प्राची - सितम्बर 2018 - शोध पत्र भारतेन्दु हरिचन्द्र नवजागरण के अग्रदूत // आरती कुमारी

SHARE:

शोध पत्र भारतेन्दु हरिचन्द्र नवजागरण के अग्रदूत आरती कुमारी उ न्नीसवीं शताब्दी में भारत में अनेक प्रतिभाओं ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने लेखन...

शोध पत्र

भारतेन्दु हरिचन्द्र नवजागरण के अग्रदूत

आरती कुमारी

image

न्नीसवीं शताब्दी में भारत में अनेक प्रतिभाओं ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने लेखन से भारतीय समाज, धर्म, राजनीति और साहित्य को नई दिशा दी। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र उनमें से एक थे, जिन्होंने अपनी लेखन क्षमता से साहित्य से लेकर सामाजिक विद्रूपता, राजनीतिक भ्रष्टाचार, अंधविश्वास आदि पर अपने विचारों को प्रकट कर एक सही दिशा प्रदान की और हिन्दी साहित्य को नवीन भंगिमा और नया कलेवर प्रदान किया। इन्होंने हिन्दी भाषा को नवीनतम विषयों की ओर उन्मुख करने के साथ-साथ हिन्दी गद्य को नूतन संस्कारों से संस्कारित किया। अपने समाज और देश के प्रति उत्तरदायित्व का इन्हें स्पष्ट बोध था। भारतेन्दु हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका कार्यकाल युग की संधि पर खड़ा है। इन्होंने रीतिकाल की सामंती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ परंपरा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोए। साहित्यिक क्षेत्र में इन्होंने सुधारात्मक कदम उठाये। खड़ी बोली को गद्य की भाषा बनाना, हिन्दी के विविध विधाओं का आगाज होना, परंपरा से चली आ रही रंगमंचीय गतिविधि पर परिवर्तन कर वंश, वाणी, अभिनय के स्वरूप और गीतों के स्वाभाविक प्रयोग आदि पर बल देना। भारतेन्दु जी के समय में भारत पूरी तरह से अंग्रेजी शासन की गिरफ्त में आ चुका था। अंग्रेजों के दमनचक्र से भारत कराह उठा था। इतना ही नहीं भाषा के स्तर पर भी अंग्रेजी का कारवां बढ़ने लगा था, इस स्थिति में भारतेन्दु ने गद्य की भाषा के साथ-साथ लोगों के लिए भी एक ऐसी भाषा की आवश्यकता महसूस की जो सबके लिए सर्वसुलभ हो, जिस भाषा में अपनापन का एहसास हो, वह थी ‘खड़ी बोली’। वे ‘भारत-दुर्दशा’ नाटक में लिखते हैं-

‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल।

बिन निज भाषा ज्ञान के मिटै न हिय कौ शूल।’

[post_ads]

भारतेन्दु हरिश्चन्द ने अल्पायु में ही अपने समय के भारत की समस्याओं को भली-भांति अनुभव किया। अपने लेखन द्वारा इन्होंने भारतीयों को सामाजिक और राजनीतिक रूप से जागृत करने की कोशिश की। इन्होंने अंग्रेजों पर हमला करते हुए कहा कि वे यहाँ सुख-सम्पन्नता से रह रहे हैं, इसमें हम लोगों को ऐतराज नहीं, किंतु यहां से धन का निष्कासन हो रहा है यह बड़े दुख की बात है-

‘अंगरेज-राज सुख साज सजे सब भारी।

पै धन विदेश चलि जात इहै अति ख्वारी।’

