साहित्य समाचार बरगद के पेड़ के नीचे न्याय और अन्याय के बीच की कड़ी "समाज और सामाजिक व्यवस्थाओं को सुरक्षित रखने, सही और गलत के बीच सीमा र...
साहित्य समाचार
बरगद के पेड़ के नीचे
न्याय और अन्याय के बीच की कड़ी
"समाज और सामाजिक व्यवस्थाओं को सुरक्षित रखने, सही और गलत के बीच सीमा रेखा खींचने, न्याय और अन्याय की पहचान कराने वाला एक महत्वपूर्ण किरदार होता है वकील.
वह अपनी तार्किक शक्ति से अपने मुवक्किल को न्याय दिलाने में अपनी पूरी ताकत लगा देता है. न्याय और अन्याय के बीच की एक मजबूत कड़ी होता है वकील.
वकीली करना और लोहे के चने चबाना प्रायः एक जैसा होता है. लुच्चों, टुच्चों, मगरमच्छों/सांप-सपोलों से बिना किसी हथियार के यानी निहत्थे लड़ता है वकील. इनके बगैर किसी का काम नहीं चलता है. दूसरों के केस सेटिल करते-करते स्वयं अपने केस सेटिल नहीं कर पाता है वकील. सच पूछा जाय तो भाग्य विधाता है वकील." उक्तरोक्त विचार डॉ. कुंवर प्रेमिल ने बरगद के नीचे मनाए जाने वाले जन्म दिवस पर वकील शिवकुमार द्विवेदी के जन्म दिन पर व्यक्त किए. उनकी सहभागिता और संस्था के प्रति लगाव पर भी सदस्यों ने अपने विचार विमर्श कर कार्यक्रम के संचालन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.
दूसरे सत्र में आनन्द जैन ने शहर के एक प्रमुख अखबार में छपे समाचार को पढ़कर सभी सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा- ‘समाज में रक्तदान के प्रति ‘मंजिलें’ सम्मान बढ़ाने के लिए जबलपुर के वरिष्ठ कहानीकार डॉ. कुंवर प्रेमिल को प्रज्ञा साहित्यिक मंच रोहतक, हरियाणा द्वारा उनकी कहानी ‘बनते-मिटते रिश्ते’ को प्रस्तावित आगामी कहानी संकलन में स्वीकृत कर रक्तदान सृजन सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है.’
इस सुअवसर पर वकील साहब और डॉ. कुँवर प्रेमिल को माल्यार्पण कर कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सदस्यों द्वारा पहल की गई. तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हो बीस हजार गाकर वकील साहब का जन्म दिन बड़े धूमधाम से मनाया गया.
बरगद के नीचे जन्म दिन हो और कविताएँ न पढ़ी जाएँ, ऐसा कभी हुआ है. आनन्द जैन, रघुवीर अम्बर ने काव्य रस की वर्षा कर आनन्द विभोर कर दिया. फोटो खींची गईं, स्वल्याहार का आनन्द भी लिया गया.
शंकर सिंह, सेंडेजी, वयोवृद्ध कश्यप जी, देवेन्द्र जी, आदि ने शुभकामनाएं देकर सुभाषित किया. पूरे जोश के साथ अंत-अंत में ‘तुम जियो हजारों साल’ गाकर कार्यक्रम का समापन किया गया. समापन की घोषणा करते हुए डॉ. प्रेमिल ने कहा, हमारी रिपोर्ट ‘प्राची’ जैसी स्तरीय पत्रिका छापती है और इस तरह हमारी संभावनाओं को जगाकर हमें भरपूर प्रेरणा भी देती है. ‘प्राची’ दीर्घायु हो....बरगद ग्रुप की ओर से प्राची को बहुत-बहुत शुभकामनाएं.....
