चाहत सी है - चाहत सी है आँखों में कोई ख्वाब उतरे जादू सा लोरियां हों दादी कीं सितारे से जेबें भरें फूल गिरें नन्ही सी मुस्कान से रात ...
चाहत सी है-
चाहत सी है
आँखों में कोई ख्वाब उतरे जादू सा
लोरियां हों दादी कीं
सितारे से जेबें भरें
फूल गिरें नन्ही सी मुस्कान से
रात भरी हो कंचों से
जब तू होगी ख्वाबों में
चन्दा से क्या लेना
चांदनी की चादर में से
डूबता सूर्य दिखाई दे
बगुलों की नज़र
मछलियों की आँख में हो
और मैं बैठा उडीकूँ तुझे
बीच के किनारे पाँव डाले
दर्पण जैसे सपने में
तू आऐ
तो पाँव सोच कर रखना
धीरे आहिस्ता से
पाँवों से आवाज हुई तो
ख़्वाब टूट सकते हैं बच्चों के
कांच से होते हैं सपने
टूट जाऐं तो उम्र भर नहीं बनते
तिडके ख़्वाब टूटे खिलौने से
कौन खेलेगा जनाब
एक बच्चे की निंदिया
टूटने से लाखों ख़्वाब मर जाते हैं
पी ऐ यू-
अै पी ऐ यू
मेरी और मेरे दोस्तों की पाक पवित्र सरज़मीन
हम सभी आप को सजदा करते हैं
प्यार से झुकाते हैं सर
जो सर ऊँचे हैं संसार भर में
हम दिल की धडकनों में बिठाऐ
तेरी सभी यादें साथ लिऐ
यादों में संभाले हुऐ हैं
तेरे नाम का बीज बोते
नगमें गाते तेरी सड़कों के
तेरे रंग बिरंगे वृक्षों के फूल लिए
घूम रहे हैं देश विदेश
आदाब करता हूँ जब भी कभी
तेरी वादी में से गुजरता हूँ
पड़े हैं जवानी के हसीन साल तेरी सड़कों पे
ख्वाब बनें कई तेरे क्लासों के कमरों में
दोस्त बनीं जिंदगी फूलों जैसी
यार बने खिलते फूल
मुसकरातीं कलियां जैसे
दफन हैं बहुत सी कुम्हलाई उमंगें
तेरे शहर में
तेरे हर पहर में
कभी नहीं भुला पाऊंगा
नवाजिशें तेरी
तेरी जवान महकती फ़ज़ा
शोरोगुल पाल आडीटोरीअम का
वो अमलतास के पेड़ों से भरी
फूलों से सजी सड़क किसे नहीं याद
यहाँ भीड़ सी रहती थी सपनों की
वो ही सभी ख्वाब होम साईंस के होस्टल में
जा कर किसी न किसी कमरे के
दरवाजे पर दस्तक देते थे
चुराते तो होंगे निंदिया किसी की
ऐसे में ही कई साल
फज़ाएँ बनी टूटती रहीं
हंसतीं निराश होती
पागलपन में झूमती रही
पेड़ों के झुरमुट में
कैंटीन की चाये चुसकियों के इर्द गिर्द
और लाइब्रेरी में देर तक मिलती थी
एक बनती उसरती दुनिया
जो चमन खिले बहार बने
जो खिल न पाऐ ख़ार बने
मैं अपनी बहुत सी नजमें
छुपा लाया था जेबों में वहाँ से
उन में से कुछ तो अंगार बन गईं
और मुट्ठी भर बन गईं आंसू
ऐ मेरी दोस्त सरज़मीन
तू ने पाला हमें
हम भूल कर तुझे
अपनी यादें ले कर भाग आए
ये बड़ा इलज़ाम है हम पर
इस लिए हम बदनाम हुए
हर शहर हर गली
तेरी सुंदर महकती हुई
फज़ाओं की कसम
तेरे बगैर दिल नहीं लगता कईं
हमारी जिंदगी भी यहीं
साँस भी यहीं कहीं
झील सी गहरी-
झील सी गहरी
अगर आँखें न होती
तो किसने मरना था डूब कर
नैनों की शोख
अदाएं न होती
तो किसने गुम हो कर मिटना था इन में
जैसे तेरे ख्वाबों ने लूटा है
लुटा रहना चाहता हूँ ऐसे में ही
यह है डर अब
कि कहीं यह तेरी चाहत के
ख्वाब न लुट जाएं
शर्म शार सा हो जाता है मौसम
तेरे चेहरे का नूर देख चमक में डूबे
