1. इस युग की कथा --------------------- इस युग की कथा जब कभी लिखी जाएगी तो यही कहा जाएगा कि फूल ढूँढ़ रहे थे ख़ुशबू शहद मिठास ढूँढ़ रह...
1. इस युग की कथा
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इस युग की कथा
जब कभी लिखी जाएगी
तो यही कहा जाएगा कि
फूल ढूँढ़ रहे थे ख़ुशबू
शहद मिठास ढूँढ़ रही थी
गुंडों ने पहन रखे थे सफ़ेद लिबास
नदी प्यासी रह गई थी
पलस्तर-उखड़ी बदरंग दीवारें
ढूँढ़ रही थीं ख़ुशनुमा रंगों को
वृद्धाएँ शिद्दत से ढूँढ़ रही थीं
अपनी देह के किसी कोने में
शायद कहीं बच गए
युवा अंगों को
जिसके पास सब कुछ था
वह भी ' और ' के लालच में
खोया हुआ था
सूर्योदय कब का हो चुका था
किंतु सारा देश सोया हुआ था
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2. मौत
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वह नहीं मरा
एबोला वायरस
एड्स
बर्ड-फ़्लू या
स्वाइन-फ़्लू से
वह मेरा
सबसे अच्छा
मित्र था
खुद से ज़्यादा
मुझे उस पर
भरोसा था
लेकिन एक दिन
मेरी निगाह से
वह ऐसा गिरा
जैसे गिरता है कोई
दुनिया की
सबसे ऊँची इमारत से
चील के झपट्टे-सी
अचानक आई
उसकी मौत
मेरे लिए
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3. पशु कौन
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कल मैं
बेटे को ले कर
चिड़ियाघर गया
वहाँ तरह-तरह के
पशु-पक्षी
पिंजरों में क़ैद थे
बेटा पूछने लगा --
पापा , ये जानवर
दुखी और उदास
क्यों लग रहे हैं
मैंने ध्यान से
पास के पिंजरे में बंद
एक पशु की ओर देखा
मुझे लगा
पशु के भीतर से
कोई देख रहा है मुझे
जैसे कह रहा हो --
पशु मैं हूँ या तुम
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4. ग़लत युग में
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यदि तुम
सूरज को गाली दे कर
धूप से दोस्ती नहीं कर सकते
यदि तुम
चाँद को दाग़दार कह कर
चाँदनी से इश्क़ नहीं कर सकते
यदि तुम
फूल को नकार कर
ख़ुशबू को नहीं अपना सकते
तो तुम
ग़लत युग में पैदा हुए हो
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5. छटपटाहट भरे कुछ नोट्स
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( एक )
आज चारों ओर की बेचैनी से बेपरवाह
जो लम्बी ताने सो रहे हैं
वे सुखी हैं
जो छटपटा कर जाग रहे हैं
वे दुखी हैं
( दो )
आज हमारी बनाई इमारतें
कितनी ऊँची हो गई हैं
लेकिन हमारा अपना क़द
कितना घट गया है
( तीन )
आज विश्व एक
ग्लोबीय गाँव बन गया है
हमने स्पेस-शटल
बुलेट और गतिमान रेलगाड़ियाँ
बना ली हैं
एक जगह से दूसरी जगह की दूरी
कितनी कम हो गई है
लेकिन आदमी और आदमी के
बीच की दूरी
कितनी बढ़ गई है
( चार )
आज दीयों के उजाले
कितने धुँधले हो गए हैं
आज क़तार में खड़ा
आख़िरी आदमी
कितना अकेला है
( पाँच )
आज लम्बी-चौड़ी गाड़ियों में
घूम रहे हैं छोटे लोग
बड़े-बड़े बंगलों में
रह रहे हैं लघु-मानव
बौने लोग डालने लगे हैं
लम्बी परछाइयाँ
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6. सबसे अच्छा आदमी
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सबसे अच्छा है
वह आदमी
जो अभी पैदा ही नहीं हुआ
उसने हमें कभी नहीं छला
प्रपंचों पर वह कभी नहीं पला
हमें पीछे खींच कर
वह आगे नहीं चला
बची हुई है अभी
वे सारी जगहें
जिन्हें घेरता
उसका अस्तित्व
अपनी परछाईं से
बची हुई है अभी
उन सारी जगहों की
आदिम सुंदरता
उसके हिस्से की रोशनी में
नहाती हुई
बची हुई है
अब भी निर्मल
उसके हिस्से की
धूप पानी हवा
आकाश मिट्टी
बचा हुआ है अभी फ़िज़ा में
उसके हिस्से का ऑक्सीजन
राहत की बात है कि
इसी बहाने थोड़ी कम है अभी
वायु-मंडल में
कार्बन-डायॉक्साइड की मात्रा
नहीं बनी है एक और सरल रेखा
वक्र-रेखा अभी
बची हुई हैं बेहतरी की
कुछ सम्भावनाएँ अभी
कि उपस्थित के बोझ से
कराह रही धरती को
अनुपस्थित अच्छे आदमी से
मिली है
थोड़ी-सी राहत ही सही
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परिचय
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सुशांत सुप्रिय
जन्म : 28 मार्च , 1968
शिक्षा : अमृतसर ( पंजाब ) , व दिल्ली में ।
प्रकाशित कृतियाँ :
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# हत्यारे ( 2010 ) , हे राम ( 2013 ) , दलदल ( 2015 ) , ग़ौरतलब कहानियाँ
( 2017 ) , पिता के नाम ( 2017 ) : पाँच कथा - संग्रह ।
# इस रूट की सभी लाइनें व्यस्त हैं ( 2015 ) ,अयोध्या से गुजरात तक ( 2017 ): दो काव्य-संग्रह ।
# विश्व की चर्चित कहानियाँ ( 2017 ) , विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ ( 2017 ) , विश्व की कालजयी कहानियाँ ( 2017) : तीन अनूदित कथा-संग्रह ।
सम्मान :
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भाषा विभाग ( पंजाब ) तथा प्रकाशन विभाग ( भारत सरकार ) द्वारा रचनाएँ पुरस्कृत । कमलेश्वर-स्मृति ( कथाबिंब ) कहानी प्रतियोगिता ( मुंबई ) में लगातार दो वर्ष प्रथम पुरस्कार । स्टोरी-मिरर.कॉम कथाप्रतियोगिता , 2016 में कहानी पुरस्कृत । साहित्य में अवदान के लिए साहित्य-सभा , कैथल ( हरियाणा ) द्वारा सम्मानित ।
अन्य प्राप्तियाँ :
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# कई कहानियाँ व कविताएँ अंग्रेज़ी , उर्दू , नेपाली , पंजाबी, सिंधी , उड़िया, मराठी, असमिया , कन्नड़ , तेलुगु व मलयालम आदि भाषाओं में अनूदित व प्रकाशित । कहानी " हे राम ! " केरल के कलडी वि.वि. ( कोच्चि ) के एम.ए. ( गाँधी अध्ययन ) पाठ्य-क्रम में शामिल । कहानी " खोया हुआ आदमी " महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा बोर्ड की कक्षा दस के पाठ्य-क्रम में शामिल । कहानी " एक हिला हुआ आदमी " महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा बोर्ड की ही कक्षा नौ के पाठ्यक्रम में शामिल । कहानी " पिता के नाम " मध्यप्रदेश व हरियाणा के स्कूलों के कक्षा सात के पाठ्यक्रम में शामिल । कविताएँ पुणे वि. वि. के बी. ए.( द्वितीय वर्ष ) के पाठ्य-क्रम में शामिल । कहानियों पर आगरा वि. वि. , कुरुक्षेत्र वि. वि. , पटियाला वि. वि. , व गुरु नानक देव वि. वि. , अमृतसर आदि के हिंदी विभागों में शोधार्थियों द्वारा शोध-कार्य ।
# आकाशवाणी , दिल्ली से कई बार कविता व कहानी-पाठ प्रसारित । लोक सभा टी.वी. के " साहित्य संसार " कार्यक्रम में जीवन व लेखन सम्बन्धी इंटरव्यू प्रसारित ।
# अंग्रेज़ी व पंजाबी में भी लेखन व प्रकाशन । अंग्रेज़ी में काव्य-संग्रह ' इन गाँधीज़ कंट्री ' प्रकाशित । अंग्रेज़ी कथा-संग्रह ' द फ़िफ़्थ डायरेक्शन ' प्रकाशनाधीन ।
# लेखन के अतिरिक्त स्केचिंग , गायन , शतरंज व टेबल-टेनिस का शौक़ ।
# संप्रति : लोक सभा सचिवालय , नई दिल्ली में अधिकारी ।
संपर्क -
ई-मेल : sushant1968@gmail.com
डाक का पता: A-5001,
गौड़ ग्रीन सिटी ,
वैभव खंड ,
इंदिरापुरम ,
ग़ाज़ियाबाद - 201014
( उ. प्र. )
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