कुंवर प्रेमिल, जबलपुर
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श्रीमती एवं श्री खुशहाल सिंह प्याल
स्मृति सम्मान-2018
वर्ष 2017 से प्रारम्भ ‘श्रीमती एवं श्री खुशहाल सिंह प्याल स्मृति सम्मान-2018’ के लिए हिन्दी कहानीकारों से घोषित रूप से मौलिक व अप्रकाशित एक कहानी (लघुकथा नहीं) पंजीकृत डाक व ईमेल से 15 सितंबर 2018 तक आमंत्रित हैं।
कहानी स्पष्ट रूप से पठनीय, हस्तलिखित अथवा कम्प्यूटर टाइप होनी चाहिए। कहानी के लिए पेज का निधर्ाारण नहीं है। जितने पेज की चाहें भेज सकते हैं।
इस प्रतियोगिता में किसी भी आयु वर्ग के कथाकार अपनी फोटो तथा संक्षिप्त परिचय के साथ एक ही कहानी तीन प्रतियों में ही भेजें।
कहानी के मौलिक व अप्रकाशित होने का प्रमाणपत्र कहानी के साथ ही भेजना अनिवार्य है।
कहानी के आरम्भ और अंत में भी लेखक का नाम पता आदि का विवरण नहीं होना चाहिए। इसका उल्लेख मात्र परिचय वाले अलग पृष्ठ पर ही करें।
प्राप्त कहानियों का मूल्यांकन वरिष्ठ साहित्यकारों के निर्णायक मंडल द्वारा किया जाएगा। तीन श्रेष्ठ कहानियों को चयनित करके प्रणेता साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित विशेष साहित्यिक समारोह में उपस्थित सफल कथाकारों को सम्मानित एवं नकद राशि क्रमशः प्रथम-1500, द्वितीय-1100 एवं तृतीय- 700 रूपये से पुरस्कृत किया जायेगा।
पुरस्कृत कहानियों के प्रथम प्रकाशन का अधिकार ‘के.बी.एस प्रकाशन’ द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पत्रिका ‘आलाप’ का होगा, जिन्हें समारोह के उपरान्त शीघ्र प्रकाश्य अंक में प्रकाशित किया जायेगा। प्रतियोगिता के निर्णय तक प्रेषित कहानियों को कहीं अन्यत्र प्रकाशनार्थ न भेजा जाए।
कहानी नीचे दिए पते पर एवं ईमेल पर प्रेषित करें-
एस.जी.एस सिसोदिया ‘निसार’
महासचिव, प्रणेता साहित्य संस्थान
1654, टाइप 4,
दिल्ली प्रशासन आवासीय परिसर,
गुलाबी बाग, दिल्ली-110007
राष्ट्रीय महिला काव्य मंच दिल्ली इकाई की मासिक गोष्ठी का आयोजन
नई दिल्ली : राष्ट्रीय महिला काव्य मंच दिल्ली-एन सी आर के दिल्ली इकाई की मासिक गोष्ठी का आयोजन दिल्ली की प्रदेशाध्यक्ष डॉ.भावना शुक्ल के निवास स्थान पर हुआ. इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता की राष्ट्रीय महिला काव्य मंच की राष्ट्रीय सलाहकार डॉ. ऋतु अग्रवाल तथा इस कार्यक्रम में जिन कवयित्रियों ने काव्य रस की गंगा बहाई, उनमें दिल्ली इकाई की उपाध्यक्ष चंद्रकांता सिवाल, महासचिव नंदिता शर्मा, सलाहकार सरोज शर्मा, सचिव ज्योति राज एवं सुषमा भंडारी, माधुरी स्वर्णकार, डॉ. आरती स्मित, ज्योति अग्रवाल, पूनम तुषामड़, मंजू गोयल, प्रियंका शर्मा, डॉ.भावना शुक्ल की प्रस्तुति के साथ डॉ. ऋतु अग्रवाल ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन के साथ सुन्दर कविता की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ भावना शुक्ल ने किया।
प्रस्तुति : डॉ. भावना शुक्ल, नई दिल्ली
हिंदी साहित्य के पुरोधा का लोकार्पण
नई दिल्ली : साहित्यायन ट्रस्ट द्वारा विगत दिवस हिंदी भवन दिल्ली में डॉ. आरती स्मित की समालोचनात्मक कृति ‘हिंदी साहित्य के पुरोधा’ का लोकार्पण संपन्न हुआ. लोकार्पण के पश्चात हुई परिचर्चा में डॉ. अनामिका, डॉ. रमा एवं डॉ. देवेंद्र शुक्ल ने कृति पर अपने विचार रखे. अनामिका जी ने इसे एक महत्वपूर्ण कृति बताते हुए कहा कि पुस्तक में शामिल रचनाकारों के कृतित्व के कुछ पक्षों पर लेखिका ने नई दृष्टि से विचार किया है. डॉ. रमा ने कहा कि इस कृति की विशिष्टता पठनीयता है, क्योंकि इसका गद्य बहुत सरस और ललित है. डॉक्टर देवेंद्र शुक्ला ने इसे आलोचना की प्राचीन परंपरा से जोड़ते हुए इसकी नवीन दृष्टि से व्याख्या की है.
इस अवसर पर डॉक्टर मधुकर गंगाधर भी उपस्थित थे जो इस पुस्तक में शामिल पुरोधाओं में से एक हैं. उन्होंने लेखिका के जीवट, उसकी जिजीविषा और रचनात्मकता की सराहना की साहित्य ट्रस्ट के प्रधान संरक्षक रामकृष्ण गुप्ता और प्रेमलता गुप्ता ने ट्रस्ट की ओर से सभी के प्रति आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संयोजन-संचालन कुशलता के साथ डॉ.बृजेंद्र त्रिपाठी जी ने किया.
प्रस्तुति : डॉ भावना शुक्ल, नई दिल्ली
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