चाँद भी शर्मा का छुप जाता है
सजी थी वो रात तू आई तो
तू चली गई तो महफिल बिखर गई थी
जब तू मेरी बाँहों में
दुल्हन बने खिली
फूलों की तो सेज थी
महक तेरे बदन से मिली थी उस रात को
चाँद को देखा था घूँघट में
उस रात पहली बार
दिल की धड़कन थम गई थी
देख कर तुझे
चेहरे पर आ गया था
इश्क का रंग उस समय पवन में
पहली सर्द रात में
जो दो चार साँसे बची थीं
शोला बन कर टकराईं थीं
जब लबों की उड़ती लाली को
चुराया था बाँहों में जकड़े
ऐसे सरूर जैसी अभी तक
विस्की न बन पाई कहीं
जब छुआ था शोख बदन को
धरती कांपीं थी
पायल छनकी थी
कंगन फिसले थे
टिक्का बिखरा था गिर कर
चुप जैसा शोर मचा या रात के छणों में
प्रेम की आग में
डूब गए थे दो समंदर अंगारों भरे
खराब थी कुछ कुछ
आप की नज़र भी
काफ़िर होना था
मैं ने भी अभी थोड़ा थोड़ा सा
महकती कलियां टूट कर
गिर पड़ी थी उस पल वक्त के पायों में
निराली रात-ऐ-सुहाग
के बारे में क्या बतलायें
शोख मतवाले पलों की
क्या लिखें कहानी
सफलता मिलनी थी
अभी तो मेरे शौक़ को
आफताब होना था नज़ारों ने
बे-हिज़ाब हो जगना था
तेरे हुस्न ने सुगंधियों में मिल कर
चाँद क्यों छुपा रहा बादलों में
चांदनी क्यों पड़ी रही मंद हो कर
इस का जवाब
शोखियां देंगी तेरे जोबन की
आखिर किस तरह
हुस्न पर नज़र ठहरी
रुखसार हुए फूल ही बता सकते हैं
वो बदन-ऐ-शफ़्फ़ाफ़
ही बता सकता है या उस रात का चांद
बेचैनी की बात मत कर
अभी तो सरूर-ऐ-शराब होना है
खून-ऐ-दिल साँस साँस ने
रात को अभी गछ पड़ना था
गरूर टूटना था अभी सितारों का
इंतेख़ाब ऐं तू मेरा
इस पर भी मुझे गर्व है
लाजवाब है तेरी सादगी
कभी अगन की तरह जल
---
जो दबे पाँव
जो दबे पाँव
चले जाए
चुप सी दामन में लपेटे
ऐसी ख़ामोश रात को
क्या सुनाओगे अपने रोने की आवाज
गीतों का तरन्नुम संगीत कला
जो न रोऐ और न हँसे
हम ने क्या लेना
ऐसी ख़ामोश सी ठंडी सी शाम से
क्या करेंगे नीला सा आसमां उड़ता हुआ
महल कांच का आँधी से कांपता
जुल्फें भी नहीं सजाएंगी
रेशमी तारें
आँसू खारे भी नहीं बन पाएंगी
चाँद की रिशमों का क्या करोगे
घुल न सकेगी जो मेरे सभी गुनाह
चाँद की लिशकती साबुन की टिकिया क्या काम
क्या करूँगा
धूल सी सन्नाटों की
छनछन सी पायलों की
कभी नींद से जागे
मेरी हिज्र की रातों को सुला दो
मेहरबानी होगी
दिल-ए-ज़ार
की जरूरत क्या है
रोते जख्म जब कोई भरता ही नहीं
भूखे बच्चे क्या करेंगे
मेरे महँगे खिलौने की रंगत चाहत में वसा कर
बिखरते सितारों
टूटे हुए चांद से
कैसे बनाऊं कोई आसमां
मैं ने तो अपने हत्यारे के
क़दमों के सुराग़ ढूँढने हैं अभी
जो अजनबी सी ख़ाक ने बुझा दिये हैं
मुक़फ़्फ़ल करना अभी
ख़्वाबों के दरों का तख़य्युल
अब मेरे शहर कोई
आसमां न ही गिरे तो अच्छा
DrAmarjit Tanda
Tanda Pest Control -----SRK Real Estate
Ex-Pest Control Technician Flick Pest Control / Rentokil Pest ControlSydney
UWS Hawkesbury CSIRO, Australia
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