मेले हैं
संसार के रंग मंच में
कयामत की राहों पे सब अकेले हैं
सांसों की भीड़ में मौत पास हो गई
जिन्दगी - तू हार गई
कौन पूछता है , कौन सेवा करता है
हर तरफ संघर्ष ही संघर्ष
हर गलती पे पश्चाताप हो गई
मौत के बाद भी मान सम्मान
जीते जी कोई खिलाता पिलाता नहीं
भण्डारे प्याऊ लगे जाने के बाद
कभी कपड़ा जूता फूल तक नहीं
ढेर लग जाते हैं मृत्यु शैया पे सोने के बाद
और ये दान भी रहता है बरसों याद
मानव जीवन यादों की बरसात हो गई
आत्म सम्मान में मौत का सम्मान
देख रहा सारा जहान
हताश सी जिन्दगी का मुँह खुला
धीमे से ही बोला
काश ! मिल जुल कर रहते हम
साथ साथ करते संसार बर्बाद आबाद
हा- हा- हा- ... मौत खिलखिलाई
जिन्दगी तू जीते जी मर रही है
और मैं तेरे अन्दर ही जी रही हूँ
तू मेरे से क्या मिलेगी
चलती हूँ - किसी और जिन्दगी से मिलने
उदास जिन्दगी एक टक सोचती रही
जिन्दगी मौत से मिली
या मौत जिन्दगी से हाथ मिला कर
चली गई
जिन्दगी आबाद है या बर्बाद
मौत को ही रखते हैं सब याद
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8.....आत्मा"-
माँ तू क्यों रो रही है
इन आँसुओं से
ये आँचल क्यों भिगो रही है
मैं तो चली गई
तेरी कोख से
बेटी होने के शोक से
बेटे की चाह में
पति संग चली थी
अग्नि की राह में
ना मैं मिली
ना वो तुझे इस जहां में
तू क्यों रो रही है
चल अब
इस पाप का कर दे
तू बस,-अन्त
आने दे
नई कन्याओं का नया
बसंत
यह तेरा आगाज होगा
जब किसी कोख से
न चीख न कोई आवाज होगा
तेरे बुलंद इरादे में
बेटे पर नाज
तो बेटी के सर
तख्त ए ताज होगा
जब फर्क ना होगा
तेरी आँखों में
तब पूछेगी "आत्मा" मेरी
माँ तू क्यों रो रही है
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9......दुलारी
सुनो मात पिता तुम मेरे
बेटी हूँ मैं भी तुम्हारी
मत मारो मुझे तुम गर्भ में
ये बोल रही दुलारी
माँ ये पाप कभी ना करना
आँचल में मुझे तुम भरना
मैं तिलक करूं राखी का
भईया की हूं मैं प्यारी
आने दो मुझे भी आँगन में
मैं नन्ही सी हूं किलकारी
सपने ना तोड़ो मेरे
ये बोल रही दुलारी
मैं बाबुल की बांहों का गहना
मैं पिया की कोयल मैना
उड़ने दो मुझे भी नभ में
पढ़ने दो मुझे भी जग में
बोल रही पंछी बन के
भारत की ये दुलारी
मैं भी शिक्षावान बनूं
धरती की मैं शान बनूं
पढ़ लिख कर मैं भी
देश का अभिमान बनूं
बोल रही ये शक्ति की अवतारी
मत मारो मुझे तुम गर्भ में
तेरी हूं मैं भी दुलारी
भईया की प्यारी प्यारी
सुनो मात पिता तुम मेरे
ये पाप कभी ना करना
मुझको अभी नहीं मरना
आने दो मुझे भी आँचल में
गोदी में खेलुं तुम्हारी
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10......बेटियां
भारत की आन बान शान में
दुश्मन पर भारी हैं
बेटियां हिन्दुस्तान की
अब
रूह भी कांप जायेगी - पाकिस्तान की
सम्भल जा ओ ना पाक
आ रही है दुर्गा सेना
अबला नहीं अब नारी
सबला है शक्ति हिन्दुस्तान में
थर थर जल जला कर देंगी
सर्वत्र आसमान में
चिड़ियां नहीं अब चीलें हैं
हिन्दुस्तान में
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11......नव किरण
बेटी को पढ़ने दो
बेटी को पढाओ
बेटी की झोली में
विद्या का धन
जो भर जायेगा
नव वर्ष आयेगा
जब दहेज की वेदी में
बहु कोई न जलेगी
जब बेटी बेटे में
कोई अंतर न आयेगा
जब हर निर्भया की
सुरक्षित नव किरण
नव सूरज लायेगा
नव वर्ष आयेगा
रिश्वत का व्यापार न होगा
जब कोई भ्रष्टाचार न होगा
स्वार्थ के रावण को
जब ईमान का बाण लग जायेगा
नव वर्ष आयेगा
जब हरा भरा वातावरण होगा
जब स्वच्छ पर्यावरण होगा
जब सब का रोजगार होगा
जब महंगाई का बादल छट जायेगा
नव वर्ष आयेगा
जब खेतों में विकास की
फसल से देश लहरायेगा
जब हर इंसान खुशी का
झंडा दिल में लगायेगा
जब भारत राष्ट्र उत्कर्ष में
विश्वगुरू बन जायेगा
तब
नव सूरज नव किरण की
नव सुबह लायेगा
नव अर्श आयेगा
नव हर्ष आयेगा
नव वर्ष आयेगा
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राजेश गोसाईं
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