भारतेन्दु जी पत्र-पत्रिकाओं में साहित्यिक श्रीवृद्धि करने वाली विषय-सामग्री के साथ-साथ देश और समाज के हित से संबंधित मुद्दों को प्रमुखता से छापा। इनके द्वारा तीन पत्रिकाओं का संपादन किया गया- ‘कविवचन सुधा’, ‘हरिश्चन्द्र-मैगजीन’, ‘बालबोधिनी’। इन पत्रिकाओं का दायरा काफी व्यापक था। भारतेन्दु प्रचलित रूढ़ियों और आडम्बरों से भारतीयों को मुक्त होने की सीख दे रहे थे तथा भारत को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से सशक्त बनाने के लिए प्रयत्नशील थे। 1874 ई. में इन्होंने ‘कविवचन सुधा’ में प्रतिज्ञापत्र छापा-

"हम लोग परमेश्वर को साक्षी देकर यह नियम मानते हैं और लिखते हैं कि हम लोग आज के दिन से कोई विलायती कपड़ा न पहिनेंगे- हिन्दुस्तान का ही बना कपड़ा स्वीकार करेंगे- सब देशी हितैषी इस उपाय की वृद्धि में अवश्य उद्योग करेंगे।"

विदेशी शासन के आर्थिक शोषण से देश की आर्थिक दशा जर्जर हो रही थी। राजनीतिक जागृति के अभाव से भारतीय किंकर्त्तव्यविमूढ़ थे। भारतेन्दु जी के ऐसे समय में देशोद्धार का संकल्प लिया। इन्होंने जनता को भारत के पतन के कारणों से अवगत कराया तथा भारत के उत्थान हेतु कार्य करने को प्रेरित किया।

‘रोबहु सब मिलि, आबहुँ भारत भाई।

हा! हा! भारत दुर्दशा न देखी जाई।’

यह वह समय था जब साहित्य रीतिकालीनशृंगारिकता की चमक-दमक में बेसुध हुआ जा रहा था; जबकि राष्ट्र की शक्ति निरंतर क्षीण होती जा रही थी। साहित्य न समाज की आवश्यकता समझ रहा था और न समाज साहित्य की। साहित्यकार नारी की कजरारी चितवन के शब्द चित्रांकन और कटिप्रदेश को मापने में ही अपनी लेखनी की उपयोगिता समझ रहे थे। उनको न समाज का पतन दिख रहा था, न ही राष्ट्र का शोषण।

ऐसे समय में भारतेन्दु ने साहित्य को सही मार्ग दिखाया। इन्होंने रीतिकालीनशृंगारिकता से एकदम से नाता तोड़ना उचित नहीं समझा, वह धीरे-धीरे साहित्य कोशृंगारिकता के भंवरजाल से निकालकर राष्ट्रीयता के स्वच्छ समुद्र में लाये। उनकी रचनाओं मेंशृंगरिकता और राष्ट्रीयता दोनों परस्पर गुंथे प्रतीत होते हैं, किंतु गहराई से देखने पर स्पष्ट होगा कि भारतेन्दु धीरे-धीरेशृंगारिकता से राष्ट्रवादिता की ओर उन्मुख होते जाते हैं, जिनकी गतिशीलता बहुत धीमी थी, परंतु रचनाएँ इसका स्पष्ट प्रमाण हैं।

[post_ads_2]

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के शब्दों में- ‘एक ओर तो उनकी लेखनी सेशृंगार रस के ऐसे रसपूर्ण और मर्मस्पर्शी कवित्त-सवैया निकलते थे जो उनके जीवन काल में इधर-उधर लोगों के मुँह से सुनाई पड़ने लगे थे और दूसरी ओर स्वदेश-प्रेम से भरे हुए उनके लेख और कविताएँ चारों ओर देश में मंगल का मंत्र सा फूंकती थी।’ भारतेन्दु जी के निबंध शीर्षक ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो?’ से पता चलता है कि भारत की उन्नति के लिए वह जीवनपर्यन्त चिन्तित ही नहीं रहे; बल्कि इसके निमित्त निरंतर कार्य भी करते रहे। यह निबंध दिसम्बर 1884 ई. में बलिया के ददरी मेले के अवसर पर आर्य देशोपकारणी सभा में भाषण देने के लिए तैयार किया गया था। इसमें लेखक ने भारतीयों के विकास के लिए बाधित तत्त्वों, कुरीतियों और अंधविश्वासों को त्यागकर अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त करने, उद्योग धंधों को विकसित करने, सहयोग एवं एकता पर बल देने तथा सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होने की प्रेरणा दी है। वे निबंध में जिक्र करते हैं-

‘भगवान कहते हैं कि पहले तो मनुष्य-जन्म ही बड़ा दुर्लभ है जो मिला और उस पर गुरु की कृपा और उस पर मेरी अनुकूलता इतना सामान पाकर भी जो मनुष्य इस संसार के पार न जाय, उसको आत्महत्यारा कहना चाहिए. वही दशा इस समय हिन्दुस्तान की है।’ कविता की नवीन धारा के बीच भारतेन्दु की वाणी सबसे मिस्र स्वर देशभक्ति का था। ‘विजयिनी विजय वैजयंती’ में जो मिश्र में भारतीय सेना की विजय-प्राप्ति पर लिखी गई थी, देश-प्रेम-व्यंजक कैसे भिन्न-भिन्न संचारी भावों में उद्गार है। कहीं गर्व, कहीं क्षोभ, कहीं विषाद।

‘सहसन-बरसन से सुन्यों जो सपने नहि कान सौ ‘जय-आरज शब्द’ को सुन और फरकि उठी उसकी भुजा, खुरखि उठी तलवार। क्यों आपुहि ऊँचे भये आर्य मोंछ के बार।’

नाटककार के रूप में भारतेन्दु की ख्याति जीवनकाल में ही हो गई थी। इन्होंने मौलिक और अनूदित नाटकों की रचना की। भारतेन्दु ने नाटकों में जो विषय उठाया वे पूर्णतया नवीन थे। पुरातन परंपरा का आधार ग्रहण कर इन्होंने नए युग का मुहावरा गढ़ा। इस दृष्टि से उनको आधुनिक नाटकों का आदि सूत्रधार कहा जा सकता है। भारतेन्दु के नाटक विविध विषयों से संबद्ध हैं- ‘विद्यासुंदर’ में प्रेमविवाह का मूल्यांकन करने का प्रयास किया है। ‘पाखण्ड विडम्बन’ में मदिरा-सेवन की प्रवृत्ति पर व्यंग्यात्मक शैली में प्रहार किया। ‘सत्य हरिचन्द्र’ में सत्यनिष्ठा और कर्तव्यपालन पर बल है। ‘नीलदेवी’ में इतिहास के कलेवर में भारतीय नारी की वीरभावना और पतिव्रत को उभारा गया है। ‘अंधेर नगरी’ में लोभवृत्ति और सत्ता-तंत्र पर कटाक्ष है. इस नाटक के पात्र घासीराम चूरूवाला तत्कालीन अवस्था को किस प्रकार अपने गाने में व्यक्त करता है, इसका पता निम्न पंक्तियों से चलता है-

‘चूरन हाकिम सब जो खाते

सब पर दूना टिकस लगाते।

सारा हिंद हजम कर जाता।’

भारतेन्दु जी ने जहां हास्य व्यंग्यात्मक नाटक, कविता, प्रहसन, निबंध लिखे वहीं व्यंग्य से भरी हुई मुकरियों की भी रचना की है। ‘नये जमाने की मुकरी’ शीर्षक से इन्होंने समकालीन सामाजिक-राजनीतिक विसंगतियों को लेकर लिखी है। मद्यपान के विषय में इनकी व्यंग्योक्ति देखिए :

‘मुँह जब लागै तब नहिं छूटे जाति मान धन सब कुछ लूटे।

पागल करि मोहिं करे खराब, क्यों सखि साजन? नहीं सराब।’

उपर्युक्त बातों के अवलोकन के पश्चात हम इस तथ्य पर पहुँचते हैं कि हिन्दी के जन्मदाता और भारतीय नवजागरण के अग्रदूत भारतेन्दु जी को जो सम्मान दिया गया, उसके वे हकदार अवश्य थे। इन्होंने देश समाज के हित में लेख लिखे, कविताएँ लिखीं, कहीं भाषण दिए, नाटक रचे और ‘अभिनय’ किया। विभिन्न बाधाओं के बावजूद वे अपने पथ से डिगे नहीं। वह खड़े रहे, अपनी प्रबल राष्ट्र निष्ठा और सुदृढ़ इच्छा शक्ति के साथ। निश्चित रूप से भारतेन्दु युगविधायक साहित्यकार थे। इन्होंने अपने जीवनकाल में पराधीन, आक्रांत, भयभीत राष्ट्र के दुःख और क्षोभ को प्रकट किया। हिन्दी भाषा ही नहीं हिन्दी साहित्य को भी नवीन राह दिखाई। उनके साहित्य में अगर रुदन है तो इसीलिए की जनसामान्य व्यथित था। खींझ है तो इसलिए की जनता असहाय थी। हुंकार है तो इसलिए कि यही देशोद्धार का एकमात्र मार्ग था।

संदर्भ सूची :

1. कुमार, डॉ. मनोज कुमार (संपा.) : ‘भारतेन्दु कृत भारत-दुर्दशा’, पण्डियन पब्लिशिंग हाउस, जयपुर, 2013, पृ. 14

2. कुमार, डॉ. मनोज कुमार (संपा.) : ‘भारतेन्दु कृत भारत-दुर्दशा’, पण्डियन पब्लिशिंग हाउस, जयपुर, 2013, पृ. 29

3. कुमार, डॉ. मनोज कुमार (संपा.) : ‘भारतेन्दु कृत भारत-दुर्दशा’, पण्डियन पब्लिशिंग हाउस, जयपुर, 2013, पृ. 51

4. शुक्ल, आचार्य रामचन्द्र : ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’, नागरी प्रचारिणी सभा, वारणसी, पेपरबैक्स, 1929, पृ. 246

5. सिंह, ओमप्रकाश : ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ग्रंथावली’, प्रकाशन संस्थान, नई दिल्ली, छठां संस्करण-2008, पृ. 431

6. सिंह, ओमप्रकाश : ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ग्रंथावली’, प्रकाशन संस्थान, नई दिल्ली, छठां संस्करण-2008, पृ. 447

7. सिंह, ओमप्रकाश : ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ग्रंथावली’, प्रकाशन संस्थान, नई दिल्ली, छठां संस्करण-2008, पृ. 441

8. डॉ. नगेन्द्र (संपा.)/डॉ. हरदयाल (सह संपा.) : ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’, मयूर पेपर बैक्स नोएडा-201301, बयालीसवां पुनर्मुद्रण संस्करण-2012, पृ. 445

संपर्क : ग्राम+पो.-बादम,

थाना-बड़कागाँव, जिला-हजारीबाग,

पिन-825311 (झारखण्ड)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची - सितम्बर 2018 - शोध पत्र भारतेन्दु हरिचन्द्र नवजागरण के अग्रदूत // आरती कुमारी
प्राची - सितम्बर 2018 - शोध पत्र भारतेन्दु हरिचन्द्र नवजागरण के अग्रदूत // आरती कुमारी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhRkNTL3efat97yjgZ7KCBZhvL81Yn9McLIIFJ5wEKQgmWNsZucxyP71wJ5jf-C-baG8xV6JxzT7dsZOrs3mKnYTIZvRbp9XY2FVinos3WcAJFxVO_PE_6sBCK-GX0gs81a5Cs8/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhRkNTL3efat97yjgZ7KCBZhvL81Yn9McLIIFJ5wEKQgmWNsZucxyP71wJ5jf-C-baG8xV6JxzT7dsZOrs3mKnYTIZvRbp9XY2FVinos3WcAJFxVO_PE_6sBCK-GX0gs81a5Cs8/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/10/bharatenhdu-harichanhdhr-navajagaran-ke.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/10/bharatenhdu-harichanhdhr-navajagaran-ke.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content