कविताएँ कृष्ण राघव विपक्षी राजनीतिज्ञों की होली में जमकर उड़ा गुलाल, छुटभैये भी शामिल हुए रहा नहीं मलाल, एक बड़ बोले को रंगों से जब ...
कविताएँ
कृष्ण राघव
विपक्षी
राजनीतिज्ञों की
होली में
जमकर
उड़ा गुलाल,
छुटभैये भी
शामिल हुए
रहा नहीं
मलाल,
एक बड़ बोले को
रंगों से जब
किया तरबतर,
बूढ़ा भेड़िया एक बोला
बिखर कर,
लगाई छुटभैयों को
फटकार
जमकर,
उसके लिए
रंग
खराब नहीं करना था,
यार
वे विपक्षी
कीचड़ डालना था।
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अनचाहा मेहमान
दूर से ही
अनचाहे मेहमान
को देख
पति-पत्नी
झगड़ने लगे,
घर की चीजों को
पटकने लगे,
मेहमान दरवाजे
पर आया,
उनको झगड़ता देख
घबराया,
उल्टे पैर
राह उसने
वापस ली
पति-पत्नी ने
समझा
बला टली,
बच्चे बोले-
आप क्यों
झगड़ रहे थे,
दोनों बोले
हम झगड़
नहीं रहे थे,
नाटक कर
रहे थे,
तभी-
मेहमान पुनः आया,
दरवाजा
खटखटाया,
पत्नी ने
दरवाजा खोला
तो मेहमान बोला-
मैं भी भाग
नहीं गया था,
भागने का
नाटक कर रहा था।
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गलत न पढ़ाएँ
प्रिंसिपल ऑफिस में
लड्डू की मम्मी
झल्लाई आकर,
महोदय हैरान
उन्हें लाल तेज
पाकर,
बोले महोदय-
इतमीनान से
बैठ जाइए,
मामला है क्या?
यह तो बताईये,
सर जी, मैथ टीचर
को बुलाइये,
फटकार मेरे
सामने ही लगाइये,
बच्चों को गलत
राह दिखा रहे हैं,
हर दिन गलत
पढ़ा रहे हैं,
मैथ बिल्कुल
नहीं खोलते हैं,
मुँह जवानी
सवाल बोलते हैं
रकम में उन्होंने
चीनी को 5 रू.
किलो लिखवाया
10 किलो चीनी के
कितने दाम?
यह निकलवाया,
यह सवाल नहीं
बकवास है
मैथ नहीं इतिहास है।
यमदूत की हथकड़ी
भ्रष्ट नेता के घर
आया जब
यमदूत
दिखा दी नेता जी ने
अपनी
काली करतूत
ड्राइंग रूम में
उसे बैठाया
सोडा मिक्स
एक पैग बनाया
यमदूत ने
अपनी हथकडी
दिखा दी
गड्डियों की
नेता जी ने
तह लगा दी
यमदूत इस पर
झल्लाया
तो नेता जी ने
फोन उठाया
बड़े मंत्री से
गुहार लगाई
नहीं मंत्री जी की
एक चल पाई
नेता जी ने
पुलिस बुलाई
यमदूत पर
लाठी चलवाई
घमासान में-
पुलिस मैन
दो-चार लाठियाँ
नेता जी को भी
जड़ गए
औंधे मुँह
फर्श पर
नेता जी
पड़ गए
पुलिस तो
फिजूल हुकम
बजा रही थी
जान तो नेता जी की
क्रूर पंजों में
नरकलोक जा रही थी।
भिखारी से भी....
भिखारी से भी
कौन मॉँगता,
हालत भला
उसकी नहीं
कौन जानता,
ऐसा जब टीचर
ने समझाया,
फौरन राहुल ने
हाथ उठाया,
सर, मैं ऐसा
बिल्कुल नहीं
मानता हूँ,
क्योंकि मैं
अच्छी तरह
जानता हूँ,
मेरे डैडी ने
जब निगम चुनाव
लड़ा था
भिखारी से भी
मांगना पड़ा था।
ईमानदार पति
एक व्यक्ति ने
अपनी पत्नी को
ईमानदार लकड़हारे
की कहानी सुनाई,
ईमानदारी के बल पर
लकड़हारे ने
सोने और चाँदी की
कुल्हाडी भी पाई,
लकडहारे की कहानी सुन-
पत्नी ललचा गई,
पति की ईमानदारी
उसे पहली बार
भा गई,
पति से बोली-
अपनी ईमानदारी को
टैस्ट करवाओ,
जलदेव से
कैश करवाओ,
कान खोलकर,
मेरी बात सुन लो-
अभी नदी के
किनारे चल दो,
मैं भी तुम्हारे
साथ चलूंगी,
जलदेव से
खुद बात करूँगी,
अगले ही पल-
ब्रिज पर दोनों में
होने लगी नोक-झोंक,
नीचे नदी बह रही
बे-रोक-टोक,
इसी बीच पत्नी
नदी में गिर जाती है,
तेज धार में
बह जाती है,
पति महोदय बौखलाए,
आँखों में आँसु भर लाए,
जलदेव हुए प्रकट-
साथ में
ऐश्वर्या राय को लाए,
पति ने नहीं किया
तनिक विचार
ऐश्वर्या को,
कर लिया स्वीकार
जलदेव बोले-
हम आप से खफा है,
आप बे-वफा है,
पति बोला-
मैं हूँ मजबूर,
इसे न स्वीकारता
आप ले आते
करिश्मा कपूर,
मैं भागता
उससे भी दूर,
तब कहीं जाकर
मेरी पत्नी को लाते
और फिर...
खुश होकर मेरी
ईमानदारी पर
तीनों को ही
मुझे थमाते।
हिंदी फिल्में
हिंदी फीचर फिल्में
हैं क्या खूब
खूबसूरत
कहानियों का
खजाना
मासूमियत
और प्यार
का पसाना
न्याय-नैतिकता
का अनोखा मेल
भरपूर मनोरंजन
का खेल
एक्टर एक्ट्रेस
सिमपेथी बटोरें
दर्शक
फिल्म अधूरी
न छोड़े
विलेन का
दिखाएँ नाश
दी एंड में
सुखद अहसास
एक स्टूडेंट
ने किया
सवाल
हिंदी फिल्में
क्यूं है
इतनी बेमिसाल
इतनी सुखद
क्यों बन जाती
जवाब मिला-
ये फिल्में
एक्टर - एक्ट्रेस
की शादी तक
ही निपट जाती
शादी के बाद का
महा सीन नहीं दिखाती।
क्लास में कोहराम
अध्यापक के
जाते ही स्टूडेंटस ने
किया बंद काम
क्लास में मचा
कोहराम
अनुशासन
कतई लूज
शोर-शराबे
की ऊँची गूंज
शांति का प्रयास
मानिटर ने
किया
जिसे सबने
आडे हाथों
लिया
होने लगी
फाइटिंग
कुछ आइडियल
कर रहे थे राइटिंग
लगे उन्हें भी
लात और घूँसे
कई तो
पकड़ दीवार
में धूँसे
चप्पल जूते
चलने लगे
कमीज तक
फाड़ने लगे
स्टूल-डेस्क की
तोड़-फोड़
गिरा दिया
ब्लैक बोर्ड
तभी अध्यापक जी
आ धमके
और बुरी तरह
भड़के
बोले-
तुम्हारे कारनामों पर
मैं हूँ दंग
किया तुमने
अनुशासन भंग
क्या तुम्हारे पास
कोई काम नहीं था
वक्त जाया करने
का ख्याल नहीं था
अध्यापक
मानिटर पर
गुर्राया
तेज कदमों से
पास उसके आया
पूछा-
क्यों हुआ
ये सब-
कौन है
कसूरवार
क्यों किया
इन सबने
बुरा व्यवहार
मानिटर बोला,
सर,
मैं तो अपना
काम कर रहा था
शांत इन्हें करने
के प्रयास
तमाम कर रहा था
अध्यापक बोला-
फिर भी ये
बाज क्यों
नहीं आए
आज इतने बेहूदा
क्यों बन पाए
मानिटर बोला-
सर,
आपकी गैर हाजिरी
में हमने
टाईम वेस्ट
नहीं किया
कक्षा को माना
पार्लियामेंट
मैं था स्पीकर
रोल इन्होंने
सांसदों का किया।
हाँ और नहीं
वकील ने
मुलजिम को फटकारा
हर जवाब हाँ और नहीं
में देने का
किया इशारा,
मुलजिम बोला-
तमाम जवाब
हाँ और नहीं में
हो सकते नहीं
इसमें फंस न जाएँ
आप भी कहीं
वकील हो गया
गुस्से से लाल
बोला मुलजिम से
करो सवाल-
मुलजिम बोला-
तैश में न आओ
बीवी से पिटना आपका
बंद हुआ या नहीं
पहले ये तो बताओ।
बेईमान साहूकार
बेईमान साहूकार ने
गोरख धंधे में
खूब धन कमाया,
धन बल पर ही
राजनीति में
पैर जमाया,
नौकर के साथ
फिर माँगने
चले वोट
बाँटे खूब
नकली नोट
नुक्कड़ सभा में
बोले-
गर मैं कामयाब
हुआ तो-
भ्रष्टाचार को
जड़ से मिटाऊँगा
अन्ना हजारे वाला
लोकपाल लाऊँगा
महंगाई को
ठिकाने लगवा दूँगा
अत्याचारियों को
फाँसी चढ़वा दूँगा
और गद्दारों का
तो सर कटवा दूँगा
नौकर बोला
मालिक
अब बस भी करिए
चुपचाप घर चलिए
वरना एक गद्दार से
मैं मिलवा दूगाँ
सबके बीच
आईना आपको
दिखा दूँगा।
कवि परिचय
नाम - कृष्ण राघव
गांव व पो. - पलड़ा
जिला - गुरूग्राम (हरियाणा)- 122101
Email: kirshanraghav@gmail.com
bahut khoob
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं एक से बढ़कर। बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक. व्यंगात्मक वास्तविकता से ओत प्रोत
जवाब देंहटाएंNice